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दुनिया के 5 सबसे खतरनाक Space Weapon, जो पलक झपकते ही मचा देते हैं तबाही

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Most Dangerous Space weapons: अंतरिक्ष हथियार तकनीक में तेजी से हो रहे विकास ने अंतरिक्ष को नई चुनौतियों और खतरों का क्षेत्र बना दिया है। जहां एक ओर अंतरिक्ष (Weaponized Satellites) का इस्तेमाल वैज्ञानिक शोध और शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर बड़े देश इसे सैन्य इस्तेमाल के लिए तैयार कर रहे हैं। अंतरिक्ष हथियारों का मुख्य उद्देश्य दुश्मन के सैटेलाइट को निष्क्रिय करना, मिसाइलों को ट्रैक करना और अंतरिक्ष से धरती पर हमला करना है। आइए जानते हैं दुनिया के 5 सबसे खतरनाक अंतरिक्ष हथियारों (world deadliest Space Weapons) के बारे में, जो पलक झपकते ही तबाही मचा सकते हैं।

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मिसाइल- Most Dangerous Space weapons

अंतरिक्ष हथियारों की सूची में मिसाइल का नाम सबसे पहले आता है। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, मिसाइलें एक सहस्राब्दी से अस्तित्व में हैं। हालाँकि, रॉकेट के शुरुआती इस्तेमाल के बारे में कोई विश्वसनीय, सटीक जानकारी नहीं है। हालाँकि, माना जाता है कि रॉकेट चीन से आया था। इसके बाद, यूरोप ने इसे अपनाया। भारत में, रॉकेट का इस्तेमाल मूल रूप से 18वीं शताब्दी में किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यह तकनीक काफी उन्नत हुई और संघर्ष के दौरान सैकड़ों मिसाइलें लॉन्च की गईं। सबसे खतरनाक अंतरिक्ष हथियारों में से एक मिसाइल है।

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हथियारबंद सैटेलाइट

कई उपग्रह ग्रह की परिक्रमा करते हैं, लेकिन वे केवल मौसम या अन्य विषयों पर डेटा एकत्र करने के लिए नहीं हैं। इसके अतिरिक्त, बहुत से देश गुप्त रूप से हथियारबंद उपग्रह बना रहे हैं। बाह्य अंतरिक्ष संधि में कहा गया है कि ऐसे उपग्रह बनाना नियमों के विरुद्ध होगा और इस पर सख्त प्रतिबंध है।

Weaponized Satellite
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द मैगनेटो हाइड्रोडायनेमिक एक्सप्लोसिव म्यूनिशन (MAHEM)

2008 में, मैग्नेटो हाइड्रोडायनामिक एक्सप्लोसिव म्यूनिशन का खुलासा हुआ। यह एक ऐसा उपकरण है जो पिघली हुई धातुओं को नष्ट करता है और उन्हें बाहर निकलने से रोकता है। आर्थर सी. क्लार्क ने अपने 1955 के काल्पनिक उपन्यास अर्थलाइट में इस हथियार का निर्माण किया था।

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अल्माज

अल्माज एक रूसी अंतरिक्ष स्टेशन है (world deadliest Space Weapons)। अमेरिका के साथ शीत युद्ध के दौरान 1960 में इसका निर्माण किया गया था। इसका निर्माण रूस ने समुद्र में लक्ष्य खोजने और उन्हें नष्ट करने के इरादे से किया था।

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प्रोजेक्ट थेल

टैक्टिकल हाई एनर्जी लेजर प्रोग्राम या प्रोजेक्ट थेल 1996 से 2005 तक चला। नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन के अनुसार, अमेरिका और इजरायल ने मिलकर इस प्रोजेक्ट को शुरू किया था। दस साल की इस परियोजना के दौरान, 46 तोपें, रॉकेट और मोर्टार राउंड नष्ट किए गए। फिलहाल यह परियोजना शुरू नहीं हुई है। हालांकि, नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन का दावा है कि अमेरिकी सेना के लिए इस तकनीक में संशोधन किया जा रहा है।

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Toyota Camry features: टोयोटा की नई कैमरी सेडान भारतीय बाजार में जल्द होगी लॉन्च, जानें इसके शानदार फीचर्स

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Toyota Camry features: जापानी वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा भारतीय बाजार में अपनी लोकप्रिय गाड़ियों की लंबी रेंज में एक और शानदार गाड़ी जोड़ने की तैयारी कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी जल्द ही भारत में अपनी नई जेनरेशन की टोयोटा कैमरी को लॉन्च (Toyota Camry Launch) करने की योजना बना रही है। यह लग्जरी सेडान सेगमेंट में एक बड़ा अपडेट साबित हो सकती है, जो अपने प्रीमियम डिजाइन, आधुनिक तकनीक और बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए जानी जाती है।

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जल्द होगी लॉन्च (Toyota Camry Launch)

माना जा रहा है कि टोयोटा अपनी नई कैमरी को 11 दिसंबर 2024 को भारतीय बाजार में पेश कर सकती है। हालांकि कंपनी ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन इस तारीख को नई गाड़ी लॉन्च करने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। उम्मीद है कि यह नई कैमरी भारत में टोयोटा की मजबूत उपस्थिति को और बढ़ाएगी।

Toyota Camry features
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हाइब्रिड तकनीक से लैस इंजन

नई कैमरी हाइब्रिड तकनीक (New Camry Hybrid Technology) के साथ पेश की जाएगी, जो इसे पर्यावरण के प्रति जागरूक और ईंधन-किफायती बनाएगी। इस गाड़ी का इंजन और हाइब्रिड सिस्टम मिलकर 227 हॉर्सपावर तक की ताकत उत्पन्न कर सकता है। यह केवल शक्तिशाली ही नहीं होगी, बल्कि एक लीटर पेट्रोल में 19 से 25 किलोमीटर की माइलेज देने में भी सक्षम होगी। यह खासियत इसे भारतीय बाजार में ग्राहकों के बीच और आकर्षक बनाएगी।

प्रीमियम फीचर्स- Toyota Camry features

टोयोटा अपनी नई कैमरी में कई अत्याधुनिक और लग्जरी फीचर्स ऑफर करेगी। इनमें शामिल हैं:

  • रिक्लाइन सीट्स और वेंटिलेटेड सीट्स
  • 427 लीटर का बूट स्पेस
  • बेहतर एलईडी लाइट्स और डीआरएल
  • प्रीमियम ब्लैक और ब्राउन इंटीरियर
  • डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर और 10.25 इंच का इंफोटेनमेंट सिस्टम
  • ADAS तकनीक (एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम)
  • फैक्ट्री-फिटेड डैशकैम
Toyota Camry features, Toyota Camry price
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इनके अलावा, ऑटो एसी और हाई-टेक सेफ्टी फीचर्स भी इस गाड़ी को प्रतिस्पर्धा में बढ़त देंगे।

संभावित कीमत

हालांकि कंपनी ने अभी कीमत का खुलासा नहीं किया है, लेकिन जानकारों का मानना ​​है कि नई जनरेशन टोयोटा कैमरी की एक्स-शोरूम कीमत 48 लाख रुपये से 50 लाख रुपये के बीच हो सकती है। इससे यह भारतीय बाजार में एक प्रीमियम विकल्प बन जाएगी।

क्या बनाता है कैमरी को खास?

टोयोटा कैमरी हमेशा से ही अपने सेगमेंट में टिकाऊपन, प्रदर्शन और विलासिता का प्रतीक रही है। नई पीढ़ी की कैमरी इन गुणों को एक नए स्तर पर ले जाने का वादा करती है। इसकी उच्च गुणवत्ता वाली हाइब्रिड तकनीक और उन्नत सुविधाएँ न केवल इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाएंगी बल्कि ग्राहक अनुभव को भी बेहतर बनाएंगी।

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क्या Google अपने Chrome ब्राउजर को बेचेगा? अमेरिकी सरकार कर रही है बड़ी कार्रवाई की तैयारी

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Google and Chrome browser, DOJ
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American Government action on Google: अमेरिका में गूगल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी हो रही है। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट को क्रोम ब्राउजर बेचने की सिफारिश की है। बुधवार को कोर्ट में इस मामले पर अहम सुनवाई होने की उम्मीद है। बाजार में गूगल की बढ़ती एकाधिकार स्थिति पर लगाम लगाने के प्रयास के तौर पर यह कदम उठाया गया है।

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DOJ की मांगें और प्रस्ताव- American Government action on Google

अमेरिकी न्याय विभाग ने पहले ही संकेत दे दिया है कि वह Google की व्यावसायिक प्रथाओं में बदलाव की मांग करेगा। ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि DOJ Google के खिलाफ “संरचनात्मक” बदलावों की सिफारिश कर सकता है। इनमें Android ऑपरेटिंग सिस्टम और Google Play स्टोर को अलग करने या क्रोम ब्राउज़र को पूरी तरह से बेचने के विकल्प शामिल हो सकते हैं।

Google and Chrome browser, DOJ
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DOJ का मानना ​​है कि Google अपनी मौजूदा स्थिति का दुरुपयोग कर रहा है, जिससे इंटरनेट की दुनिया में उसकी मोनोपोली मजबूत होती है। न्याय विभाग के अधिकारियों ने यह भी कहा कि Google को अपने खोज डेटा को प्रतिद्वंद्वियों के साथ साझा करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

गूगल की प्रतिक्रिया

गूगल ने DOJ के प्रस्तावों को “अनुचित और कानूनी रूप से अव्यावहारिक” बताया है। गूगल की रेगुलेटरी रिलेशनशिप्स की उपाध्यक्ष ली-ऐनी मुलहोलैंड ने DOJ की सिफारिशों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये प्रस्ताव कानूनी मुद्दों से परे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि DOJ का Android को Google Play और सर्च से अलग करने का सुझाव एक व्यावसायिक बाधा है।

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उद्योग विशेषज्ञों की राय

उद्योग व्यापार समूह चैंबर ऑफ प्रोग्रेस के मुख्य कार्यकारी एडम कोवासेविच का कहना है कि DOJ की मांगें “काल्पनिक” हैं और कानून के दायरे में इन्हें लागू करना कठिन है। उन्होंने कहा कि गूगल के गलतियों को सुधारने के लिए DOJ द्वारा सुझाए गए उपाय बहुत संकीर्ण हैं।

मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाने की संभावना

अगर कोर्ट इस मामले में गूगल के खिलाफ फैसला सुनाता है, तो कंपनी लगभग निश्चित रूप से इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी। यह मामला कई सालों तक चल सकता है और अंततः सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है।

गूगल के लिए बढ़ती चुनौतियां

गूगल के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है। DOJ ने पहले Android को पूरी तरह बेचने की सिफारिश की थी, लेकिन अब यह केवल सर्च और Google Play को अलग करने पर जोर दे रहा है। इसके अलावा, DOJ ने गूगल को विज्ञापनदाताओं को अधिक नियंत्रण देने और डेटा साझा करने के लिए भी कहा है।

क्या होगा Chrome ब्राउजर का भविष्य?

गूगल के क्रोम ब्राउजर को बेचने की सिफारिश (American Government action on Google) एक ऐसा कदम है जो इंटरनेट की दुनिया में गूगल की स्थिति को हिला सकता है। अगर यह सिफारिश स्वीकार कर ली जाती है तो यह गूगल के बिजनेस मॉडल में ऐतिहासिक बदलाव होगा।

यह देखना दिलचस्प होगा कि गूगल और अमेरिकी सरकार के बीच इस मामले में कोर्ट क्या फैसला सुनाता है। गूगल के खिलाफ यह कार्रवाई न सिर्फ कंपनी के भविष्य बल्कि पूरी टेक इंडस्ट्री को प्रभावित कर सकती है। गूगल के लिए यह न सिर्फ कानूनी लड़ाई है बल्कि अपनी मार्केट पोजीशन को बचाने की बड़ी चुनौती भी है।

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ओवैसी के 15 मिनट वाले विवादित बयान पर उज्जैन साधु-संतों का कड़ा विरोध, कार्रवाई की मांग तेज

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AIMIM Chief Asaduddin owaisi, Asaduddin Owaisi Rally
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Asaduddin Owaisi latest news: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के विवादित “15 मिनट वाले बयान” ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। इस बयान पर उज्जैन के संत और महामंडलेश्वर आचार्य शेखर (Mahamandleshwar Acharya Shekhar) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने न केवल ऐसे बयानों को सांप्रदायिकता भड़काने वाला बताया, बल्कि उनके खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज करने और सभाओं पर रोक लगाने की भी अपील की।

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आचार्य शेखर ने कहा, “दोनों हैदराबादी भाइयों की चुनौती स्वीकार है। ये दोनों भाई साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने का काम करते हैं। अगर ऐसा बयान कोई हिंदू देता, तो अब तक उस पर मामला दर्ज हो गया होता।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत की सरकार को ऐसे बयानों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और भड़काऊ भाषण देने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

2012 के बयान का दोबारा जिक्र- Asaduddin Owaisi latest news

असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi controversy) का यह बयान महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान आया, जहां उन्होंने अपने भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के 2012 में दिए गए विवादित बयान का जिक्र किया। इस बयान में कहा गया था, “15 मिनट के लिए पुलिस को हटा दो, तो हम दिखा देंगे कौन ताकतवर है।” हालांकि, इस बार ओवैसी ने इसे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ जुबानी जंग के संदर्भ में व्यंग्य के रूप में पेश किया।

लेकिन इस बयान से हिंदू संत समुदाय नाराज हो गया। उज्जैन के संतों ने इसे सनातन धर्म के खिलाफ बताया और इस बयान को देश के सांप्रदायिक सौहार्द के लिए खतरा बताया।

असदुद्दीन ओवैसी ने किया ’15 मिनट’ का जिक्र

बुधवार को असदुद्दीन ओवैसी ने सोलापुर रैली में जनता में जोश भरने की कोशिश की और इस दौरान उन्होंने ’15 मिनट’ का जिक्र करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा- ‘अभी क्या टाइम हो रहा है… 15 मिनट।’ यह कहते हुए ओवैसी ने अपनी जीभ दांतों के बीच दबाते हुए कहा- ‘बहुत खेद है।’ फिर उन्होंने कहा कि अभी तो 9:45 बजे हैं। हालांकि इस दौरान उनके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान देखने को मिली, जो उनकी एक्टिंग को साफ उजागर कर रही थी।

