एक बाप के लिए बेटी सबसे बड़ा दहेज़ होती है. ये सारी बातें सोशल मीडिया और गूगल पर बड़ी अच्छी लगती हैं. लेकिन जब इसकी सच्चाई को जानने के लिए ग्राउंड लेवल पर आते हैं तो शायद ये सब बातें बकवास सी लगने लगती हैं, दिखावा मात्र. कहानी तो झारखण्ड में रहने वाली एक महिला की है लेकिन इस कहानी का जो दर्द है, सूरत-ए-हाल है वो देश की सारी महिलाओं खासकर शादीशुदा महिलाओं की जिन्दगी का एक हिस्सा बन चुका है. कहीं बियाही बेटी घर में फंदे पर लटक जाती है तो कहीं ससुराल वाले किसी दूसरे से हत्या करवाकर फेंक देते हैं. जब एक बेटी अपने घर से ससुराल जाती है तो उसके साथ कई सारी जिम्मेदारियां जुड़ जाती हैं वो समझने भी लगती है लेकिन शायद हमेशा ससुराल वालों को रास नहीं आता.
Also Read: दो रुपये और दो मुट्ठी चावल से फूलबासन बाई ने ऐसे तय किया पद्मश्री का सफ़र.
आपको पता है हमारे समाज का सबसे बड़ा छलावा क्या है? नहीं? तो जान लीजिये वो है सोशल मीडिया! जहां पर लोग, देश, राजनेता बड़े बड़े अधिकारी सिर्फ पन्नों पर वीमेन एमपॉवरमेंट, महिला सुरक्षा जैसी तमाम फेंकू बाते करते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर ये सारी बातें फर्जी निकती हैं. और पत्नी के रूप में एक बहू के रूप में एक औरत अपने भीतर कितने दर्द और कितने राज दबाए रहती है ये हकीकत सिर्फ उसी को पता होती है लेकिन वो छुप रहती है क्योंकि उसे अपना परिवार प्यारा है. मगर ये चुप्पी कबतक रहेगी. जब तक वो मौत के घाट न उतार दी जाए ये जहर खाने को मजबूर हो जाए? आज ये जो कहानी है वो एक ऐसी लड़की की है, एक ऐसी पत्नी की है, एक ऐसी बहू की है और एक ऐसी माँ की है जिसने ससुराल में होने वाली हर वो यातनाएं सही जो हमारे भारतीय समाज में गन्दी तरह से भरी पड़ी हैं. गलती उसकी इतनी है कि उसकी सास उसे पसंद नहीं करती और उससे बड़ी गलती है कि उसने बच्चे के रूप में एक बेटी को जन्म दिया बस. जो कि उसके बस में नहीं था. लेकिन वो बाकी औरतों की तरह उसने हार नहीं मानी फांसी नहीं लगाई, जहर नहीं खाया इसलिए क्योंकि उसे पता था कि उसका ये सच समाज में पता नहीं ऐसे दर्द सह रही कितनी महिलाओं की जिन्दगी बचा सकता है उनके अन्दर वो आत्मविश्वास लाएगा कि जरूरी नहीं हमेशा आप ही गलत रहो. आपको अपने हक़ की लड़ाई लड़ने पड़ेगी.
सास को रास नहीं है बेटे कि खुशहाल जिन्दगी
दरअसल लड़की का नाम है शिवानी अग्रवाल! और वो झारखण्ड की रहने वाली है और आजकल वो सोशल मीडिया के जरिए कमाई करके अपनी और अपनी बेटी मौली की जीविका चला रही हैं. क्योंकि इनके पति ने इनको घर से निकाल दिया है. शिवानी अपनी कहानी बयाँ करते हुए सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करती हैं जिसमे उसने अपनी अच्छी भली जिन्दगी कैसे बर्बाद हुई वो दर्द बयां करती है. अपनी कहानी शेयर करते हुए शिवानी बताती है कि, किस्से की शुरुआत होती है जब मैं पढ़ने और पढ़ाने दोनों का काम करती थी. तभी उनकी शुमुलाक़ात उनके होने वाले पति से होती है. प्यार का शुरूआती परवान होता ही ऐसा है कि बातचीत करते हुए प्यार कब हो जाता है पता ही नहीं चलता. इन दोनों की बातें भी कई महीनों तक चली फिर अचानक उसने शिवानी को शादी के लिए प्रपोज़ कर दिया. दोनों राजी थे घर वाले भी रिश्ते से खुश थे सिवाय होने वाली सास के. वजह थी शिवानी का मिडिल क्लास होना और दहेज़ में कम चीज़ें लाना.
फिर भी इनकी शादी हुई. और वही सास-बहू और साजिश वाला ड्रामा शुरू हुआ. जिसका मुझे(Shivani) पहले से डर था. पति की माँ अब रोज़ रोज कोई बहाना देकर हमारे बीच झगड़े करवाने लगी. कभी इस बात को लेकर कभी उस बात को लेकर और पति भी मेरी कभी नहीं सुनते सिर्फ घरवालों कि. लेकिन वो चुपचाप सहती रही ये सोचकर कि चलो छोड़ो आज नहीं तो कल ठीक ही हो जाएगा. ये सब ऐसे ही चलता रहा क्या पता कि एक बच्चा हो जाए तो सब ठीक हो जाएगा. और वो वक़्त आया जब शिवानी दो साल बाद प्रेग्नेंट हुई और उनके घर में जन्म हुआ एक लड़की का जिसे हम अक्सर हिन्दू समाज में देवी कहते हैं. ये मैं इसलिए मेंशन कर रहा हूं क्योंकि इसी लड़की की पैदाईश लड़के की माँ को नागवार गुजरी क्योंकि उनको चाहिए था लड़का.
ALSO READ: ये हैं भारत की 5 सबसे अमीर महिलाएं, जानिए क्या करती हैं काम.
बात और बिगड़ती गई सास और शिवानी के बीच झगड़े और बढ़ते गए दूरियां बढ़ती गयी. और सास के साथ साथ उनकी चाची और ननद भी शामिल हो चुकी थी. लेकिन जब पति और पत्नी के बीच एक बच्चा आ जाए और भी चीज़ें ठीक न हो तो इसका असर बच्चे की परवरिश पर जाता है. मतलब गलत असर पड़ता है. जिसके चलते शिवानी को अपने बेटी मौली के भविष्य की चिंता होने लगी. दूसरी तरफ इनकी चाची और सास इन्हें घर से भगाने की पुरजोर कोशिश करने लगी. झगड़े के चलते पति उन्हें मार भी देते थे गाली भी दे देते थे. लेकिन शिवानी जैसे तैसे करके पति को तो माना लेती थी लेकिन बात तो सास की थी उसको कैसे मनाती?
रोज रोज हो रहे इन ड्रामों से शिवानी को परिवार खोने का डर सताने लगा था जो उनके चेहरे से भी साफ़ झलकने लगा था. शिवानी को बात तो उस दिन बुरी लग गयी जब उनकी ननद ने ये ताना देते हुए शिवानी को कहा कि, इतना मार खाती है फिर भी पता नहीं क्यों घर से भाग नहीं रही है. शिवानी को इस बात का भरोसा ही नहीं हुआ कि उनके पति ने उनके पक्ष को जाने बगैर, सच जाने बगैर उन्हें घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इस बात का भरोसा नहीं हो रहा था कि जो आदमी मुझे खुद शादी के लिए प्रपोज़ करके शादी करता है वो अपने परिवार वालों के कहने पर उसे छोड़ देगा.
2 साल से घर परिवार और पति से दूर
शिवानी पिछले दो साल से पति से दूर अपनी बेटी के साथ रह रही हैं इस बीच शिंवागी डिप्रेशन में गयी, बेटी की चिंता हुई कि कैसे उसकी पढाई लिखाई चलेगी. इतना कुछ होने के बावजूद भी शिवानी आज भी अपने पति का इंतजार कर रही है. उनकी बेटी भी अपने पापा को याद करती है और पूछती रहती है कि ‘पापा कब आएंगे?’ लेकिन माँ के पास इसका क्या ही जवाब रहेगा. शिवानी 21 जुलाई 2021 को अपने मायके आई थी और तब से वहीँ हैं क्योंकि वो ससुराल और पति के मारपीट नहीं झेल पाई. और क्यों ही झेले?
ALSO READ: महिलाओं के रहन सहन पर क्या थी बाबा साहेब की टिप्पणी?
क्या बच्चा पैदा करने की जिम्मेदारी सिर्फ औरतों की है? लड़का हो तो वाह वाह और लड़की हो तो हाय हाय. ये कहाँ का न्याय है? आज शिवानी जैसी लड़कियां शादीशुदा होने के बाद ये सब झेलती है लेकिन वो छुप रहती है क्योंकि उन्हें परिवार प्यारा है रिश्ते प्यारे हैं लेकिन सामज को ये बात भी तो समझनी चाहिए की ताली एक हाथ से नहीं बजती. आज की शादीशुदा महिलाओं को अगर सम्मान के साथ रहना है तो उनको शिवानी जैसा ही कदम उठाने की बहुत जरूरत है.
पति मस्ती से कर रहा वर्ल्ड टूर
इतना कुछ हो गया पत्नी गरीबी झेल रही है और वही शादी से पहले शिद्दत से चाहने वाला उनका पति आज दुनिया भर की सैर कर रहा है लेकिन उसे अपनी बेटी और पत्नी का तनिक सा भी ख्याल नहीं है. शिवानी ने उसे पता नहीं कितनी बार काल किया कितनी बार मेसेज किया लेकिन पति इतना पत्थर दिल की उसने रिप्लाई तो दूर की बात हर जगह से ब्लाक कर दिया. आखिर क्यों? इसमें उसकी और बेटी की क्या गलती है क्या मिडिल क्लास होना गुनाह है?
क्या भगवान भेजते वक़्त कोटा बनाता है कि तुम इस केटेगरी में पैदा होगे और तुम इसमें? अगर ऐसा है तो धरती पर जनम लेने से बेहतर है पैदा ही न हों. और खासकर बेटी बनाकर. शिवानी आजतक ये समझ नहीं पायी कि उनसे क्या गलती हुई जिसकी सजा वो आजतक भुगत रही है.
किसी को शक न हो इसलिए पहले ही ससुराल वालों ने कर दिया केस
शिवानी अपने पोस्ट के जरिए ये भी बताती हैं कि, मेरे ससुराल वालों को ये बात बहुत अच्छे से पता थी कि उन्होंने मुझपर बहुत अत्याचार किया हैं इसलिए उनको डर था कि कहीं हम उनके खिलाफ कोर्ट में केस न दर्ज कर दें इसलिए उन्होंने इससे पहले ही सेक्शन 9 के तहत मेरे खिलाफ ससुराल में रहने के लिए केस कर दिया. लेकिन मैं अपने पति को जेल के पीछे नहीं देखना चाहती थी इसलिए मैंने कभी कुछ नहीं किया.
मैं तो सारी बातें भूलकर उनके साथ खुद ही रहना चाहती हूं लेकिन ससुराल वालों को तो मेरे पति की दूसरी शादी करवानी है. बाकी ये तो सबको पता है कि कोर्ट कचहरी में कितना वक़्त लगता है. फिर भी कोर्ट गए MEDIATION भी हुआ लेकिन वो घर लेने जाने को इसलिए नहीं तैयार हुए क्योंकि मैंने घर छोड़कर बहुत बड़ी गलती कर दी थी. मेरी वजह से मेरे पापा की तबियत भी बहुत ख़राब हो गयी. मेरे भाई ने भी अभीतक मेरी कोई मदद नहीं कि ऊपर से अब मौली का एडमिशन कौन करवाएगा?
ALSO READ: पहले बीबी फिर शौहर की मां और फिर भाभी…मुस्लिम महिला का ये खुलासा आपका दिमाग हिला देगा.
2 साल से 2 रुपये भी नहीं दिए पति ने
आज मायके आए हुए शिवानी को दो साल होने को है लेकिन अभी तक न शिवानी के लिए न मौली के लिए पति ने दो रुपये भी नहीं दिए हैं. इन सब बातों के लिए सोशल मीडिया का सहारा इसलिए लेना पड़ा ताकि लोगों को सच्चाई पता चले जो समाज के सामने कुछ और, और अपनी पत्नी, बहू के साथ कुछ और होते हैं. दो साल से वो और उनकी बेटी अकेले हैं शिवानी भी सिंगल मदर बनकर मौली का पूरा जिम्मा अपने कंधे पर लेकर चल रही हैं. बस मौली ही उनके जीने का सहारा है.
अब ब्लॉग्गिंग के जरिए कमाती है पैसे
पति से अलग होने के बाद शिवानी अपनी डेली एक्टिविटी के ब्लॉग्गिंग करके सोशल मीडिया के जरिए अच्छे पैसे कमाती हैं. जिससे वो अपना और अपनी बेटी दोनों का ख्याल रख रही है. शिवानी झारखण्ड में आज की तारीख में व्लोग्गिंग की फील्ड में एक बड़ा चेहरा हैं. जो सोशल मीडिया के जरिए अपनी आपबीती सुनाती रहती हैं. लेकिन शायद दो साल बाद भी इनके ससुराल वालों और खासकर इनकी ननद को इनकी सोशल मीडिया पर सक्सेस रास नहीं आई और उसके पीछे भी हाथ धोकर बैठ गई हैं.
पैसे भी नहीं आए थे, और ननद ने डिलीट कर दिया यूट्यूब चैनल
जब रिश्ते खत्म हो जाते हैं तो अक्सर हम अपना पास्ट भुलाकर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं जिसके बीच हम कभी भी दोबारा उनका नाम नहीं लेना चाहते जिसकी वजह से बात ख़राब होती है. लेकिन यहाँ शिवानी की स्टोरी में कुछ क्या सबकुछ उल्टा है. सोशल मीडिया पर उनकी तरक्की को देखकर उनकी ननद जलकर भुट्टा हो चुकी हैं जिसकी वजह से वो ऐसी हरकतें करने पर आ गयी हैं जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. दरअसल शिवानी ने फेसबुक पर एक लाइव वीडियो करके वो किस्सा सुनती है कि कैसे उनकी ननद ने अपने एक्स बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर उनका यूट्यूब चैनल डिलीट करवा दिया.
पोस्ट में शिवानी ने बताया कि (तारीख तो नहीं कन्फर्म) रात के करीब 10 बजे इनकी ननद और उनके एक्स बॉयफ्रेंड उनके घर में घुसते हैं उस वक़्त उनको पता नहीं होता कि वो कौन है क्योंकि सब ने मास्क पहन रखा था. उस वक़्त वो व्लोग्गिंग कर रही होती हैं तभी उनके हाथ से मोबाइल छीनकर वो भागने लगी तभी चेहरे से मास्क हटाकर देखा. लेकिन तब तक उन्होंने उनका चैनल डिलीट कर दिया. इस यूट्यूब चैनल पर शिवानी के 25000 फॉलोअर्स थे वो सब चले गए और चैनल भी मोनेटाइज था जिसके पैसे आने वाले थे. वो सारे पैसे भी गए.
क्यों हमेशा औरते ही होती हैं शिकार?
हमारे समाज में चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम दोनों में एक बात कि झलक साफ़ दिखती है और वो है ‘Male Dominancy’. ये हमारे समाज की पराकाष्ठा हो गई है जहाँ क्रेडिट लेना हो तो वहां मर्द जहाँ बेज्ज़ती करनी हो वहां औरत. उदहारण के लिए अगर पति बाहर से पैसे कमाकर लाता है तो जिम्मेदार और औरत घर के काम करती है तो वो उसी के लायक. ये मेरी नहीं हमारे समाज की सोंच है. कि हम औरतों को हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं. इनके उत्थान के लिए सरकारें कदम उठाती है रही हैं इनको संविधान में अधिकार तो दिए हैं लेकिन जमीनी स्तर पर हालत आज भी सन 70 और 60 वाली है जहाँ औरतें घर से बाहर नहीं निकल सकती, काम करने नहीं जा सकती पढने नहीं जा सकती. और इन सबका परिणाम होता है कि वो अपने अधिकारों तक को नहीं जान पाती.
जिसके चलते वो शादी के बाद डोमेस्टिक वायलेंस का शिकार होती रहती हैं दुनियाभर की छोड़ो देश की बात करें तो दिन भर घरेलू हिंसा के इतने मामले सामने आ जाते हैं कि अगर सही से पढने लगो तो दिन के 24 घंटे कम पड़ जाएंगे. और इन सब की वजह है चुप्पी! वो भी औरतों कि जो परिवार की लाज बचाने के चक्कर में अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता कर बैठती हैं. लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. सरकारें कितने भी रूल, योजनायें क्यों न ले आएं लेकिन इंसान के अन्दर जो दिमाग में कुंठा भरी हैं वो कैसे ठीक कर सकता हैं. जो सोंच हमारी परम्पराओं ने भर राखी है वो सरकार का जिम्मा नहीं बल्कि हमारा आपका जिम्मा है कि उसे निकाल फेंका जाए.
शिवानी जैसी औरतें इस बात की प्रमाण है कि अगर आपको आत्मसम्मान से जीना है तो उसके लिए लड़ना पड़ेगा वरना समाज तुम्हे कच्चा खा जाएगा. देश भले आज तरक्की की राह पर है लेकिन जो सोंच है वो वहीँ की वहीँ है. लेकिन देश की तरक्की के लिए सिर्फ एक पक्ष से नहीं हो सकती.
ALSO READ: जानिए क्या है ‘Marital Rape’, जिसपर कानून बना तो पति को जाना पड़ सकता है जेल.