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सबसे जानलेवा सांप में क्यों कहलाया जाता है भारतीय कोबरा, जानिए…

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सबसे जानलेवा सांप में क्यों कहलाया जाता है भारतीय कोबरा, जानिए…

“सांप” ये एक नहीं बल्कि अनेक होते हैं, जो देखने में भले ही छोटे होते हो लेकिन इनके सामने जाने से बड़ा सा बड़ा व्यक्ति डरता है. चाहें छोटा सा सांप हो या फिर बड़ा सा काटने पर उतना ही दर्द होता है और जान जाने का खतरा भी उतना ही रहता है ये ही कारण है कि हम सभी सांप से दूर ही रहना पसंद करते हैं. वहीं, आप ने कोबारा सांप का नाम तो काफी सुना होगा या फिर देखा भी होगा. कहा जाता है कि कोबरा भारत का सबसे जानलेवा सांप है, लेकिन क्या आप जानते कि क्यों? तो आइए आपको कोबरा से जुड़ी कुछ ऐसी बाते बताते है जिसे जानकर यकीनन आप हैरान भी हो सकते हैं…

भारतीय कोबरा

आपको बता दें कि भारत में पाए जाने वाला सबसे जहरीला सांप भारतीय कोबरा है. इस साप को नाग के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म में नाग देवता के रूप में इसकी पूजा की जाती है. लगभग सभी इलाकों में आसानी से नाग देखने को मिलता हैं. खास आकार के फन और उस पर बनी धारियों से कोबरा की पहचान की होती है. ये अपने शरीर का एक तिहाई भाग उठाकर चल सकता है. कोबरा की औसत लंबाई 12 से 14 फुट तक होती है.

काटते ही इतने मिनटों में मौत

कहा जाता है कि कोबरा के काटने से व्यक्ति का बच पाना काफी मुश्किल होता है. अगर इसने किसी व्यक्ति को काट लिया तो काटने के 15 मिनट के अंदर ही उसकी मौत हो जाती है. बता दें कि अभी तक किंग कोबरा की सबसे ज्यादा रिकॉर्ड की गई लंबाई 18 फुट 9 इंच ही मानी गई है.

लुप्त हो रहे हैं किंग कोबरा

आपको बता दें कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-2 में किंग कोबरा है. इसका मतलब ये है कि ये उन जीवों में से हैं जो खतरे में हैं. किंग कोबरा लुप्त होते जा रहे हैं वो समय दूर नहीं है जब एक कोबरा दिखना भी मुश्किल हो सकते हैं. वहीं बेहद खतरनाक होने के कारण इनके संरक्षण के उपाय नहीं किए जाते है, क्योंकि विषैला और जानलेवा होता है.

सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे शिवपाल यादव, कहा- किसानों के खिलाफ कानून बनाने वालों को जीतने नहीं देंगे

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सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे शिवपाल यादव, कहा- किसानों के खिलाफ कानून बनाने वालों को जीतने नहीं देंगे

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टियां सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी को मात देने के लिए अपने प्रयासों में लग गई है। वहीं, दूसरी ओर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी अगले चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों में लगे हैं।

इसी बीच समाजवादी पार्टी लोहिया (PSPL) के प्रमुख शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने कहा है कि वह अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी (SP) से गठबंधन करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार को निशाने पर लिया। शिवपाल यादव ने कहा कि जिस सरकार ने किसानों के हित के खिलाफ ये काले कृषि कानून बनाए हैं, उन्हें किसी सूरत में चुनाव नहीं जीतने देना चाहिए।

जरुरत पड़ी तो शुरु करेंगे जेल भरो आंदोलन

आज शुक्रवार को PSPL प्रमुख ने यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘हम किसानों के साथ हैं और जरूरत पड़ी तो हम जेल भरो आंदोलन भी करेंगे। ये कानून केवल कॉर्पोरेट घरानों की मदद के लिए बनाए गए हैं, बल्कि केंद्र सरकार की तरफ से लिए गए सभी निर्णय फिर चाहे वो नोटबंदी हो, जीएसटी हो, कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों का माइग्रेशन हो, ये सब देश और जनता के खिलाफ ही थे।‘

शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया गया, लेकिन आय में कमी आई है। यदि किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं तो सरकार क्यों उन पर ये कानून थोप रही है?

उन्होंने स्पष्ट कहा कि हम किसानों के साथ हैं और अगर जरुरत पड़ी तो हम जेल भरो आंदोलन शुरु करेंगे। यादव ने कहा कि नए कृषि कानून केवल कॉरपोरेट घरानों के लाभ के लिए बनाए गए हैं।

अखिलेश यादव ने कही थी छोटी पार्टियों से गठबंधन की बात

बता दें, PSPL ने स्पष्ट कर दिया है कि वे सपा के साथ गठबंधन करने को तैयार हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। पिछले दिनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा था कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए प्रदेश की छोटी पार्टियों से गठबंधन के लिए संपर्क कर रही है।

सभी विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध कर रही है। सपा भी काफी पहले से इस मामले को लेकर सरकार पर हमलावर है। उम्मीद लगाई जा रही है कि सपा जल्द ही PSPL के साथ गठबंधन करने का ऐलान कर सकती है।

गौरतलब है कि किसान आंदोलन को लेकर आंदोलन तेज हो गया है। दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान पिछले 70 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और केंद्र सरकार से इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। कल शनिवार, 6 फरवरी को किसान संगठनों ने देशभर में दोपहर 12 से 3 बजे तक चक्का जाम का ऐलान किया है।

राम मंदिर दान: भिखारियों ने दिया चंदा, तो इससे प्रेरित होकर मुस्लिम युवक भी आए आगे, पेश की एकता की मिसाल

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राम मंदिर दान: भिखारियों ने दिया चंदा, तो इससे प्रेरित होकर मुस्लिम युवक भी आए आगे, पेश की एकता की मिसाल

अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण बनने का सपना लोग दशकों से देखते हुए आ रहे थे। उन करोड़ों लोगों को ये सपना अब आखिरकार पूरे होने जा रहा है। अगले कुछ ही सालों में अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। राम मंदिर का भूमिपूजन हो चुका है और अब इसके निर्माण का कार्य चल रहा है। साथ ही साथ राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर से चंदा इकट्ठा करने का काम जारी है।

राम मंदिर के लिए लोग बढ़-चढ़कर दान करते हुए नजर आ रहे हैं। झारखंड में भिखारियों ने भी राम मंदिर निर्माण के लिए अपना योगदान दिया। झारखंड के रामगढ़ जिला मुख्यालय स्थित लेप्रोसी कॉलोनी के भिखारियों ने भी 2425 रुपये एकत्रित करके राम मंदिर के लिए समर्पित किए। सिर्फ यही नहीं इससे प्रेरित होकर एक मुस्लिम युवक ने भी मंदिर निर्माण के लिए दान देकर एकता की मिसाल पेश की।

लेप्रोसी कॉलोनी की एक महिला सरस्वती देवी भीख मांगकर और कचड़ा चुनकर अपना गुजारा करती हैं। लेकिन जब राम मंदिर निर्माण के लिए योगदान देनी की बात आई, तो इसमें उन्होनें भी अपना योगदान देने का फैसला लिया। वहीं भीख मांगकर जिंदगी चलाने वाले लेप्रोसी कॉलोनी निवासी जीतू महतो ने भी भगवान राम के लिए अपनी आस्था को दिखाते हुए राम मंदिर के लिए 1 हजार रुपये का दान दिया।

वहीं जब एक मुस्लिम युवक जिनका नाम गुलाब सिंह है, उन्होनें लेप्रोसी कॉलोनी के रहने वाले लोगों की भगवान राम के प्रति आस्था को देखा, तो वो भी मंदिर निर्माण में अपना योगदान देने के लिए आगे आए। इससे प्रेरित होकर उन्होनें मंदिर निर्माण समिति को चंदा दिया।

रामगढ़ के लेप्रोसी कॉलोनी में दान लेने गए मंदिर निर्माण समिति के सदस्यों और पदाधिकारियों ने कहा कि समाज का हर वर्ग राम मंदिर के लिए बढ़-चढ़कर दान कर रहा है। सभी का यही सपना है कि वो भव्य राम मंदिर के सपने को साकार होते देखे।

गौरतलब है कि करोड़ों लोगों का सपना अयोध्या में राम मंदिर बनते हुए देखने का था। दशकों तक राम मंदिर के लिए लड़ाई चली। इस आंदोलन में कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई। राम मंदिर का मुद्दा सालों तक राजनीति में छाया रहा। लंबे समय तक कानूनी लड़ाई चली और 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जिसके बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का भव्य भूमि पूजन हुआ। अब अगले कुछ ही सालों में ये मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।

ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानिए यहां…

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ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानिए यहां…

हेमा मालिनी ने सिर्फ अपनी खूबसूरती ही नहीं बल्कि अपने दमदार अभिनय से भी लोगों का दिल जीता है. आज भी हेमा मालिनी करोड़ो दिलों पर राज करती है. उनका फिल्मी करियर काफी दिलचस्प रहा है. हर किरदार को हेमा ने बखूबी निभाया है. उम्र के इस पड़ाव में भी वो उतनी ही खूबसूरत और एनर्जी से भरपूर लगती है. आइए जानते हैं हेमा मालिनी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें…

तमिलनाडु में हुआ जन्म

हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर 1948 में तमिलनाडु में हुआ है. हेमा ने पढ़ाई चेन्नई के स्कूल में की है. बताया जाता है कि जब हेमा मालिन 10वीं कक्षा में थी तब ही से उन्हें फिल्मों के ऑफर आने शुरू हो गए थे. जब हेमा 11वीं में पहुंची तब ही उन्होनें फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था. उन्होनें साउथ की फिल्मों से अपने करियर की शुरूआत की थी.

