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जानिए क्या होती है Y Category की सुरक्षा, जो केंद्र सरकार ने कंगना को दीं?

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जानिए क्या होती है Y Category की सुरक्षा, जो केंद्र सरकार ने कंगना को दीं?

बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में कंगना रनौत लगातार सुर्खियों में बनीं हुईं है. अपने बेबाक अंदाज के लिए पहचानी जाने वाली कंगना सुशांत केस के जरिए बॉलीवुड पर लगातार निशाना साध रही हैं. वहीं इसके अलावा इस दौरान कंगना की शिवसेना नेता के साथ भी जुबानी जंग देखने को मिल रही है. कंगना के बयानों के बाद उनके खिलाफ कई शिवसेना कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन भी किया. संजय राउत के साथ हो रही आर-पार की के बीच कंगना ने 9 सितंबर को मुंबई आने का ऐलान किया है.

कंगना को मिली Y कैटेगरी की सुरक्षा

वहीं कुछ दिनों पहले कंगना ने सिक्योरिटी की भी मांग की थी. दरअसल, सुशांत मामले में सामने आए ड्रग कनेक्शन को लेकर कंगना ने कई बड़े बयान दिए थे और उन्होनें कुछ बड़े खुलासे करने की भी बात कही थी. जिसके बाद उन्हें सुरक्षा देने की मांग उठने लगी थी. इस पर कंगना ने कहा था कि उन्हें मुंबई पुलिस से सुरक्षा नहीं चाहिए. कंगना ने इस दौरान ये भी कहा था कि उनको मुंबई पुलिस से डर लगता है. यही से उनके और संजय राउत के बीच वार-पलटवार की शुरुआत हुई है.

हालांकि इसी बीच कंगना की मांग को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने कंगना को Y कैटेगरी की सुरक्षा दे दी हैं. इसको लेकर एक्ट्रेस ने ट्वीट करते हुए गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद कहा है.

एक्ट्रेस ने गृह मंत्री का जताया आभार

कंगना ने कहा- ‘ये प्रमाण है कि अब किसी देशभक्त आवाज को कोई फ़ासीवादी नहीं कुचल सकेगा. मैं अमित शाह जी की आभारी हूं, वो चाहते तो हालातों के चलते मुझे कुछ दिन बाद मुंबई जाने की सलाह देते मगर उन्होंने भारत की एक बेटी के वचनों का मान रखा, हमारे स्वाभिमान और आत्मसम्मान की लाज रखी, जय हिंद.’

क्या होती है Y श्रेणी की सुरक्षा?

बता दें कि देश में अलग-अलग स्तर की सुरक्षाएं गृह मंत्रालय द्वारा मुहैया कराई जाती हैं, जिसमें X, Y, Z, Z+ लेवल की सुरक्षाएं होती हैं. इसमें नेताओं से लेकर दूसरे VIP, जिनकी जान को कोई खतरा होता है उन्हें थ्रेट के हिसाब से सुरक्षा प्रदान की जाती है.

बात अगर Y कैटेगरी की सुरक्षा की करें तो, इसके तहत 11 सुरक्षाकर्मी मिलते हैं. जिसमें 1 या 2 कमांडो और 2 पीएसओ भी शामिल होते हैं. केंद्र सरकार की ओर से पिछले साल करीब 11 से ज्यादा लोगों को ये सुरक्षा प्रदान की गई थी, जिसमें यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा भी शामिल थे. इसका मतलब है कि अब कंगना को कुल 11 जवान सुरक्षा प्रदान करेंगे.

वो ड्रग जिसकी सुशांत को डोज देने का रिया पर जताया जा रहा शक, जानें कितने घातक हो सकते हैं परिणाम ?

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वो ड्रग जिसकी सुशांत को डोज देने का रिया पर जताया जा रहा शक, जानें कितने घातक हो सकते हैं परिणाम ?

सुशांत सिंह राजपूत केस अब कुछ अलग ही मोड़ ले चुका है. अब इस पूरे केस की ड्रग्स के एंगल से जांच हो रही है. हाल ही में उनकी वायरल चैट में रिया चक्रवर्ती के ड्रग कनेक्शन का खुलासा हुआ है. उन पर संदेह जताया जा रहा है कि वो सुशांत को ड्रग्स दिया करती थी. इसमें सबसे ज्यादा जिस ड्रग की चर्चा हो रही है, उसका नाम CDB आयल है. रिपोर्ट्स के मुताबिक रिया ये ड्रग सुशांत को डिप्रेशन से आराम देने के लिए दिया करती थी. बता दें कि ये ड्रग इतनी खतरनाक है कि इसे भारत में बैन किया जा चुका है. आइये जानें इंसान के शरीर पर ये ड्रग किस कदर असर डालती है.

भांग के पौधे का है मूल तत्व

इस मामले में जिस ड्रग का नाम बार बार सामने आ रहा है उसे कैनबिडीओल कहते है. ये 1940 में खोजा गया था और एक फाइटो कैनाबिनोइड है. भारत में भांग और गांजे की फैमिली माने जाने वाले ये उन 113 कैनाबिनोइड में से एक है. इसे किसी भांग के पौधे का मूल तत्व माना जाता है. इस पौधे में बीज नहीं पड़ते बल्कि ये फूल, पत्तियों और डंठल से बनता है. काफी समय तक इसे दर्द को कम करने वाले तेल के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है.

कैंसर के मामले में उपयोगी

हालांकि इस ड्रग का कैंसर और दर्द को कम करने में भी उपयोग होता रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक लोगों को इसको लेने पर उतना भारी नशा नहीं होता जिसको लेने के बाद वो उसके एडिक्ट हो जाए. हालांकि इन सब के बावजूद भी इसको लेकर कई प्रतिबंध है. और डॉक्टर के बिना प्रेस्क्रिप्शन के इसको लेना काफी खतरनाक बताया गया है. अमेरिका में ये लीगल पर इसके बावजूद भी ये प्रतिबंध के साथ ही मिलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी भी इसकी पूरी तरीके से स्टडी की जानी बाकी है. साथ ही इसके कई सारे साइड इफेक्ट्स जैसे थकान, उलटी, चिड़चिड़ाहट, खून को पतला कर देना आदि देखे गए हैं. साथ ही अगर आपको कोई दूसरी बीमारी हो तो इसको लेने पर उल्टे असर दिखाई दे सकते हैं.

जिंदगी से धोना पड़ सकता है हाथ

इसके अलावा एक और ड्रग जिसका नाम MDMA यानि मिथाइलीनडाइऑक्सी मेथाम्फेटामाइन है, उसे भी काफी घातक माना गया है. ये भारत में बैन है लेकिन विदेशों से ये तस्करी के जरिये मंगाई जाती है. इसकी डिमांड का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इसकी एक गोली हजार रुपये से भी ऊपर की आती है. एक गोली या एक डोज लेने के 40 से 50 मिनट के भीतर इसका असर दिखने लगता है. उसे लेने वाला काफी खुश महसूस करता है. लेकिन ओवरडोज लेने पर किसी की जान जाने का भी खतरा रहता है. अगर कोई व्यक्ति दो सालों तक लगातार ये ड्रग लेता रहे तो उसकी फैसले लेने की क्षमता पूरी तरह ख़त्म हो जाती है.

अपनी जान पर खेलकर नीरजा ने बचाई थी 360 लोगों की जान, पाकिस्तान ने भी किया था सम्मानित

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अपनी जान पर खेलकर नीरजा ने बचाई थी 360 लोगों की जान, पाकिस्तान ने भी किया था सम्मानित

नीरजा भनोत को तो हम सभी जानते हैं. उनके कहानी भी सभी ने सुनी ही होगी. नीरजा भनोत ने अपनी बहादुरी से 360 लोगों की जान बचाई थी और पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गई थी. लेकिन इस दौरान वो खुद को बचा नहीं पाई और आतंकियों ने उन्हें मार दिया था. इस घटना को हुए 34 साल पूरे हो गए है लेकिन आज भी वो नीरजा हम सबके दिलों में जिंदा है. आज भी उनके कामों के लिए नीरजा की हर कोई सराहना करता है. सिर्फ भारत ही नहीं पाकिस्तान ने भी उन्हें एक बहादुर लड़की मानते हुए सम्मानित किया था.

5 सितम्बर 1986 का था वो दिन

नीरजा की मौत हुए आज 34 साल पूरे हो गए है. 5 सितम्बर 1986 का वो दिन था जब पैन एएम 73 फ्लाइट में बैठे सभी यात्री पायलट के आने का इंतेजार कर रहे थे. तभी चार आतंकियों ने पाकिस्तान के कराची से पैन एएम 73 फ्लाइट को हाईजैक किया था. इस फ्लाइट में कुल 379 यात्री सवार थे. आतंकियों का मकसद इस फ्लाइट को क्रैश कराने का था लेकिन नीरजा के साहस ने आतंकियों के इस मंसूबों को नाकाम कर दिया. उन्होनें अपनी जान दांव पर लगाकर 360 यात्री को बचाया था.

आतंकियों ने प्लेन को किया था हाईजैक

जिन आतंकियों ने फ्लाइट को हाईजैक किया था वो सभी लिबिया की अबू निदल ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े हुए थे. उनका मकसद अपने फिलिस्‍तीनी साथियों की जेल से छुड़ाने का था. उन्होनें पाकिस्तान सरकार से पायलट भेजने की मांग की ताकि वो विमान को अपनी मन मुताबिक जगह ले जा सकें. लेकिन जब सरकार फ्लाइट में मौजूद सभी अमेरिकियों को मारने का फैसला किया. लेकिन फ्लाइट में एयर होस्टेस का काम कर रही नीरजा ने ऐसा नहीं होने दिया. आतंकियों ने नीरजा से सभी यात्रियों के पासपोर्ट लेने को कहा जिससे वो पता लगा सकें कि फ्लाइट में मौजूद कौन-कौन अमेरिकी है.

नीरजा की बहादुरी से बची थी कई जानें

लेकिन नीरजा की बहादुरी की वजह से एक भी अमेरिकी नागरिक इस आतंकियों के हाथ नहीं आ पाया. दरअसल, नीरजा ने सभी के पासपोर्ट छुपा दिए. इससे आतंकियों को गुस्सा आ गया और उन्होनें गेट पर ले जाकर एक अमेरिकी को गोली मार दी. इस विमान में कुल 44 अमेरिकी सवार थे, जिनमें से आतंकी केवल 2 को ही मार पाए.

विमान में कई बच्चें भी सवार थे, जो इस घटना से काफी डरे सहमे थे, लेकिन नीरजा ने उन्हें हिम्मत देते हुए फ्लाइट में मौजूद सभी लोगों का काफी अच्छे से ख्याल रखा. तभी नीरजा को याद आया कि विमान का ईंधन खत्म होने वाला है, जिससे अंधेरा हो जाएगा, ऐसे में परेशानी और बढ़ सकती है. नीरजा ने आतंकियों के ध्यान को भटकाते हुए विमान में मौजूद सभी यात्रियों को आपातकाल दरवाजों के बारे में बताया. तभी विमान का ईंधन खत्म हो गया और चारों ओर अंधेरा छा गया.

इसके बाद नीरजा ने कुशलता दिखाते हुए सभी यात्रियों को आपातकाल द्वार से बाहर निकालना शुरू किया. ऐसा होता देख आतंकी बौखला गए और उन्होनें गोलियां बरसानी शुरू कर दी. इसी बीच दूसरों की जान को बचाते-बचाते नीरजा आतंकियों की गोली से नीरजा की मौत हो गई.

केवल 22 साल की थी नीरजा

जिस समय ये घटना हुई उस समय नीरजा भनोत केवल 22 साल की थी. वो करीब 17 घंटे तक अकेले आतंकियों से लड़ी और लोगों की जान बचाई. इस घटना में नीरजा समेत कुल 20 लोगों की जान गई थी, जबकि 360 लोगों की जान नीरजा की वजह से बच गई. इस घटना के दो दिन बाद ही नीरजा का 23 वां जन्मदिन था. लेकिन इससे पहले भी वो शहीद हो गई.

पाकिस्तान भी कर चुका है नीरजा को सम्मानित

देश की इस बहादुर लड़की को ना सिर्फ भारत बल्कि पाकिस्तान ने भी सम्मानित किया है. नीरजा को भारत ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘अशोक चक्र’ से नवाजा है तो वहीं पाकिस्तान में उन्हें तमगा-ए-इन्सानियत से सम्मानित किया है.

अगर नीरजा की निजी जिंदगी की बात करें तो वो एयर होस्टेस होने के साथ-साथ एक मॉडल भी थी. उन्होनें कई ब्रॉन्ड्स के लिए मॉडलिंग की थी. वो अपने पति से अलग होकर अपने माता-पिता के साथ रहती थी.

नीरजा की कहानी पर बन चुकी है फिल्म

नीरजा की इस बहादुरी की कहानी को बताने के लिए साल 2016 में उनके ऊपर एक फिल्म भी बनाई गई है. सोनम कपूर ने इस फिल्म में नीरजा का किरदार निभाया है. फिल्म में नीरजा की निजी जिंदगी से लेकर फ्लाइट में हुई इस घटना को काफी बारीकी से दिखाया गया है. इस फिल्म को काफी पंसद भी किया गया है.

Teacher’s Day: क्यों 5 सितंबर को मनाया जाता है ‘टीचर्स डे’? पहली बार कब मनाया गया था? जान लें सभी बड़ी बातें…

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Teacher’s Day: क्यों 5 सितंबर को मनाया जाता है ‘टीचर्स डे’? पहली बार कब मनाया गया था? जान लें सभी बड़ी बातें…

हर शख्स के जीवन में टीचर्स का काफी महत्व होता है. जब कोई बच्चा माता-पिता के संरक्षण से अलग होकर जीवन को समझने के लिए घर से बाहर की दुनिया में कदम रखता है, तो उनको रास्ता दिखाने वाले शिक्षक ही होते हैं. वैसे तो हर छात्र अपने टीचर्स का काफी सम्मान करते है, लेकिन हर साल 5 सितंबर को देशभर में टीजर्स-डे मनाया जाता है. इस दिन छात्र अपने-अपने तरीके से शिक्षकों के प्रति प्यार और सम्मान जाहिर करते हैं.

हालांकि इस बार कोरोना वायरस का संकट छाया हुआ है, जिसके चलते महीनों से स्कूल-कॉलेज बंद हैं. तो इस बार जैसे कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेस चल रही है, वैसे ही टीजर्स डे भी ऑनलाइन ही मनाया जाएगा. जिसका मतलब है कि इस बार टीचर्स डे बदले हुए स्वरूप में नजर आएगा. वैसे क्या आप जानते हैं कि कब से टीचर्स डे मनाया जा रहा है और  क्यों हर साल 5 सितंबर के ही दिन टीचर्स डे मनाया जाता है? आइए हम आपको इसके बारे में बताते हैं…

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का होता हैं जन्मदिन

5 सितंबर को देश के पहले उप राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है. वो एक महान शिक्षक के साथ-साथ राजनीतिज्ञ और दार्शनिक भी थे. 5 सितंबर 1988 को उनका जन्म तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनको बचपन से ही किताबें पढ़ने का काफी शौक था और वो स्वामी विवेकानंद से प्रभावित थे. चेन्नई में 17 अप्रैल 1975 को राधाकृष्णन का निधन हो गया.

ये हैं इसके पीछे की वजह…

उनके जन्मदिन पर टीचर्स डे मनाने की वजह भी अब आपको बताते हैं. दरअसल, एक बार डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के छात्र उनका जन्मदिन मनाना चाहते थे, जिसके लिए उन्होनें उनसे पूछा. उस दौरान राधाकृष्णन ने कहा कि आप मेरा जन्मदिन मनाना चाहते हो, ये बहुत अच्छी बात है. लेकिन अगर आप इस दिन को शिक्षकों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दिए योगदान और समर्पण को सम्मानित करते हुए मनाएंगे, तो मुझे बहुत खुशी होगी. उनकी इसी इच्छा का सम्मान करते हुए 1962 से हर साल देशभर में 5 सितंबर के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है.

सभी देशों में अलग-अलग तारीख पर मनाया जाता है टीजर्स डे

कई देशों में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जिसको मनाने की तारीख अलग-अलग होती है. चीन में 10 सितंबर को टीजर्स डे मनाया जाता है, तो वहीं अमेरिका में 6 मई को. ऑस्ट्रेलिया में अक्टूबर के आखिरी शुक्रवार को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. वहीं ब्राजील में 15 अक्टूबर और पाकिस्तान में 5 अक्टूबर को टीचर्स डे मनाते हैं. वहीं इसके अलावा ओमान, यूएई, सीरिया, यमन, मिस्र, सऊदी अरब, लीबिया समेत कई इस्लामी देशों में 28 फरवरी को टीचर्स डे मनाया जाता है. हालांकि ‘अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ 5 अक्टूबर को मनाया जाता है. साल 1994 में यूनेस्को ने इसकी घोषणा की थी.

30 हजार रुपये में बिकने वाली भारत की इस सब्जी की है विदेशों में काफी डिमांड, पीएम मोदी भी करते हैं खूब पसंद!

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30 हजार रुपये में बिकने वाली भारत की इस सब्जी की है विदेशों में काफी डिमांड, पीएम मोदी भी करते हैं खूब पसंद!

वैसे तो आपने कई ऐसी सब्जियां खाई होगीं, जो स्वादिष्ट होने के साथ काफी महंगी भी होती होगी. लेकिन क्या आप देश और दुनिया की सबसे महंगी सब्जी के बारे में जानते है. ये सब्जी भारत के हिमाचल से आती है. विदेशों में भी इस सब्जी की खूब मांग होती है. इस सब्जी का नाम गुच्छी (Gucchi) है, जिसकी कीमत एक किलोग्राम की 30 हजार तक हो सकती है. ये औषधीय गुणों से भरपूर होती है. इसका औषधीय नाम मार्कुला एस्क्यूपलेटा है.

मार्केट में ये होती है कीमत

स्पंज मशरू के नाम से ये देश में मशहूर है. सब्जी को पकाने काफी मेहनत लगती है. गुच्छी हिमालय में मिलने वाली जंगली मशरूम की प्रजाति है, जिसकी मार्केट में कीमत 25 से 30 हजार रुपये किलो है. सब्जी को बनाने में ड्राय फ्रूट, सब्जियां और देसी घी का इस्तेमाल किया जाता है. भारत में ये सब्जी काफी दुर्लभ है, जिसकी मांग विदेशों में भी होती है. कई लोग मजाक में ऐसा भी कहते हैं कि अगर गुच्छी की सब्जी खानी है तो इसके लिए बैंक से लोन लेना पड़ेगा.

गुच्छी के नियमित उपयोग से दिल की बीमारियां नहीं होती. अगर दिल की बीमारियों से पीड़ित लोग इसका रोज थोड़ी मात्रा में सेवन करते हैं, तो उन्हें फायदा होता है. हिमालय के पहाड़ों से लाकर सुखाया जाता है. जिसके बाद मार्केट में उतारा जाता है. ज्यादातर गुच्छी हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों पर उगाए जाते हैं. बारिश के मौसम में ये कई बार खुद भी उग जाते हैं, लेकिन बड़ी मात्रा में इकट्ठा करने के लिए कई महीनों का समय लग जाता हैं.

प्रधानमंत्री मोदी को सेहत का है राज

यूरोप, अमेरिका, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और इटली के लोग इस सब्जी को काफी पंसद करते हैं. गुच्छी में विटामिन-बी, डी, सी और के होता है. ये फरवरी और अप्रैल के बीच मिलती है. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ये सब्जी काफी पंसद है. जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होनें बताया था कि उनकी सेहत का राज हिमाचल के मशरूम है. वैसे तो पीएम रोज इसका सेवन नहीं करते लेकिन उन्होनें बताया है कि गुच्छी उनको बहुत पसंद है.

कई बड़ी कंपनियां और होटल इसको हाथों-हाथ खरीद लेते है. बड़ी कंपनियां 10 से 15 हजार रुपये प्रति किलो में खरीदते हैं. मार्केट में गुच्छी 25 से 30 हजार रुपये प्रति किलो के रेट पर बिकती है.

विदेशों में भी की जाती है काफी पसंद

वैज्ञानिकों के मुताबिक पहाड़ के लोग जल्दी गुच्छी चुनने नहीं जाते क्योंकि ऐसा जरूरी नहीं जहां ये एक बार उगती है, उसी जगह अगली बार भी उगे. कई बार ये सीधी चढ़ाई पर उगती है या फिर गहरी घाटियों में. साथ ही कभी-कभी तो पहाड़ों पर ऐसी जगह उगती है, जहां पहुंच पाना नामुमिकन होता है. विदेशों में गुच्छी को दुनिया का सबसे बेहतरीन मशरूम कहा जाता है.

बेहद फ़िल्मी है इशांत शर्मा की लव स्टोरी, 2 साल बाद पत्नी ने दिया था भाव

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बेहद फ़िल्मी है इशांत शर्मा की लव स्टोरी, 2 साल बाद पत्नी ने दिया था भाव

टीम इंडिया के ‘लंबू’ कहे जाने वाले इशांत शर्मा आज यानि सोमवार को अपना 31वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म 2 सितंबर 1988 को हुआ था। लंबे बाल, 6 फीट 5 इंच की ऊंचाई, बेहतरीन आत्मविश्वास; कुल मिलाकर एक ऐसी पर्सनालिटी जिसकी कोई भी लड़की कायल हो जाए। तो भला उनकी पत्नी प्रतिमा सिंह कैसे इस क्रिकेटर से प्यार करने से खुद को रोक पाती। दोनों का प्यार परवान चढ़ा, और 10 दिसंबर 2016 को इशांत और प्रतिमा शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। लेकिन इशांत जितने अनुशासित मैदान पर दिखते हैं, असल ज़िंदगी में वे उतने ही रोमांटिक हैं। इनकी लव स्टोरी भी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है। तो आइये जानें कैसे हुई इशांत और प्रतिमा की मुलाकात जिसने दोनों को एक दूसरे का दीवाना बना दिया।

कौन हैं प्रतिमा सिंह?

प्रतिमा सिंह एक भारतीय महिला बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं। ये क्रिकेटर इशांत शर्मा की पत्नी हैं। इनका पूरा परिवार एथलीट है। इनकी 5 बहनें है जिसमें ये सबसे छोटी हैं। इनकी 5 में से 3 बहनें भारतीय महिला राष्ट्रीय बास्केटबॉल का हिस्सा हैं। एक ही परिवार में रहकर बास्केटबॉल से ताल्लुक रखने के चलते इन्हें ‘सिंह सिस्टर्स’ के नाम से भी जाना जाता है। इनकी बहन प्रशांति पद्म श्री और अर्जुन पुरूस्कार से भी नवाज़ी जा चुकी हैं।

2011 में हुई थी पहली मुलाकात

एक टॉक शो में इशांत ने खुलासा किया था कि वो प्रतिमा से पहली बार 2011 में मिले थे। इस दौरान इशांत को दिल्ली के IGMA बास्केटबॉल एसोसिऐशन लीग में चीफ गेस्ट के लिए बुलाया गया था। दिलचस्प बात तो ये थी कि इस लीग में प्रतिमा स्कोरर की भूमिका निभा रहीं थीं। उनके पैर में चोट लगने की वजह से वो खेल नहीं सकती थी। मज़ाकिया अंदाज़ में इशांत ने कह दिया कि स्कोरर सुन्दर है। तब तक इशांत को ये नहीं पता था कि वही सुन्दर स्कोरर एक बास्केटबॉल चैंपियन है।

2 साल बाद स्वीकार की थी फ्रेंड रिक्वेस्ट

इशांत ने इस बात का भी खुलासा किया था कि 2 साल बाद प्रतिमा ने उनकी फेसबुक रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की थी। जिसके बाद दोनों ने एक दूसरे से नमबर शेयर किये। और फिर शुरू हुई एक हसीन प्रेम कहानी। दोनों ने एक दूसरे को जाना पहचाना और वक़्त के साथ पता ही न चला कि कब दोनों की दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई। मन में फीलिंग्स का सैलाब उमड़ने पर इशांत ने कुछ समय बाद अपनी दिल के जज्बात प्रतिमा के सामने रखे। और प्रतिमा न ख़ुशी ख़ुशी इसे स्वीकार लिया। 19 जून 2016 में दोनों ने सगाई कर ली और फिर उसी साल दिसंबर में सात फेरे लेकर ये खूबसूरत जोड़ी एक दूजे की हो गई।

शादी के यादगार पल..

शादी के दिन ये जोड़ी रामायण के भगवान राम-सीता से कम नहीं लग रही थी। नारंगी लहंगे में सजी प्रतिमा बेहद खूबसूरत दिख रही थी। वहीं इशांत भी मैरून शेरवानी में किसी हीरो से कम नहीं लग रहे थे। सगाई में भी प्रतिमा ने नारंगी रंग का ही घेरदार ड्रेस पहनी हुई थी। गुरुग्राम के नॉटिंग हिल फार्महाउस में इनकी शादी हुई थी। दोनों की शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आते ही वायरल हो गईं थी। खेल जगत के कई खिलाड़ी इस शादी में शरीक हुए थे।

इशांत का करियर ग्राफ

इशांत ने ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ अपने टेस्ट करियर का आगाज़ किया था। इंटरनेशनल टूर के लिए जब उन्हें ऑस्ट्रेलिया भेजा गया था तो इशांत ने अपने बेहतरीन गेंदबाज़ी के प्रदर्शन से कंगारुओं को फिरकी की तरह नचा दिया था। धीरे धीरे 2013 तक अचानक से उनका करियर ग्राफ डाउन होने लगा। अपने करियर में इशांत के नाम कुछ बेहतरीन रिकॉर्ड दर्ज हैं। उनके खाते में 2011 में सबसे कम उम्र में 100 टेस्ट विकेट लेने पांचवें सबसे युवा गेंदबाज का रिकॉर्ड दर्ज है। जबकि 2013 में सबसे तेज 100 वनडे विकेट चटकाने वाले टीम इंडिया के पांचवें सबसे तेज गेंदबाज इशांत हैं।

चुटीले किस्से सुनाने में माहिर थे प्रणब दा, 84 की उम्र में भी कंप्यूटर सी तेज थी याददाश्त

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चुटीले किस्से सुनाने में माहिर थे प्रणब दा, 84 की उम्र में भी कंप्यूटर सी तेज थी याददाश्त

आज देश के 13वे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का दोपहर में अंतिम संस्कार होगा. उन्हें आखिरी विदाई दिल्ली के लोधी रोड स्थित शमशान घाट पर दी जायेगी. इस पूरी प्रक्रिया में कोविड 19 प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा. बता दें कि मुखर्जी कोरोना से संक्रमित थे. कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रणब एक क्लीन चिट और पढ़े लिखे शख्सियत थे. उनके पास ज्ञान का भंडार था कि गूगल भी उनके आगे फेल हो जाए. संस्कृत के महारथी होने के साथ साथ उन्हें कई श्लोकों का ज्ञान था. उनके किस्सों और दावों के आगे विपक्ष भी चुप्पी साध लेता था. आइये जानें मुखर्जी के जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से जिससे उनकी विद्यानता और बुद्धिमता का अंदाजा आप आसानी से लगा सकेंगे.

किस्से सुनाने में फरवट

प्रणब की यादाश्त इतनी तेज थी कि उन्हें पुराने से पुराने किस्सों की बारीकियां तक याद रहती थी. राष्ट्रपति पद का कार्यकाल हाल ही में प्रणब ने पूरा किया था लेकिन इस बावजूद उन्हें अपने पहले लोकसभा चुनाव (1952) की छोटी से छोटी बातें याद थी. वो बताते थे कि पश्चिम बंगाल में वोट टाई होने पर एक बार उम्मीदवार ने बैलेट पेपर ही निगल लिया था. चुटीले किस्से सुनाते समय उन्होंने एक बार ये भी बताया था कि एक वोटर उस उम्मेदवार को सपोर्ट करता था जिसका बरगद का पेड़ चुनावी निशान था. उसने बैलट पर ठप्पा लगाया था और उसे पेड़ के नीचे रख आया था.

हमेशा रखते थे संविधान की कॉपी

मुखर्जी श्लोकों में तो ज्ञानी थे ही, साथ ही उनके पास हमेशा एक संविधान की कॉपी रहती थी. एक बार बीजेपी ने उनके एक बयान ‘ग्रंथों में लिखा है कि देवता भी नशीले पेयों का सेवन करते थे’ पर बेहद बवाल मचा दिया था. जिसके बाद लोकसभा में बहस के दौरान मुखर्जी ने वो श्लोक पढ़कर सुना दिया जिसे सुनकर विपक्ष की बोलती बंद हो गई थी. उनके तीखे तेवर से सब डरते थे. एक बार सवाल पूछने पर उन्होंने पत्रकार को भी लताड़ लगा दी थी. गुस्से में प्रणब ने पत्रकार से कहा था “आप अपना होमवर्क क्‍यों नहीं करते, क्‍या मैं यहां आपको पढ़ाने आया हूं? पहले अपने तथ्‍य जानिए, थोड़ा होमवर्क कीजिए.

शेख हसीना को माना था पुत्री

उनके सौम्य व्यक्तित्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रणब ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपनी पुत्री का दर्जा दिया था. 15 अगस्त 1975 को शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान और उनके परिवार के बाकी सदस्यों का जब कत्लेआम हुआ था, तो उनको भारत में शरण देने वाले मुखर्जी ही थे. बताया जाता है कि तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को उस दौरान ये काम करने की प्रणब ने ही नसीहत दी. जिसके बाद 1975 से 1981 तक शेख हसीना दिल्ली में रही थी. प्रणब दा और उनकी पत्नी शुभ्रा मुखर्जी दिल्ली में एक तरह से हसीना और उनके परिवार की संरक्षक की भूमिका में रहते थे. शेख हसीना का परिवार हफ्ते में कम से दो दिन- तीन बार प्रणब दा के तालकटोरा स्थित सरकारी आवास में ही वक्त बिताया करता था.

आज प्रणब दा हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी यादों और वाकयों को पूरा देश याद कर रहा है.

