मुकेश सहनी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने पर नरेंद्र मोदी को नहीं दी बधाई, बताई इसके पीछे की वजह

Table of Content

विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने पर उन्हें बधाई नहीं दी। इसके पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर निषाद समाज को आरक्षण नहीं मिलता तो प्रधानमंत्री को भी बधाई नहीं देंगे। उन्होंने आगे कहा कि मैं ऐसे प्रधानमंत्री को कैसे बधाई दे सकता हूं जो निषादों को आरक्षण का वादा करके फिर उससे मुकर जाते हैं। यहां समझने वाली बात यह है कि निषाद समाज कई सालों से आरक्षण की मांग कर रहा है लेकिन उन्हें यह आरक्षण नहीं मिल रहा है, इसी बात पर मुकेश सहनी ने नाराजगी जताई और पीएम मोदी को बधाई नहीं दी। लोकसभा चुनाव 2024 की बात करें तो बिहार में आरजेडी ने भी मुकेश सहनी को साथ लिया था और वीआईपी पार्टी को तीन सीटें मिली थीं। गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी में महागठबंधन की ओर से वीआईपी के उम्मीदवार उतारे गए थे। हालांकि वीआईपी पार्टी तीनों सीटों पर भारी अंतर से हारी है।

और पढ़ें: कौन है 8वीं बार सांसद चुने गए डॉ. वीरेंद्र खटीक, कभी पंचर बनाया तो कभी की गाड़ियों की रिपेरिंग 

आरक्षण नहीं तो बधाई नहीं

10 जून को सोमवार को बयान जारी करते हुए वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने कहा, “ऐसे प्रधानमंत्री को कैसे बधाई दूं, जो हमारे संविधान को समाप्त करने की सोच रखता है। निषाद समाज को आरक्षण नहीं तो प्रधानमंत्री जी को भी बधाई नहीं। उन्होंने कहा कि कैसे ऐसे प्रधानमंत्री को बधाई दूं, जो भाईचारा की समाप्त करने की सोच रखता हो। मैं कैसे ऐसे प्रधानमंत्री को बधाई दूं जो जनता की चुनी सरकार को रातों रात गिरा दे और अपनी सरकार बना ले।”

सहनी ने आगे कहा, “मैं कैसे ऐसे प्रधानमंत्री को बधाई दूं, जो जिसने मछुआरे के बेटे के चार विधायक खरीद लिए। गरीब, पिछड़ा के हक अधिकार को दूसरे में बांटने वाले और बाबा साहेब आंबेडकर के सपने को कुचलने वाले तथा आरक्षण खत्म करने के लिए सभी सरकारी संस्थाओं को निजीकरण करने वाले प्रधानमंत्री को कैसे बधाई दूं।”

‘वादा कर ले और फिर मुकर जाए…’

मुकेश सहनी ने यह भी कहा कि, ‘मैं ऐसे प्रधानमंत्री को कैसे बधाई दूं जो निषाद आरक्षण का वादा करके फिर उससे मुकर जाता है। मैं ऐसे प्रधानमंत्री को कैसे बधाई दूं जो दिन-रात मछुआरे के बेटे को खत्म करने के बारे में सोचता है। मैं ऐसे प्रधानमंत्री को कैसे बधाई दूं जो धर्म के नाम पर राजनीति करता है और युवाओं को बेरोजगार रखता है। मैं ऐसे प्रधानमंत्री को कैसे बधाई दूं जो अग्निवीर योजना के जरिए युवाओं को 22 साल की उम्र में रिटायर करने की योजना लेकर आया है।’

निषाद समाज के एससी में शामिल होने की डिमांड

आइए अब निषाद समुदाय के जातिगत समीकरण को समझते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में निषाद समुदाय ओबीसी श्रेणी में आता है, जबकि दिल्ली और दूसरे राज्यों में इसे अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है। ऐसे में लंबे समय से निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग उठ रही है। बिहार में केंद्र सरकार ने साफ मना कर दिया है कि निषाद समुदाय को एससी में शामिल नहीं किया जाएगा, लेकिन यूपी में निषाद समुदाय को काफी उम्मीदें हैं। दरअसल, 1961 में केंद्र सरकार ने जनगणना के लिए सभी राज्य सरकारों को एक मैनुअल भेजा था, जिसमें कहा गया था कि केवट और मल्लाह जातियों को मझवार में गिना जाना चाहिए। इस संबंध में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को एक अधिसूचना भेजी थी कि कुछ जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए। ऐसे में पिछले 70 सालों में निषादों को कभी एससी में शामिल किया गया, तो कभी पिछड़े वर्ग में गिना गया।

आरक्षण का मुद्दा बीजेपी के गले की फांस कैसे बन गया?

दिसंबर 2016 में तत्कालीन सपा सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव दिया था कि अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम-1994 की धारा 13 में संशोधन कर केवट, बिंद, मल्लाह, नोनिया, मांझी, गोंड, निषाद, धीवर, बिंद, कहार, कश्यप, भर और राजभर को ओबीसी से एससी में शामिल किया जाए। केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर नहीं लगाई। मुलायम सिंह यादव ने 2007 के चुनाव से पहले ही केंद्र को इन 17 जातियों को एससी में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था।

वहीं, 2024 के चुनाव से ठीक पहले निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग उठ खड़ी हुई, जो बीजेपी के गले की फांस बन गई। अगर बीजेपी सरकार निषाद समुदाय की जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए कदम उठाती है तो पहले से शामिल दलित जातियों की नाराजगी बढ़ सकती है। ऐसे में निषाद समुदाय को आरक्षण मिलता नजर नहीं आ रहा है।

और पढ़ें: अमित मालवीय पर महिलाओं के यौन शोषण का आरोप, संघ नेता शांतनु सिन्हा ने किया चौंकाने वाला खुलासा 

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Is AI Replacing Tech Jobs? Exploring the Impact of Artificial Intelligence on the Workforce

  Introduction: The Rise of AI in Technology Artificial Intelligence (AI) has emerged as a transformative force within the technology sector, fundamentally altering how businesses operate and innovate. Over recent years, we have witnessed a remarkable surge in AI applications, ranging from machine learning algorithms to natural language processing systems, that are now integral components...

UP BJP New President: यूपी भाजपा को मिला नया चेहरा, संगठन की कमान अब पंकज चौधरी के हाथ

UP BJP New President: उत्तर प्रदेश भाजपा को आखिरकार नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। शनिवार को एकमात्र नामांकन होने के बाद जिस नाम पर पहले ही सहमति बन चुकी थी, उस पर रविवार को औपचारिक ऐलान कर दिया गया। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय परिसर स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यवेक्षकों...

Kanpur News: एक जैसे चेहरे ही नहीं, फिंगरप्रिंट भी सेम! कानपुर का अनोखा मामला, विज्ञान हैरान

Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक ऐसा हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम लोगों के साथ-साथ विज्ञान के जानकारों को भी सोच में डाल दिया है। विज्ञान अब तक यही मानता आया है कि दुनिया में किसी भी दो इंसानों के फिंगरप्रिंट और आंखों की रेटिना एक जैसी नहीं...

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार Dr Ramvilas Das Vedanti का निधन, अयोध्या और संत समाज में शोक की लहर

Dr Ramvilas Das Vedanti: राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और अयोध्या से पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। जानकारी के अनुसार, वे 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे, जहां उनकी रामकथा चल रही थी। इसी दौरान...

Bhim Janmabhoomi dispute: रात में हमला, दिन में फाइलें गायब! भीम जन्मभूमि विवाद ने लिया खतरनाक मोड़

Bhim Janmabhoomi dispute: महू स्थित संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि से जुड़ा राष्ट्रीय स्मारक एक बार फिर बड़े विवाद के केंद्र में है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू में कथित तौर पर हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, फर्जीवाड़े और सत्ता हथियाने के आरोपों ने इस ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्मारक की गरिमा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds