कुछ फ्रॉड ऐसे होते हैं जो होते तो हैं लेकिन दिखते नहीं. ये आपके आसपास भी हो सकता है. ऐसे ही एक धोखाधड़ी का मामला आया है जिसने तकरीबन विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे फ्रोड्स को भी पीछे छोड़ दिया है. दिल्ली से सटे नोएडा में अब करीब 15 हजार करोड़ का घोटाला सामने आया है. नोएडा पुलिस ने हजारों लोगों के पैन कार्ड के डेटा और जाली दस्तावेजों के आधार पर 15 हजार करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा किया है. इस गिरोह ने फर्जी कंपनियां (Shell Companies) बनाकर देशभर में सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया. नोएडा पुलिस ने मामले में सरगना समेत आठ को गिरफ्तार किया है. बता दें कि, विजय माल्या पर 9 हजार करोड़, जबकि नीरव मोदी पर 14 हजार करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड का आरोप है.
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नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने गुरुवार को बताया कि आरोपी दिल्ली-गाजियाबाद के तीन स्थानों पर ऑफिस खोलकर फर्जीवाड़ा कर रहे थे. आरोपियों के पास से फर्जी दस्तावेजों से तैयार 2600 से अधिक कंपनियों की सूची भी मिली है. पुलिस ने सरगना दीपक मुरजानी, विनीता, अश्वनी, यासीन, आकाश सैनी, राजीव, अतुल और विशाल को दिल्ली से गिरफ्तार किया है.
2600 से ज्यादा फर्जी कंपनी के जरिए धोखाधड़ी
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि पैन कार्ड से फर्जी वाड़े की एक शिकायत कोतवाली सेक्टर-20 में दर्ज कराई गई. जांच पड़ताल शुरू की गई. रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी से मिले डाटा को निकाला गया, जिससे ये पता लगा कि करीब 26 सौ से ज्यादा फर्जी कंपनी बनाई गई. इनके पास 6.35 लाख लोगों के पैन कार्ड का डाटा मिला है, जिससे ये कंपनी रजिस्टर्ड कराते थे.
इनकी पहचान यासीन शेख पुत्र मौ हाफिज शेख और अश्वनि पाण्डे पुत्र अनिल कुमार को फिल्म सिटी मेन रोड से गिरफ्तार किया गया. आकाश सैनी पुत्र ओंकार सैनी, विशाल पुत्र रविन्द्र सिंह, राजीव पुत्र सुभाष चन्द, अतुल सेंगर पुत्र नरसिंह पाल, दीपक मुरजानी पुत्र स्व नारायण दास और एक महिला विनीता पत्नि दीपक को जीबोलो कंपनी कार्यालय, मधु विहार, दिल्ली से गिरफ्तार किया. इनके कब्जे से 12 लाख 66 हजार रुपये नगद, 2660 फर्जी तैयार की गयी जीएसटी फर्म की सूची, 32 मोबाइल फोन, 24 कम्प्यूटर सिस्टम, 4 लैपटॉप, 3 हार्ड डिस्क, 118 फर्जी आधार कार्ड, 140 पैन कार्ड, फर्जी बिल, 03 लग्जरी कारें बरामद हुई हैं.
जस्ट डायल से इल-लीगल तरीके से खरीदते थे डाटा
ये लोग सबसे पहले फर्जी फर्म तैयार करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर कंपनी जस्ट डायल के माध्यम से अवैध रूप से डैटा(पैन नम्बर) क्रय करते थे, जिसके बाद कालोनियों एवं मोहल्लों के अशिक्षित एवं नशा करने वाले व्यक्तियों को 1000-1500 रुपयों का लालच देकर एवं भ्रमित कर उनके आधार कार्ड में पूर्व से एकत्रित किए गए फर्जी मोबाइल सिम नम्बर को रजिस्टर्ड करा लेते थे. इसके बाद इस टीम द्वारा ऑन लाइन रेन्ट एग्रीमेन्ट एवं इलेक्ट्रीसिटी बिल को फर्जी तरीके से डाउनलोड कर लेते थे. इसी के जरिए ये एड्रेस तैयार करते थे.
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ये लोग क्रय की गई फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित का उपयोग बिना माल का आदान प्रदान किए, तैयार किए गए फर्जी बिलों का फर्म में उपयोग कर भारत सरकार से जीएसटी रिफन्ड करा लेते थे. एक फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित में एक माह में करीब दो से तीन करोड़ के फर्जी बिलों का उपयोग किया जाता था, जिनमें कुल धन राशि का निर्धारित जीएसटी प्रतिशत का रिफन्ड अवैधानिक रूप से प्राप्त किया जाता था.
सबका था अलग-अलग काम
- दीपक मुरजानी यह मास्टर माइंड है, जो गैंग को संचालित करता था. यह फर्जी दस्तावेज, आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट, बिजली बिल आदि का उपयोग कर फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित तैया कराता था तथा तैयार की गई फर्जी फर्म की बिक्री के लिए क्लाइंट तलाशने का कार्य करता था. इसके द्वारा फर्म बेचने के मोटे रुपये लिए जाते थे. इन फर्म में फर्जी पैन कार्ड लिंक होता था और उस पैन कार्ड से जीएसटी नंबर बनाए जाते थे.
- यासीन शेख यह फर्म रजिस्टर्ड कराने की प्रक्रिया और उस फर्म का जीएसटी बनाने की प्रक्रिया से वाकिफ होता था. यह पूर्व में मुंबई में वेबसाइट तैयार करने का कार्य करता था. यह अपने साथ कुछ युवाओं को रखता था, जिन्हें समय-समय पर प्रशिक्षित करता था. इसके द्वारा निजी कंपनी के माध्यम डाटा लेकर फर्जी तरीके से फर्म बनाई जाती थी.
- विशाल यह अशिक्षित एवं नशा करने वाले लोगों को रुपये का लालच देकर एवं भ्रमित कर अपने फर्जी नंबरों को आधार कार्ड में अपडेट कराने का कार्य करता था.
- आकाश यह भी अशिक्षित और नशा करने वाले लोगों को रुपये का लालच देकर फर्जी नंबरों को आधार कार्ड में अपडेट कराता था.
- राजीव यह सहयोगी अतुल के साथ जरूरत के अनुसार फर्जी बिल तैयार तथा विक्रय करता था.
- अतुल यह राजीव के कहने पर ही फर्जी बिल तैयार करने का कार्य करता था.
- अश्वनी यह यासीन शेख के संपर्क में रहकर फर्जी फर्म के लिए फर्जी बैंक अकाउंट खुलवाता था. यह एक खाता खुलवाने के दस हजार रुपये लेता था.
- विनीता यह सरगना दीपक की पत्नी है. यह प्रथम टीम द्वारा तैयार की गई फर्जी फर्म को विक्रय करने का कार्य करती थी. जीएसटी रिफंड (आईटीसी इनपुट टैक्स क्रेडिट) से होने वाली आय का लेखा- जोखा रखना एवं टीम से जुड़े आरोपियों के खर्चे आदि के प्रबंधन का कार्य करती थी.
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12 CA भी हैं शामिल
पुलिस कमिश्नर लक्नेष्मी सिंह ने बताया कि गिरोह के सरगना दीपक मुरजानी द्वारा तैयार की गई फर्जी कंपनी और जीएसटी नंबर को गिरोह में शामिल 12 सीए हासिल कर लेते थे. इसके बाद वे पूरे देश में फैले उनके क्लाइंट को कम दरों में जीएसटी इनपुट क्रेडिट रिफंड और ब्लैक मनी को व्हाइट कराने के लुभावने ऑफर देते थे. वे सरकार से लाखों रुपये का इनपुट क्रेडिट का रिफंड भी अलग-अलग तरीके से ले लिया करते थे. गिरोह के सीए इन कंपनियों का जीएसटी बिल भी बेच देते थे.
इन लोगों की तलाश जारी
आंछित गोयल पुत्र प्रदीप गोयल, प्रदीप गोयल, अर्चित, मयूर उर्फ मणि नागपाल, चारू नागपाल, रोहित नागपाल, दीपक सिंघल व इनके अलावा अन्य अज्ञात व्यक्ति हैं. इस गैंग के दिल्ली में मधु विहार, शहादरा और पीतमपुरा में ऑफिस संचालित किए जा रहे थे.
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