BJP के गले में फंसी ‘माफीवीर’ कंगना? न घर की रहीं न घाट के….

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“1947 में भारत को भीख में आजादी मिली थी, देश को असली आजादी साल 2014 में मिली.”

“राहुल गांधी की जांच होनी चाहिए कि क्या वो ड्रग्स लेते हैं.”

“प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भगवान विष्णु के अवतार हैं.”

“मोदी जी भारत का इतिहास दोबारा लिख रहे हैं.”

“किसान आंदोलन में खालिस्तानी बैठे हैं.”

ऐसे कई बयान हैं जिसके जरिए कंगना हमेशा लाइम लाइट में बनी रहीं…शायद इन्हीं बयानों का प्रभाव था कि उन्हें भाजपा की ओर से टिकट  मिला और मंडी से सांसद बन गईं…लेकिन राजनीति में आने के बाद अब ऐसा लग रहा है कि कंगना न घर की रहीं न घाट के.

हमको मिटा सके ये जमाने में दम नहीं…जमाना हमसे है जमाने से हम नहीं….राजनीति में आने से पहले एक्ट्रेस कंगना रनौत में यही अकड़ देखने को मिलती थी…सरकार के समर्थन में कभी भी किसी के खिलाफ कोई भी टिप्पणी करना इनके लिए आम बात हो गई थी…ऐसे कई मौके आए जब कंगना के बयान सुर्खियों में रहे…भाजपा ने पार्टी में शामिल करा कर सांसद बना दिया लेकिन अब भाजपा की स्थिति ऐसी हो गई है कि वो कंगना को न निगल पा रही है और न ही उगल पा रही है….बार बार पार्टी की ओर से चेतावनी मिलने के बावजूद कंगना वही बोल रही हैं जो उनका मन कर रहा है. इस लेख में हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि आखिर कंगना रनौत, अपनी ही पार्टी और अपनी ही सरकार की नैया डुबाने का प्रयास क्यों कर रही हैं? इसके पीछे के कारण क्या हो सकते हैं?

समझिए क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पिछले दिनों अभिनेत्री और हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद कंगना रनौत ने एक अखबार को दिये इंटरव्यू में कहा था कि अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। कंगना ने आगे कहा था कि किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं. उनके इस बयान पर जमकर हंगामा मचा था…विपक्षी पार्टियों ने इसे लेकर भाजपा पर हमला बोला था और कई संगठनों ने भी सरकार पर सवाल उठाए थे.

आनन फानन में पार्टी की ओर से कंगना रनौत के बयान पर असहमति जताते हुए एक प्रेस रिलीज जारी किया गया और कंगना से पार्टी से संबधित मुद्दों पर ना बोलने का ताकीद की गई. लेकिन कंगना तो कंगना ठहरी…इस नोटिस को एक महीने भी नहीं हुए थे कि फिर से किसानों के मसलों पर ही उन्होंने एक टिप्पणी कर दी. कंगना ने अपने बयान में कहा कि “किसानों से जुड़े तीन कानून वापस आने चाहिए. तीन किसान कानून सिर्फ राजनीति की भेंट चढ़ गए और अब किसानों की बेहतरी के लिए खुद किसानों को इनकी वापसी की डिमांड करनी चाहिए.”

और पढ़ें: RSS vs BJP की लड़ाई में घी डालकर अपना हाथ क्यों सेंक रहे हैं अरविंद केजरीवाल? इससे AAP का फायदा होगा या नुकसान 

सोची समझी रणनीति के तहत दिया गया बयान

मजे की बात तो यह है कि अपने बयान में खुद कंगना ये कहते दिख रही हैं ये बयान कंट्रोवर्शियल यानी विवादित हो सकता है. इससे यह स्पष्ट होता है कि ये बयान गलती से नहीं सोची समझी रणनीति के तहत दिया गया था. अब भाजपा ने एक बार फिर से कंगना रनौत के बयान से पल्ला झाड़ते हुए उसे उनका निजी विचार बता दिया है…यानी सांसद बनने के करीब 4 महीने के भीतर ही 2 बार भाजपा कंगना रनौत को उनकी औकात दिखा चुकी है!

किसान आंदोलन पर टिप्पणी के कारण पिछले दिनों एयरपोर्ट पर उन्हें थप्पड़ भी पड़ा था…हालांकि, हम किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करते…बात खुली है तो हम सिर्फ पैटर्न समझाने का प्रयास कर रहे हैं…थप्पड़ कांड से यह तो स्पष्ट हो गया था कि किसान कहीं से भी कंगना को देखना पसंद नहीं करते हैं.

वहीं, इस समय हरियाणा में चुनाव प्रचार जोर शोर से चल रहा है…भाजपा अपनी सरकार बचाने की कोशिशों में लगी है…हरियाणा किसान बेल्ट है और किसानों को नाराज करने का सीधा मतलब है सरकार गंवाना…यह सब जानने और समझने के बावजूद चुनाव से ठीक पहले किसानों पर दिए जा रहे कंगना रनौत के बयान के पीछे कुछ तो झोल नजर आ रहा है…उन्हें पता है कि उनके बयानों से किसान नाराज होंगे…भाजपा को नुकसान होगा लेकिन फिर भी वह अपने आप को ऐसे बयान देने से रोक नहीं पा रही हैं.

अपनी ही सरकार के खिलाफ केस लड़ रही हैं कंगना ?

कारण पर नजर डालें तो पहला कारण उनकी फिल्म इमरजेंसी पर भाजपा सरकार की इमरजेंसी लगी हुई है…यानी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की ओर से उनकी फिल्म को क्लीयरेंस नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण फिल्म रिलीज नहीं हो रही. मजे की बात तो यह है कि केंद्र में सरकार भाजपा की है…केंद्रीय फिल्म प्रमाण बोर्ड सरकार के अंतर्गत आता है…फिल्म भी इंदिरा गांधी के ऊपर है यानी भाजपा को इससे बहुत कुछ नुकसान भी नहीं है….लेकिन इसके बावजूद फिल्म को क्लीयरेंस न मिल पाना…कंगना को भी पच नहीं पा रहा है…आपको जानकर हैरत होगी कि यह मामला कोर्ट में चल रहा है…यानी कंगना रनौत अपनी ही सरकार के अंतर्गत आने वाले CBFC के खिलाफ केस लड़ रही हैं.

दूसरा कारण यह हो सकता है कि राजनीति में आने से पहले उन्हें जिन टिप्पणियों पर भाजपा नेताओं और शीर्ष नेतृत्व से वाहववाही मिलती थी…सरकार के समर्थक उनके बयानों को धड़ल्ले से शेयर करते थे…उनके समर्थन में ट्विटर ट्रेंड चलाए जाते थे…अब भाजपा में शामिल होकर, भाजपा की टिकट पर सांसद बनने के बाद उनके बयानों को तवज्जों नहीं मिल रही…अब कंगना कुछ बोल भी रही हैं तो पार्टी उनसे पल्ला झाड़ ले रही है..5 साल के टर्म में शुरुआती 4 महीनें में 2 बार ये घटना घटित हो चुकी है…ऐसे में आने वाले समय में स्थिति क्या होगी…कुछ कहा नहीं जा सकता है.

अब क्या होगा कंगना का भविष्य ?

हमने फिल्मों में लगातार फ्लॉप हो रहे ऐसे तमाम एक्टर्स को देखा है जो बाद में हिट हुए हैं…कंगना भी फ्लॉप पर फ्लॉप दे रही थीं लेकिन इसका ये मतलब नहीं था कि वो वापसी नहीं कर सकती थीं…लेकिन उन्होंने सियासत का हाथ पकड़ लिया और इसके जरिए अपनी ऑडियंस को टारगेट करने का प्रयास किया लेकिन कुछ नहीं हुआ और वो मात्र हंसी की पात्र बनकर रह गई हैं…फिल्मों में फ्लॉप होने के बाद लोग वापसी कर लेते हैं लेकिन राजनीति में एक बार दाग लग जाए तो वापसी करना या लोगों के दिलों में फिर से जगह बना पाना…काफी कठिन होता है.

कंगना के अब तक के करियर ग्राफ को देखें तो वो माफी मांगने वालों में से नहीं हैं…वो अपनी लड़ाई लड़ती आई हैं और चीजों पर अपना स्टैंड क्लीयर रखते आई हैं…लेकिन सांसद बनने के 4 महीने के भीतर वो 2 बार माफी मांग चुकी हैं…यानी कभी भी अपनी आंखें न झुकाने वाली कंगना आज सहम गई हैं…वह चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रही…अपनी फिल्म को अपनी ही सरकार से सर्टिफिकेशन नहीं दिलवा पा रही…अपने बयानों पर अपना स्टैंड नहीं ले पा रहीं…फिल्मी दुनिया से आंशिक रूप से दूर हो चुकी कंगना का अब भविष्य क्या होगा…राजनीति में वो टिक पाएंगी या शुरु होने से पहले ही उनका राजनीतिक करियर समाप्त हो जाएगा…ऐसे कई सवाल अब लोगों के दिमाग में घर करने लगे हैं.

और पढ़ें: Online Gaming में 96 लाख का भयंकर नुकसान, जिम्मेदार कौन? सरकार, सेलिब्रिटी या इंफ्लुएंसर्स

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