मोदी सरकार पर सवाल उठाने वाले इन 5 मीडिया पोर्टल्स पर क्यों हुई थी कार्रवाई, यहां जानिए हर एक बात

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26 साल से एनडीटीवी से जुड़े रहे पत्रकार रविश कुमार ने चैनल छोड़ दिया. अदानी द्वार इस चैनल को अधिग्रहण करने की घोषणा के बाद रविश कुमार ने इस्तीफा दिया और अब वो अपने यूट्यूब चैनल पर केंद्र की सत्ता पर काबिज मोदी सरकार और उनके अदानी के रिश्तों साथ ही सरकार की कई नीतियों में बारे में खुलकर सच बताते हैं. वहीं अभी तक कई सारे न्यूज़ पोर्टल्स है जो मोदी सरकार पर निशाना साधती रहती है. वहीं इस बीच इस पोस्ट के जरिए हम आपको उन 5 मीडिया पोर्टल्स के बारे में बताने जा रहे हैं कि जिन्होंने  मोदी सरकार पर सवाल उठाया और उसके बाद उनके खिलाफ कारवाई हुई.

Also Read- Newsclick एक बार फिर सरकारी एजेंसियों के रडार पर, इसके पहले भी पड़ चुके हैं छापे, हुआ था यह भयंकर खुलासा. 

बीबीसी

इस लिस्ट में सबसे पहला नाम बीबीसी का है. दरअसल, हाल ही में बीबीसी दिल्ली और मुंबई कार्यालयों पर छापा मारा गया और तीन दिनों की तलाशी के बाद ब्रिटिश प्रसारक पर कर चोरी का आरोप लगाया. वहीं ये सब तब हुआ जब बीबीसी ने मोदी की आलोचना वाली एक डॉक्यूमेंट्री जारी की. जिसके बाद भारत के  इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (income tax department) ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (BBC) के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तर पर छापा मारा.

वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस ने आईटी की इस कार्रवाई को बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर बैन से जोड़ा है. कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, पहले BBC की डॉक्यूमेंट्री आई, उसे बैन किया गया. अब BBC पर IT का छापा पड़ गया है. जानकारी के लिए बता दें, बीबीसी द्वारा बनायीं गयी डॉक्यूमेंट्री पीएम मोदी (PM modi) के संबंध में थी. बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” (India: The Modi Question) में नरेंद्र मोदी और भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के तनाव की कहानी को दिखाया गया है. इसी के साथ इस डॉक्यूमेंट्री में 2002 के गुजरात दंगों (Gujrat Riots) में मोदी की भूमिका को लेकर सवाल खड़े किये गये हैं साथ ही डॉक्यूमेंट्री में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद भारत का अल्पसंख्यक समाज खराब स्थितियों से गुजर रहा है. उसके साथ भेदभाव व्यवहार किए जा रहे हैं. जिसके बाद अब  अब इन सभी डॉक्यूमेंट्री के YouTube लिंक को ब्लॉक कर दिया गया है.

द वायर (The wire)

इस लिस्ट में दूसरा नाम ‘द वायर’ (The wire) मीडिया पोर्टल का है. रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में पुलिस ने सत्तारूढ़ पार्टी के सोशल मीडिया अभियानों के प्रभारी एक राजनेता के बारे में एक वापस लिए गए लेख पर भारत सरकार की तीखी आलोचना के लिए जानी जाने वाली एक समाचार वेबसाइट के परिसर पर छापा मारा है.

वहीं ये कारवाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सोशल मीडिया प्रभाग के प्रमुख अमित मालवीय की शिकायत पर की गयी. उन्होंने  वायर पर एक फर्जी कहानी प्रकाशित करने का आरोप लगाया था जिसने उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया था. द वायर की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि मालवीय ने भाजपा की आलोचना करने वाले पोस्ट हटाने के लिए फेसबुक और इंस्टाग्राम के मालिक मेटा द्वारा उन्हें दिए गए विशेष विशेषाधिकारों का इस्तेमाल किया.

वहीं इस कारवाई को एलकार पत्रकारों और विपक्षी राजनेताओं ने आलोचना की, जिन्होंने वर्षों से सरकार पर मीडिया को दबाने या नियंत्रित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.