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“15 मिनट नहीं, पूरे 15 दिन का समय दूंगा”: आचार्य शेखर

महामंडलेश्वर आचार्य शेखर ने ओवैसी के बयान पर तीखा पलटवार करते हुए कहा, “अगर 15 मिनट की बात कर रहे हैं, तो मैं उन्हें पूरे 15 दिनों का समय देता हूं। ऐसे बयान देना भारत जैसे देश में स्वीकार्य नहीं है। मोदी सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों की सभाओं पर प्रतिबंध लगाए और इनके खिलाफ सख्त कदम उठाए।”

उन्होंने आगे कहा, “भारत में 800 साल मुगलों ने शासन किया, लेकिन सनातन धर्म को समाप्त नहीं कर पाए। आज भी महाराणा प्रताप और वीर शिवाजी की संताने जीवित हैं। ऐसे बयान देने वाले यह भूल जाते हैं कि भारत की जड़ों में सनातन धर्म कितनी गहराई से बसा है।”

AIMIM का चुनावी अभियान और बढ़ता विरोध

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) में एआईएमआईएम ने 16 उम्मीदवार उतारे हैं। असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी पूरे राज्य में प्रचार कर रहे हैं। लेकिन उनके इस बयान ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। उज्जैन के संतों के साथ-साथ विभिन्न हिंदू संगठनों ने भी इस बयान की आलोचना की है। उन्होंने न केवल इसे सांप्रदायिक सौहार्द के लिए हानिकारक बताया है, बल्कि इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग भी की है।

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अजय देवगन की वो क्राइम थ्रिलर, जिसने बॉक्स ऑफिस पर छापे थे ₹342 करोड़

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Ajay Devgn, Bollywood Star
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Ajay Devgn Superhit films: अजय देवगन बॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध और सफल एक्टर्स में से एक माने जाते हैं. उन्होंने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत 1991 में “फूल और कांटे” से की थी, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड मिला था. जिसके बाद अजय देवगन ने कई सुपरहिट फिल्मो में काम किया है. लेकिन क्या आप अजय देवगन की उस फिल्म के बारे में जानते है क्या जिसने बॉक्स ऑफिस पर छापे थे ₹342 करोड़ अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं.

कौन-सी है वो फिल्म

अजय देवगन का अभिनय शैली गंभीर और प्रभावशाली रही है, और उन्हें एक्शन और ड्रामा फिल्मों में विशेष पहचान मिली है. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया है, जिनमें “दिलजले”, “तहलका”, “राजू चाचा”, “गोलमाल” सीरीज़, “सिंघम”, “टोटल धमाल”, “शिवाय” जैसी फिल्में शामिल हैं. लेकिन यहाँ हम जिस फिल्म की बात कर रहे हैं उस फिल्म ने खूब रिकॉर्ड बनाए और लोगों की आजतक की पसंदीदा फिल्म बनी हुई है. ये फिल्म कोई और नहीं बल्कि ‘दृश्यम 2’ हैं. अब फिल्म के दो साल पूरे होने पर अजय देगवन ने फनी पोस्ट शेयर किया. चलिए अजय देवगन की इस दो साल पुरानी फिल्म के बारे में बताते हैं. 18 नवंबर, 2022 को रिलीज होने वाली “दृश्यम 2” 2015 की हिट फिल्‍म “दृश्यम” का सीक्वल थी.

इस फिल्‍म की कहानी ने लोगों का न सिर्फ दिल जीता था बल्कि हर किसी को बार बार देखने को मजबूर कर दिया था. वैसे ये मूल रूप से मलयालम सिनेमा में बनी थी जिसमें लीड रोल में मोहनलाल थे. इसके अलवा ‘दृश्यम 2’ फिल्म पर ताबड़तोड़ नोट छापने में कामयाब हुई थी. ‘दृश्यम 2’ का बजट करीब 50 करोड़ रुपये था. sacnilk के मुताबिक, फिल्म ने दुनियाभर के बाजार में 342 करोड़ रुपये से अधिक का बिजनेस किया जबकि देश में 282 करोड़ रुपये कमाकर ब्लॉकबस्टर का तमगा हासिल किया.

वर्कफ्रंट पर अजय देवगन

वही अगर अजय के वर्कफ्रंट की बात करें तो वो आखिरी बार सिघंम रिटर्न्स में नजर आये थे. इसके अलवा अजय देवगन को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्मफेयर अवार्ड्स और पद्मश्री जैसे पुरस्कार शामिल हैं. वे एक बेहतरीन निर्देशक भी हैं, और “शिवाय” जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है.

Bigg Boss 18: सलमान खान की आलोचना के बाद अशनीर ग्रोवर ने दी सफाई, बोले- TRP के लिए उन्होंने….

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Salman Khan vs Ashneer Grover, Big Boss 18
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Salman Khan vs Ashneer Grover: ‘बिग बॉस 18’ (Bigg Boss 18) के पिछले वीकेंड का वार एपिसोड में ‘शार्क टैंक इंडिया’ के एक्स जज अशनीर ग्रोवर(Ashneer Grover) नजर आए थे। इस दौरान सलमान ने अशनीर ग्रोवर को उनके बारे में गलत बयान देने के लिए फटकार लगाई। उस वक्त तो अशनीर ने कुछ नहीं कहा लेकिन अब अशनीर ने इस पर अपना रिएक्शन दिया है। इसके साथ ही उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में सलमान खान को लेकर भी कटाक्ष किया और काफी कुछ लिखा। और तो और उन्होंने शो की टीआरपी का भी जिक्र किया और अपना गुस्सा जाहिर किया।

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अशनीर ग्रोवर का पोस्ट- Salman Khan vs Ashneer Grover

अशनीर ग्रोवर ने अपने एक्स हैंडल पर ‘बिग बॉस 18′ के स्टेज की फोटो पोस्ट की, जहां सलमान खान (Salman Khan) उनसे हाथ मिला रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने एक लंबी पोस्ट लिखी, ‘उम्मीद करता हूं कि आप सभी ने बिग बॉस वीकेंड का वार इंजॉय किया होगा। मुझे भी बहुत मजा आया। और यकीन है कि उस एपिसोड को बढ़िया TRP और व्यूवरशिप मिली होगी। खैर। ये सारे स्टेटमेंट्स सच्चे हैं।’

अशनीर ग्रोवर ने सलमान खान की तारीफ की

अशनीर ने आगे लिखा, ‘सलमान एक बेहतरीन होस्ट और एक्टर हैं। सलमान को पता है कि बिग बॉस में क्या होता है। मैंने हमेशा सलमान के सेल्फ सेंस और बिजनेस की तारीफ की है। मैंने कभी उनके लिए कुछ भी अपमानजनक नहीं कहा। डील नंबर हमेशा वैरिफाइड होते हैं। मई 2019 में, सलमान और विज्ञापन के निर्देशक जुहू के JW मैरियट में ब्रांड सहयोग पर 3 घंटे की एक विशेष बैठक में मिले थे। (अब यह अलग बात है कि उन्हें यह मुलाकात याद नहीं है। – मैं तब कोई पब्लिक फिगर नहीं था। वे बहुत से लोगों से मिलते हैं।’

अशनीर ग्रोवर ने सलमान खान पर तंज कसा

अशनीर (Salman Khan vs Ashneer Grover) ने आगे लिखा, ‘बिग बॉस में बतौर गेस्ट आने का निमंत्रण गुमनाम नहीं था। चेक की तरह ही। और अब मेरे पास उनके साथ एक फोटो है, जो मैंने पहले नहीं ली थी। शुक्रिया सलमान खान। ऐसे ही धमाल मचाते रहो।’ सलमान ने एपिसोड में अशनीर द्वारा उनके खिलाफ दिए गए विवादित बयान का जिक्र किया था, जिसमें बिजनेसमैन ने कहा था कि वह एक्टर को साइन करना चाहते थे लेकिन वह ज्यादा पैसे मांग रहा था। अब यहां अशनीर ने माफी मांग ली है।

सलमान खान ने क्या कहा था?

बात दें, एक्टर ने कहा था कि इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, मुझे अभी पता चला कि तुम आ रही हो। मुझे तुम्हारा नाम भी नहीं पता था। लेकिन जब मैंने तुम्हारा वीडियो देखा तो तुम्हारा चेहरा मेरे सामने आ गया। मैं बस इतना कह रहा हूं कि तुम्हें खुद को कैसे पेश करना है, इस बारे में सावधान रहना चाहिए, भले ही हम वहां न हों।

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Dalit Bandhu Scheme: दलित बंधू योजना क्या हैं, विशेषताएँ

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Dalit-Poverty, Dalit Community
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दलित बंधू योजना (Dalit Bandhu Scheme) एक प्रमुख सामाजिक कल्याण योजना है, जो विशेष रूप से अनुसूचित जाति (SC) के परिवारों को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से शुरू की गई थी। यह योजना मुख्य रूप से तेलंगाना राज्य में लागू की गई है. इसका उद्देश्य दलित समुदाय के परिवारों को आर्थिक मदद और रोजगार के अवसर प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है.

क्या हैं दलित बंधू योजना

भारत सरकार द्वारा दलित उथान के लिए कई तरह की योजना चलिए है. वही कुछ दलित योजना केन्द्र सरकार द्वार चलयी गयी तो कुछ योजना राज्य सरकार द्वारा होती हैं. तो चलिए आपको आज दलित बंधु योजना के बारें में बताते हैं. जिसे तेलंगाना सरकार ने शुरू किया हैं. कुल मिलाकर, दलित बंधु योजना एक पथ-प्रदर्शक पहल है.जिसका उद्देश्य तेलंगाना में अनुसूचित जाति समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाना है.

