धर्म किसी इंसान या समुदाय के लिए मूल्य, नैतिकता, और आचार-विचार की मान्यता है, जो उनके जीवन में मार्गदर्शन करती है। आज हम ऐसे ही दो धर्मो की बात करेंगे, एक दूसरे से काफी अलग है लेकिन उन दोनों धर्मो मे काफी समानता भी है। आज हम बात करेंगे सिख बनाम हिन्दू धर्म की। हम आपको बता दे की सिख धर्म एक अलग धारा है जो गुरु नानक द्वारा स्थापित की गई है और इसमें एक एकेश्वरवाद, समाज सेवा, और एकता के मूल तत्व शामिल है, वहीं दूसरी तरफ हिंदू धर्म भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीन धारा है जिसमें अनेक देवताओं और शास्त्रों का पूजन होता है और जीवन को धार्मिक और नैतिक मानकर जीता जाता है। हिन्दू धर्म का कोई संस्थापक नहीं है इसे सनातन धर्म भी कहा जाता है।
हम आपको बता दे कि पहले दोनों धर्म एक ही थे लेकिन सिख धर्म और हिंदू धर्म का अलग होना गुरु नानक जी द्वारा 15वीं सदी में शुरू हुआ। गुरु नानक जी ने एक ईश्वर, समाज सेवा, और सभी मानवों के बराबरी के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया और एक नया सामाजिक और धार्मिक बदलाव हुआ। इससे सिख धर्म और हिंदू धर्म की पूजा-पाठ के बीच विभिन्नताएं उत्पन्न हुईं, जिससे दोनों अलग धाराएं बनीं।
दोस्तो, आज हम आपको सिख बनाम हिन्दू धर्म के बारे मे कुछ प्रमुख बताए बताएँगे, दो धर्मो मे बहुत अंतर होने के साथ साथ कुछ समानता भी है।
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सिख और हिंदू धर्म मे प्रमुख समानताएं
हम आपको बता दे की सभी धर्मो मे कुछ न कुछ समानता तो होती ही है क्यों की हर धर्म मूल्य, नैतिकता, और आचार-विचार की मान्यता है, जो लोगों का जीवन में मार्गदर्शन करती है। सिख धर्म और हिंदू धर्म दोनों में समाज सेवा, नैतिकता, और सद्गुणों को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण स्थान है।दोनों धर्मों में सांस्कृतिक और सिद्धांतों का पालन किया जाता है, जो इंसान को जीवन जीने के सही तरीके से वाखिफ करती है।
सिख और हिंदू धर्म मे प्रमुख अंतर
वैसे तो हर धर्म मे कुछ समानता के साथ साथ कुछ अंतर भी पाये जाते है लेकिन आज हम सिख ओर हिन्दू धर्म के प्रमुख अन्तरो के बारे मे बात करेंगे, जो दोनों धर्मो को अलग बनाता है। दोनों धर्म फले एक ही थे लेकिन बाद मे दोनों धर्म अलग गुरु नानक जी द्वारा 15वीं सदी में शुरू हुआ। गुरु नानक जी ने एक ईश्वर, समाज सेवा, और सभी मानवों के बराबरी के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया और एक नया सामाजिक और धार्मिक बदलाव हुआ। इससे सिख धर्म और हिंदू धर्म की पूजा-पाठ के बीच विभिन्नताएं उत्पन्न हुईं, जिससे दोनों अलग धाराएं बनीं। और दोनों धर्मो मे काफी अंतर हो गया।
- पूजा का तरीका: सिख धर्म में विशेष पूजा और पाठों की बजाय, सच्चे जीवन जीने का प्रमोट करता है, जबकि हिंदू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा होती है.
- पहचान: सिख धर्म में सभी सिख एक ही रूप में धर्मी होते हैं, जबकि हिंदू धर्म में जाति और वर्ण व्यवस्था है.
- श्रद्धा का अभ्यास: सिख धर्म में एक ईश्वर के साथ निरंतर जुड़े रहने का महत्वपूर्ण रूप से उदाहारण है, जबकि हिंदू धर्म में भक्ति के विभिन्न माध्यमों का अनुसरण किया जाता है.
- संस्कार और आचार्यों की महत्वपूर्णता: हिंदू धर्म में विभिन्न संस्कार और आचार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जबकि सिख धर्म में गुरु नानक और उनके उत्तराधिकारी गुरुओं की भूमिका महत्वपूर्ण है.
- आराधना की भाषा: सिख धर्म में पंजाबी भाषा को अपनी आराधना की भाषा मानते हैं, जबकि हिंदू धर्म में संस्कृत और विभिन्न स्थानीय भाषाएं उपयोग होती हैं।
- पवित्र ग्रंथ: सिख धर्म में गुरुग्रंथ साहिब को अपना धर्मग्रंथ मानते हैं, जबकि हिंदू धर्म में वेद, उपनिषद, भगवद गीता, आदि प्रमुख ग्रंथ हैं.
- जन्म-मृत्यु का सिद्धांत: सिख धर्म में संसार का चक्कर, जन्म-मृत्यु का चक्कर, को नहीं मानते हैं, जबकि हिंदू धर्म में संसारचक्र का सिद्धांत है.
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