ऐसा रहा फिल्मी सफर

1961 में हेमा मालिनी ने तेलगु फिल्म में एक किरदार किया था. उनके बॉलीवुड करियर की शुरूआत 1968 में ‘सपनों का सौदागर’ नाम की फिल्म से हुई थी. इस फिल्म में मुख्य किरदार में राज कपूर नजर आए थे. हेमा की पहली ही फिल्म के बाद राज कपूर ने ये कह दिया था कि वो एक दिन फिल्मी जगत का बड़ा चहरा बनेगी और राज कपूर की ये बात एकदम सच निकलीं.

हेमा मालिनी ने इसके बाद 1970 में ‘जॉनी मेरा नाम’ फिल्म में काम किया. ये फिल्म सुपरहिट हुई और धीरे-धीरे हेमा के फिल्मी करियर ने रफ्तार पकड़ ली. 1972 में वो ‘सीता और गीता’ नाम की फिल्म में नजर आई. इस फिल्म में उन्होनें डबल रोल निभाया था, जिसे हर किसी ने काफी पंसद किया. इस फिल्म के बाद वो रातोंरात स्टार बन गईं. ‘सीता और गीता’ फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी मिला था. इसके बाद हेमा मालिनी ने प्रेम नगर अमीर गरीब, शोले, महबूबा चरस, ड्रीम गर्ल, त्रिशूल, मीरा, कुदरत, नसीब, क्रांति, अंधा कानून, रजिया सुल्तान, रिहाई, जमाई राजा, बागबान और वीर जारा जैसी कई सुपरहिट फिल्म में काम किया है.

फिल्म का निर्देशन भी कर चुकी हैं

एक्टिंग के अलावा हेमा मालिनी ने फिल्म का निर्देशन भी किया है. उन्होनें फिल्म ‘दिल आशना है’ में शाहरूख खान को मौका दिया था. वैसे तो शाहरूक की पहली फिल्म ‘दीवाना’ मानी जाती है. लेकिन कहा जाता है कि शाहरूख को पहली फिल्म का ऑफर हेमा मालिनी ने इसी फिल्म के लिए दिया था.

शादी करने के लिए धर्मेंद ने किया था धर्म परिवर्तन

धर्मेंद्र और हेमा की जोड़ी हर किसी को काफी पंसद आती है. ये दोनों फिल्मों में एक-साथ काम किया करते थे और दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया. जिसके बाद ये दोनों हमेशा के लिए एक हो गए. अपनी किताब में हेमा मालिनी ने बताया था कि शुरूआत में उन्होनें धर्मेंद्र से शादी के बारे में कभी भी नहीं सोचना था. लेकिन जैसे-जैस वक्त बीता दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया. सबसे दिलचस्प बात तो ये हैं कि धर्मेंद्र से हेमा से शादी करने के लिए अपना धर्म और नाम परिवर्तन किया था. 21 अगस्त 1979 को दोनों ने निकाह किया था. उन्होनें ऐसा इसलिए किया था जिससे उन्हें अपनी पहली पत्नी प्रकाश कौर को तलाक ना देना पड़े.

राजनीति का है हिस्सा

बॉलीवुड में हेमा मालिनी ऐसी इकलौती एक्ट्रेस है जिन्होनें बॉलीवुड की सबसे फैमस कपूर फैमिली की दो जनरेशन्स के साथ काम किया है. हेमा ने राज कपूर, शम्मी कपूर, शशि कपूर, रणधीर कपूर और ऋषि कपूर के साथ काम किया है. फिलहाल वो राजनीति का भी हिस्सा है. वो बीजेपी पार्टी में शामिल हुई. वो मौजूदा समय में लोकसभा में मेंबर ऑफ पार्लियामेंट भी हैं.

'खून की खेती…' कांग्रेस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का करारा प्रहार, जानिए क्या क्या कहा?

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'खून की खेती…' कांग्रेस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का करारा प्रहार, जानिए क्या क्या कहा?

राज्यसभा का बजट सत्र जारी है। संसद में इस बार किसान आंदोलन का मुद्दा ही सबसे ज्यादा चर्चाओं का विषय बना हुआ है। विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर सरकार को लगातार घेर रही हैं। शुक्रवार को भी तमाम विपक्षी पार्टियों ने किसानों के मुद्दे को लेकर केंद्र पर जमकर हमला बोला। इस दौरान कांग्रेस नेता ने तो राज्यसभा में बोलते हुए कृषि कानून पर बोलते हुए उसे ‘डेथ वॉरेंट’ भी कह दिया।

कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाबी में बोलते हुए कहा कि जब सदन में कानून को लेकर इस सदन में चर्चा हो रही थी, तब ही मैनें ये कहा दिया था कि ये किसानों के लिए डेथ वॉरेंट होगा, लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी।

विपक्ष पर बरसे कृषि मंत्री

वहीं इस मुद्दे को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी अपना पक्ष शुक्रवार को राज्यसभा में रखा। इस दौरान वो विपक्ष पर जबरदस्त पलटवार भी करते नजर आए। कृषि मंत्री ने विपक्ष पर भड़कते हुए कहा कि खेती पानी से होती है, लेकिन केवल कांग्रेस ही खून की खेती कर सकती है।

कानून में ‘काला’ क्या है?

