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जब कैफ़ी आज़मी की नज़्म सुनकर एक लड़की ने तोड़ी थी अपनी मंगनी, जानिए इनके जीवन से जुड़ी खास बातें…

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जब कैफ़ी आज़मी की नज़्म सुनकर एक लड़की ने तोड़ी थी अपनी मंगनी, जानिए इनके जीवन से जुड़ी खास बातें…

हिन्दुस्तान के आलातरीन शायरों में कैफ़ी आज़मी का नाम शामिल है. उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के एक छोटे से गांव मिजवां में इनका जन्म हुआ था. इनके पिता इन्हें एक मौलाना के तौर पर देखना चाहते थे, लेकिन उनको उससे कोई सरोकार न था और वो मजदूर वर्ग के लिए कुछ करना चाहते थे. कैफ़ी आज़मी का मूल नाम अख्तर हुसैन रिज़वी था. शिया घराने में एक जमींदार के घर में पैदाइश हुए कैफ़ी आज़मी का जन्म 14 जनवरी, 1919 में हुआ था, आइए आपको इनके जीवन से जुड़ी खास बताते बताते हैं…

बचपन से ही कविताएं और शायरी लिखने के शौक़ीन कैफ़ी आज़मी ने अपनी किशोरावस्था में ही मुशायरों में भाग लेना शुरू कर दिया था. 11 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली गज़ल लिखी थी.

जब कैफ़ी की नज्म सुन एक लड़की ने तोड़ दी थी अपनी मंगनी

कैफ़ी साहब की अपनी मोहब्बत की कहानी भी उनके शेर के जैसे दिल को काफी छू लेने वाली है. असल में उनकी सबसे प्रसद्धि नज़्मों में एक ‘औरत’ से जुड़ा है. वो हैदराबाद के एक मुशायरे में भाग लेने गए और मंच पर पहुंचते ही वो अपनी मशहूर नज़्म ‘औरत’ सुनाने लगे. इनकी इस प्रस्तुति ने एक हसीना को किसी और के साथ अपनी मंगनी तोड़ने को लेकर मजबूर कर दिया था.

कई फिल्मों के लिए लिखे गीत

साल 1951 में कैफ़ी आज़मी ने पहला गीत ‘रोते-रोते बदल गई रात’, फ़िल्म ‘बुजदिल’ के लिए लिखा था. इसके अलावा उन्होंने कई अन्य फिल्मों में गीत लिखें, जिनमें से कुछ प्रमुख रहे- ‘काग़ज़ के फूल’, हिन्दुस्तान की क़सम’, ‘हक़ीक़त’, ‘आख़री ख़त’, हंसते जख़्म और हीर रांझा’. कैफ़ी आजमी की पंक्ति ‘हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे वो जवानी जो खूं में नहाती नहीं’ ये उनके जीवन की सबसे बड़ी पंक्ति है. इसी लाइन की आधारित उन्होंने अपना पूरा जीवन जिया.

मिले कई अवॉर्ड

कैफ़ी आज़मी को आवारा सिज्दे पर साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से साल 1975 में सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें साल 1970 में सात हिन्दुस्तानी फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय मूवी अवार्ड मिला. इसके बाद फिल्म गरम हवा के लिए साल 1975 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ वार्ता फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिला. 10 मई, 2002 में शायरी की दुनिया में प्रसिद्ध शायर कैफ़ी आजमी ने अलविदा कहा और दिल का दौरा पड़ने के कारण मुम्बई में उनका निधन हो गया.

इतनी वजनी होती है आपकी आत्मा, शोध में सामने आये रहस्यमयी राज़

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इतनी वजनी होती है आपकी आत्मा, शोध में सामने आये रहस्यमयी राज़

आमतौर पर अपने शरीर का वजन तो हम सभी नापते हैं। लेकिन क्या कभी गहराई से सोचा है कि आपकी आत्मा का वजन कितना होता होगा? क्या कभी आत्मा से जुड़ी उन गहरे राज़ों पर अध्ययन करने की कोशिश की है?  ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब अगर मिल जाए, तो इंसान को चौंका देते हैं। आत्मा से ही जुड़े कुछ चीज़ों को लेकर कई साल पहले एक चिकित्सक ने शोध किया था। इस अध्ययन में किये गए उस शख्स के दावे काफी हैरान करने वाले थे। उसमें बताया गया कि जैसे शरीर के अंगों का भार होता है वैसे आत्मा का भी कुछ वजन होता होगा। आइये आपको बताते हैं कि कितना होता है शरीर की आत्मा का वजन?

इस अमेरिकी चिकित्सक ने किया था प्रयोग 

इस अध्ययन के बारे में विचार करने वाले अमेरिकी चिकित्सक का नाम डॉ. डंकन मैकडगल था। उन्होंने ही इसका प्रयोग किया था। ये प्रयोग 10 अप्रैल 1901 में किया गया था। जिसे 1907 ईस्वी में जगह दी गई थी। ये प्रयोग सिर्फ मैकडगल की इकलौती मेहनत नहीं थी। इसमें अन्य 4 डॉक्टर भी शामिल थे। उन्होंने इस एक्सपेरिमेंट के लिए छह लोगों को चुना था और उनका मरने से पहले और मरने के बाद का वजन लिया।

शोध का निकला ये परिणाम 

जब मरने के बाद या यूं कह लें आत्मा के निकलने के बाद लोगों का वजन मापा गया तो उसमें कुछ कमी पाई गई। सब्जेक्ट के तौर पर इन महिला और पुरुषों को  खासतौर पर डिजाइन किए गए फेयरबैंक्स वेट स्केल पर रखा गया। हालांकि सबके वजन में एकसमान कमी नहीं थी बल्कि कुछ न कुछ डिफ़रेंस जरूर था। लेकिन मैकडगल ने इसका निष्कर्ष निकाला कि आत्मा का वजन 21 ग्राम होता है। इस अध्ययन को अमेरिका के डॉर्चेस्टर में किया गया था।

कुत्तों पर भी किया गया प्रयोग 

सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि मैकडगल ने अपना प्रयोग जानवरों पर भी किया। उन्होंने आत्मा का वजन कुत्तों पर भी नापा। लेकिन मरने के बाद उनका वजन पहले के जैसा ही रहा। इस अध्ययन के आधार पर मैकडगल ने ये दावा किया कि कुत्तों में आत्मा नहीं होती है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि इस पर अभी शोध की ज़रुरत है। कहा जाता है कि आत्मा इंसान की दिमागी क्रिया जैसे किसी चीज को देखना, समझना, महसूस करना, फैसला लेना और अन्य तार्किक शक्तियों का नाम है। आपने कई बार लोगों से ये भी कहते सुना होगा कि आत्मा अजर अमर होती है। वो बस एक शरीर छोड़कर दूसरे शरीर में बस जाती है।

‘ऐसे कैसे भारत करेगा बराबरी?’, रक्षा बजट में नहीं हुई ज्यादा बढ़ोत्तरी, तो चीन ने किया ये कमेंट

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‘ऐसे कैसे भारत करेगा बराबरी?’, रक्षा बजट में नहीं हुई ज्यादा बढ़ोत्तरी, तो चीन ने किया ये कमेंट

इस बार के बजट से लोगों को काफी उम्मीदें थीं। कोरोना काल में पेश किए गए बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे ज्यादा फोकस किया गया। लेकिन इस दौरान रक्षा बजट में हुई मामूली बढ़ोत्तरी को लेकर सवाल खड़े होने लगे। वो भी ऐसे वक्त में जब भारत की चीन का सीमा विवाद महीनों से जारी हैं। विपक्षी पार्टियों ने रक्षा बजट को लेकर केंद्र को घेरा।

रक्षा बजट में मामूली बढ़ोत्तरी पर उठे सवाल

कांग्रेस नेता ने भी इसको लेकर सवाल उठाए थे। इस मामले पर ट्वीट कर उन्होनें कहा था- ‘चीन ने भारत भूमि पर कब्जा कर लिया और हमारे सैनिकों को शहीद कर दिया। PM फोटो-ऑप के लिए उनके साथ दिवाली मनाते हैं। उन्होनें जवानों के लिए रक्षा बजट क्यों नहीं बढ़ाया।’

दरअसल, ऐसी उम्मीद थीं कि चीन और पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच सेना के आधुनिकीकरण और साजो सामान की खरीद के लिए रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी की जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस बार रक्षा बजट में मामूली बढ़ोत्तरी की गई। पिछली बार का रक्षा बजट 4.71 लाख करोड़ था, जबकि इस बार इसे बढ़ाकर 4.78 लाख करोड़ कर दिया गया।

चीनी मीडिया ने भी कसा तंज

अब भारत के रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी नहीं होने को लेकर चीन की मीडिया भी कूद गई है और इस पर तंज कस रही है। चीनी सरकार के भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने भारत के रक्षा बजट पर कमेंट किया। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि इस बजट के साथ भारत को चीन के साथ किसी लंबे संघर्ष में बढ़त हासिल नहीं हो पाएगी।

ग्लोबल टाइम्स ने एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा कि रक्षा बजट में मामूली बढ़त कर और केवल हथियार खरीदकर भारत अपनी सेना का आधुनिकीकरण नहीं कर सकता। एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा गया कि दूसरे देशों से हथियार खरीदकर भारत को वो सैन्य बढ़त नहीं मिल पाएगी, जो चीन के साथ सीमा विवाद में वो चाहता है।

चीन को भारत की इतनी चिंता क्यों?

ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सैन्य विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग के हवाले से कहा कि भारत की इकोनॉमी में कोरोना महामारी के चलते भारी गिरावट आई। इन हालातों में भारत सरकार अपनी सेना पर काफी ज्यादा पैसा नहीं कर सकती।

वहीं ग्लोबल टाइम्स में शिंगुआ यूनिवर्सिटी में नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टीट्यूट में रिसर्च डिपार्टमेंट के डायरेक्टर कियान फेंग ने कहा कि बीते कुछ सालों से भारत अपने रक्षा बजट में ठीक ठाक ही इजाफा कर  रहा था, लेकिन इस बार वित्तीय संकट के चलते मामूली बढ़त हुई। ये मानना भ्रामक होगा कि भारत दूसरे देशों से हथियार खरीदकर अपनी सैन्य क्षमता को सुधार लेगा।

