अमिताभ बच्चन या शत्रुघ्न ने नहीं बल्कि इस सुपरस्टार ने चमकाई थी महेश भट्ट की किस्मत, आज भी मानते हैं उन्हें मसीहा

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महेश भट्ट फिल्म इंडस्ट्री का जाना-माना नाम हैं, उनका पूरा परिवार फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ है। उनकी दोनों बेटियां आलिया और पूजा भट्ट बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्रियां हैं। उनकी पत्नी सोनी राजदान भी अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री रही हैं। अगर महेश भट्ट की बात करें तो उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्में बनाई हैं। उन्होंने ‘लहू के दो रंग’, ‘अभिमन्यु’, ‘अर्थ’, ‘सारांश’, ‘आशिकी’, ‘दिल है कि मानता नहीं’ और ‘हम हैं राही प्यार के’ जैसी 80 से ज्यादा फिल्मों का निर्देशन और निर्माण किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब महेश भट्ट फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष कर रहे थे, तब अमिताभ बच्चन या शत्रुघ्न सिन्हा ने नहीं बल्कि राज खोसला थे जिन्होंने उन्हें सफल बनने में मदद की थी। इस बारे में खुद फिल्म निर्माता ने अपने हालिया इंटरव्यू में बताया है।

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राज खोसला को लेकर बोले महेश भट्ट

महेश भट्ट ने रेडियो नशा को दिए अपने एक इंटरव्यू मे बताया कि उनकी मुलाकात राज खोसला से 1969 में राजेश खन्ना और मुमताज अभिनीत फिल्म ‘दो रास्ते’ के अंतिम शेड्यूल के दौरान हुई थी। उन्होंने बताया कि इस फिल्म का गाना ‘तूने काजल लगाया दिन में रात हो गई’ फिल्माया जा रहा था, जब वह पहली बार मशहूर निर्देशक राज खोसला से मिले।

इंटरव्यू के दौरान उन्होंने राजेश खन्ना के स्टारडम पर भी बातचीत की। महेश भट्ट ने कहा कि वे राजेश खन्ना का स्टारडम देखकर हैरान रह गए थे। वे कहते हैं- ‘मैंने राजेश खन्ना जैसा स्टारडम पहले कभी नहीं देखा था। आजकल स्टार्स को डिजिटल प्लेटफॉर्म से काफी फायदा होता है। लेकिन उस समय महज कुछ फिल्मी मैगजीन और सीमित प्रिंट्स के साथ राजेश खन्ना शोहरत का ऐसा स्तर बनाने में कामयाब रहे जो पहले कभी नहीं देखा गया।’

Rajesh Khanna
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 ‘जो हूं, विनोद खन्ना की वजह से हूं

राज खोसला के साथ काम करने के बारे में बात करते हुए महेश भट्ट ने कहा- ‘हमने बाद में धर्मेंद्र और विनोद खन्ना को लेकर ‘मेरा गांव मेरा देश’ बनाई। विनोद खन्ना मेरे लिए सिर्फ एक कलीग नहीं थे, बल्कि वह एक बेहतरीन दोस्त भी थे जिन्होंने मेरी जिंदगी में बहुत अहम भूमिका निभाई। उनके बिना, मुझे नहीं लगता कि मैं वह व्यक्ति बन पाता जो मैं आज हूं।’

Vinod Khanna
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छठी फिल्म रही करियर के लिए लकी

महेश भट्ट ने अपने शुरुआती करियर पर बात करते हुए उदयपुर में ‘मेरा गांव मेरा देश’ के निर्माण पर चर्चा की और आनंद बख्शी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा फिल्म के संगीत की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि जब मैंने पहली बार इंडस्ट्री में शुरुआत की थी, तो मेरी फिल्मों को दर्शकों से बहुत अधिक ध्यान नहीं मिला था। कुछ खराब फिल्मों से शुरुआत करने के बावजूद, महेश भट्ट ने अपना पेशा स्थापित किया। उनकी छठी फिल्म ‘अर्थ’ ने इस पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। यह सफलता भट्ट के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण साबित हुई। इस फिल्म के बाद, 1980 और 1990 के दशक में उनकी कई फिल्में, जिनमें ‘सारांश’, ‘जनम’, ‘सड़क’ और ‘आशिकी’ शामिल हैं, व्यावसायिक रूप से सफल रहीं।

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