यह योजना समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के बीच उद्यमशीलता और आर्थिक विकास को बहुत ज़रूरी बढ़ावा देती है. जिससे राज्य में समावेशी विकास और सामाजिक विकास को बढ़ावा मिलता है. वही मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कहा कि तेलंगाना दलित बंधु सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं है, बल्कि दलितों के सशक्तिकरण के लिए एक आंदोलन है जिसका उद्देश्य समाज में गुणात्मक बदलाव लाना है. उन्होंने कहा कि दलित बंधु का भविष्य हुजूराबाद विधानसभा क्षेत्र में उसकी सफलता पर निर्भर करता है और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि निर्वाचन क्षेत्र के सभी दलित प्रतिनिधि प्रतिबद्धता और समन्वय के साथ काम करें.

दलित बंधू योजना की मुख्य विशेषताएँ

  • प्रारंभिक सहायता: योजना के तहत प्रत्येक दलित परिवार को एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जाती है, जो उन्हें किसी व्यवसाय की शुरुआत करने के लिए उपयोगी हो सकती है। यह राशि लगभग ₹10 लाख तक हो सकती है, जो उनके व्यवसाय की शुरुआत या खेती में निवेश के लिए दी जाती है।
  • आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम: यह योजना दलित परिवारों को व्यवसाय, कृषि, और अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है, ताकि वे अपने रोजगार के लिए दूसरों पर निर्भर न रहें।
  • उद्देश्य: इस योजना का मुख्य उद्देश्य दलित समुदाय के लोगों को वित्तीय समृद्धि प्रदान करना है, ताकि वे अपने जीवन स्तर को बेहतर बना सकें और समाज में समानता की ओर कदम बढ़ा सकें।
  • वित्तीय सहायता का उपयोग: यह सहायता किसी भी प्रकार के छोटे या मंझले व्यवसाय की शुरुआत के लिए दी जा सकती है, जैसे कि दुकान, खेती, वाहन चलाने, निर्माण कार्य, आदि।
  • समाज में समानता: दलित बंधू योजना का लक्ष्य न केवल आर्थिक मदद देना है, बल्कि समाज में जातिवाद और भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम है।

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योजना की कार्यान्वयन प्रक्रिया

  • योजना का लाभ केवल तेलंगाना राज्य के अनुसूचित जाति (SC) के परिवारों को दिया जाता है।
  • सरकार द्वारा चयनित पात्र लाभार्थियों को सीधी वित्तीय सहायता दी जाती है, और उन्हें इसका उपयोग एक आत्मनिर्भर व्यवसाय शुरू करने के लिए करना होता है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य दलित समुदाय को सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है।

दलित बंधू योजना दलित समुदाय के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती है और उन्हें समाज में समानता की ओर अग्रसर करती है।

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दलित योजना: भारत सरकार द्वारा संचालित निम्नलिखित दलित योजनाएँ

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दलित योजना (Dalit Yojana) भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के कल्याण और विकास के लिए शुरू की गई कई योजनाओं का एक समूह है। इन योजनाओं का उद्देश्य दलित समुदाय को आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाना है, ताकि वे सामाजिक भेदभाव और पिछड़ेपन से बाहर आकर मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

भारत में दलितों के लिए कई प्रमुख योजनाएं हैं, जिनमें विभिन्न सरकारी प्रयासों के तहत सहायता दी जाती है। इन योजनाओं का उद्देश्य दलित समुदाय के लोगों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार के अवसर, सामाजिक सुरक्षा, और अन्य कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करना है।

दलित समुदाय के लिए प्रमुख योजनाएं

  • प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY): इस योजना का उद्देश्य आदर्श गांवों का निर्माण करना है, जहां दलितों को बेहतर जीवन स्थितियों के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसर मिलें।
  • दलित बंधू योजना (विशेष रूप से तेलंगाना राज्य): जैसा कि पहले चर्चा की गई, यह योजना तेलंगाना राज्य द्वारा दलित समुदाय के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई है। इसके तहत दलित परिवारों को ₹10 लाख तक की वित्तीय सहायता दी जाती है, ताकि वे अपना व्यवसाय शुरू कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।
  • आंबेडकर योजना (Ambedkar Scheme): यह योजना डॉ. भीमराव आंबेडकर के योगदान को मान्यता देने के लिए बनाई गई है, जिसमें दलितों के लिए शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक कल्याण के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
  • डॉ. भीमराव आंबेडकर कल्याण योजना: यह योजना विशेष रूप से अनुसूचित जातियों के छात्रों और युवाओं के लिए शिक्षा के क्षेत्र में और सामाजिक कल्याण के लिए लागू की जाती है। इस योजना के तहत छात्रवृत्तियाँ, छात्रावास सुविधाएँ, और अन्य शैक्षिक समर्थन दिए जाते हैं।
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की योजनाएँ: भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा कई योजनाएं लागू की जाती हैं, जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए विशेष विकास योजनाएँ शामिल हैं। इनमें शैक्षिक समर्थन, स्वास्थ्य सुविधाएं, और कर्ज की सुविधा प्रदान की जाती है।
  • श्रमिक योजना (Labour Welfare Schemes): दलित समुदाय के मजदूरों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, जैसे रोजगार गारंटी योजनाएं (MGNREGA), ग्रामीण रोजगार योजनाएं, और अन्य सरकारी सहायता योजनाएं जो उन्हें रोजगार और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती हैं।
  • अम्बेडकर आवास योजना: दलित समुदाय के लिए सरकार द्वारा एक आवास योजना भी शुरू की गई है, ताकि वे किफायती आवास पा सकें और बेहतर जीवन स्तर प्राप्त कर सकें।
  • आरक्षण और सरकारी नौकरियां: सरकार ने दलितों के लिए विभिन्न सरकारी सेवाओं और शैक्षिक संस्थाओं में आरक्षण की व्यवस्था की है, जिससे उन्हें रोजगार और शिक्षा के अवसर प्राप्त हों

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मुख्य उद्देश्य

  • आर्थिक सशक्तिकरण: दलित समुदाय को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए वित्तीय सहायता, व्यवसाय शुरू करने के लिए कर्ज, और सरकारी योजनाओं के तहत मदद दी जाती है।
  • शैक्षिक सशक्तिकरण: दलित बच्चों और युवाओं को बेहतर शिक्षा देने के लिए छात्रवृत्तियाँ, स्कॉलरशिप्स, और विशेष शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना।
  • स्वास्थ्य सेवाएं: दलितों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम चलाना।
  • सामाजिक समानता: समाज में जातिवाद और भेदभाव को खत्म करने के लिए दलितों को समान अधिकार और अवसर प्रदान करना।

दलित योजनाएं भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा दलित समुदाय के विकास और कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं का समूह हैं। इनका उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक, और शैक्षिक सशक्तिकरण के माध्यम से दलित समुदाय को मुख्यधारा में लाना और उन्हें समाज में समान दर्जा प्रदान करना है।

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मुकुंदराव पाटील: सत्यशोधक पत्रकारिता के प्रतीक, जिनकी लेखनी ने बदली समाज की सोच

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Mukundrao Patil Books, Mukundrao Patil Newspaper Din Mitra
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Mukundrao Patil Books: मुकुंदराव पाटिल भारतीय पत्रकारिता की दुनिया में एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने न केवल सामाजिक बदलाव की अलख जगाई बल्कि अपने लेखन के माध्यम से शोषितों और दलितों की आवाज़ भी बुलंद की। वे भारत के पहले ग्रामीण अख़बार ‘दीनमित्र’ (Mukundrao Patil Newspaper Din Mitra) के संस्थापक थे, जिसका अर्थ है “दबे-कुचलों का दोस्त”। 1910 में शुरू हुए इस अख़बार का मिशन स्पष्ट था – सच्चाई को उजागर करना और समाज में व्याप्त जातिवाद, अंधविश्वास और पितृसत्ता जैसी बुराइयों पर प्रहार करना। मुकुंदराव पाटिल ने अपनी मृत्यु (1967) तक इसे जारी रखा। उनके लेखन और विचार आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

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ग्रामीण पत्रकारिता की शुरुआत: ‘दीनमित्र’ का जन्म (Mukundrao Patil Books)

1910 में मुकुंदराव पाटिल (Journalist Mukundrao Patil) ने टिन की छत वाले घर से ‘दीनमित्र’ का प्रकाशन शुरू किया। इस अख़बार का मुख्य ध्यान ग्रामीण भारत की समस्याओं, ख़ास तौर पर दलितों और अछूतों के अधिकारों पर था।

  • उन्होंने ब्राह्मणवाद के पाखंड, छुआछूत की प्रथा और मानवाधिकारों के दमन पर खुलकर लिखा।
  • इस अख़बार ने राष्ट्रवादी आंदोलनों की कहानी को चुनौती दी और बाल गंगाधर तिलक के ‘केसरी’ और ‘मराठा’ जैसे अख़बारों की नीतियों की कड़ी आलोचना की।
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उनका नज़रिया साफ़ था- राजनीतिक आज़ादी से ज़्यादा ज़रूरी है सामाजिक न्याय।

ब्राह्मणवाद पर कड़ा प्रहार

मुकुंदराव ने ब्राह्मण पुरोहित वर्ग को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा दुश्मन बताया। उनके संपादकीय और उपन्यासों ने ब्राह्मणवाद की पितृसत्तात्मक मानसिकता को उजागर किया। ‘हिंदू अनी ब्राह्मण’ उपन्यास में उन्होंने तर्क दिया कि ब्राह्मणों ने अपनी सुविधा के अनुसार धर्मग्रंथों में बदलाव किया और समाज के कमजोर वर्गों का शोषण किया। उन्होंने कहा, “हिंदू धर्म के असली दुश्मन ब्राह्मण पुरोहित हैं। अगर कोई नया धर्म अपनाने से मूलभूत अधिकार मिल सकते हैं, तो ऐसा करना चाहिए।”

सामाजिक सवाल और आलोचना

1906 में एक सार्वजनिक सभा में उन्होंने ब्राह्मण वकीलों और नेताओं से पूछा कि अगर वे अछूत किसानों की मदद नहीं कर सकते तो भव्य मंदिर बनाने के लिए पैसा कहां से आता है। यह सवाल उस समय के समाज के लिए एक गहरा आघात था। ‘दीनमित्र’ ने अन्य धर्मों को अपनाने की संभावनाओं पर भी खुलकर चर्चा की। दलित समुदायों को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा:
“कुत्ते को घर में आने पर फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आपको वे उससे भी नीचे समझते हैं। वहां जाइए, जहां आपको इंसान समझा जाए।”

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साहित्य और पत्रकारिता का संगम

मुकुंदराव सिर्फ़ पत्रकार ही नहीं थे; वे एक साहित्यिक प्रतिभा भी थे।

  • उन्होंने चार उपन्यास लिखे, जिनमें ‘होली चि पोली’ और ‘धा धा शास्त्री पराने’ जैसे उपन्यास शामिल हैं।
  • ये सभी उपन्यास ब्राह्मणवाद और सामाजिक पाखंड पर व्यंग्य थे।

उनकी रचनाएँ सबसे पहले ‘दीनमित्र’ में धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुईं।

संघर्षों के बावजूद ‘दीनमित्र’ की निरंतरता

‘दिनमित्र’ को ब्राह्मण समुदाय और सरकार की ओर से लगातार विरोध का सामना करना पड़ा।

  • स्थानीय ब्राह्मणों ने पाटिल पर मुकदमा दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि वे कृषि भूमि का गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोग कर रहे हैं।
  • विज्ञापनदाताओं ने भी दबाव में आकर अखबार से दूरी बना ली, जिससे वित्तीय समस्याएं पैदा हो गईं।

लेकिन पाटिल ने हार नहीं मानी। उनके लिए ‘दिनमित्र’ ही उनकी जिंदगी थी।

1967 में ‘दीनमित्र’ का अंत

1967 में मुकुंदराव पाटिल (Mukundrao Patil Newspaper Din Mitra) की मृत्यु के बाद ‘दिनमित्र’ का प्रकाशन बंद हो गया। यह अखबार ग्रामीण भारत के सामाजिक आंदोलनों का एक स्वर्णिम अध्याय छोड़ गया। हालांकि, 2022 में उनके पोते उत्तमराव पाटिल ने 10 खंडों में पाटिल के संपादकीय लेखों का संग्रह प्रकाशित किया, जिससे नई पीढ़ी को उनके विचारों से परिचित होने का अवसर मिला।

सत्य और संघर्ष का प्रतीक

मुकुंदराव पाटिल सिर्फ़ पत्रकार ही नहीं थे, वे सत्यशोधक, समाज सुधारक और साहित्यकार भी थे। उन्होंने पत्रकारिता को सिर्फ़ ख़बरों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे सामाजिक न्याय का हथियार बनाया। उनकी लेखनी ने न सिर्फ़ समाज की बुराइयों पर प्रहार किया, बल्कि वंचितों को अपनी आवाज़ उठाने का साहस भी दिया। उनके विचार आज भी हमें सिखाते हैं कि सत्य के लिए लड़ना ही सच्ची पत्रकारिता है।

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Petrol Price in Goa

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As of 24 November, 2024 the price of petrol in Goa is ₹96.56 per liter:

The price of petrol in Goa has remained steady over the last 10 days. In October, the average price of petrol in Goa was ₹96.56.

Petrol prices in Goa include state and central taxes. The price of petrol is affected by several factors, including: International crude oil prices, Taxes imposed by the state and central governments, Currency exchange rates, and Fluctuations in the international market.

Tax Structure on Petrol Price in Goa

Parameters Rates/litre
A. Price charged to the dealers Rs.48.23
B. Excise Duty (Central Government) Rs.27.90
C. Average Dealer Commission Rs.3.78
VAT (State Government) Rs.15.50 [19.40% of (A + B + C)]

 

Petrol prices in Goa have become increasingly volatile due to the consistent trend of crude oil prices. To ensure that you are aware of the current price of petrol in Goa, it is crucial to check the daily rate, especially if you are planning a long journey. Price of petrol on is Rs 96.56. It is essential to note that petrol and diesel prices are revised daily, and failure to check the prices can lead to significant losses while traveling long distances. Moreover, the recent depreciation of the rupee against the dollar has resulted in even higher petrol prices in Goa. It is hoped that the government can reduce excise duties, leading to a decrease in prices in the near future.