POK (पीओके) Pakistan Occupied Kashmir ये वो हिस्सा है जिसका जिक्र भारत (India) के नक्शे पर कई बार हुआ है. ये हिस्सा वैसे तो भारत का है लेकिन इस हिस्से पार पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्ज़ा किया हुए हैं. इस हिस्से का एक इतिहास (POK History) है और इसके पीछे एक कहानी भी है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि POK की कहानी क्या है और क्या इसका इतिहास है.
जम्मू और कश्मीर में था महाराजा हरि सिंह का राज
ये बात है शुरू हुई सन 1947 में जब भारत-अंग्रेजों की गिरफ्त से आजाद हुआ. जहां देश में नयी सरकार बनी तो वहीं जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह (Maharaja Hari Singh) ने भारत और पाकिस्तान देश में शामिल होने से मना कर दिया था. जम्मू और कश्मीर (J&K) का संपूर्ण क्षेत्र महाराजा हरिसिंह की रियासत का हिस्सा था. इसी वजह से जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तब 1947 में विभाजन के समय जम्मू एवं कश्मीर न तो भारत का हिस्सा बना और न ही पाकिस्तान का.
कहा जाता है कि इस हिस्से को 1935 में ब्रिटेन (Britain) ने गिलगित एजेंसी को 60 साल के लिए लीज पर दिया था, लेकिन इस लीज को 1 अगस्त 1947 को रद्द करके क्षेत्र को जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा हरिसिंह को लौटा दिया गया. जिसकी वजह से जम्मू एवं कश्मीर किसी भी देश के साथ विलय नहीं हुआ लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान मिलने के बाद महाराजा हरिसिंह को स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान के विद्रोह का सामना करना पड़ा और 2 नवंबर 1947 को गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया। हालांकि इससे 2 दिन पहले 31 अक्टूबर को हरिसिंह ने रियासत के भारत में विलय को मंजूरी दे दी थी। इसके साथ ही यह भारत का अभिन्न हिस्सा बन गया था।
Hari Singh के खिलाफ शुरू हुआ विद्रोह
1947 में पुंछ में महाराजा हरि सिंह के खिलाफ जो विद्रोह शुरू हुआ. इस विद्रोह का फायदा पाकिस्तान ने उठाया अक्टूबर 21, 1947 को, उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रांत (NWFP) के कई हजार पश्तून आदिवासियों जिन्हें पाकिस्तान की सेना का साथ मिला उन्होंने इस इलाके को महाराज के शासन से मुक्त करने के लिए विद्रोह कर दिया था. महाराज के सैनिकों ने इस आक्रमण को रोकने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तान समर्थक विद्रोह आधुनिक हथियारों से लैस थे और उन्होंने 24 अक्टूबर 1947 को लगभग पूरे पुंछ जिले पर नियंत्रण हासिल कर लिया था साथ ही आक्रमणकारियों ने मुजफ्फराबाद और बारामूला के शहरों पर कब्जा कर लिया और राज्य की राजधानी श्रीनगर से उत्तर-पश्चिम में बीस मील दूर तक पहुँच गए. उन्होंने इन जिलों में दुकानों को लूटना शुरू कर शुरू दिया, महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार किये थे.
महाराज ने भारत से मांगी मदद
वहीं इस हमले के बाद महाराजा हरी सिंह ने 24 अक्टूबर 1947 को भारत से मदद की गुहार लगाई और भारत ने कहा कि वह तभी मदद करेगा जब राजा उसके साथ “Instruments of Accession of Jammu & Kashmir to India” पर अपने हस्ताक्षर करेंगे. वहीं इस हमले से जम्मू & कश्मीर को बचने के लिए महाराजा हरि सिंह ने शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से जवाहर लाल नेहरु के साथ मिलकर 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ जम्मू & कश्मीर के अस्थायी विलय की घोषणा कर दी और “Instruments of Accession of Jammu & Kashmir to India” पर अपने हस्ताक्षर कर दिये. इस नये समझौते के तहत जम्मू & कश्मीर ने भारत के साथ सिर्फ तीन विषयों: रक्षा, विदेशी मामले और संचार को भारत के हवाले कर दिया था.
वहीं समझौते के बाद भारतीय सैनिकों को तुरंत श्रीनगर ले जाया गया, इसके बाद पाकिस्तान की सेना खुलकर भारत के साथ लड़ने लगी. इसी लड़ाई के बीच दोनों देशों के बीच स्थिति सामान्य हो जिसकी वजह से समझौता हुआ और जो जिले पाकिस्तान ने हथियाए थे वे उसके पास ही रह गए. इन्हीं जिलों को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) कहा जाता है जिसे पाकिस्तान, आजाद कश्मीर कहता है. लेकिन 31 अक्टूबर को हरिसिंह ने रियासत के भारत में विलय को मंजूरी दे दी थी जिसकी वजह से POK का हिस्सा भारत का ही है लेकिन इस कहा जाता है कि इस हिस्से को पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा किया है.
