567 ईसा पूर्व में हिमालय की तलहटी के पास एक छोटे से राज्य में जन्मे, महात्मा बुद्ध ने धर्म के मार्ग पर चलने के लिए अपना सांसरिक जीवन त्याग दिया था। महात्मा बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ गौतम था और उनका जन्म एक राजपरिवार में हुआ था। इस कारण उन्हें संसार के दुःख और दरिद्रता का कुछ भी ज्ञान नहीं था। उनके जन्म लेने से 12 साल पहले ही ब्राह्मणों ने उन्हें लेकर भविष्यवाणी की थी कि वह या तो एक वैश्विक शासक या एक प्रसिद्ध ऋषि बनेंगे।
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छोटी उम्र में ही सांसारिक मोह-माया त्याग दी
महात्मा बुद्ध के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 29 वर्ष की उम्र में दिव्य ज्ञान की खोज में अपना घर-परिवार छोड़ दिया था। कहा तो ये भी जाता ही की जब महात्मा बुद्ध ने सन्यासी बनने का फैसला किया तो उन्हें साधु बनने से रोकने के लिए उनके पिता ने उन्हें महल की सीमा में बंद रखा था।
शाही विलासिता में पले-बढ़े गौतम बुद्ध ने बाद में शाही परिवार की गोपा से शादी की, जिनसे उन्हें एक बेटा हुआ। जैसे-जैसे बुद्ध बड़े हुए, उनके मन में सांसरिक मोह त्यागने का विचार बढ़ने लगा। फिर, एक दिन गौतम बुद्ध अपनी पत्नी और पुत्र को छोड़कर जंगल में अपने तपस्वी जीवन की ओर निकल पड़े। बुद्ध ने अहिंसा, शांति, प्रेम, दान और त्याग की शिक्षाओं को दुनिया भर के लोगों तक फैलाकर समाज की समस्याओं को खत्म करने का प्रयास किया।
उनके आध्यात्मिक जीवन से जुड़ी कई कहानियां हैं, उनमें से एक आज हम आपके लिए लेकर आए हैं। आज हम आपको बताएंगे कि महात्मा बुद्ध का किन्नौर कैलाश से क्या कनेक्शन है।
किन्नौर और बौद्ध धर्म
किन्नर कैलाश हिंदुओं और बौद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थल है। यह हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में तिब्बती सीमा के करीब स्थित है। किन्नर कैलाश एक पर्वत है जो समुद्र तल से 6050 मीटर ऊपर है। हिंदू धर्म में इस बर्फ के खंड को भगवान शिव के प्राकृतिक शिव लिंग के रूप में पूजा जाता है। हिमालय में हिंदू तीर्थयात्राओं में से एक, किन्नर कैलाश परिक्रमा भी पूरी हो गई है।
वहीं, किन्नौर के अलग-अलग क्षेत्रों में बौद्ध परंपराएँ की भी अलग मान्यताएं हैं। यहां, ऊंचे इलाकों में सुंदर बौद्ध मठ बनाए गए हैं, जो की देखने में काफी आकर्षक लगते हैं। यहां बौद्ध कला और साहित्य की एक समृद्ध परंपरा है। यहां ऐसे मठ भी हैं जो एक हजार साल से भी अधिक पुराने माने जाते हैं।
किन्नौर कैलाश और महात्मा बुद्ध के बीच कनैक्शन की बात करें तो बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना है कि महात्मा बुद्ध किन्नौर कैलाश की चोटी पर रहते हैं। इसी वजह से हर साल सैकड़ों बौद्ध धर्म के अनुयायी दुर्गम रास्ते से किन्नौर कैलाश की यात्रा करते हैं।
इसके अलावा, तिब्बत के दाओ अनुयायी कैलाश को पूरी दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र मानते हैं। वहीं, हिंदू धर्म भी किन्नौर कैलाश को अपना आध्यात्मिक केंद्र मानता है। कहा जाता है कि यहां शिव और पार्वती रहते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह स्थान भगवान शिव और पार्वती से जुड़ा है।
हालांकि, यह बात केवल हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों तक ही सीमित नहीं है। जैन धर्म को मानने वाले लोग कहते हैं कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ को आध्यात्मिक ज्ञान कैलाश पर्वत पर प्राप्त हुआ था।
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