चीन के अखबार ने कहा कि विदेशों से भारत हथियार खरीद रहा है, लेकिन उसके रखरखाव पर काफी खर्चा होगा, जो फिजूलखर्ची है। चीनी एक्सपर्ट ने कहा कि इससे कुछ समय के लिए तो भारत की सैन्य क्षमता बढ़ जाएगी, लेकिन लंबे समय तक ये  शॉर्टकट काम नहीं आएगा।

चीन को भारत की इतनी चिंता सता रही है या फिर ये उसका डर है, जिसके चलते वो ये बातें कर रहा है। दरअसल, मोदी सरकार की सत्ता में आने के बाद से सीमाई इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेजी आई, जिसकी वजह से चीन की चिंता बढ़ी हुई है। पहले भी चीनी विदेश मंत्रालय के कई बयानों में पड़ोसी देश की बौखलाहट साफ तौर पर देखने को मिली है।

गौरतलब है कि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार चीन का रक्षा बजट भारत के मुकाबले चार गुना ज्यादा है। मई 2020 में चीन ने अपने रक्षा बजट के लिए सालाना 178 अरब डॉलर आवंटित किए गए।

22 बच्चों के पिता महाराणा प्रताप से जुड़ी खास बातें, अकबर से किया था डटकर मुकाबला

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22 बच्चों के पिता महाराणा प्रताप से जुड़ी खास बातें, अकबर से किया था डटकर मुकाबला

9 मई 1540 को जन्में महाराजा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच 18 जून 1576 ई. को हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा गया था. दोनों के बीच का ये युद्ध महाभारत युद्ध के जैसे विनाशकारी सिद्ध हुआ था. इसे लेकर ऐसा कहा जाता है कि इस युद्ध के दौरान ना तो अकबर जीता और ना ही महाराणा प्रताप हारे. जहां मुगलों के पास सैन्य शक्तियां ज्यादा थी, तो वहीं महाराणा प्रताप के पास जुझारू शक्तियां थी.

इतने भारी हथियारों के साथ करते थे युद्ध 

आपको बता दें कि महाराणा प्रताप के छाती का कवच 72 किलो का था और उनके भाले का वजन 81 किलो का था. उनके कवच, भाला, और ढाल के साथ में 2 तलवारों का कुल मिलाकर वजन 208 किलो था.

हल्दी घाटी युद्ध में सैनिक थे इतने कम

हल्दी घाटी के युद्ध में जहां महाराणा प्रताप के पास केवल 20 हजार सैनिक थे. वहीं, अकबर के पास 85 हजार सैनिकों का झुंड था, लेकिन फिर भी महाराण झुके नहीं और वो हार न मानकर स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे. ऐसा कहा जाता है कि युद्ध के दौरान महाराणा को समझाने हेतु अकबर ने 6 शान्ति दूतों को भेजा था, जिससे युद्ध को शांति तौर पर खत्म कर दिया जाए, लेकिन बार-बार महाराणा ने ये कहते हुए उनका प्रस्ताव ठुकरा देते थे कि राजपूत योद्धा ऐसा कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता है. बता दें कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप की ओर से लडने वालों में केवल एक मुस्लिम सरदार था, जिसका नाम हकीम खां सूरी था.

महाराणा के प्रिय घोड़ने युद्ध में की काफी मदद

महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय घोड़े का नाम चेतक था. उन्हीं की तरह उनका घोड़ा चेतक भी बहुत बहादुर था. ऐसा कहा जाता है कि युद्ध के दौरान जब मुगल सेनाए उनके पीछे पड़ गई थी तब उनके घोड़े चेतक ने उनको अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को पार कर डाला था. इस युद्ध के दौरान चेतक काफी गभीर तौर पर जख्मी हो गया था, जिस कारण वो मारा गया, लेकिन उसकी इस शहादत ने उसे खासी शोहरत दिलाई. आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की समाधि बनी हुई है.

11 शादियां और 22 बच्चों के पित्ता

महाराणा प्रताप को बचपन में “कीका” नाम से पुकाराते थे. इन्होंने अपने जीवन में कुल 11 शादियां की थीं. इनकी शादी को लेकर ऐसा कहा जाता है कि ये सभी शादियां राजनैतिक वजहों से हुईं थीं. बता दें कि इनके 17 बेटे और 5 बेटियां थीं. महारानी अजाब्दे से पैदा हुए अमर सिंह महाराणा प्रताप के उत्तराधिकारी बने थे और उन्हीं के अपने बेटे ने उन्हें धोखा दिया. वहीं, अपने पिता महाराणा प्रतापकी मौत के बाद अकबर को मेवाड़ सौंप दिया.

दुनिया के तीसरे सबसे बड़े लोकतंत्र देश की करेंसी पर इस कारण छपे थे भगवान गणेश, भारत से मिलती-जुलती हैं यहां की संस्कृति!

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दुनिया के तीसरे सबसे बड़े लोकतंत्र देश की करेंसी पर इस कारण छपे थे भगवान गणेश, भारत से मिलती-जुलती हैं यहां की संस्कृति!

भारत और इंडोनेशिया की संस्कृति में कई तरह से समानताएं हैं. अगर आप यहां जाते हैं तो एक बार के लिए आपको ये गलतफहमी भी हो सकती है कि आप कहीं भारत में ही तो नहीं है. आइए आपको इंडोनेशिया से जुड़ी खास बाते बताते हैं और साथ ही ये भी बताते हैं कि इंडोनेशिया की करेंसी में भगवान गणेश की तस्वीर छापने के पीछे क्या वजह थी…

सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश

दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश कहलाए जाने वाला इंडोनेशिया दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है. ये ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया के बीच हजारों द्वीपों पर फैला हुआ है. यहां पर मुसलमानों की सबसे अधिक आबादी है, लेकिन यहां हिन्दू धर्म का साफ तौर पर असर नजर आता है.

इस कारण करेंसी पर छपे थे भगवान गणेश

आपको बता दें कि इंडोनेशिया में हिन्दू देवी-देवताओं की काफी पूजा-पाठ की जाती है. इतना ही नहीं भगवान गणेश को तो यहां पर कला और बुद्धि का भगवान माना जाता है. इसी कारण से इंडोनेशिया की करेंसी पर पहले गणेश जी की तस्वीर अंकित होती थी. दरअसल, कुछ सालों पहले यहां की अर्थव्यवस्था में गिरावट आने लगी थी, ऐसे में यहां के अर्थशास्त्रियों ने विचार-विमर्श कर बाद में 20 हजार रुपयों के नए नया नोट जारी किए थे और इन सभी नोटों पर भगवान गणेश की फोटो को छापा गया. हालांकि, साल 1998 के बाद इंडोनेशिया में जारी हुए नए नोटों पर से भगवान गणेश की तस्वीर को हटा दिया गया था.

यहां की संस्कृति में रामायण-महाभारत का अस्तित्व

चाहे इंडोनेशिया की करेंसी की बात की जाए या फिर आम जन के जीवन की यहां की सांस्कृतिक विविधता नजर आ जाती है. यहां की संस्कृति में रामायण और रामायण मंचन का अहम हिस्सा है. एक मुस्लिम बहुल वाले देश की संस्कृति में रामायण-महाभारत का अस्तित्व भले ही हैरतअंगेज हो, मगर इंडोनेशिया में हिंदू धर्म समेत अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ काफी सहज है. इंडोनेशिया में हर कोई रामायण और महाभारत की कहानी जानता है. यहां के जकार्ता स्क्वेर में भगवान कृष्णा और अर्जुन की मूर्तियां भी स्थापित हैं.

हिंदू-मुस्लिम के बीच अच्छा रिश्ता

इंडोनेशिया में हिन्दू-मुस्लिम की गहरी दोस्ती तो इसी से साफ है जब यहां के मुसलमान रमजान में रोजा रखने के दौरान इफ्तार के बाद यहां के हिन्दू मंदिर में रामायण मंचन में हिस्सा लेने जाते हैं.

इस द्वीप पर करीब 60 फीसदी हिन्दू आबादी

इंडोनेशिया में जावा नामक एक प्रमुख द्वीप है, यहां पर करीब जहां लगभग 60 फीसदी हिंदू धर्म के लोगों की आबादी है. यहां 13वीं से 15वीं शताब्दी के बीच एक माजापाहित नामक हिंदू साम्राज्य काफी फला फूला, जिसके चलते यहां की संस्कृति, भाषा और भूमि पर हिंदू संस्कृति की न मिटने वाली छाप पड़ गई.

जगह-जगह पर मिलेंगे मंदिर

इंडोनेशिया में जगह-जगह पर भगवान शिव और विष्णु जी के मंदिर बने हुए हैं. यहां संस्कृत में लिखे हुए शब्द, रामायण-महाभारत का जिक्र काफी मिलता है. हालांकि पूरे इंडोनेशिया में हिन्दुओं की इतनी ज्यादा आबादी नहीं है, यहां 2 फीसदी से भी कम हिन्दूओं की आबादी है.

इंडोनेशिया का सिर्फ धर्म ही नहीं बल्कि यहां की भाषा भी भारत से काफी मिलती जुलती है. इनकी भाषा को ‘बहासा इंदोनेसिया‘ कहा जाता है. वहीं, इनके शब्दकोष में भी स्त्री और मंत्री जैसे शब्द होते हैं.

इस शताब्दी से हुई हिन्दू धर्म की स्थापना

इंडोनेशिया में हिन्दूओं कैसे पहुंचे ये पूर्ण रूप से साफ नहीं है, लेकिन ऐसा कहना है कि यहां पर 5वीं शताब्दी तक हिंदू धर्म स्थापित हो चुका था. जैसे-जैसे हिंदू साम्राज्य का असर में बढ़ोतरी होने लगी वैसे-वैसे 12वीं से 13वीं शताब्दी तक हिंदू और बौद्ध शासकों ने अपना कई द्वीपों पर अधिकार जमा लिया.

इंडोनेशिया में ज्यादातर 6 धर्मों के समुदाय हैं, जिनमें से हिन्दू धर्म को साल 1962 में जगह मिली. लोमबोक, जावा और बाली में हिंदू धर्म के बहुत सारे अनुयायी हैं. बता दें कि साल 1964 से ही हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था परिषद हिंदू धर्म इंडोनेशिया अस्तित्व में है. यहां पर हिन्दू धर्म के प्रभाव के अलावा बौद्ध धर्म का भी प्रभाव रहा है. इंडोनेशिया के बोरोबोदूर में दुनिया का बहुत बड़ा बौद्ध स्तूप है.

26 जनवरी को डिजिटल स्ट्राइक, 4-5 फरवरी को ट्विटर पर तूफान…किसान आंदोलन के नाम पर विदेशी प्रोपगेंडा की खुली पोल!

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26 जनवरी को डिजिटल स्ट्राइक, 4-5 फरवरी को ट्विटर पर तूफान…किसान आंदोलन के नाम पर विदेशी प्रोपगेंडा की खुली पोल!

किसान आंदोलन का मुद्दा अब देश से बाहर विदेशों में भी छाने लगा है। पॉप स्टार रिहाना के किसान आंदोलन के समर्थन में किए ट्वीट के बाद से ही इसको लेकर बवाल मचा है। रिहाना के अलावा भी कई इंटरनेशनल सेलब्रिटीज ने भी सोशल मीडिया के जरिए किसानों को अपना समर्थन दिया।

इंटरनेशनल सेलब्रिटी भी कूदे विवाद में…

लेकिन इसके बाद से ही सोशल मीडिया दो गुटों में बंट गया। एक तरफ तो वो लोग है, जो किसानों के पक्ष में आवाज उठाने वाले इंटनेशनल सेलब्रिटीज की तारीफ कर रहे हैं और दूसरी ओर वो लोग है जो भारत के मामले में बाहरी लोगों के हस्तक्षेप करने पर भड़क रहे हैं। इस वक्त सोशल मीडिया पर ये मुद्दा सबसे ज्यादा सुर्खियों में बना हुआ है। कई बॉलीवुड सितारे भी इस मामले में उतर गए हैं और भारत के खिलाफ चल रहे प्रपोगैंडा को लेकर एकजुट होने की अपील लोगों से की।

…तो ये सब है प्लान का हिस्सा?

स्वीडिश जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी उन लोगों में शामिल है, जिन्होनें किसान आंदोलन का समर्थन किया। लेकिन उनकी एक ट्वीट, जिसे वो डिलीट कर चुकी हैं उसको लेकर खासा बवाल हो रहा है। दरअसल, इस ट्वीट में ग्रेटा किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया कैंपेन का एक शेड्यूल शेयर किया गया था। जिसे उन्होनें बाद में डिलीट कर दिया।

ग्रेटा ने जो शेड्यूल शेयर किया था, उसमें किसान आंदोलन को लेकर भारत के खिलाफ विदेशी प्रोपेगेंडा की पोल खुली। ग्रेटा द्वारा शेयर डॉक्यूमेंट में भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कार्ययोजना शेयर की थी। भले ही उन्होनें इस ट्वीट को डिलीट कर दिया हो, लेकिन कई लोग पहले ही डॉक्यूमेंट का स्क्रीनशॉट ले चुके हैं, जो सोशल मीडिया पर अब जमकर वायरल हो रहा है। इसके बाद से ही ग्रेटा सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर आ गईं और उन्हें जमकर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है।

ग्रेटा द्वारा शेयर टूलकिट में क्या क्या था?

ग्रेटा ने अपनी ट्वीट में भारत की सत्ता पर काबिज पार्टी बीजेपी को फासीवादी बताया। साथ ही इस डॉक्यूमेंट में 5 बातें मुख्य तौर पर लिखीं थी, जिसमें ऑन ग्राउंड प्रोटेस्ट में हिस्सा लेने की बात कही गई। इसके अलावा किसान आंदोलन के समर्थन में एकजुटता दिखाने के लिए फोटोज ई-मेल करने को कहा गया। डॉक्यूमेंट में लिखा था कि इन तस्वीरों को 25 जनवरी तक भेजें।

वहीं 26 जनवरी या उससे पहले डिजिटल स्ट्राइक #AskIndiaWhy के साथ ट्विटर पर पोस्ट करने को कहा। वहीं 4-5 फरवरी को ट्विटर पर तूफान लाने का प्लान था। यानी कि किसान आंदोलन से जुड़ी चीजों, फोटोज और हैशटैग को ट्रेंड करने की प्लानिंग। जिसके लिए फोटोज, वीडियो को 5 फरवरी तक भेजने को कहा गया। इसके अलावा 6 फरवरी को आखिरी दिन इस डॉक्यूमेंट में बताया गया। इसके अलावा इसमें कहा गया कि स्थानीय प्रतिनिधि से संपर्क करें, जिससे भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनेगा।

ग्रेटा द्वारा शेयर किए गए इस डॉक्यूमेंट में ये भी कहा गया कि ऑनलाइन याचिका दायर कर अडानी-अंबानी जैसे एकाधिकारवादियों पर कार्रवाई करने का दबाव बनाया जाए। इसके अलावा 13-14 फरवरी को भारतीय दूतावास, मीडिया संस्थान और स्थानीय सरकारी दफ्तरों के पास आंदोलन करें, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें।

ग्रेटा ने शेयर की नई टूलकिट

हालांकि हंगामा होने के बाद पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के लिए काम करने वालीं ग्रेटा थनबर्ग ने एक नई ट्वीट की, जिसमें उन्होनें अपडेटेड प्लान जारी किया है। इस नई टूलकिट में 26 जनवरी को विदेशों और भारत में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन का प्लान को हटा दिया गया।

