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जब आदिवासी विरोध प्रदर्शन में मारे गए 9 मुस्लिम, घटना का शिबू सोरेन के भविष्य पर पड़ा था गहरा असर

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Chirudih massacre Shibu Soren
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Chirudih massacre: 23 जनवरी 1975 को झारखंड के चिरुडीह गांव में आदिवासियों और मुसलमानों के बीच हिंसक और खूनी संघर्ष हुआ था। इस घटना ने इलाके में गहरा असर छोड़ा और दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया। संघर्ष के पीछे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे शामिल थे, जिससे हालात बिगड़ गए और कई लोगों की जान चली गई। यह घटना झारखंड के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। इस खूनी संघर्ष ने झारखंड की राजनीति का रंग बदल दिया। इस घटना के बाद शिबू सोरेन ने अपनी राजनीति की नींव रखी और बाद में केंद्रीय मंत्री बने। आइए आपको बताते हैं कि इस घटना ने शिबू सोरेन (Shibu Soren’s political journey) के भविष्य को कितनी गहराई से प्रभावित किया।

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23 जनवरी 1975, चिरूडीह गांव, जामताड़ा- Chirudih massacre case

मुहर्रम के दिन बिहार के दुमका जिले के चिरुडीह गांव में मुसलमान जुलूस और शोक दिवस की तैयारी कर रहे थे। आज यह गांव झारखंड के जामताड़ा जिले का हिस्सा है। इस बीच, सैकड़ों आदिवासी लोग तीर-धनुष लहराते हुए चिरुडीह गांव के पास एक मैदान में एकत्र हुए थे। सूदखोरी के खिलाफ उनका विरोध उनका मुख्य लक्ष्य था। जनजाति ने साहूकारों का विरोध किया क्योंकि वे ब्याज न चुकाने पर उनकी जमीनें ले लेते थे।

Chirudih massacre Shibu Soren
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वहां 31 साल का एक युवक आदिवासियों का नेतृत्व कर रहा था और उसने घोषणा की, ‘हम साहूकारों की फसल काटेंगे।’ आदिवासी इस आह्वान का पालन करते हुए साहूकारों की फसल काटने निकल पड़े। जैसे ही यह खबर साहूकारों तक पहुंची, वे अपने हथियारों के साथ चिरुडीह और आसपास के गांवों में इकट्ठा होने लगे।

गांव में लगी आग

इस बीच, कुछ लोग आदिवासी सभा में पहुंचे और बताया कि कुछ लोगों ने उनके गांव में आग लगा दी है और उसे लूट रहे हैं। इस खबर से आदिवासी भड़क गए और वे चिरुडीह की ओर भाग गए। यहीं से एक भयंकर लड़ाई शुरू हो गई। साहूकारों ने बंदूकें निकाल लीं और आदिवासियों ने धनुष-बाण निकाल लिए। दोनों समूहों के बीच हिंसा हुई। हर तरफ चीख-पुकार मच गई और घरों में आग लग गई। स्थिति को संभालने के लिए घंटों मशक्कत करने के बाद आखिरकार पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।

रातों-रात हीरो बने शिबू सोरेन- Shibu Soren’s political journey

शाम तक हिंसा थम गई, लेकिन 11 शव मिले- इनमें से 9 मुस्लिम थे। इसी दौरान आदिवासियों का नेता बना 31 वर्षीय युवक रातों-रात हीरो बन गया। उसका नाम था शिबू सोरेन (Shibu Soren’s political journey), जिसे बाद में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का मुखिया बना दिया गया। वह मनमोहन सरकार में कोयला मंत्री बने, तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और आठ बार सांसद रहे। हालांकि चिरुडीह की घटना के कारण उन्हें केंद्रीय मंत्री रहते हुए फरार होना पड़ा और जेल भी जाना पड़ा।

Chirudih massacre Shibu Soren
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शिबू सोरेन बने आदिवासियों के मसीहा

इस घटना ने शिबू सोरेन को न केवल आदिवासियों का मसीहा बना दिया, बल्कि राजनीति में भी उन्हें एक अहम शख्सियत बना दिया। हालांकि, बाद में यह घटना उनके लिए एक काला अध्याय बनकर सामने आई, जिसमें उन्होंने पुलिस की नजरों से बचते हुए अपनी जिंदगी छुपकर गुजारी। आज भी जामताड़ा और आसपास के गांवों के लोग इस घटना को याद करते हैं। आदिवासियों और महाजनों के बीच हुए इस संघर्ष ने झारखंड के इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी है, जो न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित करने वाली घटना बन गई।

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Prayagraj Protest: प्रयागराज में पुलिस से भिड़े प्रतियोगी छात्र, बैरिकेडिंग तोड़ी, सड़क की जाम

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UPPSC Candidates Prayagraj Protest
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UPPSC Candidates Protest:  उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा पीसीएस-2024 प्रारंभिक और आरओ-एआरओ 2024 प्रारंभिक परीक्षा (RO/ARO Preliminary Exam 2024) दो दिन में कराने और नॉर्मलाइजेशन लागू करने के फैसले का छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया है। आयोग के इस फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों ने आज 11 नवंबर को प्रयागराज स्थित लोक सेवा आयोग का घेराव किया। हजारों की संख्या में अभ्यर्थी लोक सेवा आयोग चौराहे पर एकत्र हुए और नारेबाजी की। इस दौरान छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी और पुलिस से भी भिड़ंत हुई। लोक सेवा आयोग के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया है।

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नॉर्मलाइजेश प्रक्रिया का विरोध- UPPSC Candidates Prayagraj Protest

प्रतियोगी छात्र नॉर्मलाइजेश की प्रक्रिया को चुनौती दे रहे हैं। उनकी इच्छा है कि पीसीएस प्री 2024, आरओ और एआरओ प्री 2023 की परीक्षाएं एक ही दिन एक ही शिफ्ट में हों। दो दिन पहले प्रतियोगी छात्रों ने लोक सेवा आयोग पर अहिंसक गांधीवादी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि विरोध अनिश्चितकालीन है। जब तक आयोग से उन्हें एक ही दिन और शिफ्ट में परीक्षा कराने की गारंटी नहीं मिल जाती, तब तक विरोध जारी रहेगा।

UPPSC Candidates Prayagraj Protest
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भारी संख्या में पुलिस बल तैनात

अभ्यर्थियों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सुबह से ही यूपी लोक सेवा आयोग कार्यालय के सामने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। आयोग के चारों ओर बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस बल तैनात किया गया है। मौके पर वज्र वाहन, फायर ब्रिगेड और आरएएफ को भी तैनात किया गया है। वहीं छात्रों में भी जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है। छात्र लगातार आक्रामक होते जा रहे हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन ने भी हालात को संभालने की पूरी तैयारी कर ली है. दोनों तरफ से झड़प देखने को मिल रही है।

UPPSC Candidates Prayagraj Protest
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छात्रों के प्रदर्शन (UPPSC Candidates Prayagraj Protest) को देखते हुए एडीसीपी सिटी अभिषेक भारती भी मौके पर मौजूद हैं। उन्होंने छात्रों से अपील की है कि वे प्रदर्शन के लिए निर्धारित स्थान पर जाकर प्रदर्शन करें और अपना ज्ञापन सौंपें। लेकिन, छात्र मानने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। छात्रों के प्रदर्शन के कारण यातायात भी प्रभावित हुआ है। सड़कों पर जाम लगने लगा है।

आयोग के फैसले को नियम विरुद्ध बताया

आपको बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस 2024 और आरओ/एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षा का कार्यक्रम जारी किया था। इसमें आयोग की ओर से इन परीक्षाओं के लिए दो दिन तय किए गए हैं। आयोग के इस फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों ने मोर्चा खोल दिया। प्रतियोगी छात्र दो दिन में परीक्षा कराने के आयोग के फैसले के साथ ही रिफाइनमेंट और स्केलिंग व्यवस्था का भी विरोध कर रहे हैं।

आपको बता दें कि पीएससी प्री-2024 की परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को होनी है। आरओ/एआरओ प्रारंभिक 2023 की परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को होगी। छात्रों के विरोध प्रदर्शन के कारण ये परीक्षाएं भी बाधित हो सकती हैं। प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस और प्रशासन अलर्ट पर है।

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ये है मिस्टर परफेक्शनिस्ट के करियर की सबसे घटिया फिल्म, नाम लेते ही भड़क जाते हैं आमिर खान

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Aamir Khan, Bollywood
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Aamir Khan’s Career Worst Film: बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से मशहूर आमिर खान (Mr. Perfectionist Aamir Khan) ने अपने करियर में लगान, तारे जमीं पर, 3 इडियट्स और दंगल जैसी कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। ये फिल्में न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर हिट रहीं, बल्कि क्रिटिक्स और दर्शकों दोनों से ही जबरदस्त तारीफें बटोरीं। लेकिन हर स्टार के करियर में एक मोड़ ऐसा भी आता है, जब उनकी फिल्म उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती। आमिर खान का करियर भी इससे अछूता नहीं रहा है। एक्टर के 75 से ज्यादा फिल्मों के करियर में उनकी एक फिल्म ऐसी भी है, जो सबसे बड़ी फ्लॉप साबित हुई। इस बात को सिर्फ दर्शकों ने ही नहीं बल्कि खुद आमिर खान ने भी माना और इसे अपने करियर की सबसे बड़ी गलती बताया। रिपोर्ट्स की मानें तो जब भी कोई इस फिल्म का नाम लेता है तो वो गुस्सा हो जाते हैं।

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ठग्स ऑफ हिंदोस्तान: एक बड़ी असफलता (Aamir Khan’s Career flop Film)

2018 में रिलीज हुई “ठग्स ऑफ हिंदोस्तान” आमिर खान के करियर की सबसे खराब फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म ने न सिर्फ दर्शकों को बल्कि खुद आमिर खान और उनके चाहने वालों को भी निराश किया। इस फिल्म में आमिर खान के साथ अमिताभ बच्चन, कैटरीना कैफ और फातिमा सना शेख जैसे बड़े सितारे थे। भारी भरकम बजट, विशाल सेट, भव्य सिनेमैटोग्राफी और दिलचस्प ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बावजूद फिल्म बड़े पर्दे पर कमाल नहीं कर पाई, हालांकि यह वो फिल्म नहीं है जिसे आमिर अपने करियर की सबसे खराब फिल्म मानते हैं।

Aamir Khan's Career flop Film
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‘मेला’ रही करियर की सबसे खराब फिल्म (Aamir Khan’s Career Worst Film)

मेला फिल्म (Aamir Khan Film Mela) साल 2000 में रिलीज हुई थी। आमिर के अलावा इस फिल्म में ट्विंकल खन्ना, जॉनी लीवर, टीकू तलसानिया, टीनू वर्मा और आमिर खान के भाई फैजल खान ने अहम भूमिका निभाई थी। फिल्म का बजट 18 करोड़ था। हालांकि, फिल्म ने 25 करोड़ की कमाई की, जिससे यह हिट तो हुई, लेकिन दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब नहीं हो पाई।

