पंजाब की राजनीति में है बड़ा स्थान
राजनीति में पितामह और शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) का पंजाब (Punjab) की राजनीति में बड़ा स्थान है। प्रकाश सिंह बादल के नाम ही देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री और सबसे वृद्ध मुख्यमंत्री होने का ख़िताब दर्ज है। 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल अपनी परंपरागत लांबी विधानसभा सीट से 1997 से लगातार 5 चुनाव जीता है।
महज 20 की उम्र में जीता था सरपंच चुनाव
महज 20 साल की उम्र में यानी की 1947 में प्रकाश सिंह बादल ने सरपंच का चुनाव जीतकर पहली बार राजनीति में कदम रखा था कर उसके बाद वह राजनीति के ही होकर रह गए। वह पहली बार 1957 में पंजाब विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और फिर से 1969 में प्रकाश सिंह बादल विधानसभा के लिए चुने गए और गुरनाम सिंह की सरकार में उन्हें सामुदायिक विकास, पंचायती राज, पशु पालन, डेरी और मतस्य पालन मंत्रालय का कार्यभार मिला, जिसे युवा प्रकाश सिंह बदल ने बखूबी निभाया और बाद में 1996 से 2008 तक अकाली दल के अध्यक्ष पद पर रहें। प्रकाश सिंह बादल इसके बाद कभी भी पंजाब की राजनीति से बाहर नहीं निकले।
- 5 बार मुख्यमंत्री रहे और 10 बार विधानसभा चुनाव जीता
बादल केंद्र में मोरारजी देसाई की सरकार में साल 1977 में ढाई महीने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय भी संभाला था। पंजाब की राजनीति के पितामह रिकॉर्ड 5 बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और 10 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। साल था 1996 का जब बीजेपी और अकाली दल का गठबंधन हुआ और 1997 में पहली बार विधानसभा चुनाव में बादल ने गठबंधन में चुनाव लड़ा और दोनों पार्टियों को इसका राजनीतिक फायदा भी मिला। बादल ने 2007 चौथी बार और 2012 में पांचवीं बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
सबसे कम उम्र और सबसे उम्रदराज CM रहे
प्रकाश सिंह बादल की एक खास बात यह है कि वह जब 1970 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे तो वह महज 43 साल के थे और उस समय के सबसे कम उम्र के देश में किसी राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। वहीं, दूसरी तरफ साल 2012 में बादल वह पांचवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री बने तो वह देश के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री थे।
- जाने पितामह बादल के निजी जिंदगी के बारे में
8 दिसम्बर 1927 को पंजाब में मालवा के नजदीक एक गांव अबुल खुराना में प्रकाश सिंह बादल का जन्म हुआ था। उनके पिता रघुराज सिंह और मां सुंदरी कौर थी। वे एक जाट सिख परिवार से आते हैं। उनकी शादी की बात करें तो 1959 में उन्होंने सुरिंदर कौर से शादी की और उनके दो बच्चे सुखबीर सिंह बादल और परनीत कौर हैं। पत्नी सुरिंदर कौर का 2011 में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।
2022 में करना पड़ा हार का सामना
2022 के विधानसभा चुनाव में 94 वर्षीय कैंडिडेट बादल ने लंबी विधानसभा सीट गंवा दी। उनको यह पराजय Aam Aadmi Party के गुरमीत सिंह खुड़िया से मिला था। इस चुनाव में बादल खुद प्रचार करने लायक स्थिति में नहीं थे और शायद यही उनकी हार का सबसे बड़ा कारण बना। वैसे तो उनकी हार का कारण जनता की बगावत को बताया गया था।