पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं और ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हो रहा है और इस प्रदर्शन के दौरान यहां के लोग भारत में आने की मांग कर रहे हैं. वहीं इस दौरान क्षेत्र में अगले आदेश तक मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है.
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भारत में विलय होने की हुई बात
दरअसल, गिलगित-बाल्टिस्तान में हो रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल लोग भारत में विलय होने की बात कर रहे हैं. जहाँ विरोध प्रदर्शन में सड़क पर “चलो, चलो कारगिल चलो” के नारे गूंज रहे हैं तो वहीं विरोध-प्रदर्शन इस क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है साथ ही स्थानीय नेताओं ने पाकिस्तानी प्रशासन को गृहयुद्ध की भी चेतावनी दे दी है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गिलगित-बाल्टिस्तान में सड़क पर प्रदर्शन करने के लिए आए लोग शिया मौलवी आगा बाकिर अल-हुसैनी की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. बाकिर पर एक धार्मिक सभा में उनकी टिप्पणियों को लेकर मामला दर्ज किया गया और उसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया. जिसके बाद स्कर्दू निवासियों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया.
जानिए क्या है मामला?
गिलगित में विरोध प्रदर्शन के दौरान एक प्रख्यात सुन्नी मौलवी ने कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी कर दी थी. इसके कुछ घंटों बाद एक शिया समूह के आह्वान पर गिलगित शहर और आसपास के इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया गया. इसके बाद क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण हो गई. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मौलवी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
गिलगित-बाल्टिस्तान में शियाओं की बड़ी आबादी
आपको बता दें, पाकिस्तान एक सुन्नी-बहुल देश है लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान में शियाओं की आबादी बड़ी है. जनरल जिया-उल हक के शासन से शुरू होकर, लगातार पाकिस्तान सरकारों ने सुन्नियों को इस क्षेत्र में लाकर गिलगित-बाल्टिस्तान की जनसांख्यिकीय संरचना को बदलने की कोशिश की है.
इस तरह मिले आंदोलन के संकेत
वहीं गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को प्रशासनिक रूप से तीन प्रभागों बाल्टिस्तान, डायमर और गिलगित में विभाजित किया गया है. वहीं मुख्य प्रशासनिक केंद्र गिलगित और स्कर्दू शहर हैं. जहाँ पाकिस्तानी मीडिया में गिलगित में विरोध प्रदर्शन का खबर और कवरेज नहीं की लेकिन सोशल मीडिया पर वीडियो और अकाउंट सामने आए हैं, जो आंदोलन के पैमाने का संकेत देते हैं. एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मौजूद एकाउंट्स के अनुसार, शुरुआती विरोध प्रदर्शन सुन्नियों द्वारा 22 अगस्त को आगा बाकिर अल-हुसैनी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर किया गया था.
कनाडा और अमेरिका ने अपने नागरिकों को दिए निर्देश
वहीं विरोध प्रदर्शन डेमर में थे, जहां सुन्नी बहुसंख्यक हैं. उन विरोध प्रदर्शनों और मौलवी अल-हुसैनी की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए, शिया विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी के साथ कनाडा और अमेरिका ने इस विरोध-प्रदर्शन के बीच अपने नगरिकों अमेरिका ने यात्रा परामर्श जारी कर अपने नागरिकों को गिलगिट बाल्टिस्तान क्षेत्र में हिंसक प्रदर्शनों को देखते हुए वहां जाने को लेकर सतर्कता बरतने को कहा है।
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