बलिदानियों की भूमि पंजाब ने मातृभूमि पर प्राण न्योछावर करने के लिए एक से बढ़कर एक सूरमा दिए हैं..कईयों के बलिदान आज भी इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. इसी सूची में मां भारती का एक और लाल शामिल है..नाम है सूबेदार जोगिंदर सिंह..इस जांबाज ने अकेले ही अपनी बहादुरी और चालाकीर से 200 से अधिक चीनी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए थे..1962 के युद्ध में इन्होंने चीनी सेना को ऐसा सबक सिखाया था कि उनकी वीरता को चीनी सेना ने भी झुककर सलाम किया था. आज के लेख में हम आपको सैकड़ों चीनी सैनिकों को धूल चटाने वाले सूबेदार जोगिंदर सिंह के बारे में बताऊंगा.
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1936 में सिख रेंजीमेंट में हुए शामिल
सूबेदार जोगिंदर सिंह का जन्म 26 सितंबर 1921 को पंजाब राज्य के फरीदकोट जिले में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा नाथू आला गांव के प्राइमरी स्कूल से और आगे की पढ़ाई दरौली गांव के मिडिल स्कूल से पूरी की थी. उन्होंने सिर्फ 15 वर्ष की आयु में ब्रिटिश इंडियन आर्मी स्कूल में दाखिला ले लिया था. 28 सितंबर 1936 को वह सिख रेजीमेंट में शामिल हो गए. आर्मी में भर्ती होने के बाद भी उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और आर्मी एजुकेशन एग्जामिनेशन अव्वल नंबर से पास किया. उनका पढ़ाई के प्रति बड़ा झुकाव था इसलिए उन्हें यूनिट का एजुकेशन इंस्ट्रक्टर नियुक्त कर दिया गया.
200 चीनी सैनिकों की हेकड़ी निकला दी थी
बात 9 सितंबर 1962 की है, इस वक्त भारत और चीन के मध्य वार चल रहा था. इसी वक्त 7 इन्फेंट्री ब्रिगेड को नामका चू में पोजिशन लेने का आदेश मिला था. इस बटालियन में सूबेदार जोगिंदर सिंह भी शामिल थे. जोगिंदर सिंह को बूम ला के पास पोस्ट संभालने का आदेश मिला था.उनकी बटालियन में केवल 20 सिख थे. चीन के सैनिकों ने इस पोस्ट पर लगभग तीन बार गोलीबारी की. हर बार चीन ने अपने 200 से ज्यादा सैनिकों को इस पोस्ट पर भेजा.
चीनी सेना के पहले और दूसरे हमले को जोगिंदर सिंह की प्लाटून ने मुंह तोड़ जवाब दिया. लेकिन तीसरी बार चीनी सेना के हमले से पहले सूबेदार जोगिंदर सिंह की आधे से ज्यादा प्लाटून के लोग शहीद हो चुके थे. उनके पास गोली,असलहा खत्म हो चुका था और ऊपर से उन्हें पीछे हटने का आदेश मिला था. लेकिन उन्होंने और उनके सैनिक साथियों ने पीछे मुड़ने से मना कर दिया और चीनी सेना के तीसरी बार हमले का इंतजार करने लगे.
चीनी सेना ने अपने 200 सैनिकों के साथ अचानक तीसरी बार हमला कर दिया. सूबेदार जोगिंदर सिंह की कमांड पर भारतीय सैनिक निहत्थे उन पर टूट पड़े. वे आखिरी सांस तक लड़ते रहे और करीब 50 चीनी सैनिकों को मार गिराया. खून से लथपथ पड़े सूबेदार सिंह को चीन की सेना ने बंधक बना लिया था. 23 अक्टूबर 1962 को सूबेदार जोगिंदर सिंह ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग दिए.
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