अगर बृजभूषण पर आरोप सिद्ध नहीं होते तो प्रोटेस्ट कर रहे इन पहलवानों का क्या होगा?

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जंतर-मंतर पर महिलाओं का प्रोटेस्ट अब एक अलग ही रूप ले रहा है. जहाँ ये मुद्दा शुरुआत के जनवरी में महिलाओं के साथ ट्रेनिंग के दौरान छेड़छाड़ का था. जिस मामले में उन्होंने रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण के ऊपर योन शोषण का आरोप लगाया था. अब वो मुद्दा कहीं न कहीं व्यक्तिगत से हटकर राजनीतिक हो चुका है. जिसमे देशभर की तमाम छोटी बड़ी पार्टियाँ आकर अपनी दाल गला रहे हैं वहीँ एक तरफ ये बात भी देखने लायक है कि आखिर पहलवानों ने जो आरोप बृजभूषण के ऊपर आरोप लगाये हैं अगर हो झूठे साबित हुए तो प्रोटेस्ट कर रहे पहलवानों के करियर का क्या होगा? कहाँ जाएंगे ये लोग?

झूठा आरोप लगाकर किसी को बदनाम करने पर क्या होगी कानूनी प्रक्रिया? क्या फेडरेशन खिलाड़ियों के खिलाफ कोई action लेगा ? क्योंकि जिस तरह से इनका प्रोटेस्ट सबके सामने राजनीतिक बना फिर टुकड़े टुकड़े गैंग शामिल हुई इनकी खुद की बयान बाजी बार बार बदल रही है एक वक़्त सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा तो दुसरे ही पल इनकी खाप पंचायत पर भरोसा दिखाना बता रहा है कि कहीं न कहीं दाल में कुछ काला है जो इस भारी समर्थन की आड़ में छिपाया जा रहा. इसके पीछे किसका हाथ है? ये सब जानना बहुत जरूरी है. एक स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए ताकि इस पर फैसला आने के बाद भी लोगों का कानून पर बिश्वास बना रहे.

जूनियर बच्चों के लिए लड़ रहा हूं लड़ाई: बृजभूषण शरण सिंह

बीते दिन ब्रिज्भुशन सिंह ने फेसबुक पर एक वीडियो डाली है जिसमे उन्होंने कहा कि, ये बीत चुके पहलवान पहलवान हमसे बहुत नाराज़ हैं. ये लड़ाई मैं आपके जूनियर बच्चों के लिए लड़ रहा हूं. जिसको सब कुछ मिल चुका है द्रोणाचार्य, पदमश्री, अर्जुन अवार्ड सब कुछ मिल गया है लेकिन जो गरीब बच्चे विशेष करके हरियाणा, जो बच्चे ओलंपिक का सपना लेकर चल रहे है जिन बच्चों का भविष्य बनाने के लिए  परिवार अपनी जरूरतों में कटौती करके कर्जा लेकर बच्चों को कुस्ती के मैदान में छोड़ रहे हैं उनको सीखने के लिए ये बीते पहलवान उनका हक़ छीनना चाहते हैं.

एक शायरी के जरिए उन्होंने ने अपनी बात कहनी चाही और है कि, इसीलिए तो नगर नगर बदनाम हो गए मेरे आंसू, मैं उनका हो गया कि जिनका कोई पहरेदार नही था पदलोभी, आलोचक कैसे करते दर्द पुरस्कृत मेरा, उसमे करुना था श्रृंगार नहीं था. जो पहलवान हर समस्याओं से मझे अवगत करते थे वो अचानक रातों रात कैसे बदल गए मझे भरोसा नहीं हो रहा.

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उन्होंने कहा कि मेरे बुजुर्गों आप अपने बच्चों के साथ ये गलती न करो जितना बुरा ये मुझे बना रहे हैं मैं उतना बुरा नहीं हूं मैं बहुत बड़ा Choudhary नहीं हूं. ऊँचाई पर पहुंचना बहुत आसान है लेकिन टिके रहना आसान नहीं है. किसी जूनियर बच्चे से बात कर लेना इनका (प्रोटेस्ट कर रहे पहलवान) काम तो ख़तम है  ये जो कॉमनवेल्थ का मैडल करते हैं अगर बजरंग भैया की पूरी ट्रायल करवा दी जाती तो पता चल जाता. ये विनेश महारानी की पूरी ट्रायल करवा दी जाती, आप उनकी पूरी वीडियो उठवाकर देख लो साक्षी जी जिस समय आपकी कुश्ती हो रही थी रेफरी ने आपको एक पॉइंट दिया था लेकिन मैंने जाकर उनको बताया की नहीं एक नहीं 4 पॉइंट हैं. तब आप कहाँ थे. इन प्रोतेस्टर का तो काम ख़तम है अब ये कहीं जाने लायक नहीं है.

बातों में मिला इशारा

जिस तरह से ब्रिज्भुशन ने वीडियो में साक्षी, विनेश और बजरंग का बार बार जिक्र किया उनके मेडल्स का जिक्र किया उससे ये बात साफ़ साफ जाहिर होती है कि कहीं न कहीं ब्रिज्भुशन के अन्दर इस बात की खुन्नस जरूर आ गयी कि इन्होने में जिसके साथ मैंने हर जगह सपोर्ट किया वही आज मेरे खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं और वो भी चंद राजनेताओं के चलते. और बार बार चाचा ताऊ का जिक्र करते हुए कह रहे हैं कि आप अपने बेटियों को समझा लो.

की नेताओं के बहकावे में ना आएं वरना बहुत कुछ झेलना पड़ेगा. उससे ये बात साफ़ होती है कि अगर पहलवानों द्वारा लगाये गए आरोप झूठे साबित होते हैं तो वो खुद दुनिया के सामने तो अपनी फजीहत करवाएंगी ही करवाएंगी लेकिन कानून और फेडरेशन जो उनके खिलाफ action लेगा उससे उनका पूरा रेसलिंग करियर ही खत्म होने का पूरा चांस है क्योंकि कानूनन अगर अगर आप किसी व्यक्ति की छबी ख़राब करने के लिए कोई झूठा मुकदमा करवाते हैं तो कानून भी आरोप सिद्ध न होने पर आपके खिलाफ कठोर कदम उठा सकता है.

क्या हैं आरोप?

दरअसल जंतर मंत्र पर प्रोटेस्ट कर रहे खिलाड़ियों का ये आरोप है कि रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष ने उनका और उसके साथ 1000 से ज्यादा लड़कियों का यों शोषण किया है. और उनके साथ जोर जबरदस्ती की है. जिसमे दो नाबालिग लड़कियों का नाम भी सामने आ रहा है. जिनका नाम अभी तक सामने नहीं आया है. फिर भी अगर आप उनके आरोपों पर नज़र डालें तो आपको पता लगेगा कि वो ऐसे सबूत और बयान दे रहीं हैं जिसका साक्ष्य सिर्फ आप कल्पना कर सकते हैं कि लड़की है तो बता नहीं सकती और लड़की है तो इसके साथ ये हो सकता है.

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छेड़ छाड़ कब हुई किसने की इसका कोई पता नहीं है. बस इतना पता है की हुई है. लेकिन फैक्ट्स कुछ और कहते हैं जहाँ एक तरफ ये छेड़छाड़ का आरोप लगा रही हैं वहीँ दूसरी तरफ इन सबने ने अपनी सादी में बृजभूषण में बुलाया और आशीर्वाद भी लिया. और हाल ही में फेडरेशन ने ये घोषणा की कि चैंपियनशिप लड़ने से पहले उन्हें देश में दो प्रतियोगिताएं में जीत हासिल करनी होगी तभी वो आगे के लिए सेलेक्ट होंगी.

क्या है कानूनी प्रक्रिया?

झूठ-झूठ अक्सर ऐसा हम सुनते आ रहे हैं. कोई निर्दोष व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाया जाता है और उस पर दाण्डिक कार्यवाही बैठा दी जाती है, और बाद में पता चलता है कि वह व्यक्ति निर्दोष है किसी अन्य व्यक्ति ने भेदभाव की भावना को रखते हुए उस पर दाण्डिक कार्यवाही संस्थित की है. आप उस व्यक्ति के खिलाफ भी जिसने आपको झूठे आरोप में दाण्डिक कार्यवाही बैठाई थी. उस पर भी मुकदमा एवं एफआईआर दायर कर सकते हैं.

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 211 की परिभाषा:-

कोई व्यक्ति किसी निर्दोष व्यक्ति पर उसको नुकसान या क्षति पहुचाने के उद्देश्य से दाण्डिक कार्यवाही संस्थित करेगा या झूठा आपराधिक आरोप लगाएगा इस धारा के अंतर्गत अपराध है.

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 211 में दण्ड का प्रावधान:-

  • इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते है. इनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट ओर सेशन न्यायालय दूआरा की जाती हैं.
  • सजा :- सजा की निम्न भागों में बांटा गया है:-
  • क्षति(नुकसान) करने के आशय से झूठा आरोप लगाने पर- दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है.
  • आरोप सात वर्ष या उससे अधिक अवधि के कारावास से दण्डनीय है तब- सात वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डनीय होगा.
  • आरोप मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय हैं तब- सुनवाई सेशन न्यायालय दूआरा एवं सात वर्ष की कारावास एव जुर्माना से दण्डनीय होगा.
  • आरोपित अपराध धारा- 354,354क,354ख,354ग,354घ,354ङ, 376ख,376ग,376च,509,509क, 509ख से दण्डनीय अपराध की सजा- कारावास तीन वर्ष से कम नहीं लेकिन 5 वर्ष तक हो सकती हैं जुर्माने के साथ.

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क्या फेडरेशन कर सकता है इनका करियर खत्म?

इस बात की कुछ खास जानकारी तो नहीं ही लेकिन हां ये जरूर है कि रेसलिंग फेडरेशन और खिलाड़ियों के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट साईन होता है जिसमे इस बात का प्रावधान भी रहता है अगर आप अपनी प्रशस्ति के जरिए किसी भी तरह से फेडरेशन के बारे में गलत खबर या फेडरेशन के सदस्यों की छबि ख़राब करने के लिए कुछ गलत जानकारी देते हैं तो फेडरेशन उनके खिलाफ सख्त कार्यवाई कर सकते हैं यहाँ तक की उनको ससपेंड भी किया जा सकता है जिसके बाद वो दुनियाभर में कहीं भी खेलने में सक्षम नहीं हो पाएंगे.

स्पांसर के जरिए ट्रेनिंग पर लाखों खर्च करता है फेडरेशन

फेडरेशन खिलाड़ियों को ओलिंपिक, व‌र्ल्ड चैंपियनशिप और कामनवेल्थ में भेजने के लिए पहलवानों की तैयारियों पर लाखों रुपये खर्च करता है. नेशनल कैंप, नकद पुरस्कार व अन्य सुविधाएं पहलवानों को फेडरेशन की ओर से दी जाती है. लेकिन पहलवान अपनी मर्जी से कंपनियों के साथ अनुबंध कर लेते है.

भारतीय कुश्ती संघ पहलवानों पर खर्च करने के लिए स्पांसरशिप लेता है, जो फेडरेशन को लाखों-करोड़ों रुपये की राशि देते हैं. लेकिन जब फेडरेशन के पहलवान देश के लिए पदक जीतते हैं, तो फेडरेशन के स्पांसर की अनेदखी करते हुए अन्य कंपनियों के साथ अनुबंध कर लेते हैं.

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कंपनियां फिर पहलवान को अपने तरीके से चलाती है, जिससे कई बार उनके खेल पर भी असर पड़ता है। अनुबंध के बाद पहलवान का खेल नीचे गिरा है, ऐसे कई मामले सामने आए है क्योंकि पहलवान खेल पर ध्यान नहीं दे पाता और कंपनी की दखलंदाजी ज्यादा रहती है। इसलिए फेडरेशन ने अब पहलवानों पर मर्जी से अनुबंध करने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। अगर किसी पहलवान ने अनुबंध करना है तो फेडरेशन से मंजूरी लेनी होगी.

क्या होगा अगर आरोप साबित नहीं हुए?

ऐसे में इस बार ये देखने काफी दिलचस्प होगा कि क्या ब्रिज्भुशन सच में दोषी साबित होते हैं या नहीं अगर नहीं तो खिलाड़ियों का क्या होगा और अगर हना औत ब्रिज्भुशन का क्या होगा. और अगर बृजभूषण के आरोप नहीं साबित होते तो कहीं न कहीं ये महिला खिलाड़ियों के ऊपर कलंक के सामान होगा जो की अपने महिला होने का गलत इस्तेमाल करके किसी भी व्यक्ति को जेल पहुंचा सकती हैं. और उनकी छवि बिगाड़ने में पूरी कोशिश करती हैं. फिलहाल इस मामले में अभी कुछ भी कहना सही नहीं होगा जब तक फैसला न आ जाए.

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