Aamir Khan's Career Worst Film
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IMdb के अनुसार, मेला को आमिर खान की सबसे खराब फ़िल्म माना जाता है, और उन्होंने स्वीकार किया है कि यह फिल्म उनके करियर की सबसे बड़ी गलतियों में से एक थी। आमिर ने दावा किया कि निर्देशक धर्मेश दर्शन के साथ उनके कई मुद्दे थे और फ़िल्म वैसी नहीं थी जैसी उन्होंने सोची थी। कई दिनों तक आमिर इतने परेशान थे कि उन्होंने फ़िल्म में काम करने से भी मना कर दिया था। और जब फ़िल्म रिलीज़ हुई तो आमिर इसके नतीजे से वाकई नाखुश थे।

फिल्म का नाम लेने से नाराज हो जाते थे

इतना ही नहीं, अनिल कपूर और रानी मुखर्जी के अनुसार, आमिर खान हर बार फिल्म का शीर्षक सुनते ही कांप उठते थे और गुस्सा हो जाते थे। सूत्रों के अनुसार, ट्विंकल खन्ना ने भी इस फिल्म को ठुकरा दिया था। दरअसल, जब अक्षय कुमार ने ट्विंकल खन्ना (Twinkle Khanna) को शादी के लिए प्रपोज किया था, तो उन्होंने पहले तो मना कर दिया था क्योंकि वह अपने काम पर ध्यान देना चाहती थीं। लेकिन फिर उन्होंने कहा कि अगर यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई, तो वह अक्षय को ‘हां’ कह देंगी।

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Houston Rath Yatra: क्या भारत में बैन होगा ISKCON? जगन्नाथ पुरी से उठी मांग, गोवर्धन पीठ भी नाराज

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Houston Rath Yatra controversy
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Houston Rath Yatra controversy: पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के गोवर्धन पीठ (Govardhan Peeth) ने भारत में इस्कॉन (ISKCON) पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई है। इस मांग को लेकर ओडिशा सरकार के कानून मंत्री ने भी कहा है कि जगन्नाथ मंदिर प्रशासन जो भी फैसला लेगा, राज्य सरकार उसका समर्थन करेगी। वहीं, ओडिशा सरकार और पुरी के गजपति महाराज ने इस्कॉन की आलोचना की है। दरअसल इस्कॉन ने आश्वासन दिया था कि वह भारत के बाहर असमय रथ यात्रा का आयोजन नहीं करेगा, लेकिन इस्कॉन ने 9 नवंबर को अमेरिका के ह्यूस्टन में ‘रथ यात्रा’ का आयोजन करके अपना आश्वासन तोड़ दिया।

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क्या है रथ यात्रा विवाद- Houston Rath Yatra controversy

9 नवंबर को ह्यूस्टन में इस्कॉन की ओर से रथ यात्रा (Houston Rath Yatra) का आयोजन किया गया था। इससे पहले इस्कॉन ने कहा था कि वह भारत के बाहर असामयिक रथ यात्रा का आयोजन नहीं करेगा। लेकिन इस आश्वासन के बावजूद रथ यात्रा का आयोजन किया गया। इस आयोजन में इस्कॉन ने भगवान जगन्नाथ के रथ की प्रतिकृति को परेड में शामिल किया। लेकिन इसमें भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और सुदर्शन चक्र की मूर्तियों को शामिल नहीं किया गया। यह आयोजन इस्कॉन के आनंद उत्सव के तहत आयोजित किया गया था।

Houston Rath Yatra controversy
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पीठ ने इसे धर्म के खिलाफ बताया

इस मार्च को लेकर पुरी गोवर्धन पीठ के प्रवक्ता मातृ प्रसाद मिश्रा ने इस्कॉन की कड़ी आलोचना की है। उनका दावा है कि यह आयोजन गलत था। यह एक धर्म विरोधी साजिश है। इस्कॉन ने वादा किया था कि वह इस कार्यक्रम का आयोजन नहीं करेगा। लेकिन उसने विश्वासघात किया। हम इस्कॉन को भारत में प्रतिबंधित करने की मांग करते हैं।

इस्कॉन की तरफ से आया बयान

ह्यूस्टन इस्कॉन के प्रमुख सारंग ठाकुर दास ने संस्था की वेबसाइट पर एक बयान पोस्ट किया। इसमें कहा गया है कि हमने पहले देवताओं के साथ रथ यात्रा की योजना बनाने का इरादा किया था। हालांकि, कुछ स्थानीय निवासियों ने अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। फिर योजना को संशोधित किया गया। सभी को भगवान जगन्नाथ के दर्शन का अवसर देना हमारे कार्यक्रम का उद्देश्य था।

Houston Rath Yatra controversy
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इस मुद्दे पर इस्कॉन और पुरी के अधिकारियों के बीच बैठक होगी

उन्होंने कहा,इस्कॉन के लिए, महोत्सव में भाग लेने वालों को भगवान जगन्नाथ के दर्शन का अवसर प्रदान करना इस आयोजन की मुख्य विशेषता है। हालांकि, अन्य लोगों के लिए प्राचीन परंपरा और कैलेंडर का अनुपालन प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में इस्कॉन और पुरी के अधिकारियों के बीच इस मुद्दे पर बैठक होगी, जिसमें सहमति बन जाएगी।

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन इस मामले पर निर्णय लेगा: पृथ्वीराज हरिचंदन

ओडिशा सरकार के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन (Odisha Law Minister Prithviraj Harichandan) ने कहा कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन इस मामले पर निर्णय लेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले पर मंदिर प्रशासन जो भी निर्णय लेगा, राज्य सरकार उसका समर्थन करेगी।

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Kalpana Saroj Sucess story : कभी कमाती थीं 2 रु., आज संभालती हैं करोड़ो का कारोबार

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Kalpana Saroj, Business Women
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Success Story Of Kalpana Saroj- आज के समय में भारत देश में कई बड़े बिज़नेस मेन हैं. जिन्होंने भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भारत का नाम रोशन किया हैं, लेकिन क्या आप दलित समाज से आने वाली Kalpana Saroj के बारे में जानते है? अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं. कल्पना सरोज एक दलित जाति से संबंधित प्रसिद्ध उद्योगपति हैं, जिनका जीवन संघर्ष और प्रेरणा का स्रोत है. वे भारत में दलित समुदाय की महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण आदर्श बन चुकी हैं.

