केंद्र सरकार की ओर से पिछले दिनों सदन में बजट पेश किया गया। जिस पर अभी भी सदन में चर्चा जारी है। बजट को लेकर विपक्षी पार्टियों ने केंद्र की मोदी सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में अपने संबोधन के दौरान कई सरकारी कंपनियों को बेचने की बात भी कही थी। जिसे लेकर सवाल उठे थे।
इसी बीच बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में आरजेडी सासंद मनोज कुमार झा ने बजट को लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि आम बजट से जाना जाने वाला बजट आज खास बजट बन गया है।
सरकार पर बरसे आरजेडी सांसद
गुरुवार को सदन को संबोधित करते हुए मनोज कुमार झा ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को निशाने पर लिया। उन्होंने एक शेर के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की। आरजेडी सांसद ने कहा…
चमन में इख्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं, तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो
केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए बजट को लेकर मनोज कुमार झा ने कहा, 90 के दशक से देखने में आ रहा है कि कभी आम बजट से जाना जाने वाला बजट आज खास लोगों के लिए खास बजट हो गया है। उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि बजट को आम आदमी, किसान,छोटे कारोबारियों के हित ध्यान में रखकर बजट बनाया जाए।
आरजेडी नेता ने मनरेगा पर उठे सवालों को लेकर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, मनरेगा योजना को लेकर कई सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन अगर मनरेगा नहीं होती तो कोरोनाकाल में क्या होता, इसके बारे में सोचिए?
पीएम ने उड़ाया था मनरेगा का माखौल
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के कई बड़े नेता मनरेगा को लेकर कांग्रेस पर पहले ही हमला बोल चुके हैं। पीएम ने लोकसभा में 2015 में मनरेगा के हवाले कांग्रेस को निशाने पर लिया था और इसे कांग्रेस की नाकामियों का स्मारक बताया था।
उन्होंने कहा था, ‘मेरी राजनीतिक सूझ बूझ कहती है कि मनरेगा को कभी बंद मत करो। मैं ऐसी गलती नहीं कर सकता हूं। क्योंकि मनरेगा आपकी विफलताओं का जीता जागता स्मारक है। आजादी के 60 साल के बाद आपको लोगों को गड्ढे खोदने के लिए भेजना पड़ा। ये आपकी विफलताओं का स्मारक है और मैं गाजे-बाजे के साथ इस स्मारक का ढोल पीटता रहूंगा।‘
लेकिन कोरोनाकाल में मनरेगा देश के मजदूरों के लिए वरदान साबित हुआ। अब मोदी सरकार की ओर से मनरेगा का बजट भी बढ़ाया गया है। क्योंकि मौजूदा समय में सरकार के पास कोई ऐसा मजबूत नीति नहीं है जो इतनी बड़ी आबादी को गारंटी के साथ काम दिला सके।