आज से
ठीक दो दिन बाद यानि 2 अप्रैल 2023 से देश का नया फाइनेंसियल ईयर शुरू होने जा रहा
है. मतलब 1 फरवरी को जो बजट पेश हुआ था अब वो 1 तारिख से लागू हो जाएगा और लें
दें से लेकर हर चीज में निर्धारित मूल्यों पर बिक्री शुरू हो जाएगी . ऐसे में बहुत
सी ऐसी खबरें आ रही रही है कि UPI से लेन-देन (UPI transaction) भी अब महंगा होने वाला है. मंगलवार
को आई एक रिपोर्ट में ये कहा गया था कि एनपीसीआई(नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़
इंडिय) ने 2000 से ज्यादा के मर्चेंट पेमेंट्स (Merchent Payments) पर PPI (Prepaid Payment Instruments) चार्ज लगाने की सिफारिश की है. इन अफवाहों
पर NPCI ने अपनी एक
प्रेस रिलीज़ कर अपना रुख साफ़ कर दिया जिसमे ये कहा है की UPI अब भी फ्री है.
रिपोर्ट
में जताई गयी एक्स्ट्रा चार्जेज की आशंका
दरअसल
मंगल्वाल को एक मीडिया रिपोर्ट जारी की गयी थी जिसमे ये कहा गया था NPCI अब यूपीआई पर PPI लगाने की तैयारी में है. ये चार्ज
0.5-1.1 फीसदी लगाए जाने की सिफारिश की गई है. सर्कुलर में UPI के जरिए 2,000 रुपये से
ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर 1.1 फीसदी प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट यानि PPI लगाने का सुझाव
दिए जाने का जिक्र हुआ था,
जो मर्चेंट
ट्रांजैक्शंस यानी व्यापारियों को पेमेंट करने पर देय होगा. जिसमे किराना स्टोर, सड़कों पर सब्जी लगाने वाले और वो सभी लोग आते हैं जो एक व्य्याव्सायी
के तौर पर UPI के
जरिए पेमेंट लेते हैं.
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प्रेस
में NPCI ने क्या कहा ?
एनपीसीआई ने बुधवार को जारी रिलीज में कहा है कि यूनिफाइड
पेमेंट इंटरफेस (UPI) फ्री… फास्ट… सुरक्षित और निर्बाध है. हर महीने बैंक
अकाउंट का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स और कारोबारियों के लिए 8 अरब रुपये से अधिक
लेन-देन बिल्कुल फ्री संसाधित किए जाते हैं. NPCI की ओर से ये प्रेस रिलीज उन खबरों के बाद जारी
की गई है, जिसमे इस बात
का जिक्र किया गया था कि UPI से 2000 रुपये से ज्यादा मर्चेंट पेमेंट पर प्रीपेड पेमेंट
इंस्ट्रूमेंट PPI चार्ज वसूले जाने की आशंका जताई गई थी.
30 सितंबर से पहले की जाएगी समीक्षा
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन (NPCI) ने अलग-अलग क्षेत्र के लिए
अलग-अलग इंटरचेंज फीस निर्धारित की है. फार्मिंग और टेलीकॉम सेक्टर में सबसे कम इंटरचेंज
फीस वसूला जाता है. दरअसल, इंटरचेंज फीस मर्चेंट ट्रांजैक्शंस यानी व्यापारियों को
पेमेंट करने वाले पर देनी होती है. रिपोर्ट में जहा 2000 रुपये से ज्यादा के
ट्रांजैक्शन पर एक्स्ट्रा चार्ज की बात कही गई थी, तो वहीं दावा किया गया था
कि बैंक अकाउंट और वॉलेट के बीच पीयर-टू-पीयर और पीयर-टू-पीयर-मर्चेंट में किसी तरह
के ट्रांजैक्शन पर कोई शुल्क नहीं देना होगा.
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रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि PPI में वॉलेट या कार्ड के जरिए
ट्रांजैक्शन आता है. आम तौर पर इंटरचेंज फीस कार्ड भुगतान से जुड़ी हुई होती है और
इसे लेन-देन को स्वीकार करने और लागत को कवर करने के लिए लागू किया जाता है. नेशनल
पेमेंट्स कॉरपोरेशन (NPCI) ने अपने सर्कुलर में कहा है कि इस नए नियम को 1 अप्रैल से
लागू करने के बाद इसकी समीक्षा 30 सितंबर, 2023 से पहले की जाएगी.
किस ओर जाएगी पब्लिक?
वैसे आजकल के डिजिटल जमाने में जिस तरह से डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा दिया गया है या फिर दिया जा रहा है उस नजरिए से अगर देखें तो अगर NPCI अगर किसी भी तरह का चार्ज लगाती भी है तो उससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ने वाला है. और इसका जीता जागता उदाहरण आप ट्विटर के ब्लूटिक सब्सक्रिप्शन की शुरुआत से ले सकते हैं. जहाँ आपको सिर्फ एक टिक लेने के लिए महीने के 600 से 800 रुपये देने पड़ रहे हैं.
इसके चलते बहुत सारी बहस भी हुई लेकिन लोगों ने इसे एक्सेप्ट किया. क्योंकि वो चीज अब एडिक्टिव हो चुकी है और उससे पैसे भी कमाए जाते थे ठीक ऐसे ही अब UPI के साथ भी हुआ है आज हमें ऑनलाइन ट्रान्सफर की ऐसी आदत पड़ गयी है कि हम अब दो रुपये की टॉफ़ी के लिए भी PAYTM और PHONEPE जैसे APP का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में अगर NPCI किसी तरह के चार्ज लेता है भविष्य में तो पब्लिक उसे भी एक्सेप्ट कर सकती और उसी के साथ आगे बढ़ सकती है. और इस बात को लेकर PM मोदी ने अपने हर भाषण में डिजिटल इंडिया का जिक्र किया है जिससे ये साफतौर पर पता चलता है कि अब टाइम कैश का नहीं ऑनलाइन का है. जिससे वापस जा पाना असंभव सा है.