कल्पना सरोज का जन्म 1961 में महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में हुआ था. वे एक गरीब दलित परिवार से आती थीं, और उनका बचपन संघर्षों से भरा हुआ था. परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

संघर्ष और प्रेरणा

कल्पना सरोज की जीवन यात्रा काफी प्रेरणादायक है. वे केवल 12 साल की उम्र में घर के आर्थिक संकटों का सामना करते हुए उनकी शादी 10 साल बड़े आदमी से कर दी गई थी. जो उस समय की एक सामान्य परंपरा थी. हालांकि, इस विवाह के बाद भी उनका जीवन सरल नहीं था, और उन्होंने अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. कल्पना ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह जब अपने ससुराल में गईं तो उन्हें वहां कई यातनाएं झेलनी पड़ी. वह लोग उन्हें खाना नहीं देते थे. बाल पकड़ कर मारते थे. ऐसा बर्ताव करते थे कि कोई जानवर के साथ भी ऐसा न करे. इन सभी से कल्पना की हालत बहुत खराब हो चुकी थीं. लेकिन फिर एक बार कल्पना के पिता उनसे मिलने आए तो बेटी की यह दशा देख उन्होंने समय नहीं बर्बाद किया और गांव वापस ले आए.

जिसके बाद वह 16 साल की उम्र में अपने चाचा के पास मुंबई चले गई. कल्पना सिलाई का काम जानती थीं तो उनके चाचा ने उन्हें एक कपड़ा मिल में नौकरी दिलवा दी. यहां उन्हें रोजाना के 2 रुपये मिलते थे. फिर यहां से कल्पना को अपनी जिंदगी की राह मिल गई. यहां कल्पना ने देखा कि सिलाई और बुटीक के काम में बहुत स्कोप है, जिसे एक बिजनेस के तौर पर समझने का उन्होंने प्रयास किया था. उन्होंने अनुसूचित जाति को मिलने वाले लोन से एक सिलाई मशीन के अलावा कुछ अन्य सामान खरीदा और एक बुटीक शॉप को ओपन किया. फिर इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

उद्योगपति के रूप में सफलता

कल्पना जब 22 साल की हुईं तो उन्होंने फर्नीचर का बिजनेस शुरू किया. इसके बाद कल्पना ने स्टील फर्नीचर के एक व्यापारी से विवाह कर लिया, लेकिन वर्ष 1989 में एक पुत्री और पुत्र की जिम्मेदारी उन पर छोड़ कर वह इस दुनिया को अलविदा कह गये. जिसके बाद कल्पना सरोज को समाजसेवी और उद्यमी के रूप में पहचान मिली. वे कुलधरा इंडस्ट्रीज़ नामक कंपनी की फाउंडर और सीईओ हैं, जो कच्चे माल से लेकर निर्माण कार्य में कार्यरत है. आज के समय में उनका बिज़नस करोड़ो रूपए का है. उनकी सफलता का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि उन्होंने दलित जाति से होने के बावजूद, व्यापार और उद्योग में अपना स्थान बनाया और समाज में सकारात्मक बदलाव लाया.

कल्पना के संघर्ष और मेहनत को जानने वाले उसके मुरीद हो गए और मुंबई में उन्हें पहचान मिलने लगी. इसी जान-पहचान के बल पर कल्पना को पता चला कि 17 साल से बंद पड़ी कमानी ‘ट्यूब्स’ (Kamani Tube) को सुप्रीम कोर्ट ने उसके कामगारों से शुरू करने को कहा है. कंपनी के कामगार कल्पना से मिले और कंपनी को फिर से शुरू करने में मदद की अपील की. ये कंपनी कई विवादों के चलते 1988 से बंद पड़ी थी. कल्पना ने वर्करों के साथ मिलकर मेहनत और हौसले के बल पर 17 सालों से बंद पड़ी कंपनी में जान फूंक दी. और कम्पनी चल पड़ी जो कि आज के समय पर 500 करोड़ से भी ज्यादा की कंपनी बन गयी है.

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समाज में योगदान

कल्पना सरोज ने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए. उन्होंने अपनी स्थिति का इस्तेमाल कर समाज के पिछड़े वर्गों के लिए कार्य किए, खासकर महिलाओं के लिए. उन्होंने शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई परियोजनाओं का नेतृत्व किया. उनका सबसे बड़ा परिवर्तन तब आया जब उन्होंने अपने जीवन में एक गंभीर मोड़ लिया और एक संकटग्रस्त गोल्डन पैलेस होटल को खरीदकर उसे पुनर्निर्मित किया. इससे उनका जीवन बदल गया और वह एक सफल व्यवसायी बन गईं.

पुरस्कार और सम्मान

इसके अलवा कल्पना सरोज को उनके कार्यों और समाज में योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं. उन्हें 2008 में पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा गया. इसके अलावा उन्हें अन्य कई पुरस्कारों और सम्मान से भी सम्मानित किया गया है, जो उनके व्यवसाय, सामाजिक कार्यों और महिलाओं के सशक्तिकरण में योगदान को मान्यता देते हैं. वही उनका जीवन उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए समाज के तंग विचारों और भेदभाव का सामना करती हैं.

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By-Poll: यूपी, पंजाब और केरल की 14 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों में बदलाव, जानें किस दिन और कहां डाले जाएंगे वोट

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By-Poll election date 2024: चुनाव आयोग ने सोमवार को त्योहारों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश, पंजाब और केरल की 14 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों में बदलाव किया है। उत्तर प्रदेश में नौ, पंजाब में चार और केरल में एक सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान होना है। पहले ये उपचुनाव 13 नवंबर 2024 को होने थे, लेकिन अब मतदान 20 नवंबर 2024 को होगा। मतगणना की तारीख में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है; परिणाम 23 नवंबर 2024 को घोषित किए जाएंगे।

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तारीख परिवर्तन का कारण: By-Poll election date 2024

कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि 13 नवंबर को कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होने के कारण मतदान की तारीख बदली जाए। इन कार्यक्रमों में कार्तिक पूर्णिमा, श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व और केरल में “कल्पथी रथोत्सवम” शामिल हैं। इन त्योहारों के चलते बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी होती है, जिससे मतदान प्रतिशत पर प्रभाव पड़ सकता है। इन अनुरोधों पर विचार करते हुए, आयोग ने मतदान की तारीख को 13 नवंबर से बदलकर 20 नवंबर करने का निर्णय लिया।

By-Poll election date 2024
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आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा सीटों के साथ इन सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा की है। 10 सीटों में से एक मिल्कीपुर पर चुनाव की घोषणा नहीं की गई है। उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे।

उत्तर प्रदेश में इन सीटों पर होंगे उपचुनाव- Uttar Pradesh By-Poll election

उत्तर प्रदेश में फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां, खैर, मीरापुर, सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। कानपुर की सीसामऊ सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटें विधायकों के सांसद बन जाने के कारण खाली हो गई हैं। सीसामऊ से इरफान सोलंकी के दोषी करार दिए जाने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। अयोध्या जिले की मिल्कीपुर सीट के बारे में अभी तक कोई घोषणा नहीं की गई है।

यूपी विधानसभा उपचुनाव (9 सीट)

  • 20 नवंबर को वोटिंग
  • 23 नवंबर को रिजल्ट

उत्तराखंड विधानसभा उपचुनाव

  • केदारनाथ सीट पर 20 नवंबर को वोटिंग
  • 23 नवंबर को रिजल्ट

केरल और पंजाब में यहां-यहां बदली तारीखें

जिन सीटों पर उपचुनाव की तारीखें बदली गई हैं, उनमें केरल की पलक्कड़ सीट भी शामिल है। इसके अलावा पंजाब की डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल, गिद्दड़बाहा और बरनाला विधानसभा सीटों पर चुनाव की तारीख बदली गई है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतगणना 23 नवंबर 2024 को होगी और उसी दिन नतीजे घोषित किए जाएंगे। इस फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि मतदाता बिना किसी असुविधा के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।

राजस्थान में किस सीट पर कब मतदान- Rajasthan By-Poll election date

राज्य विधानसभा सीट चुनाव की तारीख
राजस्थान दौसा 13 नवंबर, 2024
राजस्थान झुंझुनू 13 नवंबर, 2024
राजस्थान चौरासी 13 नवंबर, 2024
राजस्थान खींवसर 13 नवंबर, 2024
राजस्थान रामगढ़ 13 नवंबर, 2024
राजस्थान सलूंबर 13 नवंबर, 2024
राजस्थान देवली उनियारा 13 नवंबर, 2024

 

पश्चिम बंगाल में उपचुनाव कब

राज्य विधानसभा सीट चुनाव की तारीख
पश्चिम बंगाल सिताई 13 नवंबर, 2024
पश्चिम बंगाल मेदिनीपुर 13 नवंबर, 2024
पश्चिम बंगाल हारोआ 13 नवंबर, 2024
पश्चिम बंगाल नैहाटी 13 नवंबर, 2024
पश्चिम बंगाल तलडांगरा 13 नवंबर, 2024
पश्चिम बंगाल मदारीहाट 13 नवंबर, 2024

 

असम में किस सीट पर कब वोटिंग

राज्य विधानसभा सीट चुनाव की तारीख
असम बोंगाईगांव 13 नवंबर, 2024
असम धोलाई (SC) 13 नवंबर, 2024
असम सिदली (SC) 13 नवंबर, 2024
असम बेहाली 13 नवंबर, 2024
असम सामगुरी 13 नवंबर, 2024

बिहार में उपचुनाव कब

राज्य विधानसभा सीट चुनाव की तारीख
बिहार इमामगंज 13 नवंबर, 2024
बिहार बेलागंज 13 नवंबर, 2024
बिहार तरारी 13 नवंबर, 2024
बिहार रामगढ़ 13 नवंबर, 2024

कर्नाटक में उपचुनाव

राज्य विधानसभा सीट चुनाव की तारीख
कर्नाटक चिन्नपटना 13 नवंबर, 2024
कर्नाटक शिग्गांव 13 नवंबर, 2024
कर्नाटक संदूर 13 नवंबर, 2024

 

अन्य कहां-कहां उपचुनाव

राज्य विधानसभा सीट उप चुनाव की तारीख
मध्य प्रदेश बुधनी 13 नवंबर, 2024
मध्य प्रदेश विजयपुर 13 नवंबर, 2024
सिक्किम नामची सिंघीथांग 13 नवंबर, 2024
सिक्किम सोरेंग-चाकुंग 13 नवंबर, 2024
गुजरात वाव 13 नवंबर, 2024
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जानें कौन थे लेफ्टिनेंट उमर फैयाज, जिनकी शहादत का बदला सेना ने एक साल के अंदर ही ले लिया, 22 साल की उम्र में हुए थे शहीद

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Martyr Lieutenant Umar Faya Indian Army
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Martyr Lieutenant Umar Fayaz: ‘वो मेरा इकलौता बेटा था, कुछ ही हफ्तों में 23 साल का होने वाला था…’ ये शब्द हैं भारतीय सेना के शहीद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज (Martyr Lieutenant Umar Fayaz) की मां के, जिन्होंने अपने 22 साल के बेटे को खो दिया था। फैयाज जम्मू के अखनूर में सेना की राजपुताना राइफल्स में तैनात थे। वो 129वें बैच के कैडेट थे। 10 दिसंबर 2016 को वो एनडीए से सेना में भर्ती हुए थे। फैयाज अपने रिश्तेदार की शादी के लिए छुट्टी लेकर गए थे। उन्हें 25 मई 2017 को अखनूर इलाके में अपनी यूनिट में लौटना था, लेकिन ये शादी उनकी जिंदगी की आखिरी शादी बन गई। मगर आतंकियों ने अधिकारी को अगवा कर उनकी हत्या कर दी। आइए आपको शहीद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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उनकी शिक्षा आर्मी गुडविल स्कूल में हुई- Martyr Lieutenant Umar Fayaz Education

लेफ्टिनेंट उमर फैयाज (Martyr Lieutenant Umar Fayaz) आर्मी गुडविल स्कूल से ग्रेजुएट थे। वे कुलगाम के रहने वाले थे। 2012 में उनका चयन नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी एनडीए के लिए हुआ था। नवंबर 2015 में वे एनडीए से पास आउट हुए और फिर एक साल के लिए इंडियन मिलिट्री एकेडमी चले गए।

Martyr Lieutenant Umar Fayaz
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घर वालों ने नहीं बताया था कि बेटा सेना में है

स्थानीय लोगों को फैयाज के परिवार ने यह नहीं बताया कि उनका बेटा भारतीय सेना में भर्ती होने वाला है, बल्कि उन्होंने बताया कि उमर अब एमबीबीएस करने के लिए मुंबई जाएगा। हर बार वह गांव वालों को बताते थे कि उनका बेटा मुंबई में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। परिजनों को डर था कि अगर स्थानीय लोगों को सच्चाई पता चल गई तो आतंकवादी उन्हें मार देंगे। हालांकि लंबे समय से कुछ गांव वाले लेफ्टिनेंट फैयाज पर कड़ी नजर रख रहे थे।

पहली बार छुट्टी पर आए थे फैयाज Martyr Umar Fayaz story of martyrdom

लेफ्टिनेंट फैयाज दिसंबर 2016 में सेना में शामिल हुए थे।  उन्हें 2 राजपुताना राइफल्स में कमीशन मिला था। कमीशंड होने के बाद वह पहली बार छुट्टी पर घर आए थे। वे शोपियां में अपनी मौसी के घर अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए आए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब लेफ्टिनेंट फैयाज अपनी बहन के साथ बैठे थे, तभी कुछ हथियारबंद लोग घर में घुस आए और उन्हें अपने साथ ले गए। इसके बाद दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में उमर फैयाज का गोलियों से छलनी शव बरामद हुआ।

Martyr Lieutenant Umar Fayaz
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इस घटना को लेकर सेना के एक अधिकारी ने बताया था कि आतंकियों ने फैयाज को अगवा किया था। जम्मू कश्मीर पुलिस को संदेह है कि लेफ्टिनेंट फैयाज (Martyr Lieutenant Umar Fayaz) की हत्या में उसी इंसास राइफल का इस्तेमाल किया गया था, जिसे आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर पुलिस के दो कांस्टेबलों से छीना था।

शरीर पर 11 जगहों पर चोट के निशान थे

रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि लेफ्टिनेंट फैयाज के शरीर पर चोट के 11 निशान थे। उनकी पीठ पर कई निशान थे, उनका जबड़ा टूटा हुआ था, उनकी एड़ी भी टूटी हुई थी और उनका एक दांत भी गायब था। इसके अलावा उनके शरीर पर कई जगह कट के निशान थे। आतंकियों ने उन्हें मारने से पहले बुरी तरह प्रताड़ित किया था। वे अखनूर में तैनात थे और उन्हें 12 मई को वापस रिपोर्ट करना था।

एक साल बाद लिया गया शहादत का बदला

इस पूरी घटना को लेकर हिजबुल मुजाहिद्दीन (Hizbul Mujahideen) ने कहा था कि उसके आतंकियों ने लेफ्टिनेंट फैयाज की हत्या नहीं की है। हालांकि, आतंकियों ने लेफ्टिनेंट फैयाज को न सिर्फ अगवा किया बल्कि उनकी बुरी तरह से पिटाई भी की और फिर शोपियां के एक बस स्टैंड पर भीड़ के सामने उन्हें गोली मार दी। इस घटना के एक साल के अंदर ही 1 अप्रैल 2018 को भारतीय सेना ने लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की शहादत का बदला ले लिया है।

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IAS Amit Kataria: जानिए सिर्फ 1 रुपए सैलरी लेने वाले अमित कटारिया कैसे बने सबसे अमीर IAS अफसर? करोड़ों में है नेटवर्थ

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Richest IAS Officer Amit KatariaRichest IAS Officer Amit Kataria
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Richest IAS Officer Amit Kataria: भारत में एक आईएएस अधिकारी का मूल वेतन 56,100 रुपये से लेकर 2,25,000 रुपये तक होता है। भत्ते अलग से शामिल होते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे आईएएस के बारे में बताएंगे जिनकी सैलरी 1 रुपये है। हम बात कर रहे हैं आईएएस अमित कटारिया की। हरियाणा के गुरुग्राम के रहने वाले आईएएस अमित कटारिया फिलहाल छत्तीसगढ़ में तैनात हैं। वे 7 साल बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे हैं। आईएएस अमित कटारिया देश के सबसे अमीर अधिकारी माने जाते हैं, जबकि शुरुआत में वे सिर्फ 1 रुपये सैलरी लेते थे। इस खबर ने लोगों को चौंका दिया है, कटारिया की कहानी सिर्फ सैलरी तक सीमित नहीं है, उनकी संपत्ति करोड़ों में है।

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अमित कटारिया ने आईआईटी से की पढ़ाई- Amit Kataria IAS Education

आईएएस अमित कटारिया देश के टॉप 10 सबसे अमीर आईएएस अफसरों की सूची में शामिल हैं (Richest IAS Officer)। वे छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी हैं। उन्होंने साल 2003 में आयोजित यूपीएससी परीक्षा में 18वीं रैंक हासिल की थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम से की। वे बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थीं। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। बताया जाता है कि उनके पिता सरकारी शिक्षक के पद से रिटायर हुए थे।

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फैमिली बिजनेस के चलते बने करोड़पति- Amit Kataria IAS Salary

अमित कटारिया की यह संपत्ति उनके पारिवारिक व्यवसाय से आती है। उनके परिवार का गुड़गांव में कंस्ट्रक्शन का व्यवसाय है, जो उनकी आय का मुख्य स्रोत है। उनका कारोबार रियल एस्टेट से करोड़ों रुपए कमाता है। कटारिया ने खुद को प्रशासन में लाने का फैसला इसलिए किया था ताकि वे व्यवस्था को सुधार सकें और देश की सेवा कर सकें। उन्होंने कहा कि वे ईमानदारी से काम करना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने अपना वेतन कम कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आईएएस अमित कटारिया अपनी सरकारी नौकरी की शुरुआत में सिर्फ 1 रुपए सैलरी लेते थे। दरअसल, उनकी सालाना आय लगभग 24 लाख रुपये है, जो कि उनके पारिवारिक व्यवसाय से आती है।

पत्नी भी कमाती है लाखों में- Amit Kataria IAS Net Worth

आईएएस अमित कटारिया की पत्नी अस्मिता हांडा एक कमर्शियल पायलट हैं (Amit Kataria IAS Wife)। उनकी सैलरी भी लाखों में है। वहीं, अमित कटारिया आईएएस की नेटवर्थ करीब 8.90 करोड़ बताई जाती है। (Amit Kataria IAS Net Worth)

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आईएएस की सैलरी

आईएएस अधिकारियों का वेतन (IAS Salary)कई चरों द्वारा निर्धारित होता है, जिसमें उनका पद और अनुभव का स्तर शामिल है। 56,000 रुपये के अपने मूल वेतन के अलावा, अमित कटारिया को डीए, टीए और एचआरए जैसे लाभ भी मिलते हैं। लेकिन उनके वेतन का वास्तविक अर्थ उनके काम और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से जुड़ा हुआ है।

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Noida Road Accident: ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर भीषण सड़क हादसा, एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत

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Greater Noida Expressway Road Accident
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Noida Road Accident: उत्तर प्रदेश के नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर भीषण सड़क हादसा हुआ है (Greater Noida Expressway Road Accident)। हादसा इतना भीषण था कि इसमें पांच लोगों की जान चली गई, जिसमें तीन महिलाएं और दो पुरुष शामिल हैं। यह हादसा शनिवार सुबह करीब 6 बजे हुआ। कार सवार काशीराम कॉलोनी घोड़ी बछेड़ा की ओर जा रहे थे। इसी दौरान एक्सप्रेसवे पर उनकी कार अनियंत्रित हो गई और सड़क किनारे खड़े ट्रक से जा टकराई। हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और राहत दल मौके पर पहुंचा और कड़ी मशक्कत के बाद फंसे शवों को बाहर निकाला गया। शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। हादसे की खबर से मृतकों के परिवारों में कोहराम मच गया है।

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हादसे में कार ड्राइवर की मौके पर मौत- Greater Noida Expressway Road Accident

इस टक्कर में वाहन चालक की मौके पर ही मौत हो गई। मिली जानकारी के मुताबिक, वाहन ने सड़क किनारे खड़े एक खराब ट्रक को पीछे से टक्कर मार दी। इस टक्कर में कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और चकनाचूर हो गई। स्थानीय लोगों के अनुसार, सेक्टर 146 मेट्रो स्टेशन के पास तेज गति से कार ने खराब ट्रक को पीछे से टक्कर मार दी, जिसके बाद यह हादसा हुआ।

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मौके पर शान्ति व्यवस्था कायम

इस भयानक टक्कर के बाद, नॉलेज पार्क पुलिस स्टेशन (Knowledge Park police station) ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया और कार में सवार सभी घायलों को अस्पताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने सभी को मृत घोषित कर दिया। अब जब दोनों वाहनों को सड़क से हटा दिया गया है, तो यातायात सुचारू रूप से चल रहा है। इसके अलावा, अतिरिक्त कानूनी कार्रवाई की जा रही है और स्थान पर शांति और व्यवस्था बनाए रखी जा रही है।

हादसे में जान गंवाने वाले सभी एक परिवार के सदस्य

कार में सवार लोग एक ही परिवार के बताए जा रहे हैं, जिनमें अमन पुत्र देवी सिंह उम्र करीब 27 वर्ष, देवी सिंह पुत्र रामसाह निवासी काशीराम कॉलोनी घोड़ी के पास उम्र करीब 60 वर्ष, राजकुमारी पत्नी देवी सिंह निवासी काशीराम कॉलोनी घोड़ी के पास उम्र करीब 50 वर्ष, विमलेश पत्नी ज्ञानी सिंह निवासी काशीराम कॉलोनी घोड़ी के पास उम्र करीब 40 वर्ष तथा कमलेश पत्नी जीवन निवासी काशीराम कॉलोनी घोड़ी के पास उम्र करीब 40 वर्ष शामिल हैं।

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सीएम ने लिया हादसे का संज्ञान

प्रेस विज्ञप्ति मुख्यमंत्री ने ग्रेटर नोएडा में हुए सड़क हादसे का संज्ञान लिया है। सीएम योगी ने मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। सीएम योगी आदित्यनाथ (UP Chief Minister Yogi Adityanath) ने अधिकारियों को तत्काल मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी ने घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

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देश के पहले दलित अरबपति: राजेश सरैया की प्रेरणादायक कहानी, विदेश में खड़ी की खुद की स्टील कंपनी

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Dalit billionaire Rajesh Saraiya: देश के पहले दलित अरबपति राजेश सरैया एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं, जिनकी कहानी संघर्ष, लगन और सफलता की मिसाल है। उत्तर प्रदेश के एक साधारण दलित परिवार में जन्मे सरैया ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से नई ऊंचाइयों को छुआ। आज वह भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के जाने-माने उद्यमियों में से एक हैं। राजेश का कारोबार भारत के बाहर यूक्रेन, रूस, जर्मनी, इस्तांबुल, दुबई और तियानजिन जैसे कई देशों में फैला हुआ है।

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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

उत्तर प्रदेश के सीतापुर के पास एक गांव सरैया सानी में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे राजेश सरैया दलित परिवार से थे, इसलिए उन्हें समाज में कई बार भेदभाव और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। हालांकि, उनके पिता नाथराम ने शिक्षा को प्राथमिकता दी और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। राजेश सरैया की शुरुआती शिक्षा देहरादून में हुई। इसके बाद उन्होंने रूस में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में स्टील मॉन्ट की शुरुआत की।

उद्यमिता में प्रवेश –Dalit billionaire Rajesh Saraiya

विदेश में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने उद्यमिता की राह चुनी और अपनी खुद की कंपनी की स्थापना की। राजेश सरैया यूक्रेन की कंपनी SteelMont के सीईओ हैं (Steel Mont Trading Ltd CEO Rajesh Saraiya)। स्टीलमोंट की वेबसाइट के अनुसार, कंपनी का मौजूदा टर्नओवर 350 मिलियन डॉलर (करीब 26.64 अरब रुपए) है। उनकी कंपनी मेटल सेक्टर में काम करती है। खबरों की मानें तो इस कंपनी से उनकी कमाई 1200 करोड़ रुपए है।

स्टील इंडस्ट्री में सफलता

राजेश सरैया (Rajesh Saraiya) की कंपनी मुख्य रूप से एविएशन और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए स्टील बनाती है। इसका मुख्यालय डसेलडोर्फ (जर्मनी) में है, यह स्टील ट्रेडिंग, उत्पादन, कमोडिटीज और शिपिंग से संबंधित है। इसके लंदन, कीव, मॉस्को, इस्तांबुल, दुबई, मुंबई और तियानजिन में कार्यालय हैं। उनकी कंपनी भारत और यूरोप में स्टील की एक बड़ी आपूर्तिकर्ता बन गई है। उनके काम की गुणवत्ता और समय पर डिलीवरी ने उन्हें कई बड़े क्लाइंट्स से जोड़ा और उनकी कंपनी को वैश्विक स्तर पर एक अलग पहचान दिलाई।

भारत में बसने की योजना बना रहे राजेश

राजेश सरैया का मानना ​​है कि शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण से ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है। भले ही आज वे बड़े-बड़े देशों में कारोबार कर रहे हों, लेकिन उनका दिल आज भी भारत से जुड़ा हुआ है। मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में राजेश ने बताया था कि वे जल्द ही भारत में फूड प्रोसेसिंग का कारोबार शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

पुरस्कार और सम्मान

सरैया की कड़ी मेहनत और समाज सेवा के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2014 ‘पद्म श्री’ से भी सम्मानित किया गया है (Rajesh Saraiya awarded with Padma Shri)। इसके अलावा उन्हें 2012 में प्रवासी भारतीय पुरस्कार मिल चुका है। वह DICCI (Dalit Indian Chamber of Commerce and Industry) के सदस्य हैं।

प्रेरणा का स्रोत

राजेश सरैया की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो समाज में किसी भी तरह की बाधाओं का सामना कर रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है। राजेश सरैया का सफर न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता की कहानी है बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति की तरह भी है, जो समाज में फैली असमानता को खत्म करने का प्रयास करती है। उनका जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो समाज के किसी भी वर्ग में भेदभाव और असमानता का सामना करते हुए सफलता की ओर बढ़ रहे हैं।

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