किसान आंदोलन से इन राज्यों को हर रोज़ हो रहा है 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुक़सान

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अपनी मांगों को लेकर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए राजधानी दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हजारों की किसान. इस आंदोलन के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने उन्हें दिल्ली की सीमा में घुसने से रोकने के लिए बॉर्डर पर सुरक्षा के चाकचौबंद इंतजाम किए हैं.

नए कृषि कानूनों के विरोध में वर्ष 2021 में सड़कों पर उतरे किसान एक बार फिर से एमएसपी को लेकर भारी संख्या में दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं. किसान संगठन के नेतृत्व में हजारों की तादाद में किसान ट्रक्टर ट्राली और अन्य वाहनों से दिल्ली की तरफ जाने वाली सड़कों पर डेरा जमाए हुए है.

किसानों के इस आंदोलन के मद्देनजर हरियाणा पंजाब सीमा को सील कर दिया गया है. जिससे पंजाब के किसान हरियाणा की सीमा में दाखिल नही हो पा रहे. सीमा पर घुसने से रोकने पर उत्तेजित किसान और पुलिस बल के बीच तीखी नोंकझोंक हुई. इससे पहले शंभू बॉर्डर पर किसान और पुलिस प्रशासन के मध्य हुई टकरार में कई किसानों और पुलिस वालों के घायल होने की सूचना है.

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अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा असर

किसान और सरकार की टकरार का असर अब सीधे भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. एक आकलन से यह बात का खुलासा हुआ है कि हरियाणा, पंजाब राज्यों की सीमा सील होने से उत्तर भारत के राज्यों को लगभग 500 करोड़ रुपए का रोजाना नुकसान झेलना पड़ सकता है.

उद्योग मंडल पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने किसानों के आंदोलन को लेकर एक आकलन कर बताया है कि किसानों के आंदोलन के लंबे चलने के कारण उत्तर भारत के राज्यों में व्यापार और छोटे बड़े उद्योगों बड़ा असर पड़ेगा और काफी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इस आंदोलन से उत्तर भारत के राज्यों में व्यापार पर तकरीबन 500 करोड़ का आर्थिक नुकसान होगा.

अगर लंबा चला आंदोलन तो…

पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा कि किसान आंदोलन लंबा चलने से लगभग 500 करोड़ रुपए का रोजाना आर्थिक नुकसान होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के राज्यों में मुख्य रूप से पंजाब हरियाणा और दिल्ली के दिल्ली के चौथे तिमाही के सकल घेरेलू उत्पाद पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा.

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