अपनी इस ट्वीट को लेकर ग्रेटा सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रही हैं। अधिकतर लोग यही कहते हुए नजर आ रहे हैं कि रिहाना, मिया खलीफा और ग्रेटा जैसे लोग जो कृषि और किसानों के आंदोलन के बारे में जानते नहीं होंगे, वो भारत के आंतरिक मामलों में दखल क्यों दे रहे हैं? ग्रेटा की ट्वीट के बाद सवाल ये उठ रहा है कि इंटनेशनल सितारों का भारत के मामले में दखल देना क्या एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है? क्या भारत को बदनाम करने के लिए विदेशी प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है? सोशल मीडिया पर इस वक्त ये सब बहस का मुद्दा बना हुआ है।

जानिए कैसा रहेगा 04 फरवरी को आपका दिन

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जानिए कैसा रहेगा 04 फरवरी को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे दिनों का सामना करना पड़ता। वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है। तो आइए आपको बताते हैं आज के दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और 04 फरवरी का दिन आपके लिए कैसा रहेगा…

मेष राशि- आपका दिन सामान्य रहेगा। आर्थिक समस्याएं दूर होगी। मेहनत के नतीजे मिलेंगे। आज के दिन सेहत का खास ध्यान रखें।

वृषभ राशि- दिन की शुरुआत बढ़िया होगी। अटके काम पूरे होंगे। परिवार में सुख शांति का माहौल रहेगा। भविष्य से जुड़ा कोई फैसला जल्दबाजी में ना लें।

मिथुन राशि- आपका दिन मिला जुला रहेगा। छात्रों को मेहनत का फल मिलेगा। आज स्वास्थ्य डामाडोल रहेगा। किसी भी काम में आपका मन नहीं लगेगा।

कर्क राशि- आज के दिन थोड़ा संभलकर रहने की जरूरत है। आज के दिन कार्यक्षेत्र में दिन चुनौती भरा बीतेगा। काम का दबाव बढ़ेगा। हर परिस्थिति में धैर्य बनाएं रखें।

सिंह राशि- दिन आपका ठीक ठाक रहेगा। नौकरीपेशा लोगों को संभलकर रहने की जरूरत है। आज किसी भी फैसले को लेने में जल्दबाजी बिलकुल ना दिखाएं। माता पिता की सलाह के बिना कोई बड़ा कदम ना उठाएं।

कन्या राशि- दिन आपका अच्छा रहेगा। लंबे समय से चली आ रही आर्थिक समस्याएं कम होगी। रुका हुआ धन मिलने के आसार है। दोस्तों के साथ अच्छा समय व्यतीत करेंगे।

तुला राशि- आपका दिन हर्षोल्लास से भरा बीतेगा। कामों में आ रही परेशानियां कम होगी। नए काम शुरू करने के लिए दिन शुभ है। परिवार का माहौल अच्छा रहेगा।

वृश्चिक राशि- दिन आपका मिला जुला रहने वाला है। परिवार में सुख शांति बनी रहेगी। खर्चें बढ़ने की संभावना है। आर्थिक स्थिति डामाडोल रहेगी।

धनु राशि- दिन आपका सामान्य रहेगा। कामकाज के सिलसिले में मेहनत के नतीजे मिलेंगे। आर्थिक परेशानियां कम होगी। स्वास्थ्य का खास ध्यान रखें।

मकर राशि- आज के दिन किसी दूसरे के विवाद में पड़ने से बचें। घर में सुख शांति बनी रहेगी। दिन आपका अच्छा बीतेगा। लव लाइफ में थोड़ा तनाव रहने के आसार है।

कुंभ राशि- आज के दिन संभलकर रहें। किसी की भी बातों में ना आएं। दिन आपका तनाव से भरा बीतेगा। भविष्य की चिंता सताएगी।

मीन राशि- दिन आपका शानदार बीतेगा। लंबे समय से चली आ रही परेशानियां कम होगी। स्वास्थ्य में सुधार आएगा। आज के दिन गुस्सा पर कंट्रोल रखें।

क्रिकेट आस्ट्रेलिया के इन शर्तों को मानने के बाद ही IPL 14 में हिस्सा ले पाएंगे खिलाड़ी

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क्रिकेट आस्ट्रेलिया के इन शर्तों को मानने के बाद ही IPL 14 में हिस्सा ले पाएंगे खिलाड़ी

IPL के चौदहवें सीजन को लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अपनी तैयारियों में लग गया है। BCCI ने IPL 14 के लिए 18 फरवरी को चेन्नई में मिनी ऑक्शन (IPL Mini Auction) का ऐलान किया है। इस साल IPL फ्रेचाइजियों ने अपने कई स्टार खिलाड़ियों को बाहर किया है, जो पिछले सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन करने में नाकाम रहे थे।

ऐसे में 18 फरवरी को कई खिलाड़ियों की किस्मत का फैसला होगा। इसी बीच IPL के अगले सीजन के लिए क्रिकेट आस्ट्रेलिया की ओर से बड़ा बयान सामने आया है। किक्रेट आस्ट्रेलिया (Cricket Australia) ने कहा है कि इस साल होने वाली इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 14) में हिस्सा लेने वाले अपने खिलाड़ियों को उनकी योग्यता के अनुसार नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देगा।

IPL 13 में 19 AUS खिलाड़ियों ने लिया था हिस्सा

आज बुधवार को क्रिकेट आस्ट्रेलिया के चेयरमैन निक हॉकले (Nick Hockley) ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘IPL ने पिछले साल अपना बायो-सिक्योर बबल साबित किया था। हमारे पास जब इसके लिए आवेदन आएंगे तो हम हर मामले पर उनकी योग्यता के आधार पर विचार करेंगे।‘

दरअसल, आस्ट्रेलिया के कई बड़े खिलाड़ी पिछले काफी समय से आइपीएल का हिस्सा रहे हैं। आइपीएल के पिछले सीजन में आस्ट्रेलिया के 19 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। मौजूदा समय में उनमें से कई खिलाड़ियों को फ्रेचाइजियों ने रीलीज कर दिया है। जिनकी किस्मत का फैसला 18 फरवरी को होगा।

अप्रैल महीने में शुरु होगा IPL 14

बता दें, क्रिकेट आस्ट्रेलिया (Cricket Australia) ने मार्च में होने वाली तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए दक्षिण अफ्रीका का दौरा रद्द कर दिया है। आस्ट्रेलिया ने अफ्रीका में महामारी के कारण स्वास्थ्य और सुरक्षा की जोखिमों को देखते हुए यह फैसला लिया। हालांकि, मार्च में ही न्यूजीलैंड में होने वाली टी20 और टेस्ट सीरीज के कार्यक्रम में अभी तक किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है।

गौरतलब है कि अप्रैल महीने के दूसरे सप्ताह से IPL के चौदहवें सीजन का आगाज होने वाला है। हालांकि, इस बात की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इस बार भी कुल 8 टीमें नए अंदाज और कुछ नई खिलाड़ियों के साथ टूर्नामेंट में हिस्सा लेंगी। क्रिकेट फैंस बेसब्री से IPL की शुरुआत का इंतजार कर रहे हैं।

रिहाना की ट्वीट पर बॉलीवुड का रिएक्शन: अक्षय, अजय समेत तमाम सितारों मैदान में उतरे, कही ये बातें…

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रिहाना की ट्वीट पर बॉलीवुड का रिएक्शन: अक्षय, अजय समेत तमाम सितारों मैदान में उतरे, कही ये बातें…

पॉप सिंगर रिहाना ने किसान आंदोलन को लेकर जब से ट्वीट किया है, तब से ये मुद्दा अब नेशनल से इंटरनेशनल होता जा रहा है। रिहाना की ट्वीट के बाद कई और इंटनेशनल सेलिब्रिटीज ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर ट्वीट किया और किसानों को अपना समर्थन दिया।

रिहाना की ट्वीट के बाद छिड़ी बहस

रिहाना की ट्वीट के बाद जिस तरह से कई दूसरे सेलिब्रिटी भारत के इस मामले में दखल देकर कमेंट कर रहे हैं, उसको लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है। सोशल मीडिया दो गुटों में बंट चुका है। एक तरफ तो वो लोग हैं जो रिहाना, ग्रेटा और मिया खलीफा समेत दूसरे ग्लोबल स्टार्स पर इस मुद्दे को उठाने और किसानों का साथ देने के लिए उनकी तारीफ कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर वो लोग हैं, जो इन सेलिब्रिटीज से भारत के आतंरिक मामलों में दखल देने के लिए उन पर नाराज होते हुए नजर आ रहे हैं।

बॉलीवुड ने कुछ यूं दिया जवाब

रिहाना की ट्वीट के बाद से ही सोशल मीडिया पर ये पूरा मामला चर्चाओं का विषय बना हुआ है। वहीं अब रिहाना की ट्वीट पर बॉलीवुड के कुछ सितारों ने रिएक्ट किया, जिसमें अक्षय कुमार, अजय देवगन, करण जौहर जैसे कई सेलेब्स शामिल हैं। इन लोगों ने भी भारत के आतंरिक मामलों में दखल देने के लिए बाहरी लोगों को दखल नहीं देने की बात कही।

इन सभी सितारों ने विदेश मंत्रालय के द्वारा जारी बयान को लेकर ट्वीट किया, जिसमें मंत्रालय की ओर से कहा गया कि किसी भी हालत में भारत बाहरी लोगों को अपना एजेंडा चलाने नहीं देगा। मंत्रालय ने साफ संदेश उन सेलेब्स को दिया, जो भारत के संवेदशनशील मुद्दे पर कमेंट कर रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि किसान आंदोलन भारत का आंतरिक मसला है और इस पर किसी भी दूसरे देश की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मंत्रालय के इस मैसेज पर कई बॉलीवुड के सितारे भी सामने आए। अक्षय कुमार ने इसको लेकर ट्वीट करते हुए कहा- ‘किसान हमारे देश का अहम हिस्सा हैं और उनके मसलों को हल करने के लिए प्रयास किए जा रहे है और वो दिख भी रहे हैं। मतभेद पैदा करने वाले किसी व्यक्ति पर ध्यान देने की जगह एक सौहार्दपूर्ण संकल्प का समर्थन करें।

वहीं अजय देवगन ने इस पर ट्वीट करते हुए कहा- ‘भारत और भारत की नीतियों के खिलाफ झूठे प्रचार करने वालों के चक्कर में ना फंसें। ये समय ऐसा है जब हमें एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है, बिना किसी अंदरुनी लड़ाई की।’

इसके अलावा सुनील शेट्टी ने ट्वीट कर लिखा- ‘हमें हमेशा चीजों का व्यापक दृष्टिकोण रखना चाहिए। आधे सच से ज्यादा खतरनाक कुछ भी नहीं हो सकता।’

इसके अलावा अनुपम खेर, करण जौहर, एकता कपूर जैसे कई सेलिब्रिटीज ने भी ट्वीट कर ऐसी ही बातें कहीं। इन दौरान इन सभी सितारों ने कुछ हैशटैग भी यूज किए, जो #IndiaTogether #IndiaAgainstPropaganda है।

क्या किया था रिहाना ने ट्वीट?

