Odisha Conversion Laws: धर्मांतरण कानून से दलितों के संवैधानिक अधिकारों पर संकट? जानिए पूर्व जस्टिस मुरलीधर की राय

Table of Content

Odisha Conversion Laws: ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस मुरलीधर ने धर्मांतरण विरोधी कानून को विकल्प विरोधी कानून करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कानून विशेष रूप से दलित समुदाय को निशाना बनाता है और उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है। पूर्व जस्टिस मुरलीधर ने 28 फरवरी को ‘एडीएफ इंडिया पैनल चर्चा’ में भाग लेते हुए इस कानून की खामियों को उजागर किया और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों के विपरीत बताया।

और पढ़ें: Noida News: गाजियाबाद में जीएसटी डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह की आत्महत्या! क्या कैंसर और डिप्रेशन बना वजह?

कानून में निहित पूर्वाग्रह (Odisha Conversion Laws)

मुरलीधर का कहना है कि यह कानून इस धारणा पर आधारित है कि कोई भी धर्मांतरण डर, भय या धमकी का परिणाम होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी धर्मांतरण जबरन या प्रलोभन से प्रेरित नहीं होते, बल्कि कुछ लोग अपनी स्वेच्छा से भी धर्म परिवर्तन करते हैं। उनका मानना है कि यह कानून उन लोगों को भी अपराधी ठहराता है जो अपनी मर्जी से धर्म बदलते हैं और उन्हें सरकारी प्रक्रियाओं में उलझा देता है।

Odisha Conversion Laws S Muralidhar
Source: Google

संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व जस्टिस मुरलीधर ने जोर देकर कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए नहीं हैं, बल्कि ये संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ हैं। उन्होंने बताया कि इन कानूनों में यह पहले से मान लिया जाता है कि यदि कोई व्यक्ति अपने जन्मजात धर्म को छोड़कर किसी अन्य धर्म को अपनाने का निर्णय लेता है, तो यह निर्णय किसी न किसी दबाव के कारण ही हुआ होगा। इस धारणा के आधार पर कानून का बोझ उस व्यक्ति पर डाल दिया जाता है, जिस पर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया गया हो।

दलित और अल्पसंख्यक समुदायों पर प्रभाव

पूर्व चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि इस कानून का सबसे अधिक प्रभाव दलित समुदाय पर पड़ रहा है, क्योंकि वे अक्सर अपने अधिकारों की रक्षा और सामाजिक भेदभाव से बचने के लिए धर्मांतरण करते हैं। उन्होंने बताया कि यह कानून केवल एक विशेष समुदाय को लक्षित करता है और उनके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को बाधित करता है। इसके अलावा, यह अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है और उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित करने का माध्यम बन जाता है।

Odisha Conversion Laws S Muralidhar
Source: Google

धर्म की पसंद को सार्वजनिक करना अनिवार्य

मुरलीधर ने इस कानून की एक अन्य महत्वपूर्ण खामी को उजागर करते हुए कहा कि यदि कोई दलित बौद्ध धर्म अपनाने की इच्छा रखता है, तो उसे पहले जिला मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना देनी होगी। उन्होंने इस प्रक्रिया को संविधान प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन बताया। उनका कहना है कि धर्मांतरण का निर्णय अत्यंत निजी मामला होना चाहिए, लेकिन इस कानून के तहत लोगों को अपने धार्मिक विकल्पों को सार्वजनिक रूप से घोषित करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। उन्होंने इसे पसंद की स्वतंत्रता, गोपनीयता और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया।

लोकतांत्रिक मूल्यों पर खतरा

मुरलीधर का कहना है कि संविधान ने हमें पोशाक, भोजन और प्रार्थना की स्वतंत्रता दी है, लेकिन अब धर्मांतरण विरोधी कानूनों के कारण ये स्वतंत्रताएँ प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने इस कानून को चुनाव की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया और कहा कि यह लोकतांत्रिक समाज के मूल्यों को कमजोर करता है। उन्होंने सरकार और न्यायपालिका से इस कानून की समीक्षा करने और इसे संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप बनाने की अपील की।

और पढ़ें: Sahid Aurangzeb: औरंगजेब विवाद के बीच, जान की आहुति देने वाले इस सच्चे नायक की वीरता को क्यों भुलाया गया?

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Is AI Replacing Tech Jobs? Exploring the Impact of Artificial Intelligence on the Workforce

  Introduction: The Rise of AI in Technology Artificial Intelligence (AI) has emerged as a transformative force within the technology sector, fundamentally altering how businesses operate and innovate. Over recent years, we have witnessed a remarkable surge in AI applications, ranging from machine learning algorithms to natural language processing systems, that are now integral components...

UP BJP New President: यूपी भाजपा को मिला नया चेहरा, संगठन की कमान अब पंकज चौधरी के हाथ

UP BJP New President: उत्तर प्रदेश भाजपा को आखिरकार नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। शनिवार को एकमात्र नामांकन होने के बाद जिस नाम पर पहले ही सहमति बन चुकी थी, उस पर रविवार को औपचारिक ऐलान कर दिया गया। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय परिसर स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यवेक्षकों...

Kanpur News: एक जैसे चेहरे ही नहीं, फिंगरप्रिंट भी सेम! कानपुर का अनोखा मामला, विज्ञान हैरान

Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक ऐसा हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम लोगों के साथ-साथ विज्ञान के जानकारों को भी सोच में डाल दिया है। विज्ञान अब तक यही मानता आया है कि दुनिया में किसी भी दो इंसानों के फिंगरप्रिंट और आंखों की रेटिना एक जैसी नहीं...

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार Dr Ramvilas Das Vedanti का निधन, अयोध्या और संत समाज में शोक की लहर

Dr Ramvilas Das Vedanti: राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और अयोध्या से पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। जानकारी के अनुसार, वे 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे, जहां उनकी रामकथा चल रही थी। इसी दौरान...

Bhim Janmabhoomi dispute: रात में हमला, दिन में फाइलें गायब! भीम जन्मभूमि विवाद ने लिया खतरनाक मोड़

Bhim Janmabhoomi dispute: महू स्थित संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि से जुड़ा राष्ट्रीय स्मारक एक बार फिर बड़े विवाद के केंद्र में है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू में कथित तौर पर हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, फर्जीवाड़े और सत्ता हथियाने के आरोपों ने इस ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्मारक की गरिमा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds