हाल ही में जम्मू कश्मीर में आतंकी हमला हुआ और इस हमले में सैनिक करण सिंह शहीद हो गये थे जो कानपुर के रहने वाले थे. वहीं सैनिक करण सिंह के शहीद होने के बाद पार्थिव शरीर घर न पहुंचने की वजह से परिजनों में आक्रोश है और इस वजह से परिजन और गांव के लोगों ने सडक जाम करके प्रदर्शन किया है.
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शव लेने जम्मू कश्मीर के राजौरी गये परिजन
जानकारी के अनुसार, आतंकी हमले में सैनिक करण सिंह के शहीद होने के बाद शनिवार को सेना के लोग शहीद की पत्नी और उनके बच्चों को अपने साथ लेकर जम्मू कश्मीर के राजौरी ले गए थे. इधर शहीद सैनिक के पिता और परिजनों के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में गांव वाले पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सेना पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार वहीं करना चाहती है, ये हमें स्वीकार नहीं है. जिसके बाद सैनिक करण सिंह ने उनके पार्थिव शरीर को कानपूर लाने की मांग की लेकिन चार दिन बाद भी शहीद का पार्थिव शरीर नहीं आया है. वहीं शहीद सैनिक के पिता और परिजनों के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में गांव वाले पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे हैं.
सैनिक करण सिंह को देखना चाहते हैं गांव के लोग
वहीं इस मामले पर ग्रामीणों ने कहा कि शहीद बेटा हमारे गांव का हीरो था. हम उसको गांव में देखना चाहते हैं. हम अंतिम संस्कार कानपुर में ही करेंगे. गंगा किनारे पूरे सम्मान से संस्कार करके अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करेंगे. वहीं पार्थिव शरीर नहीं आने की वजह से नाराज गांव वालों ने चौबेपुर के लिंक रोड और नेशनल हाइवे पर जाम लगा दिया.
कानपुर में चौबेपुर के भाऊपुर गांव के रहने वाले करण सिंह यादव के गांव के सबही लोगों से अच्छे रिश्ते थे. जब भी छुट्टी पर आते तो गांव वालों से प्यार से बातें करते. करण की दो बेटियां हैं. परिवार में माता-पिता एक भाई और दो बहनें हैं. करण अगस्त में घर आए थे. पिता से कहा था कि अब फरवरी में आऊंगा. मगर, उनके आने से पहले ही शहादत की खबर आ गई. शहादत की खबर आने के साथ ही करण सिंह के घर के साथ ही पूरे गांव में मातम छा गया.
तीन जवान हुए थे शहीद
आपको बता दें, जिस घटना में करण सिंह शहीद हुए उस घटना को लेकर यहाँ पर तैनात सुरक्षा बलों को सुरनकोट इलाके में आतंकवादियों के एक समूह के छिपे होने की खुफिया जानकारी मिली जिसके बाद यहाँ पर संयुक्त अभियान शुरू किया गया. वहीं बफलियाज़ में डेरा की गली (डीकेजी) क्षेत्र में एक जिप्सी और एक ट्रक सहित सेना के दो वाहन आतंकवादी गोलीबारी की चपेट में आ गए, जब ये वाहन सैनिकों को ऑपरेशन स्थल पर ले जा रहे थे.
आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच शुरुआती संपर्क में तीन जवान शहीद हो गए. बाद में, दो अन्य सैनिक ने गंभीर चोटों के कारण नजदीकी चिकित्सा सुविधा में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि हमले के दौरान सैनिकों और आतंकवादियों के बीच हाथापाई भी हुई. छिपे हुए आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन की निगरानी के लिए सेना और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए. इस साल पुंछ जिले में यह दूसरी बड़ी घटना है.
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