कबीरदास और सिकंदर लोदी की कहानी क्या है – जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान, मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान “. इस दोहा कबीरदास जी द्वारा लिखा गया है और इस दोहे में कबीरदास जी ने जाति का विरोध करते हुए कहा कि आप जिस से भी ज्ञान प्राप्त कर रहे हो तो उसकी जाति के बारे में ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि इस बात का कोई महत्व नहीं है. ये ऐसा ही है जैसे तलवार का महत्व उसे रखे म्यान से ज्यादा होता है. इस दोहे की बात इसलिए क्योंकि हरिजन लोग जिन्हें समाज में आज भी सही सम्मान नहीं मिलता है जिन्हें लोग आज भी एक अलग ही नजरिये से देखते हैं. एक समय था जब पिछड़ी जाति को देखकर लोग दूर भागते थे.
वहीं, पिछड़ी जाति को इस नजरिए से देखा जाता था कि जैसे उनका पिछड़ी जाति में पैदा होना एक गुनाह हो. इस पिछड़ी जाति का बुरा प्रभाव भारत के महान संत एवं समाज सुधारक कबीरदास जी भी झेल चुके हैं जहाँ कबीरदास जी जाति के नाम पर फैले बुरे विचारों को खत्म करने की बात करते थे तो ये बात कई महंत-मौलवियों को पसंद नहीं आई और इस बात की शिकायत इतिहास में एक मशहूर शासक सिकंदर लोदी से की गयी. जिसके बाद कबीर को सिकंदर लोदी ने दरबार में पेश होना पड़ा था. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि सिकंदर लोदी के दरबर में पेश होने के दौरान कबीरदास जी के साथ सिकंदर लोदी ने क्या किया था?
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कबीर दास को काशी से निकालने की मांग
कबीरदास ( Kabirdas and Sikandar Lodi story in Hindi) न ही ब्राह्मण थे और न ही दलित वे जुलाहा जाति के थे जो कि एक मुसलमानों की एक नीची है. वहीं पिछड़ी जाति के मुसलमान होने के बाद कबीरदास हिंदू मुसलमान सभी उनकी बातों को सुनते थे जहाँ वो जाति के नाम पर फैले बुरे विचारों को खत्म करने की बात करते थे जहाँ लोग उनके विचारों को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बनाते थे तो वहीं महंत मौलवियों को कबीर की ये बातें जारा-सी भी भायी और इस वजह से महंत-मौलवी सिकंदर लोदी के दरबार में जाकर कबीर को काशी से निकालने की मांग की.
राजा से की गयी कबीर दास की शिकायत
कई महंत ने बादशाह से कहा कि कबीरदस धर्म की बुराइयां भी करता है। मुसलमान होकर हिंदू धर्म को मानता है, वेद, यज्ञ, हवन आदि को गलत बताता है।तो वहीं मौलवियों ने कहा कि इस जुलाहे ने तांडव मचा रखा है और मुस्लमानों को खुदा के खिलाफ करता जा रहा है। हिंदू-मुस्लिम सब इसके अनुयायी होते जा रहे हैं। जिसके बाद कबीर को बादशाह के दरबार में बुलाया गया और इस बात में सफाई मांगी गई लेकिन कबीर (Kabirdas and Sikandar Lodi story) ने इस बारे में कहा कि ‘राम भरोसे गिनै न काहू, सब मिल राजा रंक रिसाऊ और कबीर कि ये बात सुनकर बादशाह को गुस्सा आ गया और उन्होंने कबीर को उन्हें मारने का हुक्म दिया गया.
जब कबीर दास को मिली थी सजा
सिकंदर लोदी (Sikandar Lodi) ने सबसे पहले कबीर (Kabir Das) को जंजीर में बांधकर गंगा में डुबाने, आग में फेकने उनके पीछे मदमस्त हाथी छोड़ने जैसे कई सारे आदेश उन्हें मारें के लिए दिए लेकिन कबीर को कुछ नहीं हुआ न ही वो पानी में डूबें न ही आगे में जले औउर न ही हठी उनका कुछ बिगाड़ पाए. जिसके बाद अंत में सिकंदर लोदी ने कबीर के सामने अपना सिर झुका दिया.उसने कबीर को कई साड़ी चीजें भेट की लेकिन ये सब लेने से मना कर दिया और जब वो काशी लौटे तब लोगों को पता चला कि वो सिकंदर लोदी को अपना शिष्या बना कर आये हैं.
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