धारा 211 क्या है – कई बार ऐसा होते हैं कि अक्सर किसी निर्दोष व्यक्ति पर जुर्म करने का झूठा आरोप लगाया जाता है और इसके बाद इस मामले में निर्दोष व्यक्ति को सफाई देनी पड़ती है और बाद में पता चलता है कि वो निर्दोष हैं. लेकिन निर्दोष व्यक्ति को झूठा आरोप लगाने पर सजा मिल सकती है और इस शख्स ने झूठा आरोप लगाया है उस पर भी मुकदमा एवं एफआईआर दायर किया जा सकता है. वहीं इस पोस्ट के जरिये हम आपको इसी बात की जानकारी देने जा रहे हैं.
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इस धारा के तहत दर्ज होगा केस
जानकारी के अनुसार, कोई व्यक्ति किसी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान या क्षति पहुचाने के लिए उस आपराधिक आरोप लगाएगा जाता है तो धारा 211 के तहत सजा हो सकती है. वहीं इस धारा 211 के तहत जमानत और सजा के कई सारे प्रावधान हैं.
धारा 211 क्या है
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 211 तब लगायी जाती है जब किसी व्यक्ति ने पुलिस को किसी अपराध की झूठी सूचना देते हुए किसी निर्दोष व्यक्ति पर कोई आरोप लगाया हो और पुलिस ने इस मामले में कार्यवाही करते हुए उसे हिरासत में लिया हो और ये सूचना झूठी साबित होती है तो इस संबंध में निर्दोष व्यक्ति द्वारा गलत सूचना देने वाले व्यक्ति के खिलाफ धारा 211 के तहत कार्यवाही की जा सकती है.
सजा और जमानत का क्या है प्रवधान
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 211 के तहत यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते है। इनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट ओर सेशन न्यायालय में की जाती है. वहीं धारा 211 के तहत इस मामले में सजा के कई सारे भाग हैं.
- नुकसान करने के आशय से झूठा आरोप लगाने पर दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से लगाया जा सकता है.
- आरोप सात वर्ष या उससे अधिक अवधि के कारावास से दण्डनीय है तब इस मामले मेंसात वर्ष की कारावास और जुर्माना जुर्माना लगाया जाएगा.
- आरोप मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय हैं तब सुनवाई सेशन न्यायालय दूआरा एवं सात वर्ष की कारावास और जुर्माना लगाया जाएगा.
भारत में अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
भारत में अंग्रेजों ने लागू की थी IPC आपको बता दें, भारत में IPC अंग्रेजों ने लागू की थी. दरअसल, ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई थी और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. वहीं यह IPC की धारा भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. वहीं जब जम्मू एवं कश्मीर धारा 370 लागू थी तब यहाँ पर भी ये आईपीसी (IPC) लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई.
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