वैशाख पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध जयंती मनाई जाती है. ये वही दिन होता है जिस दिन भगवान बुद्ध का जन्म होता है. तारिख होती है 16 मई. इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कुछ लोग महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार मानते हैं. बुद्ध को अहिंसा, दया, करुणा और सकल विश्व को शांति का संदेश देने के लिए जाना जाता है. बुद्ध लोगों को जीवन की राह दिखाते हैं.
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बुद्ध ने पूरी दुनिया को शांति, करुणा और सहिष्णुता की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया. इसलिए आज उनके अनुयाई दुनिया भर में हैं. भगवान बुद्ध की सीख आज के इस आपाधापी भरे युग में भी पहले जितनी प्रासंगिक है. गौतम बुद्ध का कहना था कि हर पुरुष की 4 पत्नियां होनी चाहिए. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. बुद्ध के प्रारंभिक उपदेश वाले 32 आगम सूत्रों में से एक में इस कहानी का जिक्र है.
क्या है 4 पत्नियों की कहानी?
4 पत्नियों की कहानी अपने शिष्यों से बताते हुए गौतम बुद्ध कहते हैं कि एक आदमी था जिसकी 4 पत्नियाँ थी समय बीतने पर वो बीमार पड़ा तो उसे अपनी मौत दिखने लगी. जीवन के अंत में, वो बहुत अकेलापन महसूस करने लगा. उसने अपनी पहली पत्नी को बुलाया और उसे अपने साथ दूसरी दुनिया में चलने के लिए कहा. व्यक्ति ने कहा, ‘मेरी प्रिय पत्नी, मैंने तुम्हें सबसे ज्यादा प्रेम किया, हमेशा तुम्हारा ख्याल रखा. अब मैं मरने वाला हूं, तो क्या तुम मेरे साथ वहां चलोगी जहां मैं मृत्यु के बाद जाऊं?’
पहली पत्नी का जवाब
उसने जवाब दिया, ‘मेरे प्यारे पति, मुझे पता है कि आप हमेशा मुझसे प्यार करते थे और अब आपका अंत करीब है. ऐसे में अब आपसे अलग होने का समय आ गया है. अलविदा मेरे प्रिय.’
दूसरी पत्नी का जवाब
इसके बाद उसने अपनी दूसरी पत्नी को बुलाया और मौत के बाद के सफर पर साथ चलने की विनती की. तो दूसरी पत्नी ने जवाब दिया, ‘प्रिय पति, आपकी पहली पत्नी ने आपकी मृत्यु के बाद आपका साथ देने से इनकार कर दिया तो फिर मैं भला आपके साथ कैसे जा सकती हूं? आपने तो मुझे केवल अपने स्वार्थ के लिए प्यार किया है.’
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तीसरी पत्नी का जवाब
मृत्युशय्या पर लेटे हुए शख्स ने जब अपनी तीसरी पत्नी को बुलाकर जब यही सवाल पूंछा तीसरी पत्नी ने आंखों में आंसू भरकर उत्तर दिया, ‘मेरे प्रिय, मुझे आप पर दया आ रही है और अपने लिए दुख हो रहा है. इसलिए मैं अंतिम संस्कार तक आपके साथ रहूंगी. आगे नहीं जा सकूंगी.’
चौथी पत्नी का जवाब
उसकी चौथी पत्नी, जिसकी उसने ज्यादा परवाह नहीं की थी. चौथी पत्नी के साथ उसने हमेशा दासी जैसा बरताव किया था और हमेशा उसे फटकार लगाई थी. पुरुष ने सोचा कि अगर वो उससे अंतिम सफर पर साथ चलने को कहेगा तो वो पक्का मना कर देगी. हालांकि, वो डरा था और अकेलापन महसूस कर रहा था कि उसने अपनी चौथी पत्नी से भी दूसरी दुनिया में साथ चलने की गुजारिश की.
पति के अनुरोध करने पर चौथी पत्नी ने कहा, ‘मेरे प्यारे पति, मैं तुम्हारे साथ जाऊंगी. कुछ भी हो, मैं हमेशा आपके साथ रहने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं. मैं आपसे कभी अलग नहीं हो सकती. यही है वो कहानी 4 पत्नियों की.
क्या हैं इन 4 पत्नियों के वास्तविक मायने?
अपनी कहानी को समाप्त करते हुए भगवन बुद्ध कहते हैं कि, “प्रत्येक पुरुष और महिला की चार पत्नियां या पति होते हैं और हर एक का खास मतलब होता है. पहली पत्नी या साथी हमारा शरीर होता है, जिसे हम दिन-रात प्यार करते हैं. सुबह के समय हम अपना चेहरा धोते हैं, कपड़े और जूते पहनते हैं. हम अपने शरीर को भोजन देते हैं. हम पहली पत्नी की तरह अपने शरीर का ख्याल रखते हैं लेकिन दुर्भाग्य से जीवन के अंत में, शरीर यानी पहली ‘पत्नी’ हमें अगली दुनिया में नहीं ले जा सकती है.”
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किया जाता है शव का अंतिम संस्कार- बुद्ध ने कहा ‘जब अंतिम सांस हमारे शरीर को छोड़ती है, तो चेहरे का रंग बदल जाता है और हम अपने उज्ज्वल जीवन को खोने लगते हैं. हमारे प्रियजन इकट्ठा होकर विलाप कर सकते हैं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होता है. ऐसे समय में शरीर को अंतिम संस्कार के लिए एक खुले मैदान में रख दिया जाता है और सिर्फ सफेद राख बच जाती है. यह हमारे शरीर का गंतव्य है.
भौतिक चीजों का तात्पर्य- दूसरी ‘पत्नी’ हमारे भाग्य, भौतिक चीजों, धन, संपत्ति, प्रसिद्धि, पद और नौकरी को दर्शाती है. हम इन सभी भौतिक चीजों से काफी जुड़ाव महसूस करते हैं जिसे पाने के लिए हमने कड़ी मेहनत की है. हम इन चीजों को खोने से डरते हैं और बहुत कुछ पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन इनकी कोई सीमा नहीं है. जीवन के अंत में ये चीजें मृत्यु तक हमारा पीछा नहीं कर सकतीं.
हमारे भाग्य ने जो भी इकठ्ठा किया है, उसे हमें छोड़ना ही होगा. हम इस दुनिया में खाली हाथ आए हैं और मृत्यु के समय भी हमारे हाथ खाली होते हैं. हम अपनी मृत्यु के बाद अपना भाग्य पकड़ कर नहीं रख सकते. जैसे दूसरी पत्नी ने अपने पति से कहा था, ‘तुमने अपने अहंकार और स्वार्थ के लिए सिर्फ मुझे अपने साथ रखा और अब अलविदा कहने का समय आ गया है.
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हमारे रिश्ते-नाते- बुद्ध कहते हैं कि तीसरी पत्नी का अर्थ यहां हमारे नाते-रिश्तेदारों से है. यह हमारे माता-पिता, बहन और भाई, सभी रिश्तेदारों, दोस्तों और समाज की तरह है. वो आंखों में आंसू लिए हमारे साथ श्मशान घाट तक ही आ सकते हैं. वो हमारे लिए दुखी और उदास रहते हैं. इसलिए हम अपने शरीर, भाग्य और समाज पर निर्भर नहीं रह सकते. हम अकेले आते हैं और अकेले ही इस दुनिया से जाते हैं. मृत्यु के बाद कोई हमारा साथ नहीं दे सकता.
इन देशो में भी मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा
बुद्ध पूर्णिमा भारत के अलावा चीन, जापान, नेपाल, इंडोनेशिया, थाइलैंड, कंबोडिया, मलेशिया और श्रीलंका में भी मनाई जाती है. इस शुभ अवसर पर उनसे जुड़े तीर्थ स्थलों पर मेला लगता है. बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग आज अपना घर फूलों से सजाते हैं और दीपक जलाते हैं. कुछ लोग आज उपवास रखकर प्रार्थना करते हैं.