आपको ऐसा लगता होगा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने सिर्फ गौतम अडानी और उनके इन्वेस्टर्स के कारोबार का ही नुक्सान किया है लेकिन ऐसा नहीं है. इस लिस्ट में एक बड़ा नाम उनके भाई विनोद अडानी का भी है. जो एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. इसकी वजह ये है कि अडानी ग्रुप ने उसकी लिस्टेड कंपनियों में विनोद अडानी की भूमिका होने की बात मान ली है, जबकि पहले वह इससे लगातार पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे थे.
ALSO READ: अडानी मामले पर टूटी भाजपा की चुप्पी, क्या कांग्रेस का दबाव काम कर गया?.
आखिर आप विनोद अडानी को कितना जानते हैं? हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने सिर्फ गौतम अडानी के कारोबार के लिए ही संकट खड़ा नहीं किया. बल्कि उनके परिवार से जुड़े लोगों को लेकर भी कई जानकारियां सार्वजनिक कीं. इन्हीं में एक नाम है उनके बड़े भाई विनोद अडानी का, जो एक बार फिर चर्चा में हैं. इसकी वजह ये है कि अडानी ग्रुप ने उसकी लिस्टेड कंपनियों में विनोद अडानी की भूमिका होने की बात मान ली है, जबकि पहले वह इससे लगातार पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा था. आखिर आप विनोद अडानी को कितना जानते हैं?
कैसे की थी बिजनस की शुरुआत
गौतम अडानी के 74 वर्षीय बड़े भाई विनोद अडानी दुबई में काम करते हैं. जबकि कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह स्थायी तौर पर सिंगापुर के सिटीजन हो गए हैं. अडानी ग्रुप के शेयरों में तेजी से विनोद अडानी की नेटवर्थ भी रॉकेट की स्पीड से बढ़ी है. विनोदभाई के नाम से मशहूर विनोद अडानी ने 1976 में महाराष्ट्र के भिवंडी में वीआर टेक्सटाइल के नाम से पावर लूम्स की स्थापना की. इसके बाद उन्होंने सिंगापुर में ऑफिस खोलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कारोबार का विस्तार किया. विनोद अडानी पहले सिंगापुर गए और फिर 1994 में दुबई में बस गए. दुबई में उन्होंने शुगर, ऑयल, एल्युमीनियम, कॉपर और आयरन स्क्रैप की ट्रेडिंग शुरू की.
विनोद अडानी करते हैं ये काम
ऐसा माना जाता है कि विनोद भाई की ही तरह ट्रेडिंग करने में उस्ताद हैं. चीनी तेल और तांबा वो प्रमुख जिंस हैं जिनमें उनका ट्रेडिंग का अच्छा खासा अनुभव है. अडानी ग्रुप में भी उनकी बड़ी हिस्सेदारी है. उनकी नेटवर्थ करीब 1.3 अरब डॉलर है.
अडानी मामले पर टूट गई भाजपा की चुप्पी, क्या कांग्रेस का दबाव काम कर गया? #Breaking_News #LatestNews @AmitShah #AmitShah @BJP4India @INCIndia @RahulGandhi @gautam_adani @AdaniOnline https://t.co/MlnNieP8x7 #NedrickNews
— Nedrick News (@nedricknews) March 18, 2023
यही वजह रही कि 2022 में वह सबसे अमीर NRI भी रहे. हाल में अडानी ग्रुप ने बताया कि विनोद अडानी के कंट्रोल वाली एंडेवर ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट लिमिटेड ने ही असलियत में अंबुजा सीमेंट और एसीसी लिमिटेड का अधिग्रहण किया है. अब ये दोनों ही कंपनियां अडानी ग्रुप का हिस्सा हैं. विनोद अडानी के बारे में एक खास बात कही जाती है कि वह अडानी ग्रुप के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से पैसा जुटाने और नेगोशिएशन में मदद करते हैं.
ALSO READ: बृजेश मिश्रा: 700 भारतीयों को फर्जी तरीके से कनाडा भेजने वाले ‘ठग’ की कहानी…
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगे थे बड़े आरोप
अडानी ग्रुप के खिलाफ आई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में विनोद अडानी के नाम का जिक्र 151 बार आया है. भले वह अडानी ग्रुप की किसी कंपनी में सीधे नियंत्रण नहीं रखते हैं, लेकिन उनकी भूमिका होने से अब अडानी ग्रुप भी इंकार नहीं कर रहा है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विनोद अडानी और उनके सहयोगियों ने मॉरीशस में दर्जनों कंपनियां बनाई, जिनकी असल में कोई कॉरपोरेट प्रेजेंस नहीं है. कुछ ऐसी ही कंपनियां साइप्रस, सिंगापुर, कैरिबियन और यूएई में बनाई है. इन कंपनियों के अडानी ग्रुप के साथ कुछ संदिग्ध लेनदेन किए गए हैं. वहीं अडानी की कंपनियों के शेयर्स का भाव बढ़ाने में भी इनकी भूमिका रही है.
ALSO READ: ‘गेहूं चोर पाकिस्तान’: रूस से पाकिस्तान आया 40 हजार टन गेहूं चोरी…
विवादों से रहा है पुराना नाता
गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी का विवादों से भी पुराना नाता रहा है. साल 2016 में उनका नाम ‘पनामा पेपर लीक’ में सामने आया था. इस रिपोर्ट में 2 लाख से अधिक फर्जी कंपनियों की वित्तीय जानकारी डिटेल में दी गई थी. इसी में बताया गया था कि जनवरी 1994 में उन्होंने बहामास में एक कंपनी बनाई थी. कंपनी बनाने के दो महीने बाद ही उन्होंने कंपनी के दस्तावेजों में अपना नाम ‘विनोद शांतिलाल अडानी’ से बदलकर ‘विनोद शांतिलाल शाह’ कर लिया था.