पीएम मोदी के आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद गिरि की कहानी, जिन्हें UN ने वर्ष 2005 में किया था सम्मानित!

पीएम मोदी के आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद गिरि की कहानी, जिन्हें UN ने वर्ष 2005 में किया था सम्मानित!

कहते हैं कि गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर होता है. ऐसे ही स्वामी दयानंद गिरि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरु थे. साल 2015 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्वामी दयानंद गिरि के आश्रम में उनसे आशीर्वाद भी लिया था. जब से पीएम मोदी यहां से होकर आएं हैं, तब से अबतक कई दिग्गज भी यहां गुरूजी के दर्शन करने के लिए आ चुके हैं. बता दें, शंकर परंपरा के वेदांत और संस्कृत शिक्षक स्वामी दयानंद गिरि का निधन 2015 में हो गया था. उन्होंने करीबन 50 सालों तक देश और विदेश में शिक्षा दी थी.

मोदी जी से 16 साल पुराना रिश्ता

स्वामी दयानंद सरस्वती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रिश्ता बहुत पुराना है. सोलह साल पहले भी नरेंद्र मोदी ऋषिकेश के दयानंद आश्रम में आए थे. जब जब भी मोदी के सामने कोई मुश्किल समस्या आई, तब-तब उन्होंने गुरु से ज्ञान लिया. नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने बड़े आदर के साथ अपने गुरु दयानंद गिर‍ि को गांधीनगर बुलाकर उनका स्वागत किया था. 

ALSO READ: 300 वर्ष के अद्भुत संत त्रैलंग स्वामी, जिनसे मिलने स्वयं आए रामकृष्ण परमहंस और नाम दे दिया था ‘काशी’.

मोदी जी के जीवन पर था गहरा प्रभाव

86 साल स्वामी दयानंद सरस्वती की सबसे बड़ी खूबी ये है कि वो वेदांत के जरिए आज की समस्याओं का भी निदान निकाल लेते हैं. इसके चलते एक तरफ वो परंपराओं की डोर थामे रहते हैं तो वहीं आधुनिकता भी उनके विचारों को महकाती है. यही वजह है कि मोदी के जीवन पर स्वामी दयानंद का गहरा प्रभाव है. नरेंद्र मोदी को जब जब वक्त मिला, तब तब उन्होंने अपने गुरु के सान्निध्य में समय बिताया.

यूनाइटेड नेशन से मिला है अवार्ड

स्वामी दयानंद गिरि ऋषिकेष में दयानंद सरस्वती आश्रम और कोयंबटूर में अर्श विद्या गुरुकुलम के संचालक थे. उनके आश्रम से देशभर में सौ से ज्यादा शिक्षा के केंद्र चलाए जाते हैं. अमेरिका के पेंसिलविनिया में भी आश्रम का एक केंद्र है. स्वामी दयानंद ने 2000 में ऑल इंडिया मूवमेंट फॉर सेवा संस्था की भी नींव रखी थी. शिक्षा और सेहत के लिए बेहतरीन काम करने के चलते दयानंद आश्रम को साल 2005 में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अवॉर्ड भी मिला है.

ALSO READ: जानिए क्या है POK का इतिहास , कितना बड़ा है यह क्षेत्र और क्या है यहाँ के लोगों की स्थिति.

ये थी आखिरी इच्छा

रिपोर्ट्स के अनुसार, दयानंद गिरि ने ऋषिकेश स्थित आश्रम की स्थापना 1960 के दशक में की थी. अपने निधन से पहले दयानंद गिरि ने इच्छा जताई थी कि वो अपनी आखिरी सांस अपने शिष्यों के सामने लेना चाहते हैं. जिसके बाद उन्हें अस्पताल से आश्रम ले जाया गया था. 

ALSO READ: पहले केंद्रीय मंत्री और अब मंजू त्यागी, लखीमपुर खीरी को दहला रहे हैं भाजपा नेता…

विराट और अनुष्का ने भी किए बाबा के दर्शन

विराट कोहली-अनुष्का शर्मा और उनकी मां सरोज कोहली तीनों ने आश्रम में दयानंद सरस्वती की समाधि के दर्शन किए थे. वहां पहुंचने के बाद विराट कोहली 20 मिनट तक वहां ध्यान लगाकर बैठे रहे थे. यहां उन्होंने गंगा आरती भी की थी. इसके बाद वो ऋषिकेश के यम्केश्वर में जाकर रिजॉर्ट में भी रुके थे. रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार के दिन भी विराट कोहली और उनका परिवार ऋषिकेश में ही रहा था. इस समय उन्होंने हवन यज्ञ भी किया था और उनकी ओर से भंडारे के आयोजन भी हुआ था.

ALSO READ: राजा कोलंदर: कहानी प्रयागराज के खूनी नरपिशाच की, जिसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी…

ऋषिकेश का सबसे चर्चित घाट

ऋषिकेश में आपको कई घाट दिख जाएंगे, लेकिन ऋषिकेश में एक ऐसा पवित्र घाट भी है, जहां की गंगा आरती सबसे ज्यादा फेमस है. हम बात कर रहे हैं त्रिवेणी घाट की, त्रिवेणी नाम संस्कृत शब्द त्रि (तीन) और वेणी (संगम) से आया है, जिसका अर्थ है तीन का संगम. यह ऋषिकेश के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण घाटों में से एक है, जो उत्तराखंड में अपने पवित्र और आध्यात्मिक वातावरण के लिए जाना जाता है. अगर आप ऋषिकेश आ रहे हैं, तो इस घाट की गंगा आरती में जरूर शामिल हो.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here