रूस-यूक्रेन के बीच का तनाव अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। युद्ध की आहट और तेज हो गई। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दो अलगवावादी बहुल वाले क्षेत्रों लुंहास्क और दोनेत्स्क को अलग क्षेत्र के तौर पर मान्यता दे दी, जिसके बाद विवाद गहरा गया। यूक्रेन बॉर्डर पर रूस ने डेढ़ लाख से ज्यादा सैनिकों को तैनात कर रखा है। तमाम देश आशंका जता रहे है कि रूस किसी भी वक्त यूक्रेन पर हमला कर सकता है।
रूस-यूक्रेन संकट पर लंबे वक्त से पूरी दुनिया की नजरें टिकीं हुई है। अमेरिका खुले तौर पर यूक्रेन के समर्थन में खड़ा नजर आ रहे हैं। वहीं रूस को भी इस दौरान कई देशों का साथ मिल रहा है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि रूस-यूक्रेन विवाद कौन सा देश किसके सपोर्ट में खड़ा? भारत-चीन जैसे देशों का इस पर क्या स्टैंड है?
भारत का अब तक ये है रूख…
सबसे पहले बार भारत की ही कर लेते हैं। भारत का रूख इस मामले में अब तक ये है कि वो निष्पक्ष होने की कोशिश कर रहा है। भारत के संबंध रूस-यूक्रेन के साथ अच्छे हैं। रूस और अमेरिका दोनों ही चाहते हैं कि इस संकट में भारत उसे सपोर्ट करें। हालांकि रूस की रणनीतिक साझेदारी रूस से काफी ज्यादा है। यही नहीं रक्षा उपकरणों के लिए भी भारत काफी हद तक रूस पर निर्भर रहता है। ऐसे में किसी एक का पक्ष चुनना भारत के लिए मुश्किल है। इसलिए वो पूरे संकट पर निष्पक्ष रूख अपनाए हुए है।
यूक्रेन के सपोर्ट में कौन-से देश?
बात अमेरिका की करें तो वो शुरू से ही यूक्रेन के सपोर्ट में खड़ा है। रूसी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों को स्वतंत्र क्षेत्र की मान्यता देने पर अमेरिका ने तो रूस पर कड़े प्रतिबंध तक लगाए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस की दो वित्तीय संस्थाओं वीईबी और रूसी मिलिट्री बैंक को बैन कर दिया। साथ ही ये भी ऐलान किया कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था से रूसी अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों को हटाया जा रहा है। इन सबके अलावा अमेरिका की तरफ से यूक्रेन को हथियारों के जरिए मदद दी जा रही है।
ब्रिटेन भी यूक्रेन के सपोर्ट में खड़ा नजर आ रहा है। ब्रिटेन की तरफ से भी रूस पर कई प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। ब्रिटेन ने रूस के 6 बैंकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। रूस के तीन बड़े अरबपतियों की संपत्ति को भी फ्रिज कर दिया। साथ ही साथ ब्रिटेन में उनके प्रवेश पर रोक लगा दी।
इसके अलावा यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स माइकल ने यूक्रेन के साथ एकजुटता दिखाई और यूक्रेन के खिलाफ खतरे को पूरे यूरोप के लिए खतरा बताया। साथ ही साथ ये संकेत भी दिए कि यूरोपीय यूनियन रूस को ग्लोबल बैंकिंग सिस्टम से अलग कर सकता है। इसके अलावा फ्रांस ने रूस के कदम की आलोचना की और उसके खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए। वहीं जर्मनी ने रूस की नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना पर रोक लगा दी।
रूस को मिल रहा इन देशों का साथ…
अब इसके बाद बात करते हैं कि रूस के समर्थन में आखिर कौन-कौन से देश करें हैं। सबसे पहले जिक्र चीन का करते हैं। चीन और रूस के बीच के रिश्तों में पिछले कुछ समय में बदलाव देखने को मिला। दोनों की दोस्ती कुछ समय में बढ़ी है। वहीं अमेरिका के साथ चीन के रिश्ते खराब हुए। चीन ने रूस की सुरक्षा चिंता का हवाला देते हुए कहा कि उसकी चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पूरे मसले पर चीन का अब तक जो रूख रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि वो रूस के सपोर्ट में हो। हालांकि चीन ने अब तक खुलकर किसी का भी समर्थन नहीं किया।
इसके अलावा पाकिस्तान का झुकाव भी रूस की तरफ दिखता है। पाक पीएम इमरान खान पुतिन से मुलाकात करने के लिए जा रहे हैं। साथ ही बेलारूस पूरी तरह से रूस के सपोर्ट में नजर आ रहा है। यूक्रेन संकट के बीच ही बेलारूस और रूस साथ में मिलकर युद्धाभ्यास भी कर रहे हैं।