Headlines

Sikhism in Texas: टेक्सास में सिख पहचान की कहानी! स्कूलों से पुलिस यूनिफॉर्म तक, सम्मान की यह यात्रा यूं हुई शुरू

Table of Content

Sikhism in Texas: ज़रा सोचिए, जब कोई बच्चा टेक्सास के किसी स्कूल में बैठकर “वैशाखी” के बारे में पढ़ रहा होता है साथ में क्रिसमस, रमज़ान, दिवाली और यॉम किप्पुर की बातें भी चल रही होती हैं तो उसे पता भी नहीं होगा कि यह सब किसी लंबे संघर्ष और एक ऐतिहासिक जीत का नतीजा है। यह कहानी है सिख समुदाय की, जिन्होंने अपने धर्म और पहचान को अमेरिका की मुख्यधारा में जगह दिलाने के लिए सालों मेहनत की, और आखिरकार टेक्सास में इतिहास रच दिया। आज के वक्त में टेक्सास में सिख आबादी लगभग 10,777 है यानी करीब ग्यारह हजार के आसपास सिख परिवार इस राज्य में बसे हुए हैं, जो शिक्षा, व्यवसाय और समाजसेवा जैसे कई क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। आईए आपको टेक्सास में सिखों की कहानी के बारे में बताते हैं विस्तार से।

और पढ़ें: Sikhism in East Midlands: ईस्ट मिडलैंड्स में सिखों का दबदबा, जो बदल रहा है पूरे इलाके का नक्शा

शुरुआत – जब सिखों का ज़िक्र तक नहीं था (Sikhism in Texas)

साल था 2010। उस वक्त टेक्सास के पब्लिक स्कूलों के पाठ्यक्रम में सिख धर्म का कोई जिक्र नहीं होता था। बच्चों को दुनिया के बड़े धर्मों के बारे में सिखाया जाता था, मगर सिख धर्म  जो समानता और सेवा का संदेश देता है कहीं नहीं था। यह बात टेक्सास के सिख समुदाय को खटकती थी।

फिर शुरू हुआ एक लंबा अभियान। सिख कोएलिशन (Sikh Coalition) और टेक्सास के सिखों ने मिलकर ग्रासरूट स्तर पर एक जन आंदोलन खड़ा किया। आखिरकार, मई 2010 में टेक्सास बोर्ड ऑफ एजुकेशन ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया सिख धर्म को राज्य के सार्वजनिक स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया।

शिक्षा में सिख धर्म की एंट्री

2011 से टेक्सास के छात्रों के लिए यह अनिवार्य हो गया कि वे सिख धर्म के बारे में तीन अलग-अलग स्तरों पर पढ़ेंगे। छठी कक्षा में बच्चे वैशाखी के बारे में जानेंगे, जब वे दूसरे प्रमुख त्योहारों के बारे में पढ़ते हैं। वहीं, हाई स्कूल के छात्रों को सामाजिक अध्ययन (Social Studies) में सिख धर्म के सिद्धांतों, इसके भौगोलिक उद्गम और विश्वभर में बसे सिख समुदाय के बारे में पढ़ाया जाता है।

यह कदम सिर्फ टेक्सास के लिए नहीं, बल्कि पूरे अमेरिका के लिए मायने रखता था। क्योंकि टेक्सास अमेरिका का सबसे बड़ा टेक्स्टबुक खरीदार राज्य है, और यहाँ का पाठ्यक्रम बाकी 46 राज्यों की किताबों पर भी असर डालता है। यानी एक राज्य के फैसले ने पूरे देश के लाखों बच्चों को पहली बार सिख धर्म और सिख समुदाय के बारे में सही जानकारी देने का रास्ता खोल दिया।

क्यों ज़रूरी था यह बदलाव

कहते हैं, अज्ञानता ही भेदभाव की जड़ है। 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका में सिखों को अक्सर गलत समझा गया। उनकी पगड़ी और दाढ़ी देखकर कई लोगों ने उन्हें मुस्लिम या “आतंकी” मान लिया। नतीजा यह हुआ कि सिख समुदाय को नफरत के अपराध, स्कूल में बुलिंग, नस्लीय भेदभाव और रोजगार में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

सिख कोएलिशन का मानना था कि जब तक आने वाली पीढ़ियाँ यह नहीं समझेंगी कि सिख लोग पगड़ी क्यों पहनते हैं, और उनके धर्म की नींव समानता और न्याय पर क्यों रखी गई है, तब तक यह गलतफहमियां खत्म नहीं होंगी। शिक्षा ही वह रास्ता थी जो इन दीवारों को तोड़ सकती थी।

टेक्सास पुलिस में नई शुरुआत – जब पगड़ी को मिला सम्मान

लेकिन सिखों की पहचान की यह कहानी सिर्फ स्कूलों तक सीमित नहीं रही। साल 2015 में टेक्सास से एक और बड़ी खबर आई अब सिख पुलिस अधिकारी अपनी पगड़ी और दाढ़ी के साथ ड्यूटी कर सकते हैं।

वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेटर ह्यूस्टन के काउंटी शेरिफ ने यह निर्णय लिया, जिससे सिख समुदाय की एक पुरानी मांग पूरी हो गई। ह्यूस्टन अब उन कुछ पुलिस विभागों में शामिल हो गया, जिनमें धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए सिखों को अपनी “आस्था की निशानियाँ” पहनने की अनुमति दी गई।

शेरिफ एड्रियन गार्सिया ने कहा था, “हमारा दफ़्तर उस समुदाय का प्रतिबिंब होना चाहिए जिसकी हम सेवा करते हैं। यह शहर सांस्कृतिक रूप से जितना विविध है, उतना ही समृद्ध भी।”

उन्होंने यह भी कहा, “हमारे डेप्युटी को न सिर्फ लोगों को समझना और उनका सम्मान करना चाहिए, बल्कि उन्हें प्रतिनिधित्व भी देना चाहिए।”

डेप्युटी संदीप धालीवाल – पहचान का चेहरा बने

इस नीति की शुरुआत के साथ ही एक नाम सामने आया डेप्युटी संदीप धालीवाल। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं नीली पुलिस यूनिफॉर्म में, गहरे नीले रंग की पगड़ी और सजी हुई दाढ़ी के साथ। यह तस्वीर सिर्फ एक इंसान की नहीं, बल्कि उस आज़ादी की प्रतीक थी जिसके लिए सिख वर्षों से संघर्ष कर रहे थे।

सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (SALDEF) के कार्यकारी निदेशक जसजीत सिंह ने कहा, “यह नीति साबित करती है कि किसी को अपने धर्म और अपने पेशे में से किसी एक को चुनने की ज़रूरत नहीं है।”

ह्यूस्टन में SALDEF के प्रतिनिधियों ने इस फैसले को “ऐतिहासिक जीत” बताया और कहा कि इससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों में समुदाय के और लोग शामिल होंगे, जिससे विश्वास और जुड़ाव दोनों बढ़ेंगे।

ह्यूस्टन – सिख समुदाय की बढ़ती ताकत

आपको बता दें, टेक्सास राज्य में स्थित ह्यूस्टन में भी सिखों की मौजूदगी बीते कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। 1970 के दशक में गिनती के परिवार यहाँ बसे थे, लेकिन अब यह संख्या लगभग 10,000 तक पहुँच चुकी है। अमेरिका में कुल सिख आबादी करीब दो लाख मानी जाती है, जबकि कुछ संगठन इसे सात लाख तक बताते हैं।

यह समुदाय पढ़ा-लिखा और पेशेवर है डॉक्टर, इंजीनियर, व्यापारी, शिक्षक हर क्षेत्र में सिख अमेरिकन योगदान दे रहे हैं। ह्यूस्टन के आसपास कई प्रमुख गुरुद्वारे भी हैं, जैसे Gurudwara Sahib of Houston, Sikh National Center – Houston, और Gurdwara Nanak Sikh Mission Fort Worth।

Sikh National Center, जो 2003 में आधिकारिक तौर पर स्थापित हुआ, इस क्षेत्र के बढ़ते सिख समुदाय की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था। वहीं, Gurdwara Akaljot (Garland) और Sikh Center of San Antonio जैसे गुरुद्वारे धार्मिक शिक्षा और पंजाबी भाषा सिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

संघर्ष और सीख की कहानी

लेकिन इस यात्रा में सब कुछ आसान नहीं था। 9/11 के बाद कई सिखों को हमलों और भेदभाव का सामना करना पड़ा। 2012 में विस्कॉन्सिन के एक गुरुद्वारे में गोलीबारी में छह सिख श्रद्धालुओं की मौत ने पूरे समुदाय को हिला दिया था।

ह्यूस्टन में भी 2008 की एक घटना ने कई सवाल खड़े किए थे, जब एक सिख परिवार के घर चोरी की शिकायत के बाद पहुँची पुलिस उनके रूप-रंग से घबरा गई। दाढ़ी और पगड़ी देख अधिकारियों ने परिवार से कठोर पूछताछ की। यह घटना शेरिफ गार्सिया के लिए चेतावनी साबित हुई, और उन्होंने तय किया कि ऐसा फिर कभी न हो।

SALDEF के अधिकारी बॉबी सिंह कहते हैं, “वो सब अब अतीत की बात है। आज गार्सिया ने सिख समुदाय और बाकी अल्पसंख्यक समूहों के लिए एक नई शुरुआत की है।”

अंत में… पहचान से आगे की बात

आज जब टेक्सास के स्कूलों में बच्चे सिख धर्म के बारे में पढ़ते हैं, और ह्यूस्टन की सड़कों पर कोई सिख अधिकारी गर्व से पगड़ी पहनकर ड्यूटी करता है, तो यह सिर्फ प्रतिनिधित्व नहीं बल्कि सम्मान का प्रतीक है।

और पढ़ें: Sikhism in Washington: 1907 की राख से उठे सिख, आज वाशिंगटन की पहचान हैं

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

DoT latest news

DoT latest news: टेलीकॉम सेक्टर में सर्कुलर इकॉनमी की ओर भारत का बड़ा कदम, DoT और UNDP ने मिलकर शुरू की राष्ट्रीय पहल

DoT latest news: भारत का टेलीकॉम सेक्टर आज सिर्फ कॉल और इंटरनेट तक सीमित नहीं रह गया है। यह देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था, गवर्नेंस, फाइनेंशियल इन्क्लूजन और सामाजिक बदलाव की रीढ़ बन चुका है। इसी तेजी से बढ़ते डिजिटल इकोसिस्टम को टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में दूरसंचार विभाग (DoT) और संयुक्त...
Jabalpur Viral Video

Jabalpur Viral Video: जबलपुर में वायरल वीडियो पर मचा बवाल, नेत्रहीन छात्रा से अभद्रता के आरोपों में घिरीं भाजपा नेता

Jabalpur Viral Video: मध्य प्रदेश के जबलपुर से सामने आया एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि आम लोगों को भी झकझोर कर रख दिया है। इस वीडियो में एक महिला नेता को एक नेत्रहीन छात्रा के...
Vaishno Devi Yatra New Rule

Vaishno Devi Yatra New Rule: नए साल से पहले वैष्णो देवी यात्रा में बड़ा बदलाव, RFID कार्ड के साथ समय सीमा तय, जानें नए नियम

Vaishno Devi Yatra New Rule: नववर्ष के मौके पर माता वैष्णो देवी के दरबार में उमड़ने वाली भारी भीड़ को देखते हुए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यात्रियों के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं। बोर्ड ने साफ किया है कि ये बदलाव श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखकर...
Banke Bihari Temple Trust Bill

Banke Bihari Temple Trust Bill: श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट कानून 2025 लागू, अब कैसे होगा मंदिर का संचालन?

Banke Bihari Temple Trust Bill: उत्तर प्रदेश में श्री बांके बिहारी मंदिर से जुड़ा एक अहम फैसला अब पूरी तरह से लागू हो गया है। श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट बिल 2025 को विधानसभा और विधान परिषद से पास होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी भी मिल गई है। इसके साथ ही यह विधेयक अब...
BMC Election 2024

BMC Election 2024: ठाकरे बंधुओं का गठबंधन टला, सीटों के पेंच में अटका ऐलान, अब 24 दिसंबर पर टिकी नजरें

BMC Election 2024: महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल लगातार गर्म होता जा रहा है। खासतौर पर उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के संभावित गठबंधन ने सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। दोनों दलों के बीच गठबंधन का...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds