Brijbhushan Singh Posco Act – देश जाने माने पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर 23 अप्रैल से धरने पर हैं. उनका आरोप है कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने उनके साथ यौन शोषण किया था. सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद पुलिस ने सात महिला पहलवानों की शिकायत पर बृजभूषण के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. उनके खिलाफ दो अलग-अलग FIR दर्ज हुई हैं.
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AHs pic.twitter.com/CKc3i3o7az— Dr MJ Augustine Vinod 🇮🇳 (@mjavinod) May 3, 2023
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नाबालिग की शिकायत पर पहली एफआईआर में बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो एक्ट लगाया गया है. वहीं दूसरी एफआईआर में धारा 345, धारा 345(ए), धारा 354 (डी) और धारा 34 लगाई गई हैं. नई दिल्ली के करीब 10 इंस्पेक्टर की मौजूदगी में केस दर्ज किया गया था. अब दिल्ली पुलिस की 7 महिला अफसर मामले की जांच कर रही हैं.
किस धारा में कौन सा अपराध होता है साबित
IPC की धारा 354
अगर किसी महिला की मर्यादा और सम्मान को नुकसान पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना या उसके साथ गलत मंशा के साथ जोर जबरदस्ती की गई हो.
सजा: इस धारा के तहत आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर उसे कम से कम एक साल की सजा और अधिकतम 5 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
गैर जमानती धारा: इसके तहत किया गया अपराध एक संज्ञेय और गैर-जमानती होता है यानी मजिस्ट्रेट कोर्ट ही मामले पर विचार करने और अभियोजन पक्ष और शिकायतकर्ता की दलीलें सुनने के बाद जमानत दे सकता है.
ये वही लोग है जो कभी jNU की छात्रा और शाहीन बाग के बारे मे कहते थे दिल्ली पुलिस लठ बजाओ हम तुम्हारे साथ है…
आज लठ बज रहा है 😉 pic.twitter.com/xeTf7HudNI
— Sayyada Fatima (@sayyadafatima8) May 4, 2023
IPC की धारा-354 ए अगर कोई व्यक्ति शारीरिक संपर्क या अवांछित और स्पष्ट यौन संबंध का प्रस्ताव देता है या यौन अनुग्रह की मांग या अनुरोध करता है, महिला की इच्छा के बिना उसे अश्लील कंटेंट दिखाता या यौन संबंधी टिप्पणियां करता है, तो वह यौन उत्पीड़न के अपराध का दोषी होगा.
सजा: अगर कोई उप-धारा (1) के खंड (i) या खंड (ii) या खंड (iii) के तहत दोषी पाया जाता है तो, उसे कठोर कारावास की सजा सुनाई जा सकती है. इस सजा को तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों ही सजा सुनाई जा सकती है. अगर कोई उप-धारा (1) के खंड (iv) में दोषी पाया जाता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों की सजा मिल सकती है.
जमानती अपराध: यह मामला संज्ञेय है लेकिन जमानती अपराध है, जिसका अर्थ है कि शिकायत मिलने पर पुलिस को शिकायत दर्ज करनी होगी, लेकिन आरोपी को पुलिस स्टेशन से ही जमानत मिल सकती है.
आईपीसी की धारा 354डी
अगर कोई पुरुष किसी महिला का पीछा करता है और संपर्क करता है, या महिला की इच्छा के विरुद्ध या साफ मना करने के संकेत के बावजूद बार-बार व्यक्तिगत बातचीत को बढ़ाने के लिए संपर्क करने का प्रयास करता है; या इंटरनेट, ईमेल या इलेक्ट्रॉनिक संचार के किसी अन्य माध्यम का इस्तेमाल कर महिला की निगरानी करता है, वह स्टॉकिंग के तहत दोषी माना जाएगा.
सजा: अगर आरोपी पहली बार दोषी पाया जाता है तो उसे तय कारावास की सजा हो सकती है, जिसके तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, या उस पर जुर्माना ठोका जा सकता है. वहीं दूसरी या उससे ज्यादा बार दोषी पाए जाने पर तय कारावास की सजा हो सकती है, जिसे पांच साल तक बढ़ सकता है या जुर्माना लगाया जा सकता है.
Delhi Commissioner for women @SwatiJaiHind caught abusing Delhi Police.
She is the same lady who said in;
-2016: I'm a proud daughter of an Armyman
-2023 : My father was a harasser pic.twitter.com/EPPo7QbCaP— BALA (@erbmjha) May 4, 2023
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जमानती-गैरजमानती: अगर कोई इस धारा के तहत पहली बार दोषी पाया जाता है तो उसे जमानत मिल सकती है, लेकिन अगर कोई एक से ज्यादा बार यह हरकत करता है तो यह अपराध गैर जमानती हो जाता है.
पॉक्सो एक्ट की धारा 10 गंभीर यौन हमले के लिए सजा। अगर कोई नाबालिग पर संगीन यौन हमला करता है, तो उसे कम से कम पांच साल तक कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा. इस सजा को सात साल तक बढ़ाया जा सकता है. उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. यह गैर जमानती अपराध है.
जरूरी नहीं है आरोपी की गिरफ्तारी
तीन अपराधों के गैर जमानती और गंभीर होने के कारण बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी की मांग लगातार की जा रही है. हालांकि, आईपीसी की धारा 41ए और सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों के प्रावधानों में कहा गया है कि अगर अपराध के लिए तय अधिकतम सजा 7 साल से कम है तो आरोपी की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है.
केंद्र सरकार द्वारा रात को जो दमनकारी नीति अपनाकर पहलवानों के साथ कायराना हरकत करके जो बदसलूकी करवाई गई है।
इस लाठी का जवाब जरूर दिया जाएगा।
शर्म करो दिल्ली के हुक्मरनों।#WrestlersProtest#JantarMantar#ट्रैक्टर_लेकर_दिल्ली_चलो#दिल्ली_पुलिस_शर्म_करो#ब्रजभूषण_को_अरेस्ट_करो pic.twitter.com/Oh0eolPrmV— Ravindra Choudhary (@Ravindrachdry) May 4, 2023
गिरफ्तारी और जमानत प्रक्रियाओं पर अर्नेश कुमार और सतेंद्र अंतिल के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि “संज्ञेय अपराध के लिए भी अभियुक्त की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है. हालांकि आरोपी की गिरफ्तारी तभी हो सकती है, जब इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर को लगे की यह जरूरी है.
धारा 41 आईओ को आरोपी को गिरफ्तार करने ना करने का अधिकार देता है. कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामलों में, अपराध की गंभीरता के कारण अभियुक्त की गिरफ्तारी होनी चाहिए़.
Brijbhushan Singh Posco Act
इंडिया टुडे से बात करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने सवाल किया कि बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई. उन्होंने बताया कि पॉक्सो एक्ट की धारा 10 एक गैर-जमानती अपराध है, जिसमें कम से कम 5 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान है. यह एक गंभीर अपराध है. पुलिस प्रारंभिक जांच कर चुकी है तो उनकी गिरफ्तारी में देरी क्यों हो रही है?
उन्होंने कहा कि कितने ही दूसरे मामलों में पुलिस ने तत्काल एफआईआर दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें विधायक/सांसद भी शामिल हैं तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है? पुलिस अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है.
Wrestlers want respect but will harass others. Sad to see that this is the real face of sporting icons of the country. pic.twitter.com/pbgGCk9pYy
— BALA (@erbmjha) May 3, 2023
वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा ने भी कहा कि गंभीर अपराधों में गिरफ्तारी का भी प्रावधान है, लेकिन यह जांच अधिकारी के विवेक पर निर्भर करता है.
BJP's brand ambassador for Mission Nari Shakti?? #ब्रजभूषण_को_अरेस्ट_करो
Country's daughters are crying, BJP & #HanumaBhaktaModi are busy protecting the rape accused.#पहलवानों_को_न्याय_दो#दिल्ली_पुलिस_शर्म_करो #WrestlersProtest#ArrestBrajBhushanNow pic.twitter.com/Hrk426awxa
— SaifuddinTMYC (@SR_Tmc007) May 4, 2023
Brijbhushan Singh Posco Act – उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी का विशेषाधिकार विशुद्ध रूप से पुलिस के पास है, लेकिन गंभीर अपराधों में गिरफ्तारी आम बात है. पॉक्सो के तहत अपराध गैर जमानती है, इसलिए अगर जांच की जरूरत है तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट की इस मामले पर नजर है, इसलिए हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि कोर्ट क्या निर्देश देती है.
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अधिवक्ता तरन्नुम चीमा कहते हैं कि ऐसे मामलों में प्राथमिक रूप से आरोपी को मामले की जांच में शामिल करना चाहिए, जो अभी तक पहलवानों के अनुसार नहीं किया गया है.
निर्भया कांड के बाद आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2018 को और अधिक कठोर कर दिया गया है. सीआरपीसी की धारा 173 कहती है कि बच्चे के रेप की जांच दो महीने में पूरी की जानी चाहिए.
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि विधायिका को बच्ची से अपराध की जल्द से जल्द प्रभावी जांच सुनिश्चित करनी होगी. आरोपी से पूछताछ भी की जाए. चीमा ने कहा कि एक बार जब एक संज्ञेय अपराध की सूचना दी जाती है तो जांच शुरू हो जाती है. इसके अलावा आरोपी को सबसे पहले जांच में शामिल करना चाहिए.