गाजियाबाद को यूपी का औद्योगिक शहर माना जाता है और दिल्ली एनसीआर से सटे होने के कारण इसकी महत्वता और अधिक बढ़ जाती है. यहाँ किराए पर रहने वाले लोगों की संख्या लाखों में है. लेकिन पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब किराएदारों ने ही घर खाली करने से मना कर दिया. उन्होंने अवैध तरीके से घर पर कब्जा जमा लिया. कभी घर के मालिक को हड़काया, उन पर हमला किया और ऐसे मामलो में पुलिस कई बार चाह कर भी कुछ नहीं कर पाती और मुँह ताकती रह जाती है. नीचे के अफसर मदद करना चाहते हैं लेकिन ऐसे गिरोह की सेटिंग ऊपर तक होती है.
आज भी कई ऐसे लोग हैं, जो किसी नेता, मवाली या लोकल पुलिस की सांठगांठ से अवैध रूप से कब्जाए हुए घरों में मौज में रह रहे हैं. आइए अभी हाल के मामले से आपको रूबरू करवाते है, जिसमें किरायेदार मकान मालिक की तरह ठाठ से रह रहा है और मकान मालिक अपने तीन छोटे बच्चो के साथ यहाँ वहां किराये के मकान में धक्के खा रहा है. गाज़ियाबाद में हो रहे इसे पूरे प्रकरण को आइये हम समझने का प्रयास करते हैं.
‘पत्रकार’ ने कर लिया है मकान पर कब्जा
एक किराएदार जिसका नाम मनु भारद्वाज बताया जा रहा है, वो 6 साल से अवैध रुप से कब्जा जमाकर एक मकान में रह रहा है. पेशे से वो खुद को स्वतंत्र पत्रकार बताता है लेकिन उसकी कुंडली में पत्रकारिता कहीं भी नजर नहीं आती. ये वो लोग हैं, जो पत्रकारिता और पत्रकारों को बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं. भविष्य में अगर जांच हुई तो इस गिरोह में मनु भारद्वाज का नाम भी सामने आ सकता है. इस मामले में हमने जब पड़ताल की तो पता चला कि जब उसने मकान किराए पर लिया था तो उसका रेंट एग्रीमेंट 11 महीने का था, जिसे उसने फिर कभी रिन्यू नहीं कराया और तब से ही उसने मकान पर कब्जा जमाकर रखा है.
रेंट चुकाने में आनाकानी करने, मकान मालकिन को धमकाने और उन्हें प्रताड़ित करने समेत कई मामलों को लेकर चीजें पहले भी सामने आ चुकी हैं. लोकल थाने मे भी मामला दर्ज है यहां तक कि उससे प्रताड़ित होकर मकान मालकिन जो कि लगभग 80 साल की एक बुजुर्ग हैं, उन्होंने कई बार इस मामले के निपटारे के लिए पुलिस का दरवाजा भी खटखटाया लेकिन पुलिस लगभग मूकदर्शक बनी रही. आखिर मे वहां के चौकी इंचार्ज ने उनकी मदद की और मनु भारद्वाज के खिलाफ FIR दर्ज हो गयी. इसके बाद मनु भारद्वाज ने घर खाली करने का आश्वासन दिया मगर परेशानी और डर का आलम यह हुआ कि न चाहते हुए भी उस बुजुर्ग महिला को अपना घर बेचना पड़ा.
दिसंबर 2022 में उस बुजुर्ग महिला ने अपना घर बेच दिया. लेकिन इस व्यक्ति ने तब भी मकान खाली नहीं किया और धूर्तता पूर्वक वहां बना रहा. अब जिस व्यक्ति ने उस घर को खरीदा है, उसे भी इस कथित पत्रकार की ओर से लगातार धमकियां दी जा रही हैं. नये मकान मालिक ने उसे घर खाली करने का नोटिस भी दिया था, उसे 30 दिन का समय दिया था कि वो अपने लिए घर ढूंढ ले लेकिन मनु भारद्वाज अड़ा रहा और अभी तक मामला ज्यों का त्यों बना हुआ है.
