सिख उपदेशक ज्ञानी शेर सिंह ने गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की थी। उनकी ये मुलाकात बस एक आम मुलाकात रही, जहां दोनों संत एक-दूसरे से मिलकर खुद को बेहद धन्य महसूस करते हैं। हद तो तब हो जाती है जब इन दोनों संत को मुलाक़ात को धर्म के साथ जोड़ा जाता है। दरअसल, कुछ सिख विद्वानों का मानना है कि सिख पंथ का इतना सम्मानित व्यक्ति हिंदू संतों के पास जाकर उन्हें प्रणाम कर रहा है। यह उनके धर्म के लिए बहुत शर्म की बात है कि उनका संत किसी दूसरे धर्म में जा रहा है और उसे अपने धर्म से ऊपर का दर्जा दे रहा है।
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क्या है पूरा मामला?
संत प्रेमानंद महाराज और ज्ञानी शेर सिंह की मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में ज्ञानी शेर सिंह संत प्रेमानंद महाराज को प्रणाम करते हैं, इसी बीच संत प्रेमानंद महाराज भी ज्ञानी सिंह का तहे दिल से स्वागत करते हैं और उनसे बैठने का अनुरोध करते हैं। जिसके बाद ज्ञानी सिंह अपने साथियों के साथ जमीन पर बैठ जाते हैं और संत प्रेमानंद महाराज का प्रवचन सुनते हैं। यहां तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जैसे ही उनकी मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ, दोनों के बीच इस मुलाकात को लेकर बहस छिड़ गई। एक गुट इसके पक्ष में बोलता है तो दूसरा गुट इसके विरोध में बोलता है।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
इस मुलाकात पर आपत्ति जताते हुए Reddit पर सिख समूह के कुछ लोगों ने कहा कि दूसरे धर्म की मान्यताओं का सम्मान करते हुए अपने ही धर्म की मान्यताओं को नीचा दिखाना काफी घृणित है। जबकि कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने आरएसएस नेता मोहन भागवत को कुर्सी दे दी लेकिन ज्ञानी शेर सिंह जी को फर्श पर बैठा दिया। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि ज्ञानी सिंह पाखंडी संत है। इतना ही नहीं ज्ञानी सिंह के खिलाफ Boycott ट्रेंड भी चलाया जा रहा है। जबकि कुछ लोग कहते हैं कि सिख धर्म का एक सिद्धांत यह है कि सिखों को दिव्य सार्वभौमिक आत्मा या सतगुरु के अलावा किसी और की पूजा नहीं करनी चाहिए।
वहीं कुछ लोग इसके पक्ष में भी बोल रहे हैं। ज्ञानी सिंह का समर्थन करते हुए लोगों का कहना है कि किसी दूसरे धर्म का सम्मान करने में कोई बुराई नहीं है।
प्रेमानंद महाराज ने लिया ज्ञानी सिंह का पक्ष
अब इस बहस की लड़ाई में प्रेमानंद महाराज भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने ज्ञानी सिंह के खिलाफ विद्रोह को बेहद दुखद बताया। उनका कहना है कि ज्ञानी सिंह ने न तो अपना धर्म छोड़ा और न ही अपने धर्म का अपमान किया। प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं कि, ‘जब उन्होंने अपना सिर झुकाया, तो उन्होंने मेरे प्रति अपना सिर नहीं झुकाया, उन्होंने अपना सिर केवल अपने गुरु, अपने भगवान के सामने झुकाया क्योंकि उनके मन में हर कण कण में भगवान बसे हैं। ईश्वर एक ही है और वही ईश्वर अलग-अलग रूपों में धरती पर जन्म लेता है। ईश्वर के अनेक रूप हैं लेकिन वह एक ही है। गुरुवाणी में भी संतों की वाणी का उल्लेख किया गया है। ज्ञानी सिंह यहां इसलिए आये क्योंकि उपदेश में जो कहा जा रहा था वह गुरुबाणी के समान था। अर्थात ज्ञानी सिंह जी केवल अपनी गुरुबाणी सुनने आये थे। सच्चा संत वही है जो हर जगह अपने भगवान को देखता है, इसलिए अगर वह अपने भगवान को याद करके सिर झुकाते हैं तो इसमें गलत क्या है। गुरुवाणी में भी साधु सेवा करने को कहा गया है, गुरु की वाणी कहती है नाम जपो। यदि कोई व्यक्ति किसी संत के सामने सिर झुकाता है तो इसमें गलत क्या है, यह तो गुरुवाणी का पालन ही है ना?’
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि सिख समुदाय का कोई संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन करने आया हो। इससे पहले भी कई सिख और निहग प्रेमानंद महाराज के दरबार में उनके दर्शन के लिए आ चुके हैं। इन सबके वीडियो भी वह अपने यूट्यूब चैनल पर शेयर करते रहते हैं।
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