Gurudwara Ritha Sahib History in Hindi – वैसे तो हमारे देश में गुरु नानक देव से संबंधित अनेक धार्मिक स्थल है, परंतु श्री रीठा साहिब गुरुद्वारे का अपना एक अलग महत्व है. यह स्थल उत्तराखंड के चंपावत जिले में चंपावत शहर से लगभग 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. रीठा साहिब गुरुद्वारा चंपावत जिले के पाटी ब्लाक में रतिया और लधिया नदियों के संगम एक बहुत ही रमणीक स्थान पर बना हुआ है.
Discover serenity at Gurudwara of Reetha Sahib! This stunning white gurudwara is located in Champawat. Legend has it that Guru Nanakji himself visited this place & performed a miracle by turning a bitter fruit sweet. Come & experience the beauty, history, & spirituality pic.twitter.com/MCpvkdQOJd
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) April 15, 2023
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कुमाऊं की यात्रा पर निकले पर्यटकों खासकर सिख धार्मिक पर्यटकों के लिए यह स्थान खासा महत्व रखता है. हर साल देश विदेश से लाखों लोग श्री रीठा साहिब गुरुद्वारा के दर्शन के लिए आते रहते हैं. ये वही जगह है जहाँ सिखों के पहले गुरु नानक देव ने शिष्य मरदाना के साथ चौथी उदासी ली थी और इसी दौरान ही उन्होंने कडवे रीठे को मीठा कर करके इस जगह को सिखों के प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थल में बदल दिया था.
इतिहास और एक चमत्कारी कहानी
रीठा साहिब के इस गुरूद्वारे को गुरु नानक देव के एक किस्से से जोड़कर देखा जाता है. दरअसल कहा जाता है कि साल 1501 में श्री गुरु नानक देव जी अपने शिष्य मर्दाना के साथ रीठा साहिब आए थे,इसी बीच उनकी मुलाकात नाथ संप्रदाय के महान संत गुरु गोरखनाथ के शिष्य ढेर नाथ से इसी स्थान पर हुई. श्री गुरु नानक देव और देवनाथ के बीच काफी देर तक बातचीत होती रही. इसी बीच गुरु नानक देव जी के शिष्य मर्दाना गुरु नानक देव जी से कहा कि उसे भूख लग गई है और उसे कुछ खाने को चाहिए, तो गुरु नानक देव ने पास में ही एक रीठा फल के वृक्ष की तरफ इशारा करते हुए कहा इसे खा लीजिए आपकी भूख शांत हो जाएगी.
मगर शिष्य मर्दाना का कहना था कि यह तो बहुत कड़वा होता है इसे खाकर तो मेरी जान चली जाएगी, फिर गुरु नानक देव ने कहा आप इसे खाइए तो सही उनकी बात सुनकर शिष्य मर्दाना पेड़ पर चढ़ गया और रीठा खाने लगा. उसने पाया कि पेड़ का रीठा फल अचानक बहुत मीठा हो गया है, और उसके बाद उस पेड़ का रीठा फल हमेशा के लिए मीठा ही रहा और इस स्थान का नाम रीठा साहिब पड़ गया.
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जब धरती से नाम पूछा तो आवाज आई नानकमत्ता…नानकमत्ता
नानकमत्ता. श्री गुरुनानक देव महाराज तीसरी उदासी के समय यानी करीब 500 साल पहले नानकमत्ता पहुंचे थे. कहा जाता है कि गुरुनानक देव ने यहां धरती से नाम पूछा तो तीन बार आवाज आयी नानकमत्ता, नानकमत्ता, नानकमत्ता. तभी से यह स्थान नानकमत्ता साहिब के नाम से प्रसिद्ध हुआ. यहां आज भव्य गुरुद्वारा बना हुआ है.
गुरुद्वारा रीठा साहिब कब जाएं
Gurudwara Ritha Sahib History – धार्मिक तीर्थ स्थल होने के कारण ज्यादातर लोग धार्मिक प्रयोजन से यह यात्रा करते हैं. सिख लोग या तो गुरु नानक देव की जयंती पर यहां आते हैं या फिर अन्य धार्मिक दिवसों के समय यहां घूमने आते हैं. मगर फिर भी यदि आप घूमने के लिए सही समय का चुनाव करना चाहते हैं तो पहाड़ी टूरिस्ट डेस्टिनेशन होने की वजह से गर्मियों का समय रीठा साहिब की यात्रा के लिए उचित रहेगा.
Gurdwara Reetha Sahib with New Mitthe Reethe…
Dhan Guru Nanak🙏 pic.twitter.com/4ilW7qivQc
— In the Service of Guru Gobind Singh Ji (@dashmeshpita) November 5, 2018
मार्च से लेकर मई-जून तक आप यहां की यात्रा आराम से कर सकते हैं, बरसात के समय पहाड़ी पर्यटक-स्थलों की यात्रा को टाला जा सकता है और ठंड के मौसम में अत्यधिक ठंड होने की वजह से पहाड़ी टूरिस्ट डेस्टिनेशन मैं कम लोग जाना पसंद करते हैं.
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