भारत-चीन में हुआ युद्ध (India China War)
इसके बाद 1962 में भारत का जब चाइना से युद्ध हुआ तो चाइना ने लद्दाख के कुछ हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया जिसे आज अक्साई चिन कहते हैं। हालांकि कुछ इसे गिलगित-बाल्टिस्तान का ही हिस्सा मानते हैं। फिर मार्च 1963 में पाकिस्तान ने पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान वाले हिस्से में से एक इलाका चाइना को गिफ्ट कर दिया। ये करीब 1,900 वर्ग मील से कुछ ज्यादा था। पाकिस्तान ने 2009 में बचे हुए पीओके के 2 टुकड़े कर दिए। एक का नाम गिलगित-बाल्टिस्तान रहा, तो दूसरे का नाम ‘आजाद कश्मीर’। यह ‘आजाद कश्मीर’ दरअसल जम्मू का ही एक हिस्सा है। गिफ्टेड चाइना, अक्साई चिन, गिलगित-बाल्टिस्तान और भारत प्रशासित कश्मीर के बीच एक हिस्सा है, जिसे सियाचिन ग्लेशियर कहते हैं, उस पर भारत का ही अधिकार है. वह भी कश्मीर का ही एक हिस्सा है.
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के पास अनुमानित 5,134 वर्ग मील यानी करीब 13 हजार 296 वर्ग किलोमीटर इलाका है। मुजफ्फराबाद इसकी राजधानी है और इसमें 10 जिले हैं, वहीं गिलगित बाल्टिस्तान में 28 हजार 174 वर्ग मील यानी करीब 72 हजार 970 वर्ग किलोमीटर इलाका है। गिलगित-बाल्टिस्तान में भी 10 जिले हैं। इसकी राजधानी गिलगित है। इन दोनों इलाकों की कुल आबादी 60 लाख के करीब बताई जाती है। मतलब यह कि गिलगित-बाल्टिस्तान पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर का 85 प्रतिशत इलाका है।
POK में कौन-कौन से जिले हैं (How many districts in POK)
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के दक्षिणी हिस्से में 8 जिले हैं: नीलम, मीरपुर, भीमबार, कोटली, मुजफ्फराबाद, बाग, रावलकोट और सुधनोटी. वहीं कहा ये भी जाता है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) मूल कश्मीर क्षेत्र का एक अभिन्न अंग है, जो 1947 से पाकिस्तान के गैरकानूनी नियंत्रण में है और अगर अब भारत सरकार इस हिस्से को पाकिस्तान से वापस लेने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रही है .
क्या है POK की स्थिति? (POK Condition)
इस समय पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ नाराजगी है. ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति बेहद खराब है. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान धीरे धीरे पीओके की संस्कृति और इतिहास को खत्म कर रहा है. आरोप है कि पाकिस्तान ने कई किताबों, नक्शों पर प्रतिबंध लगा दिया है और लोगों को अपने इतिहास के बारे में पढ़ने की इजाजत नहीं है. पाकिस्तान की सेना स्थानीय लोगों का उत्पीड़न कर रही है. वहीं पीओके में लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं. स्थानीय छात्र संगठन भारत के साथ व्यापार शुरू करने की मांग कर रहे हैं ताकि बढ़ती महंगाई में भारत से सस्ता सामान मिल सके लेकिन इन छात्र संगठनों पर आतंकी हमले किए जा रहे हैं. इन आतंकियों क पाकिस्तानी सेना का समर्थन हासिल है.
कितना बड़ा है POK का क्षेत्र
पीओके के लोगों के पास अधिकार नहीं हैं और ना ही वहां बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है. पाकिस्तान का दावा है कि उसने आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन अभी भी वहां आतंकी खुले घूम रहे हैं. यह एक तथ्य है. पाकिस्तान का दोहरा चरित्र है और वह पाकिस्तान के इस दोहरे चरित्र को दुनिया के सामने लाना चाहते हैं.
POK के लोगों की क्या हैं मांगे
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK के लोग अपनी आजादी के लिए भारत से मदद मांग रहे हैं. इसी के साथ यहाँ के भारत के संविधान के तहत नामांकन करना चाहते हैं वो चाहते हैं कि पीओके में जन्मे नागरिकों को भी भारत सहूलियतें दें. सिर्फ यही नहीं, पीओके के लोगों को लोकसभा-राज्यसभा में भी जगह दें. इसी के साथ PoK का कहना है कि हम महाराजा हरिसिंह के समझौते को मानते हैं, पाकिस्तान इसमें कहां से आ गया? उसे भारत ही भगा सकता है.
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