मकान को खरीदने वाले शख्स ने अपने खून पसीने की कमाई से इस मकान को खरीदा है लेकिन मनु भारद्वाज और उसके बेटे दिव्यांश के कारण उन्हें दूसरी जगह पर किराए के मकान में रहना पड़ रहा है. जबकि मनु भारद्वाज अवैध रूप से कब्जा जमाकर उस मकान में अपने परिवार के साथ ठाठ से रह रहा है. पुलिस भी पूरे मामले को पिछले कुछ वर्षों से देख रही है, समझ रही है लेकिन जब एक्शन की बात आती है, वहां पुलिस कोर्ट जाने की बात कह के पल्ला झाड़ लेती है. ध्यान देने वाली बात है कि मनु भारद्वाज मकान खाली करने के लिए लाखों रुपये की डिमांड कर रहा है, जो पैसा पूरे सिस्टम में बटता है. अब आप स्वयं इस क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं.
ये तो रहा हालिया मामला लेकिन अगर हम देखें तो गाजियाबाद में एक ऐसा गिरोह नजर आता है, जो रेंट पर मकान लेकर उस पर कब्जा जमा लेता है और उसके बाद मजबूरी में मकान मालिक को पीछे हटना पड़ता है या पैसा दे कर मामले का निपटारा होता है. पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं. अक्सर कई मामलो मे पुलिस मदद करना भी चाहती है तो उन्हें ऊपर से फोन करा दिया जाता है. इससे पहले अगर हम देखें तो मार्च 2023 के शुरुआती दिनों में इंदिरापुरम कोतवाली के सेक्टर 10 बी से एक ऐसी ही खबर सामने आई थी, जब एक पूर्व किराएदार महिला ने अपनी मकान मालकिन को बाल पकड़कर घर से बाहर घसीटा था और बैट से उनकी पिटाई कर दी थी. उसमें भी मामला यहीं था कि मकान मालिकन ने उस किराएदार से घर खाली करा लिया था. हालांकि, यह मामला भी अभी तक पुलिस थाने में लटका हुआ है.
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ग्रेटर नोएडा में बुजुर्ग दंपति पर कहर
वहीं, जुलाई 2022 में एक ऐसी ही खबर सामने आई थी जब गाजियाबाद से सटे गौतमबुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में रेंट पर रहने वाले एक दबंग परिवार ने एक बुजुर्ग दंपति को धमकाकर उनके फ्लैट पर कब्जा जमा लिया था. दबंग किरायेदार प्रीति गुप्ता ने मकान मालिक को मारपीट और हाउस अरेस्ट का मुकदमा लिखवाने की धमकी दी थी. उसके बाद स्थिति ऐसी हो गई कि फ्लैट के बुजुर्ग मालिक दंपति को सीढ़ियों पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इस मामले में भी 11 महीने के एग्रीमेंट पर उस बुजुर्ग दंपति ने प्रीति गुप्ता को फ्लैट दिया था और एग्रीमेंट की समय सीमा खत्म होने के बाद उस परिवार ने फ्लैट पर ही कब्जा जमा लिया.
पुलिस को सब पता है लेकिन…
ये तो केवल 3 मामले हैं, जो प्रकाश में आए हैं. इसके अलावा ऐसे अनगिनत मामले होंगे जो सामने आने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि प्रशासन को इस बात की जानकारी नहीं है या पुलिस इन मामलों को देख सुन न रही हो. पुलिस वर्षों से इस मामले को देख रही, समझ रही है लेकिन ऐसे मामलों के निपटारा के लिए किसी भी तरह का कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. न ही लोगों को जागरुक करने हेतु किसी तरह का अभियान चलाया गया है और न ही अभी तक ऐसे मामले में कोई बड़ा एक्शन होते हुए देखा गया है. गाजियाबद क्षेत्र में ऐसे मामलों की बहुतायत बतायी जाती है. ऐसे में गाजियाबाद में रहने वाले लोगों को किसी को भी रेंट पर मकान देने से पहले सावधान होने की आवश्यकता है. हमारा मकसद है आपको ऐसे धोखेबाज़ो से बचाना. अगर आप भी किसी ऐसे गिरोह के चंगुल में फंस गए हैं तो हमें जरुर सूचित करें, हम अपनी तरफ से आपकी मदद करने और आपको न्याय दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे.