“वाहे गुरु जी दा खालसा, वाहे गुरु जी दी फतेह” सिखों द्वारा बोले जाने वाला वो वाक्य है जिससे वह अपने गुरु के प्रति समर्पण दिखाते है. हर सिख श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी द्वारा दिए गए मार्गदर्शन पर चलते है. कुछ लोग भाग्य के बारे में बात करते है जैसे कि तुम्हारा भाग्य कितना अच्छा है या कितना बुरा है… लेकिन क्या आप जानते है कि सिखी में भाग्य को कैसे देखते है? सिखों के गुरुओं क्या कहना है भाग्य के बारे में ? सिखों के पवित्र किताब श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में भाग्य के बारे में क्या लिखा है ? क्या सिख भाग्य में विश्वास करते है ? इस लेख में आज हम आपको इन सब सवालों के जवाब देंगे. जिससे आपको सिखी के बारे में थोडा ओर जानने को मिलेगा.
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क्या सिख भाग्य में विश्वास करते हैं?
अगर हम बात करे कि क्या सिख भाग्य में विश्वास करते है या नहीं… तो इसका जवाब है नहीं… सिख भाग्य में विश्वास नहीं करते है. सिख कर्म में विश्वास करते है. जैसा आप कर्म करेंगे, वैसा आपको फल मिलेगा. आपके कर्म आपके भाग्य को निर्धारित करते है. सिखों में केवल कुदरत हमारा भाग्य निर्धारित करेगी ऐसा नहीं है बल्कि जैसे कर्म हम करेंगे, वैसा हमारा भाग्य होगा. अगर हम अच्छे कर्म करेंगे, लोगो का बला करेंगे, सेवा करेंगे, सिखी का पालन करेंगे और मन में दया की भावना रखेंगे तो हमारा भाग्य भी हमे अच्छा ही फल देगा. इसके विपरीत अगर आप अच्छे कर्म नहीं करते हो, मन में दया की भावना नहीं रखेंगे और सिखी का पालन नहीं करेंगे तो आपके भाग्य भी आपका साथ नहीं दे सकता.
सिखों के पवित्र ग्रन्थ, श्री ग्रन्थ साहिब जी के अनुसार ईश्वर ने जब मनुष्य को बनाया था तो मनुष्य को विकास के महान अवसर प्रदान करता है. गुरु ग्रन्थ साहिब जी के अनुसार मनुष्य के तीन भाग होते है शरीर, मन और आत्मा. शरीर का विकास के लिए हम आजीविका कमाते है हमारे स्वास्थ्य का ध्यान रखते है. इसके साथ ही मन या दिमाग के विकास के लिए हम पढाई करते है, अध्यात्मिक ज्ञान लेते है लेकिन वहीं हम आत्मा के विकास के लिए क्या करते है… मन में दया की भावना रखना, कठोर नैतिक अनुशासनों का पालन करते है. जिससे हमारे आत्मा का भी विकास हो सकते. मनुष्य बिना आत्मा के विकास के अनुशय श्रेणी के काबिल नहीं बनता है. इसीलिए सिखी में भाग्य में विश्वास न रख कर कर्म में विश्वास करते है.
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