पाकिस्तान के लाहौर में आतंकवादी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स के सरगना परमजीत सिंह पंजवड़ की हत्या हो गई है. दरअसल, कुछ अज्ञात हमलावरों ने परमजीत सिंह पंजवड़ के घर में घुसकर गोलियां मारी और मौके से फरार हो गए और इस हमले में परमजीत सिंह पंजवड़ की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं परमजीत सिंह पंजवड़ की हत्या के बाद इस बात की चर्चा है कि खालिस्तान कमांडो फोर्स क्या हैं और क्या काम करती है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इसी बात की जानकारी देने जा रहे हैं.
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जानिए क्या है खालिस्तान कमांडो फोर्स
जानकारी के अनुसार, खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) एक सिख खालिस्तानी आतंकवादी संगठन है जो भरत के राज्य में काफी सक्रिय है और इसके प्रमुख सदस्य कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और पाकिस्तान में स्थित है., वहीं इस खालिस्तान कमांडो फोर्स का उद्देश्य सभी अलगाववादी खालिस्तानी उग्रवादी समूहों को मजबूत करना और ‘सिख होमलैंड’ बनाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है. इसकी तीन स्तरीय पदानुक्रमित संरचना है, जिसमें पंथिक समिति के सदस्य पहले स्तर और दूसरे स्तर के नेतृत्व का गठन करते थे. केसीएफ के तीसरे स्तर में मुख्य रूप से ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISSF) के कैडर शामिल थे. केसीएफ कथित तौर पर कनाडा, ब्रिटेन और पाकिस्तान में मौजूद है. इसे पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में हमदर्दों का संरक्षण भी प्राप्त है.
इन घटनाओं का जिम्मेदार है KCF
KCF भारत में कई हत्याओं के लिए भी जिम्मेदार है, जिसमें 1995 में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या भी शामिल है और ये संगठन KCF के वित्त पोषण का प्राथमिक स्रोत लूटपाट, बैंक डकैती और जबरन वसूली करता है. यह अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार पाकिस्तान से भारत में हथियारों की बड़े पैमाने तस्करी करता है 1988 में खालिस्तान कमांडो फोर्स ने कुछ शीर्ष राजनीतिक नेताओं की हत्या कर दी थी और अक्टूबर 1988 में एक बम विस्फोट भी किया था । इस समूह ने फिरोजपुर में 10 राय सिखों को मार डाला था।वहीं खालिस्तान कमांडो फोर्स मॉड्यूल 1998 और 1999 में बम धमाकों के लिए जिम्मेदार था। पंजाब पुलिस ने खालिस्तान कमांडो फोर्स के कई मॉड्यूल का पर्दाफाश किया और विभिन्न आरोपियों को गिरफ्तार किया और हथियार, गोला-बारूद, विस्फोटक बरामद किया और इसी वजह से भारत सरकार द्वारा एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया गया.
कौन था परमजीत सिंह पंजवड़
वहीं परमजीत सिंह पंजवड़ 1990 से ही पाकिस्तान में मलिक सरदार सिंह के नाम से छिपा हुआ था. पंजवड़ सीमा पार से भारत में अवैध हथियारों और ड्रग्स की सप्लाई का रैकेट चलाता था. उसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का संरक्षण प्राप्त था. आईएसआई पंजवड़ का इस्तेमाल पंजाब प्रांत में खालिस्तानी अलगाववाद को बढ़ाने और आतंकी वारदातों को अंजाम देने में करती थी. उसने 30 जून 1999 में चंडीगढ़ पासपोर्ट कार्यालय के पास बम ब्लास्ट कराया था. परमजीत सिंह पंजाब में तरनतारन जिले के झब्बाल गांव का रहने वाला था. पहले यह भारत में पंजाब के सोहल में एक केंद्रीय सहकारी बैंक में काम करता था. वह 1986 में अपने चचेरे भाई लाभ सिंह के आतंकी बनने के बाद खालिस्तान कमांडो फोर्स में शामिल हुआ था. लाभ सिंह को भारतीय सुरक्षा बलों ने मार गिराया था, जिसके बाद परमजीत ने खालिस्तान कमांडो फोर्स की कमान संभाली थी.
हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर की हुई हत्या
इससे पहले इसी साल फरवरी में हिजबुल मुजाहिदीन का शीर्ष कमांडर बशीर मीर उर्फ इम्तियाज आलम की इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी थी. बशीर मीर के हत्यारे भी बाइक पर आए थे और गोलियां बरसाकर फरार हो गए थे. बशीर मीर हिजबुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडरों में से एक था.