बता दें कि पॉप स्टार रिहाना ने बीते दिन उस खबर पर ट्वीट किया था, जिसमें किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के बॉर्डरों पर इंटरनेंट बंद होने की जानकारी दी गई थीं। इस पर ट्वीट कर रिहाना ने कहा था- ‘हम इसके बारे में क्यों बात नहीं कर रहे?’ रिहाना की ये ट्वीट वायरल हो गई, जिसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस छिड़ी हुई हैं।

किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार पर बरसे राहुल गांधी, कहा- देश में नेतृत्व का अभाव

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किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार पर बरसे राहुल गांधी, कहा- देश में नेतृत्व का अभाव

किसान आंदोलन को लेकर पूरे देश में आंदोलन तेज हो गया है। विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर हमलावर है। पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया था। जिसके बाद विपक्षी पार्टी के कई नेताओं ने खूब प्रतिक्रियाएं दी थी। इसी बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और केरल के वायनाड़ से सांसद राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस कर मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार का काम किसानों को डराना या धमकाना नहीं है बल्कि इस समस्या का शांति से समाधान करना है।

क्या किसान दुश्मन हैं?

राहुल गांधी ने किसानों के धरना स्थल पर हुई किलेबंदी को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, सरकार प्रदर्शन वाली जगहों पर किलेबंदी क्यों कर रही है। किसान इस देश की ताकत हैं और यह समस्या देश के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘क्या सरकार किसानों से डरती है? क्या किसान दुश्मन हैं? वे लोग हमारे लिए फसल उपजाते हैं, हमें जिंदा रखते हैं।‘

मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, केंद्र सरकार को किसानों को सुनने की जरूरत है क्योंकि किसान वापस नहीं जाने वाले हैं, अंत में सरकार को पीछे हटना ही पड़ेगा। सरकार कह रही है कि एक फोन कॉल की दूरी पर सरकार है। उन्होंने कहा, ‘ये क्या है? किसान कह रहे हैं कि कानूनों को वापस लो और आप कह रहे हैं कि बातचीत करो। वो प्रधानमंत्री से बातचीत थोड़ी करना चाहते हैं, वो अपना कानून वापस लेना चाहते हैं।‘

किसान हमारी रीढ़ की हड्डी हैं…

राहुल गांधी ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भी मोदी सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी को देश की अर्थव्यवस्था नष्ट करने का प्रमुख कारण बताया। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘आपने नोटबंदी की, फिर जीएसटी लागू की, आपने हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया। फिर कोविड आ गया, इसके बाद और नुकसान हुआ। जब उद्योगों को चोट लगी, तो हमारे किसानों ने हिंदुस्तान को बचाया। अब आप उनकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो। वो हमारी रीढ़ की हड्डी हैं।‘ उन्होंने कहा कि इस देश में नेतृत्व का अभाव है, कोई नेतृत्व नहीं है।

गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर घटी घटना को लेकर राहुल गांधी ने कहा, ये बीजेपी का मुद्दे से ध्यान भटकाने का तरीका है। अगर किसी ने गलत काम किया तो वह गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। अगर आप पूरी तस्वीर को देखें तो सरकार पूरी स्थिति को नियंत्रण नहीं कर पा रही है। उन लोगों ने अर्थव्यवस्था से लेकर देश की तमाम चीजों को बर्बाद कर दिया है, इसलिए इस तरह का विवाद खड़ा कर लोगों को भटकाना चाहते हैं।

सबसे पैसा छीनकर 10-15 लोगों के पॉकेट में डाल रही सरकार

केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर टिप्पणी करते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, मुझे उम्मीद थी कि सरकार हिंदुस्तान के 99 फीसदी लोगों की मदद करेगी। लेकिन ये बजट सिर्फ 1 फीसदी आबादी का बजट है। जो हमारे सूक्ष्म और लघु उद्योग के लोग हैं, जो किसान हैं, मजदूर और जवान हैं, उन सबसे पैसा छीनकर 10-15 लोगों के पॉकेट में डाल दिया है। हिंदुस्तान को अपनी जनता के हाथ में पैसे देने की जरूरत थी, हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत थी लेकिन सरकार जो कर रही है, उससे नहीं होगी।

रक्षा बजट में पैसे नहीं बढ़ाने को लेकर कसा तंज

कांग्रेस नेता ने सरकार द्वारा रक्षा बजट में पैसे नहीं बढ़ाने को लेकर भी मोदी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, ‘चीन हिंदुस्तान के अंदर आकर हमारी जमीन लेता है और आप बजट में चीन को क्या मैसेज दे रहे हैं कि हम अपना रक्षा पर खर्च नहीं बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि ये कौन सी देशभक्ति है और राष्ट्रवाद है कि सर्दी में हमारी सेना खड़ी है और उन्हें हम पैसे नहीं दे रहे हैं।‘