रोहिणी आचार्य से जुड़े विवाद की पूरी कहानी, आखिर क्यों सबसे प्यारी बेटी बन गई सबसे बड़ी दुश्मन

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Rohini Acharya Controversy: एक कहावत आपने जरूर सुनी होगी….जब नाश मनुष्य पर छाता है, पहले विवेक हर जाता है. ये कहावत इस वक्त आरजेडी सुप्रीमों लालू यादव के बेटे और आरजेडी के तथाकथित युवराज तेजस्वी यादव पर काफी सटीक बैठ रही है..14 नवंबर को जब बिहार विधानसभा चुनावों के नतीजे आये तो खलबली केवल महागठबंधन में ही नहीं मची थी. बल्कि बिहार की कभी सबसे बड़ी पार्टी रही लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी में भी उथलपुथल मच गई।

रोहिणी आचार्य ने पटना का घर छोड़

15 नवंबर को अचानक खबर आई कि लालू की सबसे प्यारी बेटी रोहिणी आचार्य ने पटना का घर छोड़ दिया और वो दिल्ली चली गई। आरजेडी (RJD) को विधानसभा में मिली करारी हार ने एक तरफ ये बता दिया कि अब आरजेडी का समय खत्म हो रहा है, तो वहीं उनके परिवार के बीच भी अंदरूनी कलेश की खबरों से सुर्खियों का बाजार गर्म होने लगा। एक तरफ तेजस्वी यादव हार से तिलमिला गए.

चुनावी रैलियों में उनका बिहेविय़र जितना अभद्र था, जनता ने भी उतनी ही निर्दयता से उन्हे सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है…वहीं अब ऐसा लगता है कि इस हार से बौखलायें तेजस्वी यादव की बौखलाहद परिवार पर निकल रही है। रोहिणी आचार्य ने खुद अपने पिता और भाई के खिलाफ बयानबाजी करते हुए चिराग पासवान और बीजेपी के गुण गाने शुरु कर दिये है। आइये जानते है क्या है पूरा मामला… और क्यों शुरु हुआ ये विवाद..

कैसे शुरु हुआ मामला

दरअसल इसी साल 16 सितंबर को तेजस्वी यादव ने बिहार की जनता को लुभाने के लिए बिहार अधिकार यात्रा शुरु की थी जो जहानाबाद से शुरू हुई थी…इस यात्रा में देखा गया कि आरजेडी के एक प्रमुख नेता संजय यादव फ्रंट सीट पर बैठे है. जबकि कायदे से वो सीट लालू प्रसाद यादव की होनी चाहिए थी. और अगर वो नहीं थे तो उनके सम्मान में वो खाली होनी चाहिए थी. लेकिन तेजस्वी यादव ने उस जगह पर अपने करीबी सलाहकार संजय यादव को विराजित कर दिया था. बस फिर क्या था, पिता की लाडली रोहिणी आचार्य ने इसके खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया.

हालांकि चुनावी माहौल था तो मामले को ज्यादा हवा देने के बजाये उसे दबा दिया गया। लेकिन चुनावो के नतीजे आने के बाद रोहिणी ने संजय यादव और तेजस्वी यादव के तथाकथित दोस्त रमीज पर संगीन आरोप लगाया कि तेजस्वी की छत्रछाया में ही इन दोनो ने रोहिणी आचार्य के साथ गालीगलौच की, उन्हें चप्पल से मारने की कोशिश की और इन सब में तेजस्वी यादव की भूमिका सबसे अहम थी. नतीजा रोहिणी आचार्य ने न केवल हमेशा के लिए परिवार छोड़ दिया बल्कि राजनीति छोड़ने का भी ऐलान कर दिया।

तेजस्वी यादव से विवाद

रोहिणी ने अपने भाई तेजस्वी के साथ साथ अपने पिता को भी सोशल मीडिया पर अनफॉलो कर दिया… जिसके साथ रोहिणी ने एक पोस्ट लिखा- वो अनाथ हो गई है, उन्हें मायके से निकाल दिया गया है। उन्हें असल में सच बोलने की सजा मिली है। रोहिणी ने दावा किया है कि आज आरजेडी की करारी हार का सबसे बड़ा कारण संजय यादव और रमीज. ये दोनो ही है, लेकिन तेजस्वी की आंखो पर इन दोनो ने ऐसी पट्टी बांधी कि पैरो तले से जमीन सरका दी गई लेकिन अभी भी वो नींद से नहीं जागा. इतना ही नहीं रोहिणी ने जब इन दोनो पर आरजेडी की हार का ठींकरा फोड़ा तो तेजस्वी यादव को इतना चुभा कि उन्होंने बहन को बुरी तरह से बेज्जत किया।