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विपक्षी पार्टियां सरकार को किसान आंदोलन पर घेर रही हैं और तीनों कानून को वो काला कानून बता रही हैं। लेकिन इन कानून में आखिर ‘काला’ है क्या? ये कोई बताएगा। कृषि मंत्री ने कहा कि मुझे बताएं कानून में ‘काला’ क्या है? मैं उसे ठीक करने की कोशिश करूंगा। सबकी बातों को मैनें सुना, लेकिन कानून के प्रावधान किसानों के प्रतिकूल कैसे हैं? इसके बारे में किसी ने भी बताने की कोशिश नहीं की।

कृषि मंत्री ने आगे कहा कि केंद्र सरकार के एक्ट से टैक्स खत्म होता है, जबकि राज्य सरकार का एक्स टैक्स देने पर बाध्या करता। जो टैक्स ले रहा और बढ़ा रहा है उसके खिलाफ आंदोलन होना चाहिए या फिर टैक्स फ्री करने वाले के खिलाफ? देश में अब उल्टी गंगा बह रही है।’

नरेंद्र सिंह तोमर आगे बोले कि भारत सरकार किसानों के लिए पूरी तरह से समर्पित है। आंदोलन के लिए हम लगातार किसानों को सम्मान देने की कोशिश कर रहे। किसानों के साथ 12 बार ससम्मान बातचीत की। हमने एक शब्द भी इधर-उधर नहीं बोला। संवेदनशीलता के साथ विचार किया। हमने बार बार पूछा कि कानून में किसान क्या बदलाव चाहते हैं, उसके बारे में हमें बताएं। लेकिन अगर हम कानून में बदलाव करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि कृषि कानून गलत है।

‘एक राज्य के किसानों को बरगलाया-डराया गया’

कृषि मंत्री ने कहा कि सिर्फ एक राज्य के किसानों को बरगलाया और डराया जा रहा है। खेती पानी से होती है, लेकिन सिर्फ कांग्रेस ही खून से खेती कर सकती है। उन्होनें कहा कि बीजेपी खून से खेती नहीं कर सकती। कृषि मंत्री के इस बयान को लेकर राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया।

गौरतलब है कि किसानों का मुद्दा लगातार चर्चाओं में हैं। 2 महीने से भी ज्यादा समय से किसानों का आंदोलन नए कृषि कानून के विरोध में जारी है। किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन विवाद अब तक सुलझ नहीं पाया। विपक्षी पार्टियां सड़क से लेकर संसद तक इस मामले को लेकर सरकार पर हमलावर है। बजट सत्र के दौरान भी ये सबसे बड़ा बहस का मुद्दा बना हुआ है।

केंद्र ने किया कानून में बदलाव अब दिल्ली सरकार को हर फैसले से पहले लेनी होगी LG से मंजूरी

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केंद्र ने किया कानून में बदलाव अब दिल्ली सरकार को हर फैसले से पहले लेनी होगी LG से मंजूरी

आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में हलचले काफी तेज हो गई है। दिल्ली सरकार और दिल्ली के राज्यपाल के बीच के रिश्ते किसी से छिपे नहीं है। अरविंद केजरीवाल की सरकार पहले भी कई बार दिल्ली के राज्यपाल पर सरकार के काम में दखल देने का आरोप लगा चुकी है।

इसी बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को एक प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसके तहत राज्यपाल को विधानसभा से अलग कई ऐसी शक्तियां दी जाएंगी, जिनपर अबतक दिल्ली सरकार का अधिकार होता था। केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले पर दिल्ली सरकार और केद्र सरकार के बीच एक बार फिर से तनातनी बढ़ गई है। आज शुक्रवार को दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है और कई तरह के आरोप लगाए हैं।

‘मोदी सरकार दिल्ली पर शासन करना चाहती है’

मनीष सिसोदिया ने कहा है कि ‘एलजी सार्वजनिक हित के मामलों में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप करने और सरकार के काम में बाधा डालने के लिए इस अधिनियम का उपयोग कर सकते हैं।’ उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर शासन करना चाहती है। सिसोदिया ने कहा कि यह अधिनियम लोकतंत्र, संविधान और दिल्ली के नागरिकों की मर्जी के खिलाफ है।

