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राजनीति छोड़ सरकारी ठेकेदार बनना चाहते थे नीतीश कुमार, जानें कैसे पलटी किस्मत?

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Nitish Kumar Government Contractor – बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार काफी अहम भूमिका निभाते रहे हैं। वह लगभग दो दशकों तक बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में इतनी ऊंचाइयां हासिल की हैं कि आज की राजनीति में उनके अस्तित्व को नजरअंदाज करना मुश्किल है। आज के वक़्त में वह बीजेपी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। हालांकि, नीतीश कुमार के लिए उनका राजनीतिक सफर हमेशा से ऐसा नहीं था। जब वे शुरुआत में राजनीति में आए तो दो हार से उनका मनोबल इतना टूट गया कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया था।

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राजनीति में नितीश की एंट्री

राजनीति में आने से पहले नीतीश कुमार बिहार राज्य बिजली बोर्ड के लिए काम करते थे, लेकिन बाद में उनकी मुलाकात जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, एसएन सिन्हा, कर्पूरी ठाकुर जैसे नेताओं से हुई, जिसके बाद उनकी राजनीति में रुचि बढ़ गई। 1971 में नीतीश कुमार राम मनोहर लोहिया की समाजवादी युवजन सभा में शामिल हो गये।

लगातार दो चुनाव हारें – Nitish Kumar Government Contractor

नीतीश कुमार अपना पहला विधानसभा चुनाव 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर नालंदा जिले की हरनौत सीट से लड़े। लेकिन नीतीश अपना पहला चुनाव हार गये। इसके बाद, 1980 के विधानसभा चुनावों में, नीतीश फिर से जनता पार्टी (सेक्युलर) के बैनर पर चुनाव लड़े, लेकिन स्वतंत्र उम्मीदवार अरुण कुमार सिंह से हार गए। लगातार दूसरी हार से नीतीश इतने निराश हो गए कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया।

दरअसल, नीतीश कुमार ने आर्थिक तंगी के कारण यह फैसला लिया था। राजनीति में आने के बाद नीतीश को यूनिवर्सिटी छोड़े हुए 7 साल हो गए थे और उनकी शादी हुए भी काफी समय हो गया था। साथ ही, राजनीति के चलते उन दिनों वह कुछ कमा भी नहीं पाते थे, जिसके चलते नितीश कुमार ने सरकारी ठेकेदार बनने के बारे में सोचा।

तमाम मुश्किलों को किनारे रखते हुए नीतीश ने एक बार फिर 1985 के विधानसभा चुनाव में लोकदल के उम्मीदवार के रूप में हरनौत से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस जीत के बाद नितीश कुमार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

नीतीश का राजनीतिक सफर

नीतीश कुमार अपने राजनीतिक करियर में चार बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और छह बार लोकसभा सांसद रहे हैं। हालांकि, नीतीश कुमार ने अपना अंतिम चुनाव 2004 में लड़ा था, जिसे उन्होंने नालंदा से जीता था, लेकिन उसके बाद से उन्होंने दूसरा चुनाव नहीं लड़ा है।

Nitish Kumar Government Contractor – नीतीश 2006 से विधान परिषद के सदस्य हैं। चुनाव नहीं लड़ने के सवाल पर नीतीश ने एक बार कहा था कि वह किसी एक सीट पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहते हैं।

नीतीश पहली बार साल 2000 में मुख्यमंत्री बने। हालांकि, उनका कार्यकाल सिर्फ 07 दिनों का ही रहा। साल 2005 में वह फिर मुख्यमंत्री बने। इस बार उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद साला 2010 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। 2015 से लेकर अब तक वह बिहार की सत्ता की बागडोर भी संभाले हुए हैं।

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