Tata Motors has announced special year end discounts across its product range apart from the recently launched Curvv/EV. These discounts are valid from 8th to 30th November 2024 and are extended on both MY2023 and MY2024 models. The offers vary according to model and engine type. The discounts are a follow up of October 2024 discounts.
Tata Altroz Discounts Nov 2024
Consumer discount across the Altroz hatchback petrol, diesel and CNG trims for MY2023 is at Rs 90,000. The discounts vary for MY2024. All variants across the petrol, diesel and CNG trims excluding certain variants stand at Rs 15,000 consumer benefit and Rs 15,000 exchange offer. Altroz petrol XM, XMS, XM+, XM+S XMA+ and XMA+S sees a lower consumer benefit of Rs 10,000 but the same Rs 15,000 exchange offer. It is the same Rs 25,000 benefit seen on the Altroz diesel and CNG XM+ and XM+S trims.
Tata Altroz Racer on discount for the first time
Just five months after introducing the Altroz Racer, Tata is now offering benefits to make it more attractive. All three variants get discounts of up to Rs 65,000, which includes a direct cash discount and an exchange or scrappage bonus.
Gail Omvedt full detils: गेल ओमवेट, एक प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता, समाजशास्त्री और लेखिका, ने अपना जीवन सामाजिक न्याय और हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने महात्मा ज्योतिराव फुले (Jyotirao Phule) और सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) के विचारों को जीवंत किया और उन्हें इक्कीसवीं सदी में एक नई दिशा दी। उनके कार्यों और लेखन ने भारत में जाति, वर्ग और लैंगिक असमानताओं पर गहरा प्रभाव डाला।
संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मी गेल ओमवेट 1978 में अध्ययन करने के लिए भारत आई थीं। फुले-अंबेडकर विश्वदृष्टि के मजबूत प्रभाव के कारण वे यहां स्थानांतरित हो गईं। एक विद्वान और भारतीय नागरिक के रूप में, उन्होंने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इस देश में सताए गए दलितों की वकालत करने में बिताया। उन्होंने आदिवासी लोगों और दलितों के अधिकारों की मुखर वकालत की (Gail Omvedt’s Dalit connection)। उन्होंने श्रम और महिला मुक्ति आंदोलनों दोनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने महिला दार्शनिकों और संतों, बुद्ध, फुले, अंबेडकर और मार्क्स के विचारों को एक साथ अपनाया।
गेल ओमवेट शिक्षा- Gail Omvedt Education
गेल ने कार्लटन कॉलेज में पढ़ाई की। वह 1963-64 में फुलब्राइट फेलोशिप के तहत अंग्रेजी ट्यूटर के रूप में भारत आईं। इस छोटी सी शैक्षणिक यात्रा में उन्होंने भारत में व्याप्त जातिगत शोषण और महिलाओं की दयनीय स्थिति को अच्छी तरह से देखा। इसके परिणामस्वरूप, वह 1970 के दशक में समाजशास्त्र में अपनी पीएचडी थीसिस, “कल्चरल रिवॉल्ट इन अ कोलोनियल सोसाइटी: द नॉन – ब्राह्मण मूवमेंट इन वेस्टर्न इंडिया 1873-1930” पर शोध करने के लिए भारत वापस आईं।
भारत आकर भारत की होकर रह गई गेल- Gail Omvedt’s connection with India
उन्होंने 1973 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से अपनी पीएचडी प्रस्तुत की। 1976 में, गेल ने दलित सामाजिक कार्यकर्ता भारत पाटनकर से विवाह किया, जिनसे उनकी मुलाकात महाराष्ट्र में शोध के दौरान हुई थी। विवाह के बाद वे महाराष्ट्र के कसेगाँव में रहने लगीं और 1983 में उन्होंने भारतीय नागरिकता के पक्ष में अपनी अमेरिकी नागरिकता त्याग दी। इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, उनकी बेटी प्राची पाटनकर ओमवेट ने बताया कि गेल अश्वेत नागरिक अधिकारों और युद्ध-विरोधी आंदोलन में बहुत सक्रिय थीं। एक नारीवादी, साम्राज्यवाद-विरोधी और नस्लवाद-विरोधी के रूप में, उन्होंने कैलिफोर्निया में आंदोलन में भाग लिया। उनकी रुचि के क्षेत्र ज्योतिबा फुले और बाबा साहेब के साहित्य और दर्शन थे।
फुले के विचारों का प्रचार और अनुसरण
गेल ओमवेट फुले दंपत्ति के विचारों की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं। महात्मा फुले की ‘गुलामगिरी’ और सावित्रीबाई फुले के शिक्षा सुधारों से प्रेरित होकर उन्होंने दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के अधिकारों के लिए काम किया। उनका मानना था कि शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय के ज़रिए समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। गेल का मानना था कि फुले का नज़रिया सिर्फ़ उनके समय तक सीमित नहीं था, बल्कि आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने इस विचारधारा को आधुनिक संदर्भ में पेश किया और हाशिए पर पड़े लोगों की आवाज़ को मज़बूत किया।
लेखन और साहित्यिक योगदान
गेल ऑम्वेट ने कई किताबें (Gail Omvedt Books) लिखीं, जिनमें भारतीय समाज में जाति व्यवस्था, लोकतंत्र, और मानवाधिकारों पर गहन विश्लेषण है। उनकी प्रमुख रचनाओं में शामिल हैं:
दलित्स एंड डेमोक्रेटिक रेवोल्यूशन (2013)
लैंड, कास्ट एंड पॉलिटिक्स इन इंडियन स्टेट्स (1982)
रीइन्वेंटिंग रिवोल्यूशन:न्यू सोशल मूवमेंट्स एंड द सोशलिस्ट ट्रेडिशन इन इंडिया (1993)
ए ट्रांसलेशन ऑफ़ वसंत मून्स ग्रोइंग अप अनटचेबल इन इंडिया: ए दलित ऑटोबायोग्राफी (2000)
बौद्ध धर्म इन इंडिया: चैलेंजिंग ब्राह्मणिज्म एंड कास्ट (2003)
इन पुस्तकों ने सामाजिक असमानताओं को उजागर करने और समाधान प्रस्तुत करने में अहम भूमिका निभाई।
सामाजिक कार्य और प्रभाव
गेल ओमवेट ने विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने महिला अधिकारों, ट्रेड यूनियनों और दलित आंदोलनों के लिए काम किया। उनकी पहल ने कई समुदायों को सशक्त बनाया और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जुड़ने में मदद की। उनका योगदान भारत तक ही सीमित नहीं था; उनके विचारों और काम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना की गई।
निधन और विरासत
25 अगस्त 2021 को गेल ओमवेट का निधन हो गया। उनके जाने के बाद भी उनके विचार और कार्य भारतीय समाज को प्रेरणा देते रहेंगे। उन्होंने ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले के सपनों को न केवल इक्कीसवीं सदी में जीवित रखा, बल्कि उन्हें व्यापक रूप भी दिया।
Minipunjab in Rajasthan Alfanagar: राजस्थान के कोटा जिले में स्थित अल्फानगर को “मिनी पंजाब” के नाम से जाना जाता है। यह गांव अपनी पंजाबी संस्कृति, समृद्ध कृषि और जीवनशैली के कारण पूरे क्षेत्र में अद्वितीय है। 1947 में विभाजन के दौरान पाकिस्तान से पलायन करने वाले पंजाबी परिवारों ने इस गांव को बसाया और इसे बंजर भूमि से सोना उगलने वाली भूमि में बदल दिया। आइए आपको बताते हैं राजस्थान के अंदर बसे इस छोटे से “पंजाब” की कहानी
अल्फानगर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-Mini punjab in Rajasthan Alfanagar
भारत के विभाजन के बाद लाखों पंजाबी परिवार पाकिस्तान से भारत में आकर बस गए। राजस्थान सरकार ने इन परिवारों को बसने के लिए कोटा जिले का अल्फानगर क्षेत्र आवंटित किया। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, अटवाल परिवार 1969 में सबसे पहले यहाँ बसने वाला परिवार था और उसके बाद अन्य पंजाबी परिवार यहाँ आने लगे (Sikh Population in Alfanagar)। उन्होंने बंजर और पथरीली ज़मीनें खरीदीं और उन्हें उपजाऊ बनाने के लिए दिन-रात काम किया।
अल्फानगर के शुरुआती निवासियों में से एक निर्मल सिंह अटवाल बताते हैं कि जब वे यहाँ आए तो यह इलाका जंगल जैसा था। खेतों में बबूल के पेड़ और गहरी खाईयाँ थीं। उनके 4-5 परिवारों ने 1250 बीघा ज़मीन खरीदी और उसे उपजाऊ बनाना शुरू किया। आज यह ज़मीन राजस्थान की सबसे उपजाऊ ज़मीनों में गिनी जाती है।
कृषि में क्रांति: मेहनत और समर्पण का नतीजा
आज अल्फानगर (Sikh in Alfanagar) की धरती धान, गेहूं और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए मशहूर है। यहां उगाए जाने वाले धान और गेहूं की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि इसे नाम से बेचा जाता है।
धान की खासियत: अल्फानगर का धान अपने स्वाद और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है।
गेहूं की मांग: बड़ी कंपनियों ने यहां गेहूं के बीज की गुणवत्ता को प्रमाणित किया है।
हरियाणा से आकर 2009 में यहां बसे संजय चौधरी ने यहां 100 बीघा जमीन खरीदी। उन्होंने बताया कि इस जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए 14,000 ट्रॉली मिट्टी डालनी पड़ी। इससे पता चलता है कि यहां शुरुआती किसानों ने कितनी मेहनत की होगी।
डेयरी उत्पादन में भी आगे
अल्फानगर न केवल कृषि बल्कि डेयरी उत्पादन में भी आगे है।
दूध उत्पादन:
हर घर में गाय-भैंस हैं और कुछ परिवारों में 100-200 से भी ज्यादा पशु हैं। इसके अलावा यहां रोजाना करीब 4,000 लीटर दूध का उत्पादन होता है। इसी वजह से यह गांव कोटा संभाग के शीर्ष दूध उत्पादक गांवों में गिना जाता है।
बाजार में सीधी बिक्री:
कोटा डेयरी के आंकड़ों के अनुसार जिले में रोजाना 1 लाख लीटर दूध आता है, जिसमें से 60 हजार लीटर बूंदी जिले से आता है। हालांकि अल्फानगर का दूध डेयरी की बजाय सीधे बाजार में बिकता है, जिससे किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है।
500 लोगों को मिला रोजगार
अल्फानगर के सिख किसानों ने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि आसपास के गांवों को भी रोजगार मुहैया कराया।
लक्ष्मीपुरा, भवानीपुरा, मालियों की मुरादी और भीलों की मुरादी जैसे गांवों के करीब 500 लोगों को रोजगार मिलता था।
हालांकि नरेगा योजना लागू होने के बाद मजदूर मिलना थोड़ा मुश्किल हो गया, लेकिन अब भी धान की कटाई के लिए बिहार से मजदूर बुलाए जाते हैं।
वर्तमान में अल्फानगर के खेतों पर करीब 100 मजदूर काम करके अपनी आजीविका चला रहे हैं।
बंजर से सोना उगलने तक का सफर
अल्फानगर के शुरुआती दिनों की तुलना में आज यह गांव कृषि और डेयरी उत्पादन में सबसे आगे है।
यहां के किसानों ने जंगल जैसी जमीन को 4000 बीघा उपजाऊ जमीन में बदल दिया है।
नहरी पानी की उपलब्धता और कड़ी मेहनत के कारण यह इलाका अब राजस्थान में सबसे ज्यादा उपज देने वाले इलाकों में से एक है।
अल्फानगर की सांस्कृतिक पहचान
अल्फानगर अपनी पंजाबी संस्कृति के कारण “मिनी पंजाब” कहलाता है।
पंजाबी परंपराएं: यहां के लोग आज भी पंजाबी भाषा बोलते हैं और पारंपरिक पोशाक पहनते हैं।
त्योहार: लोहड़ी, बैसाखी, और गुरुपर्व जैसे त्योहार पूरे उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।
गुरुद्वारा: गांव का गुरुद्वारा धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है।
अल्फानगर को न केवल “मिनी पंजाब” के नाम से जाना जाता है, बल्कि यह भारतीय कृषि और संस्कृति का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है। विभाजन के दर्द से उभरकर इस गांव के निवासियों ने कड़ी मेहनत और लगन से इसे समृद्धि की ओर अग्रसर किया। आज यह गांव कोटा जिले के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है। अगर आपको भारतीय संस्कृति और मेहनत की मिसाल देखनी है, तो अल्फानगर जरूर जाएं।
IPL 2025 Mega Auction: IPL 2025 मेगा नीलामी की उल्टी गिनती शुरू हो गई है, और क्रिकेट प्रशंसकों के बीच उत्साह चरम पर है। इस बार मेगा नीलामी 24 और 25 नवंबर 2024 को सऊदी अरब के जेद्दा में होगी। 574 खिलाड़ियों की सूची जारी की गई है, जिसमें 366 भारतीय और 208 विदेशी खिलाड़ी शामिल हैं। इस सूची में कुछ बड़े नामों के साथ-साथ तीन सहयोगी देशों के खिलाड़ी भी शामिल हैं, जो इस बार की नीलामी को और भी दिलचस्प बना रहे हैं। यह नीलामी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सुपरस्टार्स के साथ-साथ नए खिलाड़ियों के लिए बड़े मंच पर अपनी जगह बनाने का सुनहरा मौका होगा।
कितने खिलाड़ियों के लिए स्लॉट खाली? (IPL 2025 Mega Auction)
इस नीलामी में 12 अनकैप्ड विदेशी खिलाड़ी और 318 अनकैप्ड भारतीय खिलाड़ी भी शामिल होंगे। 204 उपलब्ध स्लॉट में से 70 स्लॉट दूसरे देशों के खिलाड़ियों के लिए अलग रखे गए हैं। इस श्रेणी में 81 खिलाड़ियों ने अपना नाम दर्ज कराया है और इस बार सबसे ज़्यादा बेस प्राइस 2 करोड़ रुपये है। रविवार, 24 नवंबर 2024 को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:30 बजे दो दिवसीय मेगा नीलामी शुरू होगी। ऐसे में हर टीम के पर्स में कितनी रकम होगी, यह जानना भी दिलचस्प है।
इस बार ऋषभ पंत, अर्शदीप सिंह, केएल राहुल और श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ी ऑक्शन में शामिल हैं। परिणामस्वरूप अब यह और भी दिलचस्प हो गया है। पांच आईपीएल टीमों के पास कप्तान हैं, जबकि पांच और टीमें कप्तान के लिए बोली लगा रही हैं। दिल्ली कैपिटल्स, कोलकाता नाइट राइडर्स, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर, पंजाब किंग्स और लखनऊ सुपर जायंट्स की टीम में फिलहाल कोई कप्तान नहीं है।
ऑक्शन में कितना खर्च होगा?
इस बार आईपीएल मेगा ऑक्शन (IPL 2025 Mega Auction) में 641 करोड़ रुपये दांव पर होंगे। 2022 में आईपीएल ऑक्शन में टीमों ने सबसे ज्यादा खर्च किया था। तब मेगा ऑक्शन में खिलाड़ियों को खरीदने में 551.7 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
सभी 10 आईपीएल टीमों का बचा हुआ पर्स
इस सीजन में सभी टीमों के पर्स में पिछले सीजन से 20 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। इस मामले में, आईपीएल 2025 सुपर ऑक्शन के लिए प्रत्येक टीम के पर्स में 120 करोड़ रुपये थे। हालांकि, प्रत्येक टीम ने कई खिलाड़ियों को रखा है। इसके बाद, किसी भी टीम के पर्स में 120 करोड़ रुपये से अधिक की राशि नहीं है।
पंजाब के पास सबसे ज्यादा रुपये
सबसे अमीर टीम पंजाब किंग्स है। इसके पर्स में 110.5 करोड़ रुपए हैं। खिलाड़ियों को खरीदने या बनाए रखने के लिए प्रत्येक टीम के पास कुल 120 करोड़ रुपए उपलब्ध हैं। आईपीएल 2025 की नीलामी से पहले इसका एक हिस्सा खिलाड़ियों को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है।
Honda has revealed another teaser for the upcoming Activa Electric, building anticipation ahead of its launch on November 27, 2024, in Bangalore. This latest teaser showcases the scooter’s digital instrument cluster, which highlights various features aimed at enhancing user convenience and connectivity.
The teaser also suggests that the Activa Electric will come with multiple display options, likely catering to different variants.
Honda Activa Electric Digital Display
The teaser images reveal two distinct digital displays, which appear to be for different trims of the Activa Electric. The top variant seems to feature an advanced display packed with a range of functions, while a more basic version is shown for what could be the base variant.
Activa Electric Top Variant Features List
Display Navigation: Integrated navigation helps riders easily find their way, adding a layer of convenience for city commutes.
Music Control: Riders can control their music, making journeys more enjoyable. Service Alerts: Notifications for service and maintenance to keep the scooter in optimal condition.
Dual Riding Modes: The digital display shows two riding modes—Sport and Standard—allowing users to customize their riding experience.
Range Indicator: A clear readout of a 104 km range on a full battery charge is shown, aligning with previous reports of robust range capabilities.
Battery Charge and Power Indicators: Real-time updates on battery percentage and power usage, enhancing range management.
Bluetooth Connectivity and Time: The presence of Bluetooth indicates smartphone pairing for calls and other functionalities. A simple time display adds to rider convenience.
Activa Electric Base Variant Features List
The basic version shown in the teaser focuses on essential metrics like speedometer, battery percentage, odometer, and basic trip data. This ensures that even the entry-level variant maintains a modern and informative dashboard.
Launch Event and Strategic Importance
The unveiling event for the Activa Electric is scheduled for November 27, 2024, in Bangalore.
Jonestown Massacre: 18 नवंबर 1978 को साउथ अमेरिका के देश गुयाना में एक ऐसी वीभत्स घटना घटी, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। जोन्सटाउन नामक जगह पर 909 लोगों ने एक साथ आत्महत्या कर ली। इसे इतिहास की सबसे बड़ी सामूहिक आत्महत्या की घटनाओं में से एक माना जाता है। यह दिल दहला देने वाली घटना “पीपुल्स टेंपल” (People’s Temple) नामक एक धार्मिक संप्रदाय से जुड़ी हुई थी, जिसका नेतृत्व करिश्माई लेकिन खतरनाक नेता जिम जोन्स कर रहा था। यह घटना न केवल धार्मिक कट्टरता और मानसिक नियंत्रण का एक भयानक उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि एक नेता की मनोवैज्ञानिक पकड़ कैसे लोगों को अपना जीवन समाप्त करने के लिए मजबूर कर सकती है।
क्या था जिम जोन्स और पीपल्स टेम्पल? (Jonestown Massacre)
जिम जोन्स (Who was Jim Jones) ने 1950 के दशक में “पीपुल्स टेम्पल” की स्थापना की। समूह ने सामाजिक समानता और भाईचारे का प्रचार किया, जिसने कई लोगों को इसमें शामिल होने के लिए आकर्षित किया। हालांकि, जिम जोन्स ने धीरे-धीरे अपने अनुयायियों पर मानसिक और भावनात्मक नियंत्रण करना शुरू कर दिया। 1974 में, जोन्स ने गुयाना में जोन्सटाउन नामक एक कम्यून बनाया, जहां उन्होंने अपने अनुयायियों को स्थानांतरित किया और उन्हें बाहरी दुनिया से अलग कर दिया।
करिश्माई चर्चमैन पर लगे थे कई सारे आरोप
वे 1971 में कैलिफोर्निया छोड़ने के बाद सैन फ्रांसिस्को भी चले गए। मीडिया ने जोन्स पर वित्तीय धोखाधड़ी, उनके समर्थकों के साथ शारीरिक हिंसा और 1970 के दशक में बाल शोषण का आरोप लगाया। बढ़ती आलोचना के बावजूद जोन्स ने अपने अनुयायियों से गुयाना जाने के लिए कहा। वहां उन्होंने एक नई, कृषि-उन्मुख दुनिया बनाने पर चर्चा की। उन्होंने अपने अनुयायियों को आश्वासन दिया कि वे दुनिया की गतिविधियों से दूर, वहां शांति पाएंगे।
जिम जोन्स का जोन्सटाउन (Jonestown Case) का वर्णन पूरी तरह से गलत था। जोन्स के बयानों पर सवाल उठाने वालों को कड़ी सज़ा दी गई और उन्हें पूरे दिन खेतों में काम करने के लिए मजबूर किया गया। उनके पासपोर्ट भी जब्त कर लिए गए। दो दंपति किसी तरह यहां से भागने में कामयाब हो गए और उन्होंने अमेरिकी सरकार को जोन्सटाउन में हो रहे अत्याचारों की जानकारी दी। ऐसे में अमेरिकी सरकार ने 17 नवंबर 1978 को एमपी लियो रयान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को निरीक्षण के लिए जोन्सटाउन भेजा।
घटना का दिन: 18 नवंबर 1978
घटना उस समय हुई जब अमेरिका के कांग्रेसमैन लियो रयान (Congressman Leo Ryan) अपने सहयोगियों के साथ जॉनस्टाउन (Jonestown Mass Suicide Case) का दौरा करने पहुंचे। जिम जोन्स ने अपने अनुयायियों को आदेश दिया कि वे रयान और उनकी टीम को मार डालें। इस हत्या के तुरंत बाद, जोन्स ने अपने अनुयायियों को साइनाइड मिला हुआ ड्रिंक पीने का आदेश दिया। इसका अंजाम ये हुआ की 909 लोगों ने ज़हर पीकर अपनी जान दे दी, जिनमें 300 से अधिक बच्चे शामिल थे। जोन्स ने भी खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली (Jim Jones Death)।
दरअसल जिम को यकीन था कि सांसद की मौत के बाद अमेरिका चुप नहीं बैठेगा। जिम जोन्स ने सभी को एक मैदान में इकट्ठा किया और उन्हें चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में अमेरिका उन पर हमला कर सकता है। कसाई की तरह, वह आपके बच्चों को मार डालेगा। फिर उसने सभी को साइनाइड युक्त ज़हर खाने के लिए प्रोत्साहित किया।
खुद ने की थी इस घटना की भविष्यवाणी
धार्मिक पंथ के नेता और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता रेव. जिम जोन्स ने 1975 में होने वाली घटनाओं का संकेत दिया था। उन्होंने सैन फ्रांसिस्को में अपने पीपल्स टेम्पल चर्च में एक धर्मोपदेश के दौरान घोषणा की, “मैं समाजवाद लाने के लिए मरने को तैयार हूं क्योंकि मुझे समाजवाद पसंद है। अगर मैं ऐसा करता हूं तो मैं अपने साथ एक हजार लोगों को ले जाऊंगा।”
दो साल बाद, 18 नवंबर, 1978 को, ये शब्द तब सच हुए जब जोन्सटाउन नरसंहार, अमेरिकी इतिहास में सबसे घातक सामूहिक हत्याओं में से एक था, जिसमें 900 से अधिक लोगों की जान चली गई, उनमें से एक तिहाई बच्चे थे।
Skoda Kushaq Vs Mahindra XUV300:भारत में कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और इस सेगमेंट में अपनी जगह बनाने के लिए Skoda Kushaq और Mahindra XUV300 जैसी दमदार कारें होड़ में हैं। दोनों ही गाड़ियां अपने अलग-अलग फीचर्स से ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं, लेकिन सवाल यह है कि इंजन, फीचर्स और कीमत के मामले में कौन सी SUV ज्यादा दमदार है?
Skoda Kushaq जहां अपनी यूरोपीय स्टाइलिंग और प्रीमियम फिनिश के लिए जानी जाती है, वहीं Mahindra XUV300 भारतीय बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए दमदार परफॉर्मेंस और सेफ्टी फीचर्स के साथ आती है। इस तुलना में जानें कि आपके बजट और जरूरतों के हिसाब से कौन सी एसयूवी सही विकल्प है।
Skoda Kylaq Vs Mahindra XUV 3XO Engine- Skoda Kushaq Vs Mahindra XUV300
Skoda Kylaq का इंजन एक लीटर का TSI है। यह इसे 178 न्यूटन मीटर का टॉर्क और 85 kW की पावर देता है। इसमें 6-स्पीड मैनुअल और DCT दोनों ट्रांसमिशन उपलब्ध हैं। इसकी माइलेज की जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है।
महिंद्रा XUV 3XO के लिए 1.2-लीटर तीन-सिलेंडर टर्बो और तीन-सिलेंडर टर्बो TGDI इंजन भी उपलब्ध हैं। इसका मानक 1.2-लीटर टर्बोचार्ज्ड गैसोलीन इंजन 200 न्यूटन मीटर का टॉर्क और 111 हॉर्स पावर पैदा करता है। इसका 1.2-लीटर टर्बोचार्ज्ड TGDI इंजन 230 एनएम का टॉर्क और 131 हॉर्स पावर पैदा करता है।
Skoda Kylaq Vs Mahindra XUV 3XO Price
भारत में Skoda Kylaq एसयूवी की एक्स-शोरूम कीमत 7.89 लाख रुपये है। 2 दिसंबर 2024 को इसके टॉप वेरिएंट और अन्य वेरिएंट की कीमत का खुलासा किया जाएगा। इसके अलावा, 2 दिसंबर को बुकिंग शुरू होगी और डिलीवरी 27 जनवरी 2025 से शुरू होगी।
Mahindra XUV 3XO की एक्स-शोरूम कीमत 7.79 लाख रुपये से शुरू होती है, जबकि टॉप वेरिएंट की एक्स-शोरूम कीमत 15.49 लाख रुपये है।
Skoda Kylaq Vs Mahindra XUV 3XO Features
कंपनी की Skoda Kylaq में कुछ बेहतरीन फीचर्स दिए गए हैं। इसमें सिंगल पैन इलेक्ट्रिक सनरूफ, 20.32 सेमी डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर, वायरलेस चार्जिंग, 25.6 सेमी इंफोटेनमेंट सिस्टम, 17 इंच का एलॉय व्हील, एलईडी हेडलाइट्स, एलईडी डीआरएल, एलईडी टेल लाइट्स, 6-वे इलेक्ट्रिकली एडजस्टेबल ड्राइवर और को-ड्राइवर सीट, ट्रंक में 3 किलोग्राम क्षमता वाला हुक समेत कई अन्य फीचर्स शामिल हैं।
इसके विपरीत, महिंद्रा एक्सयूवी 3एक्सओ (Skoda Kushaq Vs Mahindra XUV300) में पैनोरमिक सनरूफ, 80 से अधिक कनेक्टेड फीचर्स के साथ एड्रेनॉक्स, 7-स्पीकर हरमन कार्डन ऑडियो सिस्टम, 26.03 सेमी इंफोटेनमेंट सिस्टम, 26.03 सेमी डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर, इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक और ऑटो होल्ड, डिजिटल क्लाइमेट कंट्रोल, कीलेस एंट्री, रियर एयर कंडीशनिंग वेंट, प्रोजेक्टर हेडलैंप, शार्क फिन एंटीना और गियर शिफ्ट इंडिकेटर जैसे फीचर्स हैं।
Pyre Movie Uttarahand: उत्तराखंड के एक वीरान और सुनसान गांव में अकेली रह रही 80 साल की महिला की कहानी अब दुनिया के सामने आएगी। यह कहानी न सिर्फ उनके जीवन के संघर्षों की झलक दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए उन्होंने कैसे अपना जीवन जिया। इसी सच्ची घटना पर आधारित फिल्म ‘पायर’ जल्द ही सिल्वर स्क्रीन पर आने वाली है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता विनोद कापड़ी (National Award winner Vinod Kapri) द्वारा निर्देशित इस फिल्म का विश्व प्रीमियर यूरोपीय देश एस्टोनिया में होने वाले तेलिन ब्लैक नाइट इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (Tallinn Black Night International Film Festival) में होगा।
फिल्म ‘पयार’ (Pyre Movie) की कहानी उत्तराखंड के एक वीरान गांव की है, जहां लगभग सभी लोग पलायन कर चुके हैं। पिथौरागढ़ के बेरीनाग ब्लॉक के गड़तीर गांव की एक बुजुर्ग महिला का जीवन इस फिल्म की प्रेरणा बनी। अब हम 80 वर्षीय हीरा देवी को बड़े पर्दे पर देखेंगे। कापड़ी के अनुसार, फिल्म हीरा 80 वर्षीय जोड़े के प्यार की कहानी कहती है और पहाड़ी राज्य में पलायन की गंभीर समस्या को संबोधित करती है। यह प्रतिष्ठित फिल्म समारोह में भारत की एकमात्र आधिकारिक प्रस्तुति होगी।
फिल्म की कहानी-Pyre Movie Uttarahand
‘पायर’ की कहानी उत्तराखंड के उन गांवों की पृष्ठभूमि में है, जिन्हें पलायन के कारण “घोस्ट विलेज” कहा जाता है। इन वीरान जगहों पर रहने वाले ये बुजुर्ग लोग, जिन्हें “आमा” और “बूबू” (दादी-दादा) के नाम से जाना जाता है, अपने जीवन के आखिरी दिनों में भी एक-दूसरे के प्रति अपना अटूट प्यार और जिंदगी के प्रति अपना धैर्य बनाए रखते हैं। निर्देशक कापड़ी का इरादा इस कहानी को एक अनोखे और वास्तविक अंदाज में पेश करना था, जिसमें प्रकृति और मानवीय भावनाओं का सामंजस्य हो।
क्यों खास है यह फिल्म?
फिल्म के मुख्य कलाकार पदम सिंह और तुलसी देवी पेशेवर कलाकार नहीं हैं, लेकिन वे खुद कहानी का हिस्सा हैं।
फिल्म को वास्तविक स्थानों पर फिल्माया गया है, जो उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और सामाजिक चुनौतियों को खूबसूरती से दर्शाता है।
निर्देशक विनोद कापड़ी ने इस फिल्म को पूरी तरह यथार्थवादी तरीके से पेश किया है, जो दर्शकों को देखने के लिए एक सच्ची और दिल को छू लेने वाली कहानी देगी।
पिछले कई साल से इस फिल्म की तैयारी में जुटे विनोद कापड़ी को अपने एक मित्र के जरिए बुजुर्ग के बारे में पता चला। वह अपनी फिल्म में स्थानीय गांव के कलाकारों को लेना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने आस-पास के कई गांवों में जाकर दो ऐसे लोगों को चुना जो इस किरदार के लिए उपयुक्त थे। फिल्म में यह जोड़ा अपनी मौत का इंतजार कर रहा है।
फिल्म का अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शन
‘पायर’ का वर्ल्ड प्रीमियर 19 नवंबर को 28वें टैल्लिन ब्लैक नाइट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (Tallinn Black Nights International Film Festival) में होगा। यह फेस्टिवल यूरोप के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल्स में से एक है। ‘पायर’ इस फेस्टिवल में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र फिल्म है।
New release date of Film ‘Emergency’- हिन्दी फिल्मों की एक प्रसिद्ध एक्ट्रेस,कंगना रानौत फिल्म निर्माता और भारतीय राजनीतिज्ञ हैं. वह 2024 में मंडी लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई हैं. जो बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी बेबाकी और शानदार अभिनय के लिए प्रसिद्ध हैं. बीजेपी सांसद कंगना रनौत काफी समय से अपनी अपकमिंग पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म ‘इमरजेंसी’ को लेकर सुर्खियों में बनी हुई हैं. पहले पहले ये फिल्म इसी साल 6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन सेंसर बोर्ड की ओर सर्टिफिकेट न मिल पाने की वजह से रिलीज नहीं हो पाई, लेकिन अब इसको नई रिलीज डेट मिल चुकी है.
फिल्म इमरजेंसी कब रिलीज़ होगी
एक्ट्रेस और बीजेपी सांसदकंगना रनौत की एक्टिंग और फिल्म उद्योग के प्रति उनका दृष्टिकोण दोनों ही अक्सर चर्चा का विषय बनते रहे हैं. वे अपनी मजबूत राय के लिए भी जानी जाती हैं, और कई बार अपनी टिप्पणियों के कारण विवादों में भी रही हैं. उनका कहना है कि वे हमेशा अपनी बात बेबाकी से कहती हैं और डरती नहीं हैं, जो उन्हें एक अलग पहचान दिलाता है. वही कंगना काफी समय से अपनी अपकमिंग पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म ‘इमरजेंसी’ को लेकर सुर्खियों में बनी हुई हैं. फिल्म ‘इमरजेंसी’ की रिलीज़ को लेकर कई बार डेट चेंज कर दी गयी थी. यहाँ तक की फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से फिल्म विवादों में आ गई थी और इसके बैन होने की मांग उठने लगी थी.
दरअसल, फिल्म को सेंसर बोर्ड (CBFC) की ओर से सर्टिफिकेट भी नहीं मिल पा रहा था, जिसके चलते उसकी रिलीज को रोक दिया गया था. हालांकि, अब फिल्म में कुछ बदलाव करने के बाद इसको सेंसर बोर्ड की ओर से UA सर्टिफिकेट मिल चुका है. तब से ही फैंस फिल्म इसकी नई रिलीज डेट का वेट कर रहे थे, जो अब खत्म हो चुका है. जी हां, फिल्म को नई रिलीज डेट मिल चुकी है. हाल ही में कगंना ने अपने इंस्टाग्राम पर फिल्म का एक पोस्टर शेयर करते हुए फिल्म की नई रिलीज डेट का ऐलान किया है.
ट्रेलर रिलीज के बाद हो रहा था फिल्म का विरोध
कंगना की इस फिल्म को लेकर सिख समुदाय की ओर से विरोध जाहिर किया गया था. फिल्म का ट्रेलर 14 अगस्त, 2024 को जारी किया गया था, जिसके बाद सिख समुदाय ने अपनी आतंकवादी छवि दिखाने का आरोप लगाया और फिल्म के खिलाफ विरोध शुरू किया था. विवाद बढ़ने के बाद सेंसर बोर्ड ने कुछ सीन कट करने के बाद फिल्म को हरी झंडी दे दी है. फिल्म में कंगना भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभा रही हैं.
कई बार रिलीज टलने के बाद अब कंगना की ये फिल्म अगले साल 17 जनवरी, 2025 को सिनेमाघरों में दस्तक देगी, कंगना ने 18 नवंबर को सोशल मीडिया पर फिल्म की नई रिलीज डेट का एलान करते हुए एक पोस्ट शेयर किया. इसके साथ ही उन्होंने फिल्म का नया पोस्टर भी शेयर किया. ‘इमरजेंसी’ को लेकर काफी समय से चर्चा और विवाद चल रहे थे, लेकिन अब इसका रिलीज होना तय हो गया है. पहले ये फिल्म 14 जून, 2024 को और फिर 6 सितंबर, 2024 रिलीज होनी थी, लेकिन विवादों को चलते ऐसा हो नहीं पाया.
कंगना ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत साल 2006 में आई फिल्म गैंगस्टर से की थी और उसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया, जिसके लिए उन्हें कई नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिल चुके हैं. इसके अलावा, कंगना सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहती हैं और अक्सर अपने विचार और राय व्यक्त करती हैं, चाहे वह राजनीति से संबंधित हो या फिल्म इंडस्ट्री के मुद्दे से भी. कंगना रनौत का व्यक्तित्व मजबूत, स्वतंत्र और कभी-कभी विवादास्पद माना जाता है, लेकिन उनकी कड़ी मेहनत और अभिनय की काबिलियत ने उन्हें भारतीय सिनेमा की महत्वपूर्ण और सम्मानित अभिनेत्रियों में शामिल किया है.
Mukesh khanna Net Worth: भारतीय टेलीविजन के पहले सुपरहीरो “शक्तिमान”(Shaktimaan Aka Mukesh Khanna) का रोल निभाने वाले मुकेश खन्ना एक बार फिर अपने इसी फेमस टीवी सेरिल के चलते सुर्खियों में बने हुए हैं। मुकेश खन्ना 66 साल के हो चुके हैं और अपने 40 साल के लंबे फिल्मी करियर और प्रोडक्शन हाउस के जरिए मनोरंजन जगत में अपनी अलग पहचान बनाई है। उनकी अभिनय प्रतिभा और दूरदर्शी सोच ने न सिर्फ उन्हें लोकप्रियता दिलाई बल्कि उन्हें करोड़ों की संपत्ति का मालिक भी बना दिया।
करियर की शुरुआत और सफलता का सफर– Mukesh khanna Film Career
मुकेश खन्ना ने अपने करियर की शुरुआत 1980 के दशक में की थी। उन्होंने 1981 में आई फिल्म ‘रूही’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इसके बाद वे कई हिंदी फिल्मों और टीवी सीरियल्स में नजर आए, लेकिन उन्हें असली पहचान ‘महाभारत’ में भीष्म पितामह (Mukesh Khanna Bhishma Pitamah) के किरदार से मिली।
– महाभारत (1988): बीआर चोपड़ा की इस ऐतिहासिक सीरीज में मुकेश खन्ना की एक्टिंग को खूब सराहा गया था। भीष्म पितामह वाली मुकेश खन्ना की इमेज ने न सिर्फ उन्हें शोहरत दिलाई बल्कि जनता के बीच उन्हें काफी सम्मान भी दिलाया। आज भी लोग उन्हें ‘महाभारत’ के भीष्म पितामह के रूप में पहचानते हैं।
– शक्तिमान (1997): भारत के पहले सुपरहीरो शो ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया। शक्तिमान न सिर्फ बच्चों का पसंदीदा शो था, बल्कि यह भारतीय टेलीविजन के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। इस सीरियल के जरिए मुकेश खन्ना ने 1997 से 2005 तक भारतीय सुपरहीरो के तौर पर हर घर में अपनी खास पहचान बनाई।
मुकेश खन्ना की प्रोडक्शन कंपनी
‘शक्तिमान’ साइन करने से पहले मुकेश खन्ना का फ़िल्मी करियर कुछ ख़ास नहीं चल रहा था। उन्होंने 60 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया और उनमें से ज़्यादातर फ्लॉप रहीं। इसके बाद मुकेश खन्ना ने अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया। उन्होंने ‘भीष्म इंटरनेशनल’ नाम से अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस शुरू किया। इस प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले उन्होंने ‘शक्तिमान’ जैसे शो का निर्माण किया। इस बैनर तले उन्होंने ‘आर्यमान’ और ‘सौतेला’ जैसे टीवी शो का भी निर्माण किया।
मुकेश खन्ना की कुल संपत्ति- Mukesh khanna Net Worth
मुकेश खन्ना की संपत्ति (Mukesh khanna Net Worth) का एक बड़ा हिस्सा उनके एक्टिंग करियर, प्रोडक्शन हाउस और ब्रांड एंडोर्समेंट से आता है। वे अपने यूट्यूब चैनल से भी अच्छी खासी कमाई करते हैं। उनकी कुल संपत्ति 22 करोड़ रुपए बताई जाती है। खबरों के मुताबिक अगर वे ‘शक्तिमान’ पर फिल्म बनाते हैं तो उनकी नेटवर्थ में जरूर इजाफा होगा। वे शक्तिमान का किरदार खुद भी निभा सकते हैं। उन्हें फैन्स से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं।