Exclusive: हिजाब वाली लड़की ने श्रीराम और हनुमान पर जो कहा वह हर हिंदू को सुनना चाहिए

SAYYED UZMA PARVEEN
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जंतर मंतर पर पहलवानों का मुद्दा तो यूं हो गया है कि थमने का नाम नहीं ले रहा. हर दिन कोई न कोई नया सदस्य नया दल नया एक्टिविस्ट उनके समर्थन में जुड़ रहा है रोज़ कोई न कोई एलान हो रहा है लेकिन सरकार है कि उनकी बात ही नहीं सुन रही है. आखिर क्यों? कभी कैंडल मार्च निकलने वाला होता है तो कभी चंद्रशेखर रावन हफ्ते भर का अल्टीमेटम दे दे रहे हैं. और कुछ तो इतने समझदार युवा पहुंच रहे है कि वो शायद पढाई तो पूरी कर नहीं पा रहे तो बवाल करके अपनी राजनीतिक एंट्री लेने की कोशिश में लगे हुए हैं. ऐसे ही हैं एक जानी मानी हर आन्दोलन में मौजूद रहने वाली उज़मा परवीन जिसको अपने ही घर में शायद बुर्का न पहनने की आजादी नहीं होगी वो इस हक की लड़ाई में शामिल होने आई हैं. और इनकी खास बात है ये हैं तो लखनऊ कि लेकिन देश में कहीं भी आन्दोलन हो हर जगह मौजूद रहती हैं इस युवा नेता का नाम है कुमारी उज्मा परवीन. और इनको भारत में रहकर ही पता नहीं किस चीज से आजादी चाहिए.

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नाम तो आपने भले नहीं सुना होगा लेकिन अगर आप देश में हुए पिछले कुछ आन्दोलनों में गौर से देखेंगे तो इनका चेहरा जरूर दिख जाएगा. मुद्दा पहलवानों का है ये भाजपा और एंटी- इंडिया की बात कर रही हैं. हमारे भी रिपोर्टर ने जंतर मंतर जाकर इनसे बात कि और जानने की कोशिश की कि आखिर उनका यहाँ आने का उद्देश्य क्या है उसके बाद इन्होने जो जवाब दिया चलिए आज हम आपको सुनाते हैं…

अंधी- गूंगी सरकार है ये

जन्तर मंतर पर पहलवानों का समर्थन करने बिना बुलाये मेहमान बनके आई उज़मा परवीन कुछ अलग ही सुर अलाप रही हैं मामला तो पहलवानों के योन शोषण का है ये भाजपा का मुद्दा लेकर घुस गई हैं हमारे रिपोर्टर से बात करते हुए उज्मा बताती हैं कि, ये सरकार किसी की सुनने वाली नहीं है जब तक इसे  थोक बजाकर सुनाया न जाए, जबतक इसको बार बार बोला न जाए तब तक ये सुनने वाली नहीं हैं.

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ये सरकार बहरी है और इससे कैसे सुनाना है ये हम बेहतर तरीके से जानते हैं. आपने पहले शाहीन बाग का देखा, जवानों का देखा, किसानों का देखा और अब पहलवानों का अनोद्लन देख रहे हैं. अब हमें ऐसे आंदोलनों की आदत पड़ चुकी है क्योंकि इनको अब ऐसे ही सुनाई देता है.

राजनीतिकरण हम नहीं भाजपा सरकार कर रही है

पहलवानों के मुद्दे से हटकर परवीन देवी कहती हैं कि इनकी पार्टी के लोग कह रहे हैं कि इस आन्दोलन का राजनीतिकरण हो चुका है लेकिन असलियत में राजीति तो भाजपा वाले कर रहे हैं. पैसों की राजनीती धांधली, EVM की राजनीति धांधली किसी का आप स्वागत करते हैं चाहे अडानी हो अम्बानी हो  उनके ऊपर हजारों करोड़ रुपये खर्च कर देते हैं.

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ये पैसा देश का है  ये टैक्स का पैसा है फिर इन सारे मुद्दे को घुमाकर देश की बेटियों पर थोप दिया. मतलब अब इन बाटों से देखिये की मोहतरमा मुद्दे से कैसे भटक रही हैं?

विकास नहीं बकवास करते हैं ये

जब विकास के मुद्दे को लेकर बात की गयी तो तो इनको देश का विकास बकवास लग रहा है ये अपनी मनमर्जी चलाते हैं ये जब चाहते हैं है किसी को भी धर्म का चस्मा पहना देते हैं जब चाहते हैं राम मंदिर के नाम पर वोट ले लेते हैं जब चाहते हैं ये मंदिर मस्जिद में डिफरेंस करके वोट लेते हैं. ये शुरू से ही हिन्दू मुस्लिम की राजनीती करते चले आ रहे हैं. लेकिन अब जनता जागरूक है इनके किसी भी तरह के बहकावे में नहीं आने वाली है.

मोदी का है ISI से नाता

तथाकथित एक्टिविस्ट महोदय ने तो ये तक बोल दिया कि मोदी का ISI से गहरा नाता है ऐसे ही नहीं वो पाकिस्तान जाकर शेखों से हाथ मिलते हैं और उनके यहाँ बिरयानी जो खाते हैं वो सब से लगता है कि मोदी का ISI से गहरा नाता है. ये सब देश के गद्दार हैं.

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