संजय यादव पर कार्यवाई

इन नामों का जिक्र भी करना परिवार में उन्हें अपराधी की तरह बना गया। सोर्सेज की माने तो हार के अगले दिन 15 नवंबर को जब हार की समीक्षा करने के लिए आरजेडी खेमे में बैठक हुई तो रोहिणी ने संजय यादव को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं के अंसतोष को लेकर संजय यादव पर कार्यवाई करने के लिए कहा था, लेकिन तेजस्वी झल्ला गए और उल्टा रोहिणी को ही कह दिया कि ये सब तुम्हारे श्राप के कारण हुआ है. तुम्हारी वजह से हम हारे है और जब बहस और ज्यादा तीखी होती गई तो तेजस्वी यादव ने अपनी चप्पल फेंक कर रोहिणी आचार्य को मार दिया।

इतना ही नहीं अपनी पोस्ट में भी रोहिणी ने कहा था कि उन्हें गंदा बुलाया गया.. उनसे कहा गया कि उन्होंने अपनी गंदी किडनी पिता को लगवा दी.. किडनी के बदले करोड़ो रूपय लिए, पार्टी का टिकट लिया. रोहिणी का दर्द उनके पोस्ट से झलक रहा था कि कैसे अपने ससुराल के खिलाफ जाकर रोहिणी ने अपनी किडनी दी.. अगर पिता की इतनी फिक्र थी तो बेटे ने क्यों नहीं दे दी.. लेकिन फिर भी कहूंगी कि शादीशुदा बेटियों को अपने परिवार के बारे में सोचना चाहिए..मायके के बारे में नहीं।

तेज प्रताप का रिएक्शन

लालू परिवार से पहले से ही बर्खास्त हो चुके उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के साथ जो कुछ भी भेदभाव हुआ.. उसके बाद उन्हें फैमिली लाइन से ही बाहर कर दिया गया..लेकिन अब बहन को साथ हुए इस व्यावहार पर अपना रोष जताते हुए उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के सहयोगी..जो परिवार को तोड़ने की साजिश कर रहे है, जनता सब देख रही है समझ रही है…जनता अब कभी माफ नहीं करेंगी। रोहिणी जैसी बेटी के साथ अन्नाय परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे आरजेडी को बहुत भारी पड़ेगा।

वहीं पारिवारिक कलह अब खुल कर और ज्यादा तब सामने आ गया जब रोहिणी के अलावा लालू की तीन और बेटियों रागिनी, चंदा और राजलक्ष्मी यादव भी अपने परिवार समेत पटना छोड़ कर दिल्ली शिफ्ट हो गई। वहीं राजनीति और लालू परिवार को छोड़ कर अब रोहिणी हमेशा के लिए सिंगापुर रवाना हो गई.. जहां उनके पति और बच्चे रहते है।

क्या बोले साधू यादव

राबड़ी देवी के भाई और रोहिणी के मामा साधू यादव ने भी इस मामले में अपना रिएक्शन दिया है। साधू यादव ने सीधे रोहिणी पर ही निशाना साधते हुए कहा कि जब आप किसी के घर में रहते है तो आपको उस घर के नियम मानने होते है। और जब आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप बाहर जा सकते है. हालांकि साधू यादव ने बात को घुमाते हुए कहा कि लालू का घर उनकी बेटी का भी घर है। जो भी विवाद है उसमें जो सही होगा वो सहीं साबित होगा।

वहीं लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने भी रोहिणी को ढांढस बंधाते हुए कहा कि वो इस हालात से खुद गुजर चुके है, पारिवारिक कलाह आपको तोड़ देता है। एक बेटी होने के नाते आपने जो कुछ भी अपने परिवार के लिए किया उसके बदले आपको जो अपमान मिला वो बेहद ही निंदनीय है। मैं उम्मीद करता हूं कि लालू परिवार का ये आपसी कलह जल्द खत्म हो जाये।

हैरानी की बात है कि इतना बड़ा विवाद हो गया। परिवार में फूट पड़ गई घर की 4 बेटियां घर छोड़ कर चली गई. लेकिन तेजस्वी यादव या फिर लालू यादव की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं है। राजनीतिक मद इस कदर सिर पर सवाल है कि सामने से आता पतन भी नजर नहीं आता है। करारी हार मिली लेकिन आंखो में शर्म नही. जो हमेशा साथ खड़े रहे..उनसे बैर ले लिया. शायद इसी को कहते है विनाशकाले विपरीत बुद्धि…

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