क्या सोमालिया के पुरानी संसद का नकल है भारत का नया संसद भवन? क्यों उठ रहे हैं सवाल

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नए संसद भवन का उद्घाटन कर दिया है. जिसको लेकर तमाम विपक्षी नेताओं ने खूब विरोध किया था. और उद्घाटन में आने से इसलिए मना कर दिया कि इस नए सांसद का उद्घाटन हमारे देशी कि राष्ट्रपति मुर्मू से करवाना चाहिए. तो दूसरी तरफ पहलवानों ने जन्तर मंतर से मार्च निकाला. आरजेडी ने नए संसद भवन की बिल्डिंग की डिजाइन को लेकर विवादित ट्वीट भी किया था.

जिसमे आपने देखा होगा कि राजद ने नए संसद भवन की तुलना एक ताबूत से की थी जिसमे मुर्दे को ले जाया जाता है. इस बीच टीएमसी सांसद जवाहर सरकार और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने नई संसद भवन को लेकर कहा कि इसकी डिजाइन को अफ्रीकी देश सोमालिया की पुरानी संसद से कॉपी किया गया है.

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क्या सच में है कॉपी कैट?

दरअसल तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने ट्वीट कर कहा कि गुजरात से मोदी के ‘पालतू’ आर्किटेक्ट ने सोमालिया की पुरानी संसद की नकल करने के लिए 230 करोड़ रुपये चार्ज किया है. सरकार ने ट्वीट कर लिखा, “सोमालिया ने अपनी पुरानी संसद को खारिज कर दिया है, वह नए भारत की प्रेरणा है! गुजरात से मोदी के पालतू वास्तुकार – जो हमेशा “प्रतिस्पर्धी बोली” के माध्यम से मोदी के मेगा अनुबंध प्राप्त करते हैं (अहमदाबाद, वाराणसी, दिल्ली की संसद + सेंट्रल विस्टा में) ने हमसे सोमालिया के डिजाइन की नकल करने के लिए ₹230 करोड़ का शुल्क लिया.”

वहीं जवाहर सरकार के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी को टैग कर लिखा कि क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं कि सोमालिया द्वारा खारिज की गई संसद की बिल्डिंग हमारे पीएम की प्रेरणा है. दिग्विजय ने लिखा, जवाहर सरकार को पूरे नंबर. क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं कि सोमालिया द्धारा रिजेक्ट की गई संसद की बिल्डिंग हमारे प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा है.” पीएमओ को टैग करते हुए कांग्रेस नेता ने मांग की है कि कॉपी कैट आर्किटेक्ट से 230 करोड़ रुपये की वसूली करें.

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आरजेडी ने भी उठाए थे सवाल

इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल ने भी इसकी डिजाइन को लेकर सवाल उठाए थे. आरजेडी ने ट्वीट कर संसद के नए भवन की तुलना ताबूत से करते हुए पूछा था कि ये क्या है. हालांकि बाद में आरजेडी की ओर से सफाई आई थी कि उनके उस ट्वीट के गलत मायने निकाले गए. ट्वीट के जरिए आरजेडी ने पूछा था कि लोकतंत्र को ताबूत में बंद कर उसके मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है. वहीं बीजेपी ने इस ट्वीट पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि ये ट्वीट आपकी राजनीति के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा.

राहुल गांधी ने क्या कहा?

नए संसद के उद्घाटन को लेकरकांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, ‘राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना – यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।

पीएम ने 28 मई को किया था उद्घाटन

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं. कुछ तारीखें, समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्तक्षर बन जाती है. 28 मई 2023 का यह दिन ऐसा ही शुभ दिन है. देश आजादी के 75 साल होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है, इस अवसर पर देश को यह नया संसद भवन उपहार में मिला है.

यह भवन 140 करोड़ भारतीयों का प्रतिबिंब: PM

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि यह केवल भवन नहीं है बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का प्रतिबिम्ब है उन्होंने कहा कि नए रास्तों पर चलकर ही नए कीर्तिमान गढ़े जाते हैं. आज नया भारत नए लक्ष्य लेकर नए रास्ते गढ़ रहा है. पीएम ने कहा कि नया जोश है, नया उमंग है, नया सफर है. नई सोच है, दिशा नई है, दृष्टि नई है. संकल्प नया है, विश्वास नया है.

लागत में 1200 करोड़ रुपये का खर्च

आपको बता दें कि साल 2020 में 10 दिसम्बर को इस नए संसद का शिलान्यास किया था. और इस काम के लिए राज्यसभा और लोकसभा ने 5 अगस्त 2019 को आग्रह किया था. जिसकी लगत 861 करोड़ रुपये की आंकी गयी थी. हालांकि ऐसा हुआ नहीं इसके बाद इसके निर्माण की कुल लागत करीब1200 करोड़ के आसपास पहुंच गयी थी. संसद के नवनिर्मित भवन को गुणवत्ता के साथ रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है. चार मंजिला संसद भवन में 1224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है.

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