उप-मुख्यमंत्री ने कहा, ‘केंद्र मंत्रिमंडल ने एक कानून पेश किया है जिससे दिल्ली की चुनी हुई सरकार से शक्तियां छीन ली जाएंगी और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को दे दी जाएंगी। दिल्ली सरकार को अपने फैसले लेने की आजादी नहीं होगी। बीजेपी दिल्ली पर पिछले दरवाजे से शासन करना चाहती है क्योंकि लगातार तीन चुनावों में उन्हें दिल्लीवालों ने हार का मुंह दिखाया है।‘

मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया, ‘केंद्र की बीजेपी सरकार ने एलजी की शक्तियों को बढ़ाने वाले इस कानून को गोपनीय तरीके से मंजूरी दी है। दिल्ली की सरकार बनाने का जो यह कानून है जिसे GNCTD एक्ट कहते हैं। इसमें बदलाव करके केंद्र सरकार अब उपराज्यपाल को इतनी शक्तियां देने जा रही है, जिसके बाद उपराज्यपाल दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम को आसानी से रोक सकते हैं।‘

दिल्ली सरकार के पास नहीं होगी निर्णय लेने की शक्ति

सिसोदिया ने कहा, ‘दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास अब फैसले लेने का अधिकार नहीं होगा, ये अधिकार अब LG के पास होंगे। जिसका मतलब है केंद्र की BJP सरकार के पास होंगे। राज्य सरकार जिसको दिल्ली की जनता चुनती है उसके पास अब निर्णय लेने की शक्ति नहीं होगी।‘

बता दें, केंद्रीय कैबिनेट ने गवर्नमेंट ऑफ NCT एक्ट में कुछ बदलाव किए हैं। जिसमें अब गवर्नर को विधानसभा से अलग कई स्पेशल पावर दिए जाएंगे। इससे पहले दिल्ली सरकार कई फैसले अपने अधिकार से लेती थी लेकिन अब उन्हें राज्यपाल से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। सरकार के इस फैसले पर आम आमदी पार्टी ने नाराजगी जाहिर की है।

IPL Special: शोएब अख्तर समेत ये 11 पाकिस्तानी खिलाड़ी खेल चुके हैं आईपीएल, जानिए कौन किस टीम का था हिस्सा?

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IPL Special: शोएब अख्तर समेत ये 11 पाकिस्तानी खिलाड़ी खेल चुके हैं आईपीएल, जानिए कौन किस टीम का था हिस्सा?

क्रिकेट का महाकुंभ कहे जाने वाले इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) को लेकर हर साल फैन्स में काफी उत्साह रहता है. आईपीएल के सीजन-13 के शुरू होने में कुछ ही दिनों का वक्त बाकी है. यूएई में 19 सितंबर से आईपीएल खेले जाएंगे. पहले मार्च के महीने में आईपीएल का आयोजन भारत में ही होना था, लेकिन कोरोना संकट की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाया. इसके बाद आईपीएल के इस सीजन को देश से बाहर कराने का फैसला लिया गया.

वैसे तो IPL में लगभग सभी प्रमुख देशों के खिलाड़ी खेलते हुए नजर आते है, लेकिन पाकिस्तान टीम इसमें हिस्सा नहीं ले पाती. मुंबई हमलों के बाद से ही पाकिस्तान के आईपीएल खेलने पर बैन लगा हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसे कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ी हैं जो आईपीएल खेल चुके हैं? जी हां, आईपीएल का पहले सीजन में जो साल 2008 में हुआ था, उस दौरान कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में खेलते हुए नजर आए थे. आइए आपको उन सभी 11 पाकिस्तानी खिलाड़ियों जो आईपीएल का हिस्सा रह चुके हैं…

शोएब मलिक

पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शोएब मलिक आईपीएल खेल चुके हैं. वो दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम में शामिल थे. मलिक ने आईपएल के सिर्फ 7 ही मैच खेले हैं और इनमें वो कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए. इन मैच में शोएब ने केवल 52 ही बनाए हैं और गेंदबाजी करते हुए 2 विकेट लिए हैं.

शाहिद अफरीदी

पाकिस्तान के ऑलराउंडर खिलाड़ी शाहिद अफरीदी आईपीएल के पहले सीजन में डेक्कन चार्जस का हिस्सा थे. उन्होनें आईपीएल में 10 मैच खेलते हुए 81 रन बनाए और 9 विकेट चटके हैं. इस दौरान अफरीदी विवादों में भी रहे थे, जब उन्होनें अपनी टीम के कप्तान वीवीएस लक्ष्मण की कप्तानी पर ही सवाल खड़े कर दिए थे.

शोएब अख्तर

पाकिस्तानी टीम के रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर शोएब अख्तर कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम से आईपीएल खेल चुके हैं. अपने पहले आईपीएल मैच में अख्तर ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था. उन्होनें दिल्ली की टीम के चार बड़े विकेट चटकाए थे. शोएब अख्तर IPL में केवल तीन ही मैच खेल पाएं है, जिसमें उन्होनें 5 विकेट लिए. IPL डेब्यू के दौरान ही पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने उन पर एक विवाद की वजह से पांच साल का बैन भी लगा दिया था.

