Daily routine of Premanand Ji Maharaj details in Hindi – माथे पर पीला तिलक और पीले वस्त्र धारण किए संत श्री प्रेमानंद महाराज जी अपने सत्संग के जरिए लाखों लोगों को जिंदगी जीने की नयी सीख देते हैं. संत श्री प्रेमानंद महाराज राधा रानी के परम भक्त हैं और कहा जाता है कि श्री प्रेमानंद महाराज जी का सत्संग जो भी मन लगाकर सुनता है उसे राधारानी के दर्शन होते हैं साथ ही जो भी उनकी बातों को अपने जिन्दगी में लागू करता है उन्हें जिन्दगी जीने में एक मार्ग मिलता हैं. वहीं इस पोस्ट के जरिये हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि स्वामी प्रेमानंद महाराज जी की दिनचर्या कैसी है?
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प्रेमानंद महाराज जी की दोनों किडनी है खराब
संत श्री प्रेमानंद महाराज जी के भक्त उनके दर्शन करने के लिए देश-विदेश से वृंदावन आते हैं. प्रेमानंद महाराज जी की 10 से 15 सालों से दोनों किडनी खराब हैं. दरअसल, श्री प्रेमानंद महाराज जी को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग Ploycystic Kidney Disease है और इस वजह से उनकी दोनों किडनी खराब हो गयी लेकिन इसके बाद भी वो स्वस्थ हैं. संत श्री प्रेमानंद महाराज जी जहाँ सुबह के समय समय वृंदावन की परिक्रमा करते हैं और इस दौरान कई लोग सुबह के समय उनके दर्शन करने के लिए आते हैं तो वहीं वो रोजाना भगवान का स्मरण करते हैं.
प्रेमानंद महाराज की दिनचर्या – Daily routine of Premanand Ji
एक रिपोर्ट के अनुसार, संत श्री प्रेमानंद महाराज जी कुछ ही घंटे सोते हैं और सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा करते हैं. वहीं संत श्री प्रेमानंद महाराज जी इसके बाद वो 4:20 बजे से 5:20 के बीच भक्तो के साथ सत्संग करते हैं. वहीं महाराज 5:30 से 6:30 के बीच राधा नाम संकीर्तन भक्त नामावली और इसके बाद 9:30 शृंगार आरती का आयोजन करते हैं, इसके बाद दोहपर में संत श्री प्रेमानंद महाराज जी दैनिक वाणी पाठ, संध्या आरती और सत्संग करते हैं.
हर रोज करते हैं भगवान का स्मरण
वहीं संत श्री प्रेमानंद महाराज जी की दोनों किडनी खराब होने के बावजूद भी संकीर्तन राधा वल्लब और बांके बिहारी जी के दर्शन और परिक्रमा जरुर करते हैं. इसी के साथ वो कई बार अस्वस्थ भी हो जाते हैं लेकिन राधा वल्लब और बांके बिहारी जी का स्मरण जरुर करते हैं.
रोग के बहाने महाराज को मिलता है दुलार
वहीं कई हजारों भक्त महाराज जी को किडनी देने के लिए आ चुके हैं लेकिन महाराज जी का कहना है कि उन्हें किडनी की आवश्यकता नहीं है. वो पूरी तरह से स्वस्थ हूं. शरीर को जितने दिन चलना होता है और जैसे चलना होता है, चलता है. वहीं वो कहते हैं कि किसी दूसरे के शरीर को काटकर उसकी किडनी मेरे शरीर में लगायी जाये ये ठीक नहीं है. मेरा जीवन इस समाज के कल्याण और सुख के लिए हुआ है जो मैं कर रहा हूँ. मैं अपने सुख के लिए किसी को कष्ट नहीं दे सकता. इससे अच्छा है कि मैं मर जांउ. इस रोग के बहाने मुझे श्रीजी का दुलार मिलता है. मेरा ऐसा मानना है कि यह रोग मुझपर कृपा कर रहा है, क्योंकि आज मैं अपने आप में असहाय हूं. मैं जो कुछ भी हूं श्रीजी के बल पर हूं.
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