MP Nishikant Dubey: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयानों ने फिर खींचा ध्यान! अरब देशों में बदला रुख, फिलिस्तीन के समर्थन में आए नजर

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MP Nishikant Dubey: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। हमेशा अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले निशिकांत दुबे ने हाल ही में अरब देशों के दौरे के दौरान अपने रुख में अप्रत्याशित बदलाव दिखाया है। पहले मुस्लिम समुदाय और फिलिस्तीन के मुद्दे पर आक्रामक टिप्पणियां करने वाले दुबे अब फिलिस्तीन के समर्थन में बोलते नजर आ रहे हैं। उनके इस बदले हुए रुख ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

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पहले के विवादित बयान- MP Nishikant Dubey

निशिकांत दुबे लंबे समय से अपने बयानों के कारण विवादों में रहे हैं। खासतौर पर, उन्होंने कई बार मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए तीखी टिप्पणियां की हैं। आतंकवाद को इस्लाम से जोड़कर देखने वाले उनके बयान अक्सर सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर चर्चा का विषय बनते रहे हैं। पहले वे फिलिस्तीन के समर्थन को आतंकवाद से जोड़कर देखते थे और हमास जैसे संगठनों की आलोचना में मुखर रहते थे। लेकिन अरब देशों के दौरे पर उनके तेवर अचानक बदले हुए दिखाई दे रहे हैं।

अरब देशों में बदला रुख

हाल ही में, निशिकांत दुबे एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ अरब देशों के दौरे पर गए, जहां वे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत का पक्ष रखने के लिए भेजे गए थे। इस दौरे का मकसद ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को दुनिया के सामने पेश करना और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को वैश्विक समर्थन दिलाना था। लेकिन सऊदी अरब और कुवैत पहुंचते ही निशिकांत के बयानों में नरमी देखने को मिली। सऊदी अरब में उन्होंने कहा, “आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता।” इसके बाद कुवैत में उन्होंने फिलिस्तीन के समर्थन में बड़ा बयान दिया, जिसमें उन्होंने इजरायल की आलोचना की और कहा, “इजरायल एक ऐसा राष्ट्र है जो किसी की बात नहीं सुन रहा। हम फिलिस्तीन के लोगों को खाना भेज रहे हैं, कोविड के दौरान हमने उनके लिए इंजेक्शन भेजे।”

उन्होंने आगे कहा, “हम द्विराष्ट्र सिद्धांत के समर्थन में हैं। हम मानते हैं कि इजरायल और फिलिस्तीन दो अलग-अलग राष्ट्र हैं।” यह बयान उनके पहले के रुख से बिल्कुल उलट है, जिसके कारण विपक्षी दलों ने उन पर निशाना साधा है।

भारत-फिलिस्तीन संबंधों पर जोर

निशिकांत दुबे ने अपने बयानों में भारत और फिलिस्तीन के ऐतिहासिक संबंधों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत ने 1974 में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) को मान्यता दी थी और 1983 में गैर-आबद्ध आंदोलन (NAM) की बैठक में यासिर अराफात को आमंत्रित किया था। इसके अलावा, 1988 में भारत वह पहला देश था जिसने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार ने फिलिस्तीन की मदद के लिए 39 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया है।

ऑपरेशन सिंदूर और भारत का वैश्विक संदेश

निशिकांत दुबे का यह दौरा भारत सरकार के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसमें सांसदों के सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को दुनिया के विभिन्न देशों में भेजा गया है। इनका उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना है। इस अभियान के तहत भारत यह संदेश देना चाहता है कि आतंकवाद वैश्विक शांति के लिए खतरा है और इसके खिलाफ सभी देशों को एकजुट होना होगा।

विपक्ष का तंज: “देश में दुर्वचन, परदेस में प्रवचन”

निशिकांत दुबे के इस बदले रुख पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने उनके बयानों को “देश में दुर्वचन, परदेस में प्रवचन” करार दिया। खेड़ा ने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए कहा, “दंगाई प्रवृत्ति का यह व्यक्ति मुस्लिम देशों की मेहमाननवाजी का फायदा उठाने के लिए फिलिस्तीन का हिमायती बन गया। लेकिन घर लौटते ही वही नफरत का राग अलापने लगेगा।” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी निशिकांत के बयानों की कड़ी आलोचना की और कहा कि ऐसे “दोगले” लोग भारत की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं।

निशिकांत का जवाब

विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए निशिकांत दुबे ने कहा, “क्या फिलिस्तीन और हमास में कोई अंतर नहीं है?” उन्होंने अपने बयानों का बचाव करते हुए यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि उनका फिलिस्तीन समर्थन आतंकवाद के समर्थन से अलग है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का रुख हमेशा से मानवीय और शांतिपूर्ण रहा है।

निशिकांत दुबे के विवादों का सफर और ताजा बयानों का बवाल

निशिकांत दुबे कई मौकों पर सुर्खियों में रहे हैं। कुछ समय पहले ‘कैश फॉर क्वेरी’ विवाद में उन्होंने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया था कि वह पैसे लेकर संसद में तयशुदा सवाल पूछती हैं। इसके अलावा उनकी डिग्री को लेकर भी विवाद छिड़ा था, जिसमें महुआ मोइत्रा ने दावा किया था कि दुबे ने राजस्थान की प्रताप यूनिवर्सिटी से फर्जी डिग्री हासिल की है। निशिकांत ने इस आरोप को बार-बार नकारा है। वे खुद कहते हैं कि वे विवाद नहीं करते, बल्कि विवाद उनके साथ हो जाता है।

हाल ही में उन्होंने वक्फ संसोधन अधिनियम को लेकर एक विवादित बयान दिया है। निशिकांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया कि यदि सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाएगा, तो संसद भवन को ही बंद कर देना चाहिए। इस बयान ने देशभर में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। निशिकांत के ऐसे बयानों ने उनकी विवादास्पद छवि को और भी मजबूत कर दिया है।

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