सलमान बट

पाकिस्तान के पूर्व सलामी बल्लेबाज सलमान बट भी कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम में शामिल रह चुके हैं. केकेआर टीम की तरफ से सलमान 7 मैच का हिस्सा रहे, जिसमें उन्होंने 193 रन बनाए.

मोहम्मद आसिफ

पाकिस्तान के स्टार गेंदबाज मोहम्मद आसिफ ने दिल्ली की टीम से आईपीएल मैच खेले हैं. आसिफ ने आईपीएल के कुल 8 मैच खेले हैं, जिसमें उन्होनें 8 विकेट लिए. वो आईपीएल के दौरान डोपिंग के दोषी पाए गए थे, जिसके बाद PCB ने उन पर एक साल का बैन लगा दिया था.

उमर गुल

तेज गेंदबाज उमर गुल भी कोलकाता नाइट राइडर्स टीम की तरफ से आईपीएल का हिस्सा बन चुके हैं. उस दौरान वो दुनिया के नंबर-1 टी-20 गेंदबाज थे. लगातार चोटों की वजह से उमर केवल 6 ही आईपीएल के मैच खेल पाए, लेकिन इस दौरान भी उन्होनें अच्छा प्रदर्शन किया. उमर ने 6 मैच में 12 विकेट लिए और 39 रन बना ए थे. गुल ने अपना आखिरी मैच पंजाब की टीम के खिलाफ खेला था, जिसमें उन्होनें 4 विकेट लेने के साथ 24 रन बनाकर अपनी टीम को जिताया.

मोहम्मद हफीज

पाकिस्तान के ऑलराउंडर खिलाड़ी मोहम्मद हफीज भी केकेआर टीम से आईपीएल खेले हैं. आईपीएल में हफीज ने  64 रन बनाए और 2 विकेट चटकाए.

यूनुस खान

पाकिस्तान के स्टार बल्लेबाजों में से एक यूनुस खान ने भी आईपीएल में खेला है. वो राजस्थान रॉयल्स टीम से इस टूर्नामेंट का हिस्सा बने. हालांकि यूनुस को सिर्फ एक ही मैच खेलने का मौका मिला, जो रॉजस्थान रॉयलस का आखिरी लीग मैच था. इसमें उन्होनें केवल 2 ही रन बनाए थे.

मिस्बाह उल हक

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर टीम से पाकिस्तान के खिलाड़ी मिस्बाह उल हक आईपीएल खेल चुके हैं. वो साल 2007 में हुए टी-20 विश्व कप में अपनी टीम पाकिस्तान को खिताबी जीत के काफी करीब ले आए थे. हालांकि मिस्बाह का आईपीएल में कुछ खास प्रदर्शन नहीं रहा. 8 मैच में खेलते हुए उन्होनें 117 रन बनाए थे.

कामरान अकमल

पाकिस्तान के विकेटकीपर बल्लेबाज कामरान अकमल ने राजस्थान रॉयलस टीम से आईपीएल खेला है. कामरान को टीम में सिर्फ तब ही खेलने का मौका मिला जब कोई इंटरनेशनल खिलाड़ी चोटिल हुआ. अकमल आईपीएल के 6 मैच का हिस्सा रहे हैं. इस दौरान उन्होनें 128 रन बनाए जिसमें एक अर्धशतक भी शामिल हैं.

सोहेल तनवीर

पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज सोहेल तनवीर को राजस्थान रॉयलस टीम से आईपीएल खेलने का मौका मिला. उन्होनें राजस्थान की टीम को खिताब जीताने में बड़ी भूमिका निभाई. तनवीर ने IPL के 11 मैचों में सबसे अधिक 22 विकेट झटके और साथ ही आईपीएल में पर्पल कैप भी अपने नाम की.

क्या है ग्रेटा की टूलकिट के पीछे खालिस्तानी कनेक्शन? कनाडा की इस संस्था का नाम आया सामने, जानें पूरा मामला….

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क्या है ग्रेटा की टूलकिट के पीछे खालिस्तानी कनेक्शन? कनाडा की इस संस्था का नाम आया सामने, जानें पूरा मामला….

किसान आंदोलन का मुद्दा देश से होता हुआ अब विदेशों में भी सुर्खियां बटोरने लगा हैं। रिहाना, ग्रेटा जैसे इंटेनशनल सेलिब्रिटीज ने किसान आंदोलन पर ट्वीट कर तूफान ला दिया। ग्रेटा ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करते हुए जो टूलकिट शेयर की, जिसे बाद में डिलीट कर था, उसको लेकर भी खासा बवाल मचा हुआ है।

टूलकिट की शुरू हुई जांच

ग्रेटा ने जो टूलकिट शेयर किया था, उससे किसान आंदोलन को लेकर विदेशी प्रोपेगेंडा की पोल खुली। टूलकिट में बताया गया था कि कैसे किसान आंदोलन की आड़ में जनवरी और फरवरी की अलग अलग तारीखों को भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाना है। टूलकिट की जांच शुरू कर दी गई हैं। दिल्ली पुलिस ने इस टूलकिट को लेकर गुरुवार को एक अज्ञात शख्स के खिलाफ केस भी दर्ज किया।

स्‍पेशल कमिश्‍नर प्रवीर रंजन ने कहा कि शुरुआती जांच में ऐसा पता चला कि ये टूलकिट एक प्रो-खालिस्‍तानी संस्‍था ने बनाई। वो बोले कि ऐसा लग रहा है कि इस टूलकिट को बनाने के पीछे का मकसद अलग-अलग सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच नफरत फैना और भारत की सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का था।

दिल्ली पुलिस ने कई धाराओं में टूलकिट को लेकर FIR दर्ज की है। हालांकि इस FIR में ना तो ग्रेटा और ना ही किसी दूसरे शख्स को आरोपी बनाया गया। पुलिस का कहना है कि जांच में ही इस बात का खुलासा हो पाएगा कि आरोपी कौन हैं? पुलिस का कहना है कि टूलकिट को लेकर शक तब और गहराया जब डॉक्यूमेंट के अहम हिस्सों को मिटाया गया या फिर एडिट कर दिया। FIR के आधार पर पुलिस गूगल को एक नोटिज भेजेगी और उनसे मूल दास्तावेज मांगेगी।

इस खालिस्तानी संस्था का आया नाम

प्रारंभिक जांच में ये बात सामने आई थीं कि टूलकिट में कनाडा स्थित एक खालिस्तानी समर्थक संगठन ने तैयार किया। जो जानकारी अब तक हासिल हुई उसके मुताबिक टूलकिट को ‘पीस फॉर जस्टिस’ नाम के संगठन ने बनाया, जिसके सह-संस्थापक खालिस्तानी समर्थक एमओ धालीवाल है। ये संगठन कनाडा के वैंकूवर में स्थित है। टूलकिट में जो डॉक्यूमेंट था, उसमें ये बताया गया था कि भारत के खिलाफ अलग-अलग तारीखों पर एजेंडा चलाना है।

भारत की छवि खराब करने की बड़ी साजिश?

इस डॉक्यूमेंट में 5 बातें मुख्य तौर पर लिखीं थी, जिसमें ऑन ग्राउंड प्रोटेस्ट में हिस्सा लेने की समेत 26 जनवरी या उससे पहले डिजिटल स्ट्राइक #AskIndiaWhy के साथ ट्विटर पर पोस्ट करने को कहा। वहीं 4-5 फरवरी को ट्विटर पर तूफान लाने का प्लान था। यानी कि किसान आंदोलन से जुड़ी चीजों, फोटोज और हैशटैग को ट्रेंड करने की प्लानिंग। ऐसे ही अलग अलग तारीखों को भारत के खिलाफ कैसे प्रोपेगेंडा चलाना है, ये डॉक्यूमेंट में बताया गया था

हालांकि डॉक्यमेंट वाली ट्वीट को ग्रेटा ने डिलीट कर दिया था, लेकिन तब तक इसका स्क्रीनशॉर्ट लिए जा चुके थे। जो काफी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल  हो गए और भारत के खिलाफ रचे जा रहे विदेशी प्रोपेगेंडा की पोल खुली।

राम मंदिर के चंदे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग, जानें क्या है पूरा मामला?

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राम मंदिर के चंदे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग, जानें क्या है पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का कार्य आरंभ हो गया है। इसके लिए देश के लगभग सभी राज्यों में सहयोग राशि भी एकत्रित की जा रही है। जिसे लेकर जमकर बवाल भी हो रहा है। इस मामले को लेकर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और देश की सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने है।

पिछले दिनों कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने चंदे को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि बीजेपी के लोग राम मंदिर निर्माण के नाम पर चंदा लेकर शराब पीते हैं। जिसपर बीजेपी नेताओं की ओर से प्रतिक्रिया सामने आई है। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि जैसी शिक्षा मिली है वैसी ही बयानाबाजियां हो रही है।

जानें, क्या था भूरिया का पूरा बयान?

