भारत के किन-किन हिस्सों में खाई जाती है ‘चापड़ा’ यानी चीटी की चटनी

Table of Content

Chapra Chutney : भारत का हर राज्य किसी न किसी खाने की चीज के जाना जाता है. जहाँ महाराष्ट वड़ा-पाव के लिए पंजाब सरसों दा साग-मक्के दी रोटी के लिए, दिल्ली चाट के लिए और साउथ के राज्य इडली डोसा के लिए फेमस है तो वहीँ भारत की एक जगह है जो चापड़ा के लिए मशहूर है और ये चापड़ा लाल चींटी की चटनी है. जो कई जगह बनायीं और खाई जाती हैं. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि भारत के किन किन हिस्सों में ‘चापड़ा’ यानी चीटी की चटनी खाई और बनाई जाती है.

Also Read- एक जिस्म-दो जान: बालिग हुए शरीर से जुड़े सोहणा मोहणा, अद्भुत है पंजाब के दो अनोखे भाइयों की कहानी. 

इस जगह बनती है चीटी की चटनी

Chapra Chutney
Source- Google

रिपोर्ट के अनुसार, ‘चापड़ा‘ यानी चीटी की चटनी छत्तीसगढ़ के बस्तर में काफी मशहूर है और यहाँ पर जहां ये चटनी बनायीं और खाई जाती है तो ओडिशा, झारखंड जैसे और भी कई राज्य है जहाँ के घने जंगलों वाले आदिवासी इलाको में इस ‘चापड़ा’ यानी चीटी की चटनी को बनाते हैं और खाते हैं. इन इलाकों में रहने वाले लोग पेड़ों पर रहने वाली लाल रंग की चींटियों को इकठ्ठा करके चटनी बनाते है. इसी के साथ स्थानीय आदिवासी इसे खुद तो खाते ही है और साथ ही इस चटनी को बाजार में बेचकर अच्छी कमाई भी करते हैं.

ऐसे बनती है  चीटी की चटनी

Chapra Chutney
Source- Google

आदिवासियों के मुताबिक, जंगलों में साल के पेड़ों से इन चींटियों को जमा किया जाता है और इसके बाद उन्हें पीसा जाता है और स्वाद के मुताबिक इसमें मिर्च और नमक मिलाया जाता है, जिससे इसका स्वाद चटपटा हो जाता है और फिर ये आदिवासी लोग इसे बड़े ही चाव से खाते हैं.

जानिए क्या है इस चटनी के फायदे

red ent
source- Google

 

वहीं कहा गया है कि ये चटनी बहुत फायदेमंद भी होती हैं. जो कि आदिवासियों को कई बिमारियों से बचाने में मदद करती है, आदिवासियों का मानना है कि, इससे कई बीमारियों में आराम मिलता है और बिमारियों से लड़ने की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है,  इन आदिवासियों की मानें, तो चापड़ा चटनी के सेवन से मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां भी ठीक हो जाती है. और आदिवासियों के लिए ये प्रोटीन का सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने वाला साधन भी है.इसी के साथ साधारण बुखार होने पर आदिवासी पेड़ के नीचे बैठकर इन लाल चीटों से खुदको कटवाते हैं,  जिससे बुखार उतर जाता है. वहीं जहाँ भारत का आदवासी समुदाय इस चापड़ा को खाता है तो वहीँ विदेशों में भी इस चटनी को बनाया और खाया जाता है.

Also Read- कभी ऑरेंज तो कभी व्हाइट… Astronauts के सूट के रंग का असली मतलब क्या है?. 

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Is AI Replacing Tech Jobs? Exploring the Impact of Artificial Intelligence on the Workforce

  Introduction: The Rise of AI in Technology Artificial Intelligence (AI) has emerged as a transformative force within the technology sector, fundamentally altering how businesses operate and innovate. Over recent years, we have witnessed a remarkable surge in AI applications, ranging from machine learning algorithms to natural language processing systems, that are now integral components...

Kanpur News: एक जैसे चेहरे ही नहीं, फिंगरप्रिंट भी सेम! कानपुर का अनोखा मामला, विज्ञान हैरान

Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक ऐसा हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम लोगों के साथ-साथ विज्ञान के जानकारों को भी सोच में डाल दिया है। विज्ञान अब तक यही मानता आया है कि दुनिया में किसी भी दो इंसानों के फिंगरप्रिंट और आंखों की रेटिना एक जैसी नहीं...

UP BJP New President: यूपी भाजपा को मिला नया चेहरा, संगठन की कमान अब पंकज चौधरी के हाथ

UP BJP New President: उत्तर प्रदेश भाजपा को आखिरकार नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। शनिवार को एकमात्र नामांकन होने के बाद जिस नाम पर पहले ही सहमति बन चुकी थी, उस पर रविवार को औपचारिक ऐलान कर दिया गया। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय परिसर स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यवेक्षकों...

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार Dr Ramvilas Das Vedanti का निधन, अयोध्या और संत समाज में शोक की लहर

Dr Ramvilas Das Vedanti: राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और अयोध्या से पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। जानकारी के अनुसार, वे 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे, जहां उनकी रामकथा चल रही थी। इसी दौरान...

Bhim Janmabhoomi dispute: रात में हमला, दिन में फाइलें गायब! भीम जन्मभूमि विवाद ने लिया खतरनाक मोड़

Bhim Janmabhoomi dispute: महू स्थित संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि से जुड़ा राष्ट्रीय स्मारक एक बार फिर बड़े विवाद के केंद्र में है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू में कथित तौर पर हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, फर्जीवाड़े और सत्ता हथियाने के आरोपों ने इस ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्मारक की गरिमा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds