इंडियन हॉकी स्टार रानी रामपाल के नाम पर रायबरेली स्टेडियम का नाम रखा गया है. ये सम्मान सम्मान पाने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं. एमसीएफ रायबरेली ने स्टेडियम का नाम बदलकर ‘रानीज गर्ल्स हॉकी टर्फ’ (Rani’s Girls Hockey Turf) कर दिया है. रानी ने सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें शेयर करते हुए कुछ इमोशनल बातें लिखी हुई हैं कि कैसे उन्होंने इस मुकाम को हासिल किया और इस बात को को लेकर कितनी भावुक हैं.
मेरे लिए बहुत ही भावुक पल
रानी रामपाल ने अपने ऑफिसियल ट्वीटर अंकाउट से उद्घाटन की कुछ फोटोज को शेयर करते हुए लिखा, ‘अपनी खुशी मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती. एमसीएफ रायबरेली हॉकी स्टेडियम का नाम खेल में मेरे योगदान को देखते हुए रानीस गर्ल्स हॉकी टर्फ रखा गया है.’ उन्होंने कहा, ‘मेरे लिये यह भावुक और गर्व करने वाला पल है. अपने नाम पर हॉकी स्टेडियम वाली मैं पहली महिला हॉकी खिलाड़ी हूं. मैं इसे भारतीय महिला हॉकी टीम को समर्पित करती हूं और उम्मीद करती हूं कि यह अगली पीढी को प्रेरित करेगा.’
इसी साल भारतीय टीम में की है वापसी
रानी ने इस साल की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका के दौरे के दौरान भारतीय टीम में वापसी की थी, जब उन्हें 22 सदस्यीय टीम में दोबारा शामिल किया गया था. इससे पहले रानी ने एफआईएच महिला हॉकी प्रो लीग 2021- 22 में बेल्जियम के खिलाफ आखिरी बार खेलने के बाद टीम में वापसी कर रही थीं, जहां उन्होंने भारत के लिए अपनी 250वीं कैप जीती थी. 28 वर्षीय रानी टोक्यो ओलंपिक के बाद से चोट से जूझ रही थीं जिसके बाद उन्हें विश्व कप और राष्ट्रमंडल खेलों 2022 की टीम से बाहर कर दिया गया था.
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कभी हॉकी स्टिक खरीदने के लिए नहीं होते थे पैसे
रानी राम्पौल एक इंटरव्यू में बताती हैं की ‘मेरे घर के पास एक हॉकी अकादमी थी, इसलिए मैं घंटों खिलाड़ियों को अभ्यास करते हुए देखती थी. मैं भी वास्तव में खेलना चाहती थी. पापा प्रतिदिन 80 रुपये कमाते थे और मेरे लिए एक हॉकी स्टिक नहीं खरीद सकते थे.
हर दिन मैं कोच के पास जाती थी और मुझे भी सिखाने के लिए कहती थी. कोच ने मुझे रिजेक्ट कर दिया क्योंकि मैं कुपोषित थी. वह कहते थे, ‘आप अभ्यास सत्र के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हैं.’… आप सोच रहें होंगे कि ये किसकी बात यहां हो रही है. जी हां ये बात हो रही भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल की. रानी रामपाल ने अपने उस दौर की बातें बताईं जब मुफलिसी के कारण उनका जीवन मुश्किलों से गुजर रहा था.
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6 साल की उम्र में थामी हॉकी
उन्होंने बताया कि रानी ने महज छह साल की उम्र में हॉकी पकड़ी थी. पांचवीं कक्षा में हॉकी कोच बलदेव सिंह के पास प्रशिक्षण लेना शुरू किया. 16 वर्ष की आयु में भारतीय टीम से खेलना शुरू किया. ये उनका दूसरा ओलिंपिक है और बतौर कप्तान खेल रही हैं. पिछली बार ओलिंपिक से लौटने के बाद हॉकी प्लेयर रानी रामपाल को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया था. भारत सरकार की ओर से रानी रामपाल को खेल रत्न अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है.
घर वाले करते थे मना
रानी बचपन से ही हॉकी खेलना चाहती थी. लेकिन उनके घर वाले अभी भी उस दौर में नहीं आए थे जहाँ आकर उन्हें ये महसूस होने लगा हो कि महिलाएं घर में काम करने के अलावा बाहर भी अपने हुनर का प्रदर्शन कर सकती हैं.
रानी ने ने जब ये बात अपने घरवालों को बताई तो उन्होंने कहा कि, लड़कियां घर का काम ही करती हैं और हम तुम्हें स्कर्ट पहनने नहीं देंगे.’ मैनें उनसे कहा कि प्लीज मुझे जाने दो. अगर मैं असफल होती हूं, तो आप जो चाहेंगे, मैं करूंगी.’ मेरे परिवार ने बिना मन से मेरी बात मान ली. हमारे पास घड़ी भी नहीं थी, इसलिए मां उठती थीं और आसमान की ओर देखतीं कि क्या यह मुझे जगाने का सही समय है.
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मात्र 15 साल की उम्र में खेला लिया था विश्वकप
हरियाणा के शाहबाद मारकंडा में 4 दिसम्बर 1994 को जन्मी रानी रामपाल ने महज 15 साल की उम्र में 2010 में विश्वकप में हिस्सा लिया था. जहाँ से रानी रामपाल ने अबतक 254 अंतराष्ट्रीय मैच खेल लिए हैं. जिसमे उन्हूने अबतक 134 गोल किये हैं. साल 2020 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था. रानी 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में रजत पदक पाने वाली और 2014 इच्नियोंन एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा थीं.