कभी स्वच्छता के मामले में 61वें नंबर पर था Indore, फिर कुछ यूं बना देश का सबसे साफ शहर!

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इंदौर… मध्य प्रदेश का ये शहर चर्चाओं में रहता है अपनी स्वच्छता को लेकर। जब भी कभी इंदौर की बात होती है, तो लोग इस शहर की स्वच्छता पर चर्चा करने नहीं भूलते। ये एक ऐसा शहर से जिसने ये साबित किया कि अगर कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और लोगों का सहयोग मिले लिया जाए तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं। इसी से इंदौर ने खुद को साबित कर दिखाया और लगातार पांचवीं बार बना देश का सबसे स्वच्छ शहर। 

5वीं बार सबसे स्वच्छ शहर बना इंदौर

जी हां, स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर ने लगातार पांचवीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का गौरव हासिल किया। राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इंदौर को देश का सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार दिया। 2017 से लेकर अब तक इंदौर ने ये पुरस्कार लगातार पांचवीं बार जीता। लेकिन स्वच्छता के मामले में टॉप पर रहने वाला इंदौर यूं ही नहीं यहां पहुंच गया। स्वच्छता के मामले में 2011-12 में इंदौर 61वें पायदान पर था। 2015 में ये शहर 25वें पायदान पर पहुंचा और फिर 2017 में इंदौर स्वच्छता के मामले में पहुंच गया टॉप पर। 

2017 में इंदौर पहली बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बना था। लेकिन इंदौर ने ये कमाल किया कैसे? क्या है इस शहर के स्वच्छता के मामले में अव्वल तक पहुंचने की कहानी? आज हम इसके बारे में ही आपको बताएंगे…

कैसे किया इंदौर ने ये कमाल?

जब 2015 से पहले इंदौर के लोगों से ये कहा जाता था कि वो रंग के आधार पर कचरा अलग अलग डस्टिबन में डालें, तो वो ये बात मानते नहीं थे। फिर इससे निपटने के लिए इंदौर के नगर निगम ने ऐसा तरीका अपनाया, जो कारगर साबित हुआ। नगर निगम ने घर घर जाकर कचरा इकट्ठा शुरू किया। एक बार जब लोगों को ये बात सही लगने लगी, तो इसके बाद आया अगला स्टेप। अगले स्टेप में लोगों से सूखे और गीले कचरे को अलग करके देने को कहा गया। कचरा इकट्ठा करने वाली जो गाड़ियां होती हैं, उसमें Organic और Inorganic वेस्ट डालने के लिए विभाजन भी कर दिए गए।

इसके अलावा जो लोग गाड़ियों या फिर वाहनों से रोड पर कूड़ा फेंका करते थे, उन्हें रोकने के लिए भी एक प्लान बनाया गया। इसके लिए इंदौर की मेयर ने व्यक्तिगत रूप से कार-डस्टबिन लोगों को बांटे। साथ ही साथ इस दौरान उन्हें स्वच्छता को लेकर जागरूक भी करने की कोशिश की गई।

जानिए और क्या क्या कदम उठाए गए? 

साथ ही साथ इंदौर Municipal Corporation ने दंड और पुरस्कार देने के सिस्टम को भी लागू किया। वो लोग जो पब्लिक प्लेस पर कूड़ा फेंकते थे, उनकी खुलतौर पर निंदा की गई। वहीं उन लोगों की सराहना हुई, जिन्होंने वेस्ट को सही तरीके से मैनेज किया। इसके अलावा कई तरह के Competition भी किए जाते थे इंदौर के हॉस्पिटल, वार्डों और रेस्तरां के बीच में और जो अच्छे से वेस्ट को मैनेज करता था, उनको भी पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता था। इससे लोग स्वच्छता की तरफ और ज्यादा प्रेरित हुए। 

इंदौर में रात को सड़कों की सफाई की जाती है। ये शहर खुले में शौच से भी मुक्त हो चुका है। साथ ही साथ एक बर्तन बैंक भी बनाया गया, जिससे प्लास्टिक के बर्तनों का कम उपयोग हो। 

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