जब दो बार कांग्रेस पार्टी ने तोड़ा प्रणब मुखर्जी का पीएम बनने का सपना

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जब दो बार कांग्रेस पार्टी ने तोड़ा प्रणब मुखर्जी का पीएम बनने का सपना

देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 84 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली. हाल ही में वे कोरोना से संक्रमित पाए गए थे और उनकी ब्रेन सर्जरी भी हुई थी. लेकिन काफी समय से उनकी हालत में सुधार नहीं था. 5 दशक से अधिक राजनीति में वक्त गुजारने वाले प्रणब दा के जाने से सियासी गलियारों में शून्य की भावना आ गई है. उन्हें इंदिरा गांधी का काफी करीबी माना जाता था. बताया जाता है कि प्रणब की शुरुआत से ही पीएम बनने की इच्छा थी. लेकिन उनकी ये इच्छा दो बार पूरी होते होते रह गई. आइये एक बार याद करते हैं प्रणब दा का सियासी सफरनामा.

बीजेपी सरकार में मिला भारत रत्न

देश के 13 वें राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी राजनीति में एक साफ़ सुथरी छवि वाले चेहरे थे. ये उनकी काबिलियत थी कि उन्हें सियासत में कई उच्च पदों को संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई. वे देश के वित्त मंत्री और विदेश मंत्री के पद पर भी काबिज रह चुके हैं. ये उनकी उच्च शख्सियत और क्लीन चिट छवि का ही नतीजा था कि कांग्रेस में रहते हुए उन्हें बीजेपी सरकार में भारत रत्न के सम्मान से नवाजा गया. ये भी बता दें कि राजनीति में प्रवेश करने से पहले मुखर्जी ने कानून की पढ़ाई की थी. हालांकि कुछ कारणों से फिर वे राजनीति में आ गए.

खुद दिया था अपने नाम का सुझाव

इंदिरा गांधी के करीबियों में गिने जाने वाले प्रणब 1973 में कांग्रेस सरकार के मंत्री बने. पार्टी का अपने काम से विश्वास जीतने के बाद उन्हें पहली बार 1982 में वित्त मंत्री बनाया गया. हालांकि उनके निधन के बाद कुछ मनमुटाव के चलते प्रणब कांग्रेस पार्टी से अलग हो गए और राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस के नाम से अपनी नई पार्टी का गठन किया. इसके पीछे की वजह उन्हें प्रधानमंत्री न बनाया जाना बताई जाती है. कहा जाता है कि इंदिरा के निधन के समय राजीव ने प्रणब से पूछा था कि अब कौन? इस पर प्रणब का जवाब था- पार्टी का सबसे वरिष्ठ मंत्री. लेकिन ये सुझाव पार्टी को रास नहीं आया था. जिसके बाद इस बात से दुखी होकर प्रणब ने कई सालों तक पार्टी से विलय कर लिया था.

दूसरी बार ऐसे चूके

हालांकि 1989 में प्रणब और राजीव गांधी के बीच समझौता हो गया और वे फिर कांग्रेस पार्टी में वापिस लौट आये. इसके बाद पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में उन्हें साल 1991 में योजना आयोग का मुखिया बनाया गया. इसके बाद 1995 में उन्हें विदेश मंत्री का पद सौंपा गया. राजीव गांधी की हत्या होने के बाद इस बुरे समय में प्रणब पार्टी के लिए संकटमोचक बनकर उभरे. साल 2004 में उन्हें पहली बार लोकसभा के लिए चुना गया. उस दौरान विदेशी मूल के होने के चलते सोनिया गांधी को पीएम पद पर कोई नहीं देखना चाहता था. ऐसे में पीएम बनने का मुखर्जी का सपना यहां पूरा होने के काफी चांसेज थे. लेकिन इस बार भी उनके बदले मनमोहन सिंह को पार्टी ने पीएम घोषित कर दिया था. फिर 2012 में कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में उतारा और वह आसानी से पीए संगमा को चुनाव में हराकर देश के 13वें राष्ट्रपति बन गए. साल 2019 में बीजेपी सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था.

पितृ पक्ष में गलती से भी नहीं करने चाहिए ये सभी काम, खुशियों में लग सकता है ग्रहण!

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पितृ पक्ष में गलती से भी नहीं करने चाहिए ये सभी काम, खुशियों में लग सकता है ग्रहण!

हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का काफी खास महत्व माना जाता है. इस दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है. कहा जाता है कि एक बार अगर पितर नाराज हो जाते हैं तो व्यक्ति को अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं उनके घर में अशांति फैलती है. साथ ही व्‍यापार और गृहस्‍थी में भी हानि झेलनी पड़ सकती है. इसलिए पितृ पक्ष में पितरों की आत्‍मा की शांति के लिए श्राद्ध करना जरूरी माना जाता है. जहां पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध में भोजन पहुंचाया जाता है, वहीं पिंड दान और तर्पण कर उनकी आत्‍मा की शांति के लिए प्राथना की जाती है. पितृ पक्ष के दौरान कुछ बातों का खास ध्यान रखना होता है, आइए इसके बारे में आपको बताते हैं…

इन सभी बातों का रखें ध्यान…

– पितृपक्ष के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए. इन दिनों शादी, गृह प्रवेश आदि करने से बचना चाहिए. इसके अलावा नए चीजें भी ना खरीदें. साथ ही कर्ज लेकर या दबाव में कभी भी श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए.

– जिस दिन पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर रहे हैं, तब शरीर पर तेल का प्रयोग नहीं करें. साथ ही पितृपक्ष के दौरान पान भी नहीं खाना चाहिए. धूम्रपान और मदिरापान करने से बचना चाहिए. श्राद्ध कर्म करने वाले व्यक्ति को अपने नाखून नहीं काटने चाहिए. साथ ही दाढ़ी या बाल भी नहीं कटवाने चाहिए.

– श्राद्ध में लहसुन और प्याज खाने से बचना चाहिए. साथ ही कांच के बर्तनों का भी इस्तेमाल ना करें. पितृपक्ष के दौरान लोहे के बर्तन का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए. पितृ पक्ष में तांबा, पीतल या अन्य धातु से बने बर्तनों का इस्तेमाल करें. पत्तल पर खुद और ब्राह्राणों को भोजन करवाना सबसे अच्छा माना गया है.

– शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान 15 दिन की अवधि में पितृ किसी भी रूप में आपके घर आ सकते है इसलिए घर की दहलीज पर किसी व्यक्ति या पशु का अनादर बिल्कुल भी ना करें. दरवाजे पर आने वाले हर प्राणी को भोजन कराएं और उनका सम्मान करें.

– श्राद्ध के दौरान कुछ चीजों को खासे से सख्त परहेज करना चाहिए. चना, दाल, काला नमक, लौकी, जीरा, खीरा और सरसों का साग खाने से आपको बचना चाहिए.

– इस दौरान गलती से भी मांस, मछली ना खाएं. श्राद्ध के दिनों में सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए. पितृ पक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

– विशेष जगह हैं जहां पर श्राद्ध करने से काफी लाभ होता है. मान्यताएं है कि गया, प्रयाग या बद्रीनाथ में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. जो लोग विशेष स्थान पर श्राद्ध नहीं कर सकते वो घर के आंगन में किसी भी पवित्र स्थान पर तर्पण या पिंड दान कर सकते हैं.

IPL Special: आईपीएल के इस सीजन में खूब चला था सचिन तेंदुलकर का बल्ला, लेकिन फिर भी…

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IPL Special: आईपीएल के इस सीजन में खूब चला था सचिन तेंदुलकर का बल्ला, लेकिन फिर भी…

सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट में बहुत बड़ा योगदान दिया है. सचिन ने अपने क्रिकेट के करियर में कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं, जिनको तोड़ना किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. फिर चाहे वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक जड़ना हो या फिर सबसे ज्यादा रन बनाना हो. सचिन तेंदुलकर को ‘मास्टर ब्लास्टर’, ‘क्रिकेट का भगवान’ जैसे कई नामों से जाना जाता था.

सिर्फ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ही नहीं बल्कि इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में भी सचिन ने अपनी बेहतरीन छाप छोड़ चुके है. भले ही सचिन आईपीएल के कम ही सीजन का हिस्सा रहे हो, लेकिन इस दौरान भी उन्होनें कमाल दिखा ही दिया. सचिन ने आईपीएल के तीसरे सचिन में ऑरेंज कैप जीतकर ये साबित कर दिया था कि उन्हें यूं ही ‘क्रिकेट का भगवान’ नहीं कहा जाता.

2 सीजन में नहीं दिखा पाए कुछ खास कमाल

लगातार 6 साल सचिन तेंदुलकर आईपीएल में मुंबई इंडियंस का हिस्सा रहे थे. आईपीएल के पहले 2 सीजन में उनका बल्ला कुछ खास नहीं चल पाया, जिसके बाद कई तरह की बातें बनने लगी. ऐसा कहा जाने लगा कि सचिन इस फॉर्मेट के लिए फिट नहीं बैठते. लेकिन इसके बाद अगले सीजन में सचिन ने अपने बल्ले से कमाल दिखाया और आलोचकों को करारा जवाब दिया.

तीसरे सीजन में रहा था जबरदस्त प्रदर्शन

आईपीएल के तीसरे सीजन में सचिन का प्रदर्शन काफी बढ़िया रहा. इस सीजन में सचिन ने 15 मैचों में 47.53 के शानदार औसत से 618 रन बना दिए. इतना ही नहीं आईपीएल 3 में सचिन ने अपने नाम ऑरेंज कैप भी कर ली. 2010 में खेले गए इस सीजन में सचिन ने 5 बार पचास का आंकड़ा पार किया. ना सिर्फ अपने बल्ले से सचिन ने कमाल दिखाया बल्कि कमाल की कप्तानी करते हुए वो अपनी टीम मुंबई इंडियंस को पहली बार फाइनल तक भी ले गए.

फिर भी नहीं दिला पाए टीम को जीत

आईपीएल सीजन 3 के फाइनल में उनकी टीम को चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ खेलना था. इस दौरान सचिन के हाथ में चोट लगी हुई थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होनें 48 रनों की पारी खेली. हालांकि वो इस दौरान अपनी टीम को आईपीएल का खिताब जीताने में सफल नहीं हो पाए थे. आईपीएल 4 में भी सचिन ने बल्ले का जलवा दिखा था.

इस दौरान बात अगर सचिन के आईपीएल के करियर की करें तो उन्होनें कुल 78 मैच खेले हैं, जिनमें 34.83 की औसत से 2334 रन बनाए हैं. इनमें 1 शतक और 13 अर्धशतक भी शामिल है. सचिन का आईपीएल में बेस्ट स्कोर 100 रन नाबाद रहा है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि सचिन ने साल 2013 के बाद आईपीएल नहीं खेला है.