इस वजह से हुई वोडाफोन और आइडिया बर्बाद
हाल ही में भारत की वोडाफोन और IDEA कंपनी ने एक साथ मिलकर काम करने का समझौता किया क्योंकि जिओ Jio और एयरटेल (Airtel) के बढ़ते सब्सक्राइबर(Subscribers) ने वोडाफोनआईडिया (VI) के यूज़र्स (USERS) सब्सक्राइबर(Subscribers) कम कर दिए लेकिन अब साथ मिलकर काम करने वाली ये वोडाफोनआईडिया का अब पतन होने वाला है.
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“VI” को लेकर क्या है Major शेयर होल्डर का बयान
भारतीय टेलीकॉम(Telecom) कंपनी वोडाफोन आइडिया (VI) अब पूरी तरह से अपने पतन (Downfall) पर है. ऐसे में VI के 27 फीसदी शेयर की हिस्सेदारी रखने आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को चेतावनी देते हुए लिखा है कि वोडाफोन आइडिया “पतन के अपरिवर्तनीय बिंदु” (irretrievable point of collapse) के करीब है। उन्होंने कहा है कि – संभावित विदेशी निवेशक … AGR (समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue) देयता पर स्पष्टता जैसे लंबे समय से चले आ रहे अनुरोधों पर सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से एक तीन खिलाड़ी दूरसंचार बाजार (consistent with its public stance) के लिए स्पष्ट सरकारी मंशा देखना चाहते हैं. स्पेक्ट्रम भुगतान पर पर्याप्त अधिस्थगन और सबसे महत्वपूर्ण, सेवा की लागत से ऊपर एक फ्लोर प्राइस का नियम हो। इसी के साथ में यह भी कहा की, “इन तीन मुद्दों पर सरकार से तत्काल सक्रिय समर्थन (immediate active support) के बिना, VIL की वित्तीय स्थिति इसके संचालन को पतन के एक अपरिवर्तनीय बिंदु तक ले जाएगी।”
पतन पर क्या है VI का कहना
अपनी सबसे हालिया कमाई को लेकर कंपनी ने कहा कि उसका सकल ऋण लीज देनदारियों को छोड़कर (excluding lease liabilities) 1,803.1 Billion रुपये (~ $24 बिलियन) था। पिछले साल भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) ने मार्च 2021 में देय 10 प्रतिशत की पहली किस्त के साथ Vi और Airtel को भुगतान करने के लिए 10 साल का समय दिया था पर इस बिरला ग्रुप अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि वह हिस्सेदारी को “किसी भी इकाई – सार्वजनिक क्षेत्र/सरकार/घरेलू वित्तीय इकाई या किसी अन्य को सौंपने को तैयार हैं, जिसे सरकार कंपनी को चालू रखने के योग्य मानती है।”
डाटा सेंटर और Foreign Investors को लेकर अफवाहें
वोडाफोन आइडिया का नवी मुंबई (Navi Mumbai) में एक डेटा सेंटर (Data Centre)और लगभग 160,000 किमी फाइबर ऑप्टिक्स (Fibre Optics) है। कंपनी ने 2019 में अपनी डेटा सेंटर Unit को बेचने की कोशिश की, लेकिन एक रिपोर्ट(Report) के माने तो इसके मूल्यांकन (Valuation) से मेल खाने के लिए कोई खरीदार(Buyer) नहीं मिला।
पिछले साल Google, Amazon, Verizon, और एक consortium Oaktree Capital and Varde Partners को टेल्को में निवेश करने में दिलचस्पी होने की अफवाहें उड़ी थी, लेकिन ये महज अफवाह बनकर रह गई, इस साल केकेआर(KKR), टीपीजी कैपिटल(TPG Capital), अपोलो ग्लोबल और कार्लाइल ग्रुप (Carlyle Group) सहित सभी फर्मों (Ferms) को रुचि (Interest) के रूप में रिपोर्ट किया गया है, लेकिन फिर से ये बात भी अफवाह निकली और कंपनी का अभी भी वही बुरा हाल हो गया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी।
ड्यूश बैंक (Deutsche Bank) ने दी राय ?
ड्यूश बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वीआई को बचाने का सबसे अच्छा विकल्प भारत सरकार के लिए टेल्को (TELCO) के कर्ज को इक्विटी (Equity) में बदलना और इसे राज्य द्वारा संचालित टेल्को भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के साथ विलय(Merge) करना था। Deutsche Bank ने ये भी कहा कि, “वीआई के कर्ज का बड़ा हिस्सा स्पेक्ट्रम (Spectrum) और एजीआर (AGR) की जिम्मेदारी है और कंपनी को किसी न किसी वक्त पर 5जी स्पेक्ट्रम लेने की भी जरूरत पड़ेगी। ड्यूश बैंक के अनुसंधान विश्लेषक(Research analyst) पीटर मिलिकेन (Peter Miliken) ने अपनी रिपोर्ट में कहा, दूरसंचार पूंजी (telecom capital) को लक्ष्य के रूप में और लगातार सरकारों को देखते हुए निजी निवेशकों के लिए कंपनी को बचाने की संभावना बहुत कम है, “इसलिए हमें लगता है कि भारत के लिए Vi को बनाए रखने का एकमात्र व्यवहार समाधान (viable solution) सरकार के लिए अपने ऋण (Loan) को Equity में परिवर्तित करना है, अधिमानतः इसे बीएसएनएल(Bharat Sanchar Nigam Limited) के साथ विलय करते समय और फिर इसे लाभप्रदता लक्ष्यों (Profitability Goals) और प्रोत्साहनों के आधार पर एक स्पष्ट वाणिज्यिक जनादेश (Commercial Mandate) प्रदान करना है।”
इस साल की शुरुआत में कुछ रिपोर्ट्स ने ये बताया था की कि वोडाफोन इंडिया के आइडिया सेल्युलर (Idea Cellular) के साथ विलय के बाद 2018 में गठित कंपनी अपने लोन को भरने के लिए अपनी Fixed लाइन ब्रॉडबैंड सहायक (broadband assistant), ऑप्टिक फाइबर(optic fibre) यूनिट और डेटा सेंटर के व्यवसाय(Bussniess) को बेचना चाह रही थी। कंपनी के बारे में यह भी कहा गया था कि भविष्य के डेटा केंद्रों के लिए खरीदी गई भूमि बैंकों को बेचने का लक्ष्य रखा गया था। फिलहाल की रिपोर्ट की माने तो VI अब दिवालिया होने की कगार पर है और अगले 15 दिन के अंदर कंपनी के बंद होने की भी आशंका है।
आपके मायने में इस कंपनी के बर्बाद होने की असल वजह क्या हो सकती है हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।
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