Gurudwara Nanakwadi sahib full Details – सिखों के लिए सबसे पवित स्थल उनका गुरुद्वारा होता है, जिसमे गुरु ग्रन्थ साहिब स्थापित होती है. पूरे विश्व में विभिन्न गुरूद्वारे ऐसे ही जो सिखों ने अपने गुरुओं की याद में बनवाये है. आज हम एक ऐसे ही गुरूद्वारे के बारे में बात करेंगे. जिसको सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक सिंह जी की याद में बनवाया गया है. इस गुरूद्वारे का नाम श्री नानकवाड़ी साहिब है. जो गुजरात के वडोदरा शहर में स्थित है. यह एक महान सिख तीर्थ स्थल है. जिससे नानक वर्दी या नानक वादी के नाम से भी जाना जाता है. यह गुरुद्वारा कई युगों से अस्तित्व में है. श्री नानकवाड़ी साहिब, सिखों का ऐसा तीर्थ स्थल है जहाँ भारत से नहीं बल्कि अन्य देशो से भी सिख श्रद्धालु अक्सर आते रहते हैं.
दोस्तों, आज हम आपको सिखों के एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल श्री नानक वाड़ी साहिब (Gurudwara Nanakwadi sahib) के बारे में बात करेंगे, हम आपको इस गुरूद्वारे की कुछ खास बातें बताएंगे.
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गुरुद्वारा श्री नानकवाड़ी साहिब का धार्मिक महत्व
गुरुद्वारा श्री नानकवाड़ी साहिब सिखों के लिए धार्मिक स्थल है. इस गुरूद्वारे में सिखों द्वारा गुरुओं की वाणी का पाठ किया जाता है, अरदास की जाती है. रोजाना कई सिख यहा गुरुओं की वाणी का पाठ करने आते है. इस गुरूद्वारे में दिवाली, बंगाली नव वर्ष और गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इन मौकों पर गुरूद्वारे को दीपों से सजाया जाता है. इसके अलावा श्री नानकवाड़ी साहिब में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जैसे रक्तदान शिविर और भोजन और कपड़ा वितरण शिविर और भी बहुत कुछ कार्यक्रमों का आयोजन होता है. सिख धर्म में, अहंकार, क्रोध और लालच को इंसानियत के लिए नुकसान माना जाता है. गुरु नानक ने बताया है कि ऐसी स्थिति को भगवान के प्रति कठोर और लगातार समर्पण से ठीक किया जा सकता है.
गुरुद्वारा श्री नानकवाड़ी साहिब की पौराणिक कथा
गुरुद्वारा श्री नानकवाड़ी साहिब (Gurudwara Nanakwadi sahib) को लेकर यह पौराणिक कथा है कि सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक साहिब जी 1515 में, नानकवाडी साहिब के स्थान पर आए थे. उनकी याद में यह गुरुद्वारा बनाया गया था. सिख धर्म के पहले गुरु होने के नाते उन्होंने नानकवाड़ी साहिब का दौरा किया था, जिसके बाद यह सिखों के लिए महत्वपूर्ण पूजा स्थल बन गया. इस जगह सिख गुरुओं की उपस्थिति को समर्पित करने करने के लिए इस गुरूद्वारे का निर्माण किया गया था.
कहा जाता है कि उस समय सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक साहिब बारोच शहर से राजस्थान की ओर यात्रा कर रहे थे. अपनी यात्रा के दौरान गुरु नानक साहिब जी नानकवाडी साहिब में 3 साल रुके थे. उस सटीक स्थान की पहचान लगभग 50 साल पहली ही की गयी है. उस समय, स्थानीय सिखों द्वारा एक छोटा सा गुरुद्वारा बनाया गया था. बाद में, लगभग 15 साल पहले उस गुरूद्वारे को बड़ी ईमारत में बदला गया. उस इमारत का नाम अब श्री नानकवाडी साहिब गुरुद्वारा है.
ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, जब सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक साहिब जी ने इस स्थान का दौरा किया, तब गुरु जी बगल में स्थित एक मंदिर में रुके थे. उस मंदिर की स्थिति काफी खराब थी क्यों कि उस समय देश की अर्थव्यवस्था ठीक नहीं थी, जिसके चलते वहां के स्थानीय लोगो ने गुरु जी को आशीर्वाद देने के लिए कहा और देश के विकास के लिए आग्रह किया. यह मंदिर आज भी मौजूद है. कुछ लोगों का कहना है कि नानकवाड़ी साहिब में एक कुआँ है, जहाँ गुरु नानक नियमित स्नान करते थे. गुरुद्वारे के निर्माण के पीछे मुख्य कारण यह सुनिश्चित करना है की सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक साहिब जी की यादो को सुरक्षित रख सके.
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