जब भी सिख धर्म की बात आती है तो हमारे दिमाग में सिखों की के तस्वीर बन जाती है जिसमे एक व्यक्ति सर पर पगड़ी, हाथ में तलवार या कृपान, लम्बी दाड़ी के साथ सिख के पहनावे में दिखता है. सभी सिख बेसक से एक जैसे दिखते हो लेकिन सिखों के भी प्रकार होते है. सभी सिख एक तरह के नहीं होते है. हम आपको बता दे कि सिख भी 5 प्रकार के होते है जिसमे धंदे दी सिखी, देखा देखी सिखी, हिरसे दी सिखी, शिद्की दी सिखी और प्रेम दी सिखी आते है. जिनमे कुछ ऐसे अंतर है जो इन्हें एक दूसरे से अलग बनाते है. इन सभी सिखों में समानता यही है कि यह सभी सिख है, जिनके जीवन जीने कि शैली बिलकुल एक दूसरे से भिन्न है.
दोस्तों, आईये आज हम आपको इस लेख से बताएंगे कि कैसे यह ये पांचो सिख धंदे दी सिखी, देखा देखी सिखी, हिरसे दी सिखी, शिद्की दी सिखी और प्रेम दी सिखी एक दूसरे से अलग है.
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ये है सिखों के प्रकार
ज्यादातर लोगो को लगता है कि सभी सिख एक ही होते है लेकिन ऐसा नही है सिख भी 5 प्रकार के होते है जिसमे धंदे दी सिखी, देखा देखी सिखी, हिरसे दी सिखी, शिद्की दी सिखी और प्रेम दी सिखी आते है. पहले तीन तरह के सिख धंदे दी सिखी, देखा देखी सिखी, हिरसे दी ऐसे सिख होते है जो बहार से तो सिख है लेकिन अन्दर से सिख नहीं है. इन तीनो में गुरुओं के लिए प्रेम की कमी होती है.
धंदे दी सिखी : धंदे दी सिखी में ऐसे सिख आते है, जो धंदे के करते है. जिनका काम बिजनेस करना होता है. जिन सिखों के लिए सबसे महत्वपूर्ण धन होता है वह सारे सिख धंदे दी सिखी में आते है. यह सिख बिजनेसमैन होते है जो पैसे के पीछे भागते है. इन सिखों का कोई गुरु नहीं होता है. यह बीएस बहार से सिख दिखते है अंदर से सिख नहीं होते है. असली सिख सेवा में यकीं रखता है कमाने और अपने पास जोड़ने में नहीं.
देखा देखी सिखी : देखा देखी सिखी में से सिख आते है जो सिख समुदाय में होने की वजह से ही सिखों की तरह रहते है. यह सिख गुरुओ को नहीं मानते है बीएस उनकी जीवन शैली में वह सिखों के जैसे दिखते है. यह सिख, सिख दिखने के लिए सिख होने की एक्टिंग करते है जैसे उनकी पंजाबी बोलते है, उनका पहनावा भी सिखों की तरह होता है. इसीलिए इन्हें देखा देखी सिख कहते है.
हिरसे दी सिखी : हिरसे दी सिखी ऐसे सिखों को कहते है जो कुछ समय के लिए सिख बनते है, सिखों की परम्पराओ और रीति रिवाजो को मानते है. सिखों कि मान्यताओं को अपनाते है. यह वह सिख होते है जो अपनी किसी इच्छा को पुर अकरने के लिए सिखी मान्यताओं को अपनाते है उसके बाद उसे छोड़ देते है. जैसे कुछ लोग कोई चीज़ मांग कर सेवा करते है, की उनकी मन्नत पूरी हो जाए और जब उनकी मन्नंत पूरी हो जाती है तो वह सेवा करें बंद कर देते है.
शिद्की दी सिखी : शिद्की दी सिखी वे सिख होते है जो गुरुओं के प्यारे होते है. शिद्की का मतलब होता है अपने गुरु में प्यार, प्रेम और अटूट भरोसा होना. यह सिख अपने धर्म के प्रति काफी वफादार होते है. अपने सिख गुरुओं और मान्यताओं को पूरी शिदत से निभाते है. इनके अनुसार जो भी हमारे साथ होता ही वह हमारे गुरुयों के आशीर्वाद के कारण होता है. जिनका अपने गुरुओं के ऊपर कुछ भी नहीं होता है इन्हें सच्चे सिख का भी दर्जा मिलता है.
प्रेम दी सिखी : प्रेम दी सिखी में वह सिख आते है जो अपनी सिख मान्यताओं को पूरे मन और प्रेम से निभाते है. इन सिखों को भी गुरुओं का प्यारा माना जाता है. जिनके हिसाब से गुरुओं के आगा के आग एकुच भी नहीं होता है इनके लिए गुरुओं की आज्ञा का औदा सबसे ऊपर होता है. इनके मन में पूरी मानव जाति के लिए प्रेम होता है. इन्हें सच्चे सिखों के तौर पर देखा जाता है. जो अपने धर्म क एप्र्ती पूरे मन से समर्पित होते है.
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