दोस्तों, भगवान तो हम सबके मन में बहसते है. भवन तो संसार के कण कण में वास करते है. लेकिन जब हम भवन को उनके मंगल स्वरूप में बनी हुई मूर्ति की पूजा, अर्चना करते है तो हमारे मन को शांति मिलती है. और साथ ही हमे हमारी पूजा का कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है. भवन की मूर्ति को उनके मंगल स्वरूप में स्थापित करके पूजा करने के पीछे कई अध्यात्मिक कारण है. अगर हम भवन की मूर्ति को उनके मंगल स्वरूप में देखते है तो हमारा मन और मस्तिस्क शांत हो जाता है और हमे खुशी मिलती है. जब भी भगवान की मूर्ति को चोट लगती है, अथार्थ मूर्ति गलती से हमारे हाथ से गिर जाती है तो हमे बहुत दुःख और पीड़ा होती है. क्यों कि हमारा श्रधा और विश्वास उस मूर्ति में बसे भगवान से जुड़ा होता है. प्राचीन कल से ही हिन्दू धर्म में भगवान की मूर्तियों को अधिक महत्व दिया जाता है. घर में मूर्तियों को रखना और उनकी विधिवत पूजा करना मनुष्य के मन और तन दोनों को शांति प्रदान करता है.
दोस्तों, आईये आज हम आपको बतायेंगे कि हमे हमारे घर के मंदिर को किस दिशा में रखना चाहिए. और साथ ही बतायेंगे कि हमे हमारे घर में कौन सी मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिए.
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पूजा घर की दिशा
प्राचीन कल से ही हिन्दू धर्म में भगवान की मूर्तियों को अधिक महत्व दिया जाता है. घर में मूर्तियों को रखना और उनकी विधिवत पूजा करना मनुष्य के मन और तन दोनों को शांति प्रदान करता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर का एक निश्चित स्थान होता है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर इशान यानि की उत्तर और पूर्व दिशा के बीच की दिशा होती है. क्यों कि इस दिशा में सर्वाधिक सकारात्मक उर्जा होती है. इस दिशा में पूजा घर बनाने से और पूजा करने से अधिक फल प्राप्त होते है. घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए. पूजा घर में पूरा सामान, खंडित मूर्ति, चमड़े का सामान, बर्तन आदि नहीं रखने चाहिए. इसका घर के पूजा घर की उर्जा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. हमे पूजा घर में सदेव दीपक जलाये रखना चाहिए.
ये तीन मूर्तियां पूजा घर में नहीं रखनी चाहिए
वास्तु शास्त्र के अनुसार हमे हमारे पूजा घर में कुछ सामान नहीं रखना चाहिए उसे पूजा घर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. हमे हमारे पूजा घर में कुछ मुर्तिया नहीं रखनी चाहिए. क्योंकि उनकी पूजा करने का विधि विधा बहुत मुश्किल होता है. जिससे साधारण इंसान नहीं कर सकता है.
- वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा घर में कभी भी मृत परिजनों की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए. क्यों कि हमारे मृत परिजन भगवान नहीं है. उनके मृत परिजनों पितृ पक्ष में ही करनी चाहिए. पूजा घर में मृत परिजनों के साथ किसी साधू संत की तस्वीर भी नहीं रखनी चाहिए.
- वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा घर में कभी रहू केतु, शनि देव, महाकाली आदि की तस्वीरे या मूर्ति नहीं रखनी चाहिए. क्यों कि यह सभी देवता उग्र देवता की श्रेणी में आते है. इनकी पूजा का विदि विधान काफी कठिन होता है, जो साधारण इंसान नहीं कर सकता.
- पूजा घर में हमेशा बैठी, खुश और आशीर्वाद देती हुई होनी चाहिए, पूजा घर में मूर्ति कभी भी उग्र अवस्था में नहीं होनी चाहिए.
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