न्यूज क्लिक (NEWS CLICK)

वहीं इस लिस्ट में अगला नाम न्यूज़क्लिक का है. दरअसल, बीजेपी ने खुलासा किया था कि न्यूज़क्लिक का लिंक चाइना और कांग्रेस से जुड़ा हुआ है. बीजेपी सासंद निशिकांत दुबे ने कहा कि NEWS CLICK को चीन से फंडिंग मिल रही है. उन्होंने कहा कि NEWS CLICK देश विरोधी है. वहीं चीन से फंडिंग विवाद के बीच न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों (Raid On NewsClick Journalist) के ठिकानों पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी की है.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की डिजिटल न्यूज वेबसाइट न्यूज क्लिक और इससे जुड़े कुछ पत्रकारों के ठिकानों पर रेड की तो वहीं इससे पहले ईडी ने भी कार्रवाई की थी. रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त के महीने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने न्यूज क्लिक के चीन से संबंध होने की बात कही थी उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर खुलासा करते हुए कहा था कि कांग्रेस, चीन और न्यूज क्लिक एक ही गर्भनाल का हिस्सा हैं. राहुल गांधी की नकली मोहब्बत की दुकान में चीनी सामान साफ देखा जा सकता है. चीन के लिए उनका प्यार देखा जा सकता है और ये तीनो मिलकर भारत विरोधी एजेंडा चला रहे थे.

इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि चीनी कंपनियां मोगुल नेविल रॉय सिंघम के माध्यम से न्यूज क्लिक को फंडिंग कर रही थी, लेकिन उनके सेल्समैन भारत के कुछ लोग थे, जो उनके समर्थन में आए जब उनके खिलाफ कार्रवाई की गई.

दि क्विंट (The Quint)

समाचार पोर्टल “दि क्विंट” के दफ्तर और उसके मालिक राघव बहल के घर पर इनकम टैक्स का छापा पड़ा था. वहीं दि प्रिंट के संस्थापक संपादक शेखर गुप्ता ने कारवाई पर गंभीर चिंता जाहिर की है. उन्होंने सीधे-सीधे सरकार से इसका जवाब मांगा है. उनका कहना है कि अगर सरकार जवाब नहीं देती है तो इसका मतलब है कि वो मीडिया को अपना निशाना बना रही है. वहीं कहा गया सरकार ने कारवाई इसलिए कि क्योंकि quint वेबसाइट ने सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर आलोचनात्मक रिपोर्टिंग की है.

अन्य कई वरिष्ठ पत्रकारों और कुछ राजनीतिक नेताओं ने भी इस कार्रवाई का विरोध करते हुए इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दी साथ ही वरिष्ठ पत्रकार और एंकर रवीश कुमार ने भी अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि “अकबर की ख़बर को भटकाने के लिए रास्ता खोजा जा रहा है. पुराना तरीका रहा है कि आयकर विभाग से छापे डलवा दो. ताकि गोदी मीडिया को वैधानिक( legitimate) ख़बर मिल जाए. लगे कि छापा तो पड़ा है और हम इसे कवर कर रहे हैं. ख़बरों को मैनेज करने वालों को कुछ सूझ नहीं रहा है. इसलिए हिन्दी अख़बारों को अकबर की ख़बर से रोक दिया गया है. दूसरी तरफ आयकर के छापे डलवा कर दूसरी खबरों को बड़ा और प्रमुख बनने का अवसर बनाया जा रहा है.

न्यूज़लॉन्ड्री (Newslaundry)

इसी के साथ न्यूज़लॉन्ड्री मीडिया पोर्टल भी इस लिस्ट में शामिल है. समाचार वेबसाइट ‘न्यूज़ ल़ॉन्ड्री’ के दफ़्तरों पर आयकर विभाग ने छापे मारे हैं. लेकिन दूसरी ओर, आयकर विभाग के लोगों ने इसका खंडन किया है. उन्होंने कहा है कि यह ‘सर्वे’ है, ‘छापा’ नहीं.  आयकर विभाग ने कहा है कि इसके अधिकारी इन दोनों वेबसाइटों के दफ़्तरों पर सर्वे करने के लिए गए हुए हैं लेकिन कहा जाता है ये सर्वे डर पैदा करने के लिए था ताकि मीडिया पोर्टल को समझ जाए अगर वो सरकार के खिलाफ जाते हैं तो उनके खिलाफ कारवाई हो सकती है.

Also Read- महाराष्ट्र की स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर, नांदेड़ के अस्पताल में एक ही दिन में 24 मरीजों की मौत, 12 बच्चे भी हैं शामिल.

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