दरअसल, 2 बार केंद्रीय मंत्री, 5 बार सांसद और मौजूदा समय में मध्यप्रदेश के झाबुआ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया ने पिछले दिनों कहा था कि ‘पहले भी राम मंदिर के नाम पर हुए चंदे में करोड़ों रुपये जुटाए गए थे, इस राशि को बीजेपी के लोग दबाए बैठे हुए हैं। इस रशि को मंदिर ट्रस्ट में जमा किया जाना चाहिए। अब फिर बीजेपी के लोग घर-घर जाकर चंदा जुटा रहे हैं, दिन में चंदा जुटाते हैं और रात को नदी पर जाकर शराब पीते हैं।‘ उनके इस बयान पर पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ने सहमति जताई है। उन्होंने कहा है कि कांति लाल भूरिया सच्चे नेता हैं, जब उन्होंने शराब पीते देखा होगा तभी कहा होगा. उन्होंने जो कहा है कि वह तथ्यों के आधार पर ही कहा होगा।

बीजेपी ने किया पलटवार

कांग्रेस नेताओं की ओर से आ रही ऐसी प्रतिक्रियाओं पर नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि जैसी शिक्षा मिली है वैसा ही कहा जा रहा है, ‘भूरिया का जो बयान है वह आसुरी प्रवृत्ति का द्योतक है, उनके गुरु दिग्विजय सिंह जो हैं। द्वापर युग से सतयुग तक हम देखते हैं कि जब जब कोई अच्छा काम होता था, उसमें आसुरी शक्तियां व्यवधान डालती थीं, आज भी कुछ वैसा ही है। इसीलिए श्री राम मंदिर के निर्माण संबंधी धन संग्रह में इस प्रकार के बयान दिए जा रहे हैं।‘

देश में स्वैच्छिक तौर पर इकट्ठा हो रहा चंदा

बता दें, बीजेपी की ओर से राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत लोगों से स्वैच्छिक तौर पर चंदा इकट्ठा किया जा रहा है। देश के आम नागरिकों के साथ-साथ कांग्रेस और बीजेपी के कई बडे नेताओं की ओर से भी राम मंदिर निर्माण में योगदान दिया गया है। पिछले दिनों कई स्थानों पर फर्जी लोगों के द्वारा भी धन संग्रहण किए जाने की बातें सामने आई थी, जिसे लेकर सवाल भी उठे थे।

देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री पीते थे अपना पेशाब! क्या इसलिए 99 साल तक रहे थे जिंदा?

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देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री पीते थे अपना पेशाब! क्या इसलिए 99 साल तक रहे थे जिंदा?

देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Prime Minister Morarji Desai) 81 साल की उम्र में देश के प्रधानमंत्री बने थे. ये देश के पहले ऐसे पीएम थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अलावा अन्य दल से थे. इस पद पर वो साल 1977 से 1979 तक रहे थे. हालांकि,  प्रधानमंत्री के तौर पर ये अपना पांच साल का कार्यकाल तक पूरा न कर पाए. चौधरी चरण सिंह से मतभेदों होने की वजह से उन्हें पीएम पद छोड़ना पड़ा था. आइए आपको पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से संबंधित कुछ खास जानकारियां देते हैं…

गुजरात के भदेली गांव में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी, 1896 को हुआ था. उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे और बहुत अनुशासन प्रिय थे. बचपन से ही उन्होंने अपने पिता से कड़ी मेहनत और सच्चाई के मार्ग पर चलने की सीख ली. सेंट बुसर हाई स्कूल से उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई की और यहां से अपनी मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की. साल 1918 में तत्कालीन बंबई प्रांत के विल्सन सिविल सेवा से डिग्री प्राप्त करने बाद उन्होंने 12 सालों तक डिप्टी कलेक्टर के तौर पर कार्य किया.

पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई पीते थे अपना मूत्र

आपको ये जानकार हैरानी होगी लेकिन ये बिल्कुल सच है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने काफी लंबे समय तक अपना मूत्र पीया थी. इतना ही मूत्र सेवन करने के फायदों के बारे में भी वो बताया करते थे. उनका कहना था कि लाखों भारतीयों के लिए अपना मूत्र पीने वाला ये एकदम एक सही दवा का मिश्रण है. खास तौर पर उन लोगों के लिए जो अपने इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं.

अमेरिका के अखबारों में रहे थे चर्चित

मोरारजी देसाई अपनी यूरीन थेरपी के चलते देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में काफी चर्चित रहे हैं. खुद का पेशाब पीने की इनकी ये आदत भारत से सात समंदर पार अमेरिका के अखबारों की सुर्खिया बनी थी. बता दें कि जब देसाई अमेरिकी दौरे पर गए थे तब एबीसी न्‍यूज से बातचीत के दौरान उन्होंने ये स्वीकार किया था कि वो अपना पेशाब पीते है. इतना ही नहीं उस चैनल के शो (60 मिनट्स) में उन्होंने अपना लगभग आधा समय “यूरीन थेरेपी” की खासियत बताने पर ही खर्च कर दिया था.

देसाई 99 साल तक रहे थे जिंदा

हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के पेशाब पीने से होने वाले फायदों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं था, लेकिन वो 99 साल तक जीवित रहे जिससे लोगों ने इस बात का दावा भी किया कि उनकी लंबी उम्र का राज खुद का पेशाब पीने वाला नुस्खा था. बता दें कि दुनियाभर में कई ऐसे लोग हैं जो अपना खुद पेशाब रोजाना पीते हैं और इससे होने वाले